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स्टॉकर - 30




स्टॉकर
(30)



एसपी गुरुनूर के केबिन में मेघना, रॉबिन और अंकित तीनों एक साथ थे। उनसे पूँछताछ करने के लिए सब इंस्पेक्टर गीता और इंस्पेक्टर अब्राहम भी वहाँ मौजूद थे।
शुरुआत एसपी गुरुनूर ने मेघना से सवाल कर की।
"तुम तो कह रही थी कि ना तो मेरा रॉबिन से संबंध है और ना ही अंकित से।"
"मैं अभी भी वही कह रही हूँ। रॉबिन से मेरा संबंध शिव से शादी करने से पहले था। बाद में मैंने इससे कोई संबंध नहीं रखा। अंकित से मेरा कोई संबंध नहीं है। यह जबरन मेरे पीछे पड़ा था।"
अपने ऊपर लगे इल्ज़ाम को सुन कर अंकित चिल्ला उठा।
"सरासर झूठ है ये। इसने मुझे अपने जाल में फंसाया।"
एसपी गुरुनूर ने उसे डांटते हुए कहा।
"जब तक हम ना पूँछे कुछ मत बोलो।"
अंकित चुप होकर बैठ गया।
'तो तुम्हारा किसी के साथ कोई संबंध नहीं है। ना ही तुमने अंकित को अपने पति को मारने के पैसे दिए थे।"
"मैं अपने पति को बहुत चाहती थी। फिर मैं उन्हें मरवाने के पैसे क्यों दूँगी।"
एसपी गुरुनूर कुछ पलों तक उसे घूरती रही। उसके इस तरह घूरने से मेघना असहज हो रही थी।
"तुम सच बोल रही हो।"
मेघना ने गुस्सा दिखाते हुए कहा।
"बिल्कुल सच बोल रही हूँ। मैं क्यों झूठ बोलूँगी। एक तो मेरे पति के ना रहने से मैं वैसे भी परेशान हूँ। ऊपर से आप इस तरह के बेकार लांछन लगा रही हैं।"
मेघना रुकी। उसने एसपी गुरुनूर की तरफ देख कर कहा।
"मीडिया में सही चर्चा चल रही है। आपमें ये केस सॉल्व करने की काबिलियत ही नहीं है। इसलिए मुझ पर बेकार के इल्ज़ाम लगा कर मुझे फंसा कर केस जैसे तैसे बंद करना चाहती हैं।"
मेघना की ये बात एसपी गुरुनूर को चुभ गई। पर वह एक सुलझी हुई पुलिस अधिकारी थी। उसने बिना आपा खोए जवाब दिया।
"केस तो बंद होगा ही मेघना। पर जैसे तैसे नहीं। गुनाहगार को सामने लाने के बाद।"
मेघना एसपी गुरुनूर के आत्मविश्वास को देख कर घबरा गई।
"अब ये बताओ कि तुमने सूरज सिंह को बीस लाख रुपए क्यों दिए थे ?"
सूरज सिंह का नाम सुन कर मेघना के होश उड़ गए। पर वह अपनी मनःस्थिति को छिपाने का प्रयास करते हुए बोली।
"सूरज सिंह मुझे कानूनी सलाह देता है।"
"सूरज सिंह पुलिस की हिरासत में है। उसने हमें अपनी कानूनी सलाह के बारे में सब कुछ बता दिया है। तुम्हारे खिलाफ बहुत से सबूत दिए हैं उसने। तुम्हारा सारा कच्चा चिठ्ठा खोल कर रख दिया है उसने।"
मेघना समझ चुकी थी कि वह पूरी तरह से घिर चुकी है। वह चुपचाप बैठी रही।
एसपी गुरुनूर अंकित की तरफ घूमी।
"तुमने कोई कत्ल नहीं किया। क्योंकी किसी ने तुम्हें किडनैप कर एक मकान में कैद करके रखा था। कौन था वो ?"
"मैम.... वो मैंने बताया था ना कि मैंने केवल उसकी शक्ल देखी थी। नाम नहीं पता।"
एसपी गुरुनूर ने बड़े नाटकीय अंदाज़ में कहा।
"हाँ बताया तो था। सही कहा तुमने। तुम्हें उसका नाम नहीं पता है। मैं बता दूँ।"
अंकित भी एसपी गुरुनूर के आज के अंदाज़ को देख कर परेशान हो गया था। वह कुछ नहीं बोल पाया।
"जो हुलिया तुमने बताया उसके हिसाब से तो वह पूरन सिंह है।"
"हो सकता है। मैं नाम नहीं जानता हूँ।"
"अच्छा....जब मिस्टर टंडन ने पूरन सिंह को तुम्हारे और मेघना के पीछे लगाया था तब तो उसे देखा होगा।"
"नहीं.....मुझे नहीं पता कि शिव टंडन ने मेरे और मेघना के पीछे किसी को लगाया था। मैंने उसे तब ही देखा था जब होश में आने पर मैंने खुद को कैद में पाया था।"
एसपी गुरुनूर दोबारा मेघना की तरफ मुड़ी।
"तुमने कहा था कि मिस्टर टंडन का कोई भी रिश्तेदार नहीं था। ये सच है।"
"हाँ ये सच है।"
"तो फिर निशांत टंडन कौन है ?"
निशांत का नाम सुन कर मेघना और अधिक परेशान हो गई। एसपी गुरुनूर ने कहा।
"बार बार झूठ....क्यों ?"
मेघना ने अपनी नज़रें उठा कर एसपी गुरुनूर के चेहरे पर टिका दीं।
"मैम....निशांत मेरे पति का सौतेला भाई है। पर शिव उसके साथ कोई रिश्ता नहीं रखते थे। हमारी शादी के कुछ ही दिनों के बाद एक बार वह हमारे घर मुझसे मिलने आया था। पर शिव ने उसे डांट कर भगा दिया था। उन्होंने मुझसे भी कहा था कि यदि वह दोबारा आने की कोशिश करे तो उसे आने ना दूँ।"
"आप ये नहीं जानती हैं कि पिछले दो साल से मिस्टर टंडन निशांत के संपर्क में थे। वह उसकी आर्थिक सहायता भी कर रहे थे। जिससे वह अपने बिज़नेस को बढ़ा सके।"
यह सूचना मेघना के लिए सबसे अधिक चौंकाने वाली थी। कुछ पलों तक जैसे उसे यकीन ही नहीं हुआ। वह बोली।
"मैं ये सब नहीं जानती हूँ। निशांत इसी शहर में रहता है। उसने उसके बाद मेरे साथ मेलजोल बढ़ाने की भी कोशिश की थी। पर शिव के कहे अनुसार मैंने उसे डांट दिया था। उसके बाद इतने दिनों में उसने मुझसे कोई संपर्क नहीं किया।"
रॉबिन मेघना और अंकित से कुछ दूर बैठा था। सब इंस्पेक्टर गीता और इंस्पेक्टर अब्राहम दोनों उसके अगल बगल खड़े थे।
एसपी गुरुनूर उसके पास आई। रॉबिन अब तक की बातचीत सुन कर बहुत घबराया हुआ था।
"अब तुम बताओ....तुम्हारा पूरन सिंह और निशांत से क्या संबंध है ?"
एसपी गुरुनूर का ये सवाल सुन कर मेघना ने आश्चर्य से रॉबिन की तरफ देखा। रॉबिन अपनी नज़रें झुकाए बैठा था।
"अब क्या फायदा....तुम्हें तो हमने आज उन दोनों के साथ तुम्हारे फार्म हाउस पर पकड़ा था। तो अब वक्त है कि झूठ बोल कर पर्दा डालने की जगह सब सच बोल दो। क्योंकी अब मैं इस खेल को और आगे नहीं बढ़ने दूँगी।"
वह अंकित की तरफ घूम कर बोली।
"तुम भी समझ रहे हो ना। बस अब चुपचाप दोनों लोग अपना गुनाह कुबूल कर लो।"
मेघना ने और भी अधिक आश्चर्य के साथ अंकित की तरफ देख कर कहा।
"तो तुम भी इस रॉबिन के साथ मिले हुए हो। शर्म नहीं आई मुझसे धोखा करते।"
उसकी बात सुन कर अंकित हंस कर बोला।
"शर्म की बात तुम तो हरगिज़ मत करो। तुम्हें शर्म नहीं आई थी जब अपने पति को धोखा देकर मेरे, चेतन और रॉबिन के साथ रिश्ता रखती थीं। तब शर्म नहीं आई जब मुझे पैसे देकर अपने पति का कत्ल करवाना चाहती थी।"
मेघना चुप हो गई। एसपी गुरुनूर ने अंकित को दोबारा डांट लगाई।
"तुम कोई दूध के धुले नहीं हो। उसे लेक्चर मत दो। अब फालतू का एक भी शब्द कोई नहीं बोलेगा। बस सिर्फ सच सुनना है मुझे।"
अंकित और रॉबिन एक दूसरे की तरफ देखने लगे। रॉबिन ने उसे इशारे से बताया कि वह सब बताएगा।
"हाँ....मैं निशांत और पूरन सिंह को जानता हूँ। चेतन और शिव दोनों की हत्या मैंने ही करवाई है। इस काम में अंकित और निशांत मेरे साथ थे। हत्या करने वाला पूरन सिंह था।"
इतने दिनों में आज रॉबिन ने यह सच स्वीकार कर लिया था कि दोनों हत्याओं में उसका हाथ था। एसपी गुरुनूर के चेहरे पर एक तसल्ली थी। आखिरकार केस सॉल्व हो गया था।
अब बस पूरी कहानी जाननी थी।





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