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अमर प्रेम - 8

अमर प्रेम

(8)

देखा नाराज़ कर दिया न पापा को,

मैंने नाराज़ किया पापा को ? अंजलि ने गुस्से से कहा

हाँ नहीं तो और किसने किया? ना तुम वापस जाने कि बात करती न पापा कभी इतना गुस्सा होते।

“एकस्कुएज मी”,

वापस जाने कि बात मैंने नहीं खुद पापा जी ने शुरू कि थी।

वैसे भी, क्या हुआ आज या कल में मैं तुम से इस विषय में बात करने ही वाली थी।

हाँ हाँ क्यूँ नहीं जाओ चली जाओ यहाँ क्या रखा है।

यहाँ तो न उतना पैसा है, और न मैंने वहाँ वालों जैसा हूँ।

हाँ सही कहा तुमने पैसा तो यहाँ है ही नहीं, रही बात लोगों कि तो मुझे लोगों से क्या मतलब

मुझे तुम से मतलब है इसलिए तो भागी भागी चली आई तुमसे शादी करने के लिए, लेकिन मुझे क्या पाता था कि तुम मुझसे इस तरह का व्यवहार करोगे।

ऐसा क्या किया है मैंने राहुल, जो तुम मुझे इतना सुना रहे हो।

कहते कहते अंजली कि आँखें आँसुओं से भीग जाती है।

पैसा कमाना क्या पापा है

जो तुम हर बात में पैसे को घसीट लाते हो।

मैंने कोई अकेले अपने लिए तो नहीं कमा रही हूँ। मुझे अपने भविषय कि चिंता हैं।

मैंने अपने आने वाले कल को सवारना चाहती हूँ।

कल को हमारा बच्चा होगा,

खर्च बढ़ेगा, तब क्या होगा भारत में रहकर हम वैसी बचत नहीं कर सकते कि बच्चे की पढ़ाई पूरी होंने तक या कम से कम स्कूल के बाद की पढ़ाई के पैसे हम जमा कर सकें।

पापा जी को पेंशन भी नहीं मिलती उनका सारा खर्च उनकी बचाई हुई जमा पूंजी से चलता है।

कल को वो जमा पूंजी भी खर्च हो ही जाएगी बाकी का सारा खर्च तुम उठाते हो।

उठाओ उसमें कोई बुराई नहीं है, फर्ज़ है तुम्हारा मुझे कोई अपपति भी नहीं है। लेकिन यह तो सोचो उनकी भी अब उम्र हो चली है।

बुढ़ापा है कल को उन्हें कुछ हो गया तो तब कहाँ से लाओ गए पैसा

आज कल अस्पताल का बिल किसी बैंक के लोन से कम नहीं होता

जो एक बार चालू होता है, तो कभी खत्म होने का नाम ही नहीं लेता और आपकी सारी जमा पूंजी एक ही झटके में निगल लेता है।

खैर ईश्वर न करे के पापा जी को कभी कोई ऐसा रोग हो

किन्तु नकुल कोई भी समस्या कभी बताकर नहीं आती

उधर मेरे पापा का भी वही हाल है, उनकी भी उम्र हो चली है

लेकिन कल को यदि उनको कुछ होगया जिसका इलाज अत्यधिक मेंहगा हुआ तो उनके पास भगवान का दिया हुआ बहुत कुछ है।

इसलिए उनके प्रति मुझे उतनी चिंता नहीं है।

अब तुम ही बताओ ऐसा सब सोचकर यदि मैं ज्यादा पैसा कमाना चाहती हूँ तो इसमें क्या गलत है।

यह घर देखो, देखा ज़रा इसे गौर से कितना पुराना हो चला है यह घर, इसका रख रखाव कर वाने जाओगे न आज की तारीख में तो तुम्हें दिन में तारे नज़र आ जायेंगे।

कल को जब हमारा परिवार बढ़ेगा तब हमें अपनी संतान को भी तो एक कमरा अलग से देना होगा।

और एक कमरा मेहमानो के लिए भी तो चाहिए।

तब हम क्या करेंगे।

हमें एक घर लेने की भी जरूरत पड़ेगी और उस वक्त घर लेना मतलब समझ रहे हो तुम....

तो अगर में अभी से यह सब कुछ सोचकर चल रही हूँ तो उसमें क्या गलत है।

राहुल अब तुम्हारी बात खत्म हो गई हो तो मैं भी कुछ बोलूँ।

मुझे तुम्हारा चुलबुला व्यवहार देखकर लगता था कि तुम मेरी माँ जैसी हो

तुम में मुझे माँ कि झलक नज़र आती थी

हुम्म जानती हो तुमेंह पापा से मिलवाने से पहले मैंने उन्हें भी यही कहा था कि पापा आप चिंता न करो अंजलि न बिलकुल माँ जैसी है।

शायद इसलिए मुझे उससे प्यार हुआ है।

और तुम्हें पता है तुम्हारे जाने के बाद पापा ने मुझसे पूछा भी था कि बेटा मुझे तो नहीं लगता कि इस बच्ची में तुम्हारी माँ कि कोई झलक है लेकिन तुम्हें लगता है तो ठीक ही लगता होगा आखिर

तुम इस बच्ची को मुझसे कहीं ज्यादा अच्छी तरीके से जानते हो।

लेकिन आज मुझे लगा रहा है पापा ने सही ही कहा था

तुम में मेरी माँ जैसा कुछ है ही नहीं

वो जितनी सरल और सुलझी हुई थी तुम उतनी ही कठिन हो

वो बहुत अडजेसटबले थी उसने पापा कि कम आम्दानी में भी घर को बहुत अच्छे से चलाया

और वो तो नहीं गयी थी विदेश

उसके सामने भी तो वही स्तितिथि थी जो आज तुम्हारे सामने है

वो भी नौकरी करती थी,

मेरे जन्म के बाद भी उसने मुझे या पापा को कभी यह महसूस नहीं होने दिया कि पैसों कि कमी कि वजह से वह मुझे अच्छी परवरिश नहीं दे पारही है

उस जमाने में भी हमारे पास कार थी।

कार, अंजलि ने बीच में टोंकते हुए पूछा।

हाँ कार जो माँ की कार दुर्घटना में मौत होजाने के बाद पापा ने बेंच दी थी।

जबकि पापा और माँ की आमदनी मिलकर कोई बहुत ज्यादा पैसा घर में नहीं आता था

उसमें घर का खर्च, मेरे स्कूल की फीस दादी का इलाज और ऊपर से यह घर और इसके साथ कार कि भी देखभाल

माँ ने तो कभी कोई शिकायत नहीं की पापा से की पैसों की तंगी के कारण वह परेशान है।

और एक तुम हो अभी हमारी शादी हुए चार दिन भी नहीं हुये और तुम पैसा पैसा करने लगी।

बड़े बाप की बेटी हो न शायद इसलिए तुमसे यह सब बरदाश नहीं हो रहा है।

रही बात भविष्य की तो अभी तो हमारी शादी हुई है बच्चा के लिए अभी समय है

मैंने भी तो कुछ सोचा होगा

मगर तुम्हें उससे क्या तुम तो विदेश में रहकर अपनी लिविंग स्टैंडर्ड बढ़ाना चाहती हो बस,

रही बात मेरे और तुम्हारे पापा के बुरे वक़्त की तो यह तो सब एक बहाना है ।

जितनी भी चीजें तुमने मुझे गिनवाई

शायद तुम्हारे नज़रिये से सही हो सच हों

किन्तु मेरी नज़र में तो सिर्फ आज है अंजलि

मैं आज में जीने वालों में से हूँ।

कल क्या होगा यह कौन जनता है

क्या पता जितना कुछ तुमने सोचा है भविषय के बारे में कल को तुम ही न रहो

माँ की तरह

या फिर मैं ही न रहूँ, या फिर हम दोनों ही किसी दुर्घटना का शिकार हो जाएँ तो ?

फिर क्या होगा। सारी कहानी सारे सपने वहीं खत्म हो जाएँ गए ना... नहीं !

तो मैं तुमसे कहता हूँ अंजलि बुरा वाट देखकर या बताकर नहीं आता किसी की ज़िंदगी में

जो है आज है, आज में जीना सीखो अंजलि आज अच्छा होगा तभी कल अच्छा हो सकता है क्यूंकी

जो बीआईटी गया उसे हम पीछे जाकर सही नहीं कर सकते किन्तु आने वाले कल के लिए हम अपना आज ज़रूर सही से जी सकते हैं ताकि कल हमें यह पछतावा न हो की यार कल यह कर लिया होता या वैसे कर लिया होता तो अच्छा होता।

बचत करो मैं माना नहीं कर रहा हूँ तुम्हें....

लेकिन पैसे के पीछे इतना भी मत भागो की तुमसे तुम्हारे पाने ही छूट जाएँ

इससे ज्यादा मैं और कुछ नहीं कहना चाहता।

आगे तुम्हारी मर्ज़ी।

अब भी यदि तुम विदेश जाना चाहती हो तो जाओ

मैं नहीं रोकूँगा तुम्हें।

ऐसा कहते हुए अपनी आँखों के कोरों से आँसू पौंछता हुआ राहुल उस कमरे से बाहर चला जाता है।

पूरे कमरे में एक दम सन्नटा है।

एक अजीब सी खामोशी जो दिल को चीर दे मगर आवाज़ न करे।

अंजलि आँखों में आँसू लिए जैसे बस ठगी सी बैठी रह गयी

उसे जैसे कुछ समझ ही नहीं आरहा है की वो क्या करे क्या न करे।

अगली सुबहा राहुल बाहर के कमरे में बैठा अखबार पढ़ रहा है

उसने राहुल के कंधे पर धीरे से हाथ रखते हुए कहा, सुनो मुझे सोचने के लिए थोड़ा समय और चाहिए राहुल।

आखिर कुछ भी हो जब आप किसी प्रोजेक्ट में होते हो तो आप के ऊपर भी उस से जुड़ी कुछ जिम्मेदारियाँ होती हैं जिन्हें यूं बीच में छोड़कर प्रोजेक्ट नहीं छोड़ा जाता।

मुझे इतना समय तो दो की मैंने वहाँ अपनी जगह किसी और को दे सकूँ

राहुल ने कुछ न कहा और वह अखबार मेज पर रखता हुआ बोला जैसी तुम्हारी मर्ज़ी कहता हुआ घर से बाहर चला गया।

इतने में नकुल अपने कमरे से बाहर आकर अखबार उठा रहा होता है की अंजलि का उदास चेहरा देखकर रुक जाता है

और उसके सर पर हाथ फेरता हुआ पूछता है

क्या हुआ बच्चे तुम सुबह सुबह यूं गुमसुम उदास सी यहाँ क्यूँ बैठी हो

और राहुल कहाँ है

अंजलि नकुल के हाथों में अपने पापा के प्यार भाव को महसूस करते हुए फूट फूटकर रोदेती है और उसे सारी कहानी बता देती है

नकुल को अंजलि की बात समझ आताई है और सही भी लगती है

वह अंजलि से कहता है तुम चिंता मत करो मैं उससे बात करूंगा।

ऐसी सन्त्व्न देते हुए वह अंजलि को रसोई में जाकर उसके लिए चाय बनाने को कहता है।

अंजलि भी अपने आँसू पौंछते हुई रसोई में जाकर अपने पापा जी के लिए चाय बनाने और रसोई के अन्य कामों में व्यस्त हो जाती है

जब राहुल घर आता है तब , नकुल पीछे से आवाज देकर कहता है।

राहुल मुझे तुमसे कुछ बात करनी हैं यहाँ आओ मेरे पास बैठो।

देखो वैसे तो मुझे तुम मियां बीवी की बातों के बीच नहीं आना चाहिए

लेकिन घर का मुखिया होने के नाते मेरा यह फर्ज़ बंता है की मेरी छत्र छायान में मेरे बच्चे सदा खुश रहें।

अभी मैंने अंजलि से भी बात की तो उसने मुझे तुम्हारी और उसकी कल रात की बात चीत मुझे बताई

बेटा देखो अंजलि भी तुम्हारे जितना पढ़ी लिखी है

वह आज की लड़की है

अगर वह अपनी ज़िंदगी के कुछ फाइसे खुद करना चाहती है तो तुम्हें उसे रोकना नहीं चाहिए

और फिर उसकी बात गलत भी तो नहीं है

जैसे तुम कहते हो बुरा वक्त बताकर नहीं आता

वैसा हे वो सोचती है इसलिए वह उस बुरे वक़्त से लड़ने के लिए तयार रहना चाहती है

इसमें बुराई क्या है,

कम से कम मुझे तो उसकी बातों में कोई बुराई नज़र नहीं आती

देखो बेटा मैं तुम्हें यह समझा रहा हूँ इसका मतलब यह नहीं है की मैं अंजली की तरफदारी कर रहा हूँ।

लेकिन बेटा जब कोई दुर्घटना या हादसा होता है तो यह ज़रूरी नहीं है की उसमें इंसान मर ही जाए।

कई बार ऐसा भी हो जाता है की इंसान मारता नहीं है लेकिन एक ज़िंदा लाश बनकर रह जाता है।

तो क्या हम ऐसी हालत में उसे मरने के लिए छोड़ दें... बोलो नहीं न !

मानो कल को मुझे लकवा मार गया या किसी हादसे का शिकार होकर में कोमा में चला गया

तो क्या तुम लोग मुझे मरने के लिए छोड़ दोगे

नहीं न !

या फिर तुमको यह लाग्ने लेगा की जाने दो बूढ़े के ऊपर नाहक ही पैसा लगाने का क्या फायदा आज नहीं तो कल उसे मारना ही है इतना महंगा इलाज हम क्यूँ कर वायें

कैसी बातें करते हैं पापा आप भी, ऐसा कभी हो सकता है की मैं आपके विषय में ऐसा सोच भी नहीं सकता पापा।

तो फिर यह बता की उस वक़्त उस विपत्ति के लिए पैसा कहाँ से आएगा।

तो यदि हम ऐसी आपदा के लिए पहेले से तयार रहे तो अच्छा ही होगा न

और बस बहू भी तो यही चाहती है

चलिये पापा मैं आपकी बात मान भी लूँ

तो क्या हमारे देश में लोग ऐसी आपदाओं के लिए तयार नहीं रहते ?

और फिर हैल्थ इन्शुरेंस (स्वस्थ बीमा) भी तो इन सब समस्याओं का हल ही है

जिसमें आपकी बीमारी का करीब करीब सारा पैसा वही देते हैं।

नकुल क्या कहता चुप रहा।

लेकिन बेटा उसने जो जिम्मेदाई वाली काही वह भी तो ठीक है।

मुझे नहीं लगता की तुम्हें उसे किसी भी मुद्दे के लिए रोक्न चाहिए

हाँ तो मैं कहाँ किसी को रोक रहा हूँ पापा

मैंने तो कह ही दिया की जैसी तुम्हारी मारी जो मन में आए वह करो।

अरे राहुल....नकुल को भी गुस्सा आजाता है

तुम कोई बच्चे हो क्या जो हर बात तुम्हें समझनी पड़ेगी

तुम यदि उसके प्रति ऐसा रवैया दिखाओ गे तो वह बेचारी कैसे जाएगी।

***

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