स्टॉकर - 12 Ashish Kumar Trivedi द्वारा जासूसी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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स्टॉकर - 12



स्टॉकर
(12)



अंकित ने मेघना से साफ शब्दों में कह दिया था कि वह हत्या जैसा अपराध नहीं कर पाएगा। मेघना इस बात से बहुत नाराज़ थी। उसका कहना था कि अंकित ने उसे धोखा दिया है।
अपना फैसला कर लेने के बाद अंकित ने नए सिरे से अपने जीवन के बारे में विचार करना शुरू किया। उसकी पहली प्राथमिकता थी कि वह मेहनत करके फिर से किसी बड़े जिम में नौकरी पा जाए। फर्ज़ान मलिक जब दुबई गया था तो उसे अपना ईमेल देकर गया था। उसने कहा था कि यदि उसे कभी ज़रूरत महसूस हो तो संपर्क कर सकता है।
अंकित ने फर्ज़ान को ईमेल किया कि वह जीवन में आगे बढ़ना चाहता है। यहाँ रहते हुए उसे इस बात की संभावना कम लग रही है। क्या वह उसे किसी और अच्छे जिम में काम दिला सकता है।
ईमेल के जवाब में फर्ज़ान ने लिखा कि दिल्ली के एक जिम में ट्रेनर की ज़रूरत है। वह वहाँ जाकर उनसे मिल सकता है। फर्ज़ान ने ईमेल में जिम का पता व नंबर लिखा था।
अंकित दिल्ली जाने की तैयारी करने लगा। तभी मेघना ने उसे फोन किया। पहले अंकित ने फोन उठाया ही नहीं। पर जब मेघना बार बार फोन करने लगी तो उसने फोन उठा लिया।
"मैंने जो कहा वह तुम्हारी समझ में नहीं आया क्या। अब क्यों मुझे फोन कर रही हो ?"
"देखो तुमसे बहुत ज़रूरी काम है। बस एक बार मिल लो।"
"अब क्या काम है ? मुझे तुमसे कोई मतलब नहीं है।"
"फोन पर नहीं बता सकती हूँ। पर ये समझ लो कि तुम्हारा मिलना बहुत ज़रूरी है। बात मेरे और तुम्हारे रिश्ते की है। चेतन के पास कुछ ऐसा है जो हम दोनों को बदनाम कर सकता है।"
यह बात सुन कर अंकित परेशान हो गया। चेतन ने उससे खुद कहा था कि वह उस पर और मेघना पर नज़र रख रहा है। अतः उसे यकीन हो गया कि चेतन के पास ज़रूर कुछ ऐसा होगा जो उसके लिए मुश्किल खड़ी कर सकता है। वह मेघना से मिलने को तैयार हो गया। मेघना ने उसे एक नई जगह मिलने के लिए बुलाया। जब वह उस स्थान पर पहुँचा तब वहाँ वही शख्स मौजूद था जिसने अंकित को कैद करके रखा था। उसने अंकित से कहा कि उसे मेघना ने भेजा है। वह पास ही एक घर में उसकी प्रतीक्षा कर रही है। अतः वह उसके साथ चले।
पहले तो अंकित झिझका। पर उस आदमी ने उसे आश्वासन दिया कि वह उस पर यकीन रखे। उस पर विश्वास करके अंकित उसके साथ चला गया। जब वह उस जगह पहुँचा तब वह आदमी उसको कमरे में बैठा कर भीतर चला गया। अंकित उसके बाहर आने की राह देख रहा था तब अचानक किसी ने पीछे से उसके मुंह पर क्लोरोफॉर्म वाला रुमाल रख दिया।
"मैम जब मुझे होश आया तो मैं एक कमरे में बंद था। पता नहीं मुझे वहाँ कैद हुए कितना समय हो गया था। मैं कुछ समझ नहीं पा रहा था। मैं चिल्लाने लगा कि मुझे बाहर निकालो। पर मेरी बात सुनने वाला कोई नहीं था। कुछ देर बाद वही आदमी आया। उसके साथ एक और आदमी था। वह खाना लाया था। उसने मेरे हाथ पैर खोले और खाना खाने को कहा।"
एसपी गुरुनूर ने कहा।
"तुमने उस आदमी से पूँछा नहीं कि तुम्हें क्यों कैद करके रखा है ?"
"पूँछा तो उसने कहा कि समय आने पर बता देगा। वो जब भी खाना लेकर आता था मैं उससे यही सवाल करता था। वह भी वही जवाब दे देता था।"
"तुम उसकी गिरफ्त से बच कर कैसे निकले ?"
"मैम मैं समझ नहीं पा रहा था कि यह हो क्या रहा है। मुझे यहाँ कब तक रहना पड़ेगा। वह आदमी कुछ बताने को तैयार नहीं था। मैंने एक बात पर गौर किया कि उसे यकीन हो गया था कि मैं कुछ नहीं करूँगा। वह लापरवाह हो गया था। अकेले ही खाना लेकर आने लगा था। मैं जब खा रहा होता था तो भी पहले की तरह मुस्तैदी नहीं दिखाता था। मैंने तय कर लिया था कि मौका मिलते ही मैं भागने की कोशिश करूँगा।"
"तो तुम्हें यह मौका मिला कैसे ?"
"मैम कल जब वह खाना लेकर आया तब कुछ परेशान लग रहा था। मैं खा रहा था तब उसे एक फोन आया। पहले वह मेरे सामने बैठ कर ही बातें करने लगा। पर बाद में वह उठ कर कुछ दूर चला गया। मैं मौके की तलाश में ही था। मैं जिस कुर्सी पर बैठा था उठा कर उसके ऊपर दे मारी। वह घायल हो गया। फुर्ती से कमरे के बाहर निकल कर मैंने दरवाज़ा बाहर से बंद कर दिया। मुझे नीचे जाने के लिए सीढ़ियां दिखाई पड़ीं। मैं सीढ़ियां उतर कर नीचे आ गया। मैंने पाया कि यह वह जगह नहीं थी जहाँ मैं उस आदमी के साथ गया था। मुझे बेहोश करने के बाद वहाँ ले जाया गया था। मैं बदहवास सा भागने लगा। भागते हुए सिटी बस स्टेशन पहुँचा। वहाँ एक आदमी से फोन लेकर अपनी बहन से बात की। फिर छिपता छिपाता अपने फ्लैट पहुँचा। जहाँ से सब इंस्पेक्टर गीता मुझे गिरफ्तार करके यहाँ ले आईं।"
"तुम दो हफ्ते उसकी कैद में रहे पर उसने तुम्हें यह नहीं बताया कि आखिर तुम्हें कैद में क्यों रखा है ? फिर एक दिन तुम्हें इतना आसान मौका मिल गया भागने का।"
"मैम आपने तय कर लिया है कि मेरी किसी बात पर यकीन नहीं करना है। पर मैं जो कह रहा हूँ वह एकदम सच है। आप मेघना के बारे में पता कराइए। बहुत कुछ मिलेगा।"
"हमें जो करना है वो हम करेंगे। तुम बताओ कि तुम्हें शिव टंडन की हत्या का पता कब चला ?"
"मैम कैद से भाग कर जब मैंने एक आदमी के फोन से अपनी बहन से बात की तो उसने बताया कि सब इंस्पेक्टर गीता मेरे घर गई थीं। वह कह रही थीं कि मेघना मुझ पर शिव टंडन की हत्या का आरोप लगा रही है। तभी मुझे पता चला कि शिव टंडन की हत्या हो गई है।"
"तुम जिस दिन गायब हुए थे मिस्टर टंडन की हत्या उसी रात हुई थी। हत्या के दो हफ्ते बाद तुम अपने फ्लैट में लौट आए। अजीब इत्तेफाक है।"
"यही तो सबूत है कि मैंने हत्या नहीं की। हत्या के समय मैं कैद में था। फिर अगर मैंने शिव टंडन को मारा होता तो फिर लौट कर अपने फ्लैट पर क्यों आता ? दरअसल सब जान कर मैं परेशान हो गया था। यह जानते हुए भी कि पुलिस मुझ पर शक कर रही है मैं अपने फ्लैट पर पहुँच गया।"
"सच तो सामने आ ही जाएगा। पर जब तक ऐसा नहीं होता है तुम्हें पुलिस हिरासत में रहना पड़ेगा। क्योंकी मिसेज़ टंडन ने तुम पर आरोप लगाया है।"
एसपी गुरुनूर और सब इंस्पेक्टर गीता लॉकअप से बाहर आ गईं। सब इंस्पेक्टर गीता ने कहा।
"मैम इंस्पेक्टर अब्राहम क्या खबर लेकर आए थे ?"
"दार्जिलिंग से एसपी कमल गोरांग ने रॉबिन घोष के बारे में कुछ सूचनाएं भेजी हैं। उनके हिसाब से मेघना रॉबिन की पूर्व प्रेमिका रह चुकी है। उसका असली नाम सारा गोम्स है। वह ओडिशी नृत्यांगना है।"
"मैम इस हिसाब से तो अंकित सही कह रहा है। मेघना बहुत चालाक औरत है।"
"अभी हम अंकित को भी क्लीनचिट नहीं दे सकते। उसकी कहानी भी बहुत विश्वसनीय नहीं लग रही है। मैंने इंस्पेक्टर अब्राहम को मेघना के पीछे लगाया है। तुम ऐसा करो कि अंकित ने जिस जगह खुद को कैद किए जाने का ज़िक्र किया है वहाँ जाकर पता करने की कोशिश करो।"
"ओके मैम....."
"अब हमें जल्द से जल्द यह केस सॉल्व करना है।"

मेघना ने अब शिव सेल्स एंड सर्विस सेंटर की ज़िम्मेदारी संभाल ली थी। वह शिव की तरह ही नियत समय पर ऑफिस जाती थी और दिन भर वहाँ काम करती थी।
मेघना को जानने वाले सभी उसकी बहुत तारीफ करते थे। उनका कहना था कि वह एक बहुत ही बहादुर औरत है। इतनी जल्दी खुद को अपने दुख से बाहर निकाल कर पति का बिज़नेस संभाल लिया। जबकी वह शिव को कितना अधिक चाहती थी। दोनों जब भी साथ होते थे तो एक दूसरे का पूरा खयाल रखते थे।
ऑफिस में बैठी मेघना अपने वकील सूरज सिंह से कुछ बात कर रही थी। तभी उसे एक फोन आया। उसने फोन उठा कर कह दिया कि अभी कुछ ज़रूरी काम कर रही है। कुछ देर बाद बात करेगी।
सूरज सिंह के जाने के बाद मेघना ने उस व्यक्ति को फोन मिलाया जिसने कुछ समय पहले उसे फोन किया था।
"बोलो क्यों फोन किया था ?.....उस समय मेरा वकील सामने बैठा था.....ठीक है आती हूँ....."
मेघना ने घड़ी देखी। लंच टाइम होने वाला था। उसने अपनी सेक्रेटरी को बुला कर कहा।
"मुझे बहुत आवश्यक काम से बाहर जाना है। देर लग सकती है। हो सकता है कल ही ऑफिस आऊँ। तुम संभाल लेना।"
सेक्रेटरी को निर्देश देकर मेघना ऑफिस से निकल गई। पहले वह टंडन सदन गई। एक बैग में उसने कुछ आवश्यक सामान रखा। नौकर को बुला कर कहा कि वह देर रात या कल सुबह घर लौटेगी।

कार में बैठी मेघना के मन में कई बातें चल रही थीं। सब कुछ संभाल पाना उसके लिए कठिन था। वह अब सब कुछ जल्दी समेट कर आजाद होना चाहती थी।
मेघना की कार से कुछ दूरी बना कर एक और कार उसका पीछा कर रही थी।