अमर प्रेम
(5)
ताकि अंजलि गलती से भी वेदेश में बस जाने का न सोच ले। इधर नकुल राहुल के मन कि हालत समझ रहा है। इसलिए वह दीना नाथ जी से रेकुएस्ट करता है कि आप कृपया अपनी बेटी से बात कीजिये और उसे भारत वापस लौट आने के लिए माना लीजिये
क्यूंकि अपना देश अपना ही होता है। दीना नाथ जी बात कि गंभीरता को समझे हुए उन्हें इस बात का दिलासा देकर विदा करते हैं कि वह अपनी और से पूरी कोशिश करेंगे अंजलि को वापस लौटाने के लिए मनाने कि,
लेकिन वह वादा नहीं कर सकते क्यूँकि नौकरी से संबन्धित निर्णय सदा से अंजलि का रहा है और उसी का रहेगा। वो अपने जीवन में क्या करना चाहती है क्या नहीं यह उसका अधिकार है।
मैं उसमें मैं कुछ बोल नहीं सकता सिर्फ ऊसे समझा सकता हूँ सो उसकी मैं पूरी कोशिश करूंगा आप निश्चिंत रहिए और मेरे फोन का इंतज़ार कीजिये।
दीनानाथ जी कि बातों पर भरोसा करते हुए नकुल घर लौट आता है। और राहुल को भी समझने का प्रयास करता कि वह चिंता न करे सब ठीक हो जाएगा क्यूंकि “हुई है वही जो राम रच राखा”
लाख समझाने पर भी राहुल यह समझ नहीं पा रहा है कि आखिर क्या वजह है जो अंजलि वापस नहीं आना चाहती। कहीं ऊसे कोई और तो नहीं मिल गया।
जिसके चक्कर में आकर उसे अब मैं पसंद नहीं रहा।
करता भी क्या बेचार मर्द जात का मारा, आखिर मर्दाना अहम रिश्ते के बीच में आयेगा ही जो नाआया तो एक मर्द भला मर्द कैसे खेलाएगा।
अंजलि भी इस विषय में बहुत सोचती है और मन ही मन यह फैसला लेती है की वह राहुल से शादी करेगी। इस बात को और नहीं टालेगी क्या पता शादी के बाद राहुल मेरी मंसतिथि अच्छे से समझ पाये।
अगले ही दिन अंजलि राहुल को फोन करके बताती है कि वह उस से विवाह करने के लिए इंडिया आरही है।
राहुल यह सुनकर फुला नहीं समाता उसे लगता आखिर उसके प्यार की जीत हुई
अंजलि को उसकी बात समझ में आ गई। किन्तु फिर भी दोनों के मन में एक अजीब सा अंतर्द्व्द्न्द निरंतर चल रहा है। जिसे वह दोनों ही अपने विवाह के बीच अडचन नहीं बनने देना चाहते।
राहुल यह बात अपने पापा (नकुल) को बताता है। पापा पापा आप के लिए एक शुश खबरी है, अंजलि वापस आरही है।
अच्छा कब कैसे क्या तूने उसे अपनी मन की बात बताई क्या बोली वो वप्स्स तो नहीं जाएगी न फिर विदेश।
राहुल चुप है। नहीं पापा मैंने अभी उसे कुछ नहीं बताया। सोच रहा हूँ एक बार वो आजाए फिर आमने सामने बैठकर मैं उसे अपने मन की सारी बातें बता दूंगा
मुझे यकीन है पापा वो मेरी जरू समझेगी।
हाँ बेटा क्यूँ नहीं। हॅलो अच्छा है। अब तुम कहो तो पंडित जी से तारीख निकल वाली जाये।
जी पापा राहुल ने फीकी मुस्कान के साथ पापा से कहा।
इधर अंजलि अपने पापा से भी फोन करके उन्हें बताती है पापा मैं आरही हूँ।
अरे वाहा! यह तो बहुत अच्छी बात है बेटा। हम लोग तुम्हारा ही इतेजार तो कर रहे हैं के कब तुम जालिडी से इंडिया आओ और मैं तुम्हारे हाथ पीले करके गंगा नहा लूँ।
लेकिन ऐसे अचानक तुम्हारा प्लान कैसे बन गया? सब ठीक है न बेटा?दीना नाथ ने ज़रा गंभीर स्वर में अंजलि से पूछा।
हाँ पापा सब ठीक है वो क्या है न कल मेरी राहुल से बात हुई थी तो उसने शादी क बारे में बताया तो मैंने सोचा एक न एक तो शादी करनी ही है तो अब उसमें विलंब कैसा और मैंने हाँ कह दी।
अच्छा फिर तो तुम सही ही किया एक बार शादी हो जाए फिर दोनों आपस में बैठकर टी कर लेना की आगे क्या करना है।
लेकिन मैं बस यह जानना चाहता था बेटा की कहीं राहुल या उसके पिता जी ने तुम्हें शादी के लिए फोर्स तो नहीं किया है न? यह तुम्हारा अपना फैसला है न मैं नहीं चाहता बरता की तुम जज़्बातों में बह कर अपनी ज़िंदगी का कोई फैसला लो, यदि ऐसा कुछ भी है तो अभी बता दो मैं बात करता हूँ नकुल जी से,
नहीं नहीं पापा इसकी कोई जरूरत नहीं है। यह मेरा अपना फैसला है। मुझे किसी ने शादी के लिए मजबूर नहीं किया।
चलो तब तो बढ़िया है। अब बस तुम जल्दी से घर आजाओ बेटा तुम्हारे बिना यह घर काटने को दौड़ता है। ठीक है अपना ध्यान रखना। कहते हुए दीना नाथ जी ने फोन रख दिया।
उधर नकुल के पिता ने शादी की तारीख भी निकाल वाली।
एधार अंजली इंडिया आचूकी है।
राहुल सुबह उठकर अपना मोबाइल देखते हुए मुसकुराता है। और मन हे मन सोचता है अब त तो अंजलि आगाई होगी मगर उसने अभी तक मुझे फोन नहीं किया। थक गयी होगी शायद, ऐसा सोचते राहुल तयार होने चला जाता है।
तयार होकर सुबह की चाय गरम गरम नाश्ते के साथ लेकर अपने घर के आँगन में पहुंचता है जहां नकुल अखबार पढ़ रहा है।
पापा यह लीजिये गरमा गरम नाश्ता और चाय।
अरे आज तुम चाय लेकर आए हो क्या बात है बड़े डीनो बाद आज मुझे अपने बेटे के हाथों से बनी चाय पीने का मौका मिलला है।
हाँ इसलिए तो यह अखबार वगैरा छोड़िए और गरमा गरम चाय का मज़ा लीजिये।
थोड़ी देर की शांति के बाद,
आज की सुबहा कुछ खास है न पापा आज कुछ अलग ही बात है नहीं !
नकुल मुसकुराते हुए हाँ हाँ क्यूँ नहीं आज अंजलि जो आ गयी है क्यूँ है ना ...के साथ दोनों की ज़ोर की हंसी
फोन की घंटी बज रही है। उन्नीन्दी सी आवाज़ में हैलो,
हैलो अंजली यह क्या तुमको अभी तक सो रही हो, हाँ यार कल रात को पापा से बात करते-करते ही बहुत देर होगाई थी।
अच्छा फिर ठीक है तुम और सो लो मैं बाद में फोन करता हूँ।
अरे नहीं राहुल ऐसा कुछ नहीं है तुम यह सब छोड़ो यह बताओ पापा जी कैसे हैं।
ओह हो पापा जी इतनी जल्दी परिवर्तन हाँ...राहुल ज़रा अंजलि को छेड़ ते हुए कहता है।
अंजलि भी शर्मा के हँसते हुए कहती है हाँ तो अब तो आदत डालनी ही पड़ेगी न अब दिन ही कितने बचे है हमारी शादी को...है
अच्छा यह बताओ कहाँ मिलोगी मैं वहाँ आउन या तुम यहाँ आरही हो।
उम्म घर पर नहीं राहुल हम किसी कॉफी शॉप में मिलते हैं। मैं बस तयार होकर तुम्हें बताती हूँ। ठीक है चलो अभी के लिए बाइ बोलते हुए अंजलि फोन रख देती है।
तयार होकर जाते वक़्त जल्द बाजी में एक सेब उठकर लेजाते हुए वह अपने पापा को भी बाय बोलते हुए निकल जाती है।
उधर दीना नाथ अपनी बेटी से यह कहता ही रेह जाता है की अरे इतनी भी क्या जल्दी है बेटा जी आराम से नाश्ता तो कर लिया करो।
हाँ हल्लों सुनो तुम घर क पास वाले बरिस्ता में पहुँचो मैं वही तुमसे मिलती हूँ।
ओके राहुल कहते हुए अपनी बाइक start करता हुआ उस ओर निकाल जाता है।
दोनों एक ही जगह मिल रहे हैं, खुश भी बहुत हैं दोनों और एक अजीब सी खामोश उदासी भी है दोनों की आँखों में जैसे बहुत कुछ कहना चाहते है दोनों एक दूसरे से मगर कह नहीं पा रहे हैं।
इधर नकुल दीना नाथ जी को फोन करके हैलो दीना नाथ जी नमस्कार मैं नकुल बोल रहा हूँ मैंने यह बताने के लिए आपको फोन किया है की मैंने शादी की तारीख निकल वाली है लेकिन मुझे शादी की त्यारियों को लेकर हल्की सी चिंता हो रही है। क्यूंकी कोई है नहीं न मेरा कहने का मतलब है कोई औरत नहीं है न अपने परिवार में इसलिए पता नहीं क्या क्या त्यारियान करनी है कैसे करनी है।
ओह हो नकुल जी आप तो नाहक ही चिंता कर रहे हैं। मैं हूँ ना। मैंने सारा इंतेजाम करवा दूंगा।
हाँ मगर मेरे घर में कोई औरत नहीं है इसलिए यदि मुझसे या मेरी बेइ से कोई भूल चूक हो जाये तो आप हमें शमा कीजिएगा।
अरे कैसी बातें कर रहे हैं आप। क्या मुझे नहीं पता बिना स्त्री का घर कैसा होता है। आप ज़रा भी चिंता न करें। सब आराम से और अच्छे हो जाएगा। चालिए मैं अभी फोन रखता हूँ बहुत काम पड़े हैं। हाँ जी हांजी चलिये नमस्कार।
आखिर कार वह शुभ दिन आ ही गया जब राहुल और अंजलि दोनों कभी न टूटने वाले विवाह के बंधन में बांधने जा रहे हैं।
सारे नाते रिश्तेदार मनागल गीत गा रहे हैं। लेकिन कुछ पुराने बुजुर्ग लोग अपनी आदतों से बाज़ नहीं आना चाहते।
लड़की के घर के चाचा तऊ अरे हम लड़की वाले हैं तो क्या हुआ, हमारे पास ज्यादा धन दौलत है इसलिए हमें किसी कीमत पर लड़े वालों से दबना नहीं है।
क्या दीना नाथ तुम्हें यही फटीचर लड़का मिला अपनी राज कुमारी के लिए।
पीछे से चाची हाँ भाई साहब अपनी लड़ो के लिए रिश्तों की कमी थोड़ी न थी कोई चाँद सी राज कुमारी के लिए तो न जाने कितने अच्छे अच्छे लड़के मिल जाते आप को एक अबार अपने हम से कहा तो होता।
कम से कम और कुछ नहीं तो अपने बराबर वलाओं में ही रिश्ता तय किया होता अंजलि का तब भी बात समझ में आती। मगर ऐसे गरीब घर में रिशा बात कुछ हजम नहीं हुई।
दीना नाथ ; रिश्ते तो ऊपर वाला बनाता है भाई साहब, हुई है वही जो राम रच रखा वैसे भी मैंने लड़का देखा है बहुत हे भले लोग है। यूं भी अंजलि को शादी लड़के से करनी है उसके घर द्वार या उसकी संपत्ति से नहीं।
यह अंजलि का फैसला है जिस से में पूर्णतः सहमत हूँ।
हाँ भई जब मियां बीवी राजी तो क्या करेगा काज़ी।
आस पड़ोसी अरे आप एक बार मिलना तो सही राहुल से बड़ा ही प्यार बच्चा है बहुत ही मिलन सार और संस्कारी लड़का है धन दौलत नहीं तो क्या हुआ इंसान तो अच्छा है बहुत खुश रहेगी अपनी अंजलि बिटिया उसके साथ आप देखना बहुत ही सुंदर जोड़ी है दोनों की
हुम्म कहते हुए सब अपने अपने कामों में लग जाते हैं महिलाएं ढोलक पर गा बाजा रही हैं
पहेले मनाऊँ गणपती को मनाऊँ मैं तो हाय रामा पीछे मनाऊँ सरस्वती को ....
अरे चलो चलो मेहंदी वाली आगयी है, अंजलि आजों जल्दी से
आई मामी! अच्छा बताओ मेहंदी में राहुल का (R) लिखवाना है या हिन्दी वाला (र)
मुझे क्या पता आपको जो ठीक लगे वो लिख दीजिये शर्म से अंजलि क गाल गुलाबी हो उठे जैसे मेहंदी का रंग हाथो पर आने से पहले अंजली क गालों पर आचूका था।
अंजलि पहले से शांत नज़र आरही थी उसने यह सोच लिया था की शादी के बाद वो राहुल को कैसे माएगी।
जेंरल्ली लड़े हनीमून की प्लानिंग करते है। लिकिन इस शादी में लड़की ने हनीमून की प्लाननिग पहले से कर रखी थी (पैरिस) जाना चाहती थी अंजलि ताकि हनीमूम क बहाने राहुल को बाहर की दुनिया दिखा सके और उसे भी विदेश में नौकरी करने के लिए माना सके ताकि दोनों अपना और अपने आने वाले कल का एक सुनहेरा भविषय टाय कर सकें , बना सके।
अब शादी का दिन आचूका है। अंजलि लाल जोड़े में बहुत खूबसूरत बेहद सुंदर नज़र आरही है राहुल भी किसी राजकुमार से कम नहीं लग रहा
लोग जोड़ी की नज़र उतारते थक रहे हैं। ऐसा कोई भी नहीं है जो राहुल और अंजली की ऊलना अलग अलग कर रहा हो सभी बस जोड़ा देखकर आहे भर रहे हैं। काश हमें भी ऐसी बहू और दामाद मिल सकता कितने सुदर लग रहे हैं दोनों भगवान इन्हें बुरी नज़र से बचाए।
इतने मेन सहेलियाँ आकर अंजलि के हाथ अपने हाथों में लेकर कहती हैं
अरे वाह अंजलि तुम्हारी तो मेंहंदी का रंग भी कितना सुंदर आया है और कितना गहरा भी,
हँसी के साथ दुजी सखी हाँ तो कैसे न आता जीजाजी प्यार जो बहुत करते हैं हमारी अंजलि से इसलिए रंग तो खिलना ही था।
अंजलि अंदर ही अंदर अपने आप से बात करते हुए कहती है। हाँ प्यार तो वो बहुत करता है मुझसे इसमें कोई दो राय नहीं लेकिन बस ज़रा रूठा हुआ है जाने क्यूँ लेकिन कोई बात नहीं मैं उस माना लुंगी।
अब समय है वरमाला का, दोनों एक दूजे के सामने खड़े हैं अंजलि का चेहरा खुशी और शर्म दोनों क मारे सुर्ख हुआ जाता है ।
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