दुनिया में एक से एक कलाकार मौजूद है जिनकी प्रतिभा देखकर लोग चमत्कार समझने लगते है। ऐसे ही एक कलाकार ने पांच तरह की पुस्तकों को लिखकर चौका दिया है। लेखक पीयूष गोयल ने उल्टे अक्षरों में गीता, सुई से मधुशाला, मेंहंदी से गीतांजलि, कार्बन पेपर से पंचतंत्र के साथ ही कील से पीयूष वाणी लिख डाली। पीयूष की इन किताबों को देखकर हर कोई हतप्रभ है।कला और दक्षता की कोई सीमा नहीं होती,रोज नई उपलब्धियां प्रकाश में आती रहती हैं, ऐसा ही दिलचस्प कारनामा किया है श्रीमती रविकांता एवं डॉ. दवेंद्र कुमार गोयल के बेटे पीयूष गोयल ने। उसने पंच प्रचलित पुस्तकें पंच तरीके से लिख डाली हैं।
इनमें अध्यात्म दर्शन और कर्मफल संस्कृति को व्यापक और सहजता के साथ जनग्राही बनाने वाली भागवत गीता भी शामिल है।49 वर्षीय पीयूष गोयल अपने धुन में रमकर कुछ अलग करने में जुटे कि शब्दों को उल्टा लिखने में लग गए। इस धुन में ऐसे रमे कि कई अलग-अलग सामग्री से कई पुस्तकें लिख दीं।
डिप्लोमा इन मैकेनिकल इंजीनियरिंग का पढ़ाई करने वाले पीयूष गोयल का 2000 में एक्सीडेंट हो गया था। उन्हें इस हादसे से उबरने में करीब नौ माह लग गए। इस दौरान उन्होंने श्रीमद्भभगवद गीता को अपने जीवन में उतार लिया। जब वे ठीक हुए तो कुछ अलग करने की जिजीविषा पाले वे शब्दों को उल्टा (मिरर शैली) लिखने का प्रयास करने लगे। फिर अभ्यास ऐसा बना कि उन्होंने कई किताबें लिख दीं। गोयल की लिखीं पुस्तकें पढ़ने के लिए आपको दर्पण का सहारा लेना पड़ेगा। उल्टे लिखे अक्षर दर्पण में सीधे दिखाई देंगे और आप आसानी से उसे पढ़ लेंगे।
पीयूष गोयल बताते हैं कि कुछ लोगों ने कहा कि आपकी लिखी किताबें पढ़ने के लिए शीशे की जरूरत होगी। कुछ ऐसा करें कि दर्पण की जरूरत न पड़े। इस पर पीयूष गोयल ने सुई से मधुशाला लिख दी।
हरिवंश राय बच्चन की पुस्तक ‘मधुशाला’ को सुई से मिरर इमेज में लिखने में करीब ढाई माह का समय लगा। गोयल की मानें तो यह सुई से लिखी ‘मधुशाला’ दुनिया की अब तक की पहली ऐसी पुस्तक है जो मिरर इमेज व सुई से लिखी गई है.
उल्टे अक्षरों से लिख गई भागवत गीता ( Bhagwat Gita )
आप इस भाषा को देखेंगे तो एकबारगी भौचक्के रह जायेंगे। आपको समझ में नहीं आयेगा कि यह किताब किस भाषा शैली में लिखी हुई है। पर आप जैसे ही दर्पण ( शीशे ) के सामने पहुंचेंगे तो यह किताब खुद-ब-खुद बोलने लगेगी। सारे अक्षर सीधे नजर आयेंगे। इस मिरर इमेज किताब को पीयूष गोयल ने लिखा है। मिलनसार पीयूष गोयल मिरर इमेज की भाषा शैली में कई किताबें लिख चुके हैं।
सुई से लिखी मधुशाला
( Madhu shala)
पीयूष गोयल ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है कि देखने वालों आँखें खुली रह जाएगी और न देखने वालों के लिए एक स्पर्श मात्र ही बहुत है। पीयूष गोयल ने पूछने पर बताया कि सुई से पुस्तक लिखने का विचार क्यों आया ? अक्सर मुझ से ये पूछा जाता था कि आपकी पुस्तकों .