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स्टॉकर - 40




स्टॉकर
(40)



मेघना ने शिव की हत्या का प्लान यह सोंच कर बनाया था कि उसके बाद अंकित को उसके पैसे देकर अलग कर देगी। फिर सब कुछ उसका हो जाएगा। फिर वह रॉबिन के बारे में सोंच लेगी।
लेकिन शिव की हत्या के बाद अचानक अंकित गायब हो गया। वह समझ नहीं पाई कि उसने ऐसा क्यों किया। उसने सारा शक अंकित पर डाल दिया था। क्योंकी कत्ल वाले दिन से ही वह गायब था। उसने पुलिस को अंकित का नाम इसलिए बताया था कि यह आसानी से साबित हो सकता था कि वह उसके पीछे पड़ा था। उसने स्टेफिट जिम के मालिक से उसकी शिकायत की थी। एक बार जब वह उसके क्लब पहुँचा था तब भी उसने मैनेजर से उसकी शिकायत की थी। शिव ने उसे धमकाया भी था। यह सब सारा शक आसानी से अंकित पर डाल सकता था।
मेघना ने अपने हिसाब से सही चाल चली थी। पर उसकी चाल उलट गई जब एसपी गुरुनूर को अंकित के बारे में बताने के बाद ही सूरज सिंह उससे मिला। उसके पास सबूत थे कि वह शिव के कत्ल से पहले अंकित से मिलती थी। उसके पास रॉबिन और मेघना के बीच संबंध के भी सबूत थे।
सूरज सिंह उसे ब्लैकमेल कर रहा था। वह उसे पैसे दे चुकी थी फिर भी उसके ऑफिस में आकर धमक जाता था। इसलिए रॉबिन का सुझाव उसे सही लगा था। वह भी पूरी कोशिश में थी कि जितना मिल जाए समेट कर भाग निकले।
वह समझ रही थी कि बहुत अधिक समय तक वह कानून से बच कर नहीं रह सकती है।
रॉबिन फार्म हाउस से निकलना नहीं चाहता था। उसे डर था कि ऐसा करना खतरा मोल लेना है। ऐसे में वह निशांत व पूरन सिंह से नहीं मिल पा रहा था। उसे अब इसकी ज़रूरत भी नहीं लगती थी। उसका सोंचना था कि यह जानने से भी क्या लाभ कि उन्होंने ऐसा क्यों किया। वो तो वैसे भी पुलिस की नज़र में आ चुका है। अतः बेहतर है कि खुद को यहाँ सुरक्षित रखे। मेघना जब भी तैयार हो वह उसके साथ दूर भाग जाए। फिर वह किसी चीज़ से मतलब नहीं रखेगा। इसलिए जब भी मेघना उसकी ज़रूरत का सामान लेकर फार्म हाउस जाती थी तो वह उससे सब कुछ जल्दी करने को कहता था।
लाख सावधानी के बाद भी एसपी गुरुनूर को मेघना पर शक हो गया। उसने इंस्पेक्टर अब्राहम को उसके पीछे लगा दिया। इंस्पेक्टर अब्राहम ने उसे जगदंबापुर के फार्म हाउस पर रॉबिन के साथ पकड़ लिया।

रॉबिन और मेघना ने अपनी अपनी कहानी बताई। उनकी बात पूरी होने के बाद इंस्पेक्टर अब्राहम ने अंकित से पूँछा।
"मिस्टर टंडन की हत्या के बाद तुम गायब कहाँ हो गए थे ? तुमने तो हत्या की नहीं थी। फिर भागे क्यों ?"
"मैं रॉबिन और निशांत के प्लान के बारे में जानता था। मैंने सोंचा कि यह सही रहेगा कि हत्या के समय मैं यहाँ ना रहूँ। मेघना को लगेगा कि हत्या मैंने की है इसलिए मैं भाग गया हूँ। बाद में जब मामला शांत होगा तो मेघना से बाकी के पैसे लेकर कहीं चला जाऊँगा। इसलिए मैं कानपुर चला गया था। वहाँ मेरा एक पुराना दोस्त रहता था।"
अंकित ने आगे की कहानी सुनाई।
नमन अंकित के स्कूल के दिनों का दोस्त था। वह एक वॉटर प्यूरीफायर कंपनी में सेल्समैन था। इस कंपनी में नौकरी लगने से पहले वह कुछ दिन अंकित के पास रह चुका था। इसलिए शिव की हत्या के बाद अंकित नमन के पास चला गया। नमन अकेला रहता था। अंकित ने उससे कहा कि वह कुछ आवश्यक काम से यहाँ आया है। वह नमन के साथ रहने लगा। अंकित की नज़र भी मीडिया में शिव की हत्या के केस पर रहती थी। उसे जब पता चला कि शिव की कार रॉबिन के फार्म हाउस में मिली है जिसमें चेतन की लाश थी तो उसने समझ गया कि मामला उलझ गया है।
अंकित ने सोंचा कि यदि वह और पैसों का लालच करेगा तो बुरी तरह फंस जाएगा। इसलिए उसने सोंचा कि वह अपने फ्लैट में रखे एडवांस के पंद्रह लाख लेकर चुपके से कहीं दूर निकल जाएगा।
वह बस से अपने शहर पहुँचा। पर यहाँ उससे एक गलती हो गई। उसने सोंचा कि वह एक बार अपनी बहन से बात कर ले। लेकिन जब वह यहाँ से कानपुर भागा था तो घबराहट व जल्दी में अपना फोन कहीं गिरा दिया था। इतने दिनों तक तो वह कानपुर में छिप कर रह रहा था इसलिए उसे फोन की कमी नहीं खली। पर जब उसे बहन से बात करने का मन किया तो उसने सोंचा कि किसी से फोन लेकर वह बात कर ले।
बस स्टेशन पर एक आदमी अपनी बस के चलने का इंतज़ार कर रहा था। अंकित ने यह दिखाते हुए कि वह मुसीबत में है और ज़रूरी फोन करना है उसका फोन मांग लिया।
अपनी बहन से उसे पता चला कि पुलिस उसकी खोज करते हुए उसके घर झांसी पहुँच गई है। मेघना ने सारा दोष उस पर मढ़ दिया है। उसकी पहली प्रतिक्रिया हुई कि वह वहीं से भाग ले। पर उसके पास बहुत कम पैसे थे। ऐसे में कहीं जाना भी संभव नहीं था। इसलिए उसने सोंचा कि थोड़ी हिम्मत दिखा कर वह अपनी बिल्डिंग तक जाकर देखता है। अगर वहाँ कोई खतरा लगा तो वह भाग जाएगा। जब वह अपनी बिल्डिंग में पहुँचा तो उसे वहाँ कोई खतरा नज़र नहीं आया। वह अपने फ्लैट में चला गया। उसने सोंचा था कि देर रात कभी भी वह पैसे लेकर कहीं दूर निकल जाएगा।
लेकिन सब इंस्पेक्टर गीता ने गार्ड को निगरानी पर लगाया हुआ था। उसके फ्लैट की लाइट जलते देख कर उसने सब इंस्पेक्टर गीता को सूचना दे दी।

सब इंस्पेक्टर गीता सारी बात सुनने के बाद बोली।
"अंकित मिस्टर टंडन की हत्या वाली शाम को तुम्हारी चेतन से बात हुई थी। तब तो तुमने कहा था कि तुमने शिव की हत्या में चेतन को भी साथ मिला लिया था। इसलिए उसे रॉबिन के फार्म हाउस पर बुला रहे थे। पर अब तो वह बात सही नहीं लगती है।"
"मैं उस समय मैंने खुद को बचाने के इरादे से बहुत सी कहानियां बनाई थीं। पर अपनी कहानियों में खुद ही फंस रहा था। मैंने आप लोगों से कहा था कि शाम को मेरा अपहरण हो गया था। मैं बेहोश था। पर आपने कॉल डीटेल दिखा कर साबित कर दिया कि मेरा अपहरण नहीं हुआ था। आपने एडवांस वाली बात पता कर मुझे मैं शिव की हत्या के मामले में उलझा दिया था। जब आपने मेरे और चेतन के बीच हुई कॉल के बारे में पूँछा तो मैंने एक और कहानी गढ़ी कि मेघना मुझसे शिव की हत्या कराना चाहती थी। इसलिए मैंने चेतन को भी पैसों का लालच देकर शिव की हत्या में साथ देने के लिए मना लिया। ताकि दोनों की एक साथ हत्या कर सकूँ। फिर मैंने खुद को निर्दोष साबित करने के लिए यह कह दिया कि चेतन वहाँ नहीं पहुँचा। किसी ने मुझे बेहोश कर वहाँ से गायब कर दिया। जबकी चेतन ने मुझे एक विनियोग के बारे में बताने के लिए बात की थी।"
"तुमने अपने किडनैपर का जो हुलिया बताया था वह पूरन सिंह से मिलता था। वह कैसे ?"
"पूरन सिंह को शिव ने मेरे और मेघना के पीछे लगाया था। तभी मैंने उसे देखा था। उसकी पोनीटेल मुझे याद थी तो मैंने वही हुलिया बता दिया।"
अब शिव टंडन की हत्या का केस बहुत हद तक सॉल्व हो गया था। बस अब पूरन सिंह व निशांत से बात करनी बाकी थी।
जब निशांत और पूरन सिंह से पूँछताछ हुई तो उन्होंने वो सारी बातें कबूल कर लीं जो रॉबिन ने बताई थीं। उनसे यह पूछने पर की उन लोगों ने शिव की कार जिसमें चेतन की लाश थी वह रॉबिन के फार्म हाउस पर क्यों छोड़ी तो निशांत ने बताया कि वह रॉबिन को रास्ते से हटाना चाहता था। उसका मकसद था कि जब रॉबिन फंसेगा तो मेघना और उसका रिश्ता भी सामने आ जाएगा। मेघना और रॉबिन के जेल जाने के बाद वह शिव का भाई होने के नाते उसकी जायदाद पर अपना हक जमा सकता है। उसने पूरन सिंह को मोटी रकम का लालच देकर अपने में मिला लिया था।
जब एसपी गुरुनूर ने सच जानने के लिए मेघना रॉबिन और अंकित तीनों को छोड़ दिया तो निशांत को बात समझ नहीं आई। उसे लगा कि क्या वह तीनों पुलिस की चंगुल से बच गए।
एसपी गुरुनूर पूरन सिंह से मिली तो उसने यह कह दिया कि वह कुछ नहीं जानता है। शिव ने उसे अपनी पत्नी मेघना और अंकित पर रखने का काम सौंपा था। एसपी गुरुनूर के जाने के बाद उसने निशांत को सारी बात बताई।
निशांत ने उसे रॉबिन के फार्म हाउस पर नज़र रखने को कहा। लेकिन एसपी गुरुनूर ने अपने कांस्टेबल को उसके पीछे लगा दिया था।
रॉबिन ने पूरन सिंह को अपने फार्म हाउस के पास देख लिया। वह उससे और निशांत से बात करना चाहता था। उसने पूरन सिंह से कहा कि वह निशांत को वहाँ बुलाए। निशांत जब वहाँ पहुँचा तब रॉबिन ने उससे सवाल किया कि उसने उसे धोखा क्यों दिया।
जब वह तीनों आपस में लड़ रहे थे तभी पुलिस ने तीनों को एक साथ धर दबोचा।

केस पूरी तरह सॉल्व हो गया था। एसपी गुरुनूर ने अपने साथियों इंस्पेक्टर अब्राहम और सब इंस्पेक्टर गीता की उनके काम के लिए सराहना की।
मेघना, अंकित, रॉबिन, निशांत और पूरन सिंह पर मुकदमा दर्ज़ हो गया।
एसपी गुरुनूर ने मीडिया को केस के बारे में सारी जानकारी दी। जो लोग उसकी योग्यता पर शक कर रहे थे सब चुप थे।



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