दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 10 Pranava Bharti द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें - 10

दिल की ज़मीन पर ठुकी कीलें

(लघु कथा-संग्रह )

10-मीतल

मीतल सामने वाले घर की नई सेविका का नाम है | लंबी, उजली, बहुत ख़ूबसूरत! एक्टीवा लेकर आती है | मेहरा साहब के यहाँ कुछ महीनों से काम पर आना शुरू हुआ है उसका |वह किसी को देखे, न देखे, बात करे, न करे, उसे ज़रूर आस-पड़ौस के लोग घूरते थे |

"कितनी साफ़ -सुथरी बाई मिली आपको मिसेज़ मेहरा ---!"मिसेज़ राघव ने आँखों में उत्सुकता भरकर पूछा |

" हाँ जी, इसका भाई मेहरा साहब का ड्राइवर है न, राजू --उसीकी बहन है ---" उन्होंने मीतल के बारे में बताया |

" पूछिए, और काम बाँधेगी ?"

"अरे ! आप ही पूछ लीजिएगा न ! कल आ जाइएगा, बहुत काम करती है वो ---"

अगले दिन घर के बाहर स्कूटर देखकर मिसेज़ राघव , मेहरा जी के घर आ पहुँचीं |

"नमस्ते आँटी --" मीतल ने मिसेज़ राघव को हाथ जोड़कर बड़े सम्मान के साथ नमस्ते की |

"नमस्ते --तू तो भौत सुथरी है ---क्या नाम है तेरा ?" उन्होंने बड़े रूड स्वर में पूछा |

"मीतल ---" लड़की ने धीरे से जवाब दिया |

"हमारे घर काम करेगी ?"

"नहीं---" मीतल ने दो टूक जवाब दे दिया |

मिसेज़ राघव के मुख की रौनक अचानक ग़ायब हो गई |

"क्यों ? यहाँ क्या तुझे सोने की थाली में खाना मिलता है ---?"

" बस---इसीलिए ---" मीतल बड़ी स्पष्ट और हाज़िर जवाब थी |

मिसेज़ राघव मिसेज़ मेहरा का मुँह ताकने लगीं, उन्हें भी कुछ समझ नहीं आ रहा था |

"आँटी ! आप अपना और मेहरा आँटी का व्यवहार देखो, खुद ही समझ जाओगी | "

" मैंने क्या इसकी इज़्ज़त उतार ली ----" वह बड़बड़ करने लगीं थी |

" मुझे लगता है आँटी, आप पहले बात करना सीख लीजिए ---मेहरा आँटी सोने की थाली में खिलाती हैं या नहीं ---पर वे सोने के बोल ज़रूर बोलती हैं, मैं उनसे कितना कुछ सीख रही हूँ --आप तो मुझे माफ़ ही करो ---" मीतल ने बिंदास अपने हाथ जोड़ दिए |

***