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चिंटू - 12

रिया को मिलने का टाइम साढ़े पांच बजे का था तो चिंटू ने सोचा के मै सुमति से मिलने साढ़े चार बजे पहुंच जाता हुं, मनाने में थोड़ा वक्त तो लगेगा ही। वह मन्नू और राधा के साथ साढ़े तीन बजे तक पढ़ाई करता है फिर साढ़े चार बजे तैयार होकर सुमति के घर जाने के लिए निकलता है। अब उसने अपनी खुद की एक बाइक ले ली थी लोन से। जब वह सुमति के वहां पहुंचा तो उसका घर लॉक था। कई बार डोर बेल बजाया पर किसी ने दरवाजा नहीं खोला। फिर वह सामने के घरवाले से पूछने गया। तो उसे जवाब मिला, वे लोग दोपहर से घर पर नहीं है। बेचारा चिंटू इतनी हिम्मत करके यहां आया था और सब बेकार गई।
राजदीप के साथ सुमति के जाने बाद स्नेहा और राहुल ने भी अपने एक दोस्त के यहां प्रोग्राम बना लिया जाने का। फिर वे दोनों भी चले गए थे। तो अब बेचारे चिंटू को ना चाहते हुए भी रिया के घर समय से पहले जाना पड़ा।

* * * *
रिया के वहा उसके कुछ फ्रेंड्स आए हुए थे। चिंटू को आता देख सब एक दूसरे के सामने देखने लगे। शायद वे चिंटू के वहा आने को लेकर अंजान थे। रिया अपने कमरे से नीचे आई तो उसने चिंटू को देखा तो वह खुश हो गई और कहा कि- तुम इतने जल्दी आ जाओगे मुझे पता नहीं था। अच्छा हुआ तुम आ गए, मै कबसे कंफ्यूज हुं।
चिंटू- किस लिए?
रिया- तुम ऊपर मेरे साथ आओ, बताती हुं।
वह चिंटू को अपने साथ लेकर ऊपर अपने कमरे में चली जाती है। चिंटू वहा देखता है तो पूरे बेड पर कपड़े पड़े हुए है। रिया उसे कहती है- plz चिंटू मुझे हेल्प करो न,मै कौनसे कपड़े पहनकर आऊ पता नहीं चल रहा है।
चिंटू- ये सब अच्छे ही है, कोई भी पहन लो।
रिया- कोई भी नहीं पहन सकती। सबसे स्टाइलिश दिखाना है मुझे। नीचे देखा नहीं मेरी फ्रेंड्स के कपड़े कितने अच्छे है?
चिंटू - इंसान कपड़ों से नहीं उसके स्वभाव से पहचाना जाता है। मै इसमें तुम्हारी कोई हेल्प नहीं कर सकता। तुम्हे जो पसंद आए वह पहन लो, मै नीचे जाता हुं।
रिया- यही बैठो, मै अंदर ड्रेसिंग रूम में कपड़े बदलकर आती हुं।
रिया का रूम बड़ा था, और उसमे ही अटैच ड्रेसिंगरूम और वॉशरूम था। तो चिंटू वहीं पर ही बैठ गया। वैसे भी नीचे रिया के वह फ्रेंड्स थे जिससे चिंटू कम ही मिला था। रिया के बहुत सारे फ्रेंड्स थे। वह किसी के भी साथ ग्रुप बनाकर बाहर घूमने चली जाया करती है। आज भी कुछ गिने चुने फ्रेंड्स को उसने बुलाया था। वहीं फ्रेंड्स नीचे बात कर रहे थे। उसमे से एक बोला- यार ये रिया का समझ नहीं आता मुझे, इस लड़के में ऐसा क्या है जो हम में नहीं है?
दूसरा लड़का- मै भी यही सोच रहा हुं। ना ही स्टैंडर्ड है और ना ही कोई स्टेट्स।
एक लड़की बोलती है- पर वह तुम सबसे अलग है। पढ़ाई में अव्वल और तुम सबसे ज्यादा हैंडसम भी ?। रिया की हर बात मानता है। और ऐसा नहीं कि वह रिया के खर्चे पर घूमता फिरता है। वह खुद रिया का खर्चा उठा सकता है। पर हमारी रिया ही उस पर महेरबान है।
पहला लड़का- हां हां देखा बहुत हैंडसम ?। हम कोई कम नहीं है उससे समझी? और ये क्या नाम है, चिंटू? बकवास..
तभी रिया और चिंटू नीचे आते है।
रिया सबसे कहती है- आज हम सब मोल में जाने वाले है। वहा समर सेल शुरू हुआ है आज से तो सभी ब्रांडेड कपड़े और एसेसरीज पर भारी डिस्काउंट है।
यह सुनकर लड़कियां तो मानो शॉपिंग के नाम पर चिल्ला ही पड़ती है पर लड़कों कि हालात बुरी हो जाती है। लड़कों के लिए कोई एंटरटेनमेंट नहीं रहा बस लड़कियों के बैग्स उठाने के सिवा।☹️

* * * *
राजदीप और सुमति जब पुनिश के घर पहुंचे तो सब उनका ही इंतजार कर रहे थे। उन्हें देख पुनिश कहता है- यार बहुत देर कर दी आने में।
राजदीप- क्यों क्या हुआ?
पुनिश- अरे ओबेरॉय मोल में आज से समर सेल शुरू हुआ है। हम सबको वहीं जाना है।
सुमति- सोरी, मै नहीं आऊंगी। इन सेल के चक्कर में पैरो का कचुंबर निकल जाता है। आप सबको जाना है तो जाओ में घर जाती हुं और शाम को थियेटर पर ही मिलती हुं।
पुनिश के वहा तीन लड़के और तीन लड़कियां बैठी हुई थी। उसमे से दो कपल्स की एंगेजमेंट हो चुकी थी और जो एक कपल था उसका नया नया अफैर शुरू हुआ था। और इन सब के साथ थे पुनिश, राजदीप और सुमति। वहा बैठे हुए सभी सुमति से तीन चार साल बड़े थे। उन सबकी कॉलेज खत्म हो गई थी और अब सब साथ में ही पुलिस ट्रेनिंग लेने वाले थे। और पुनिश आर्मी में जाना चाहता था। वह भी अपने पापा की तरह देश की सेवा करना चाहता था।

सुमति के मना करने पर लड़कियां भी कहने लगी, हमे बाहर कहीं नहीं जाना है। मुश्किल से तो सब मिल पाते है साथ बैठने के लिए। घूम घूम कर टाइम वेस्ट नहीं करना। यही पर बैठकर बाते करते है और फिर सीधे मूवी देखने जाएंगे।
सब ने यह प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। वैसे पुनिश सुमति के साथ ही रहना चाहता था पर ये तो क्या सेल की बात सुनकर सब चलते, तो वह सुमति के लिए इस बहाने कुछ गिफ्ट्स खरीद पाता। पर अब सब यही है तो उसके पास भी बैठने का मौका मिल पाएगा। और यही सोच अभी राजदीप की भी थी के सुमति को कुछ भी करके मना लू प्यार करने के लिए। इतने में पुनिश की मम्मी वहा पर आते है- आप सब जा नहीं रहे शॉपिंग के लिए?
पूनिश- नहीं मम्मी, सब यही पर ही बैठने वाले है।
पुनिश की मम्मी- अरे वाह! क्या बात है! नहीं तो आज कल की लड़कियां तौबा तौबा, शॉपिंग का नाम सुनते ही बावरी बन जाती है। अच्छा, मै सब के लिए चाय नाश्ता बना लाती हुं।
सुमति- मै आपकी हेल्प करती हुं आंटी।
सुमति और पुनिश की मम्मी किचन में चले गए। कुछ ही देर में चाय नाश्ता तैयार हो गया और दोनों सब डाइनिंग टेबल पर रख देते है। सब वहीं बैठे बैठे बाते कर रहे थे। अब मूवी देखने के लिए एक घंटा बाकी था तो सब फ्रेश होकर निकल जाते है थिएटर की ओर।

* * * *
पिक्चर शुरू होने में अब पंद्रह मिनट ही रह गए थे। सब जल्दी जल्दी थिएटर में एंटर होते है। तभी सुमति पूछती है हम मूवी कौनसी देखने आए है? मै तो बातों बातो में पूछना ही भूल गई।
राजदीप- मैंने बताया नहीं?
सुमति- कहा बताया..?
पुनिश- अरे जल्दी चलो पिक्चर शुरू हो जाएगी, वैसे हम ' स्त्री' देखने आए है।
सुमति जोर से बोलती है- क्या...?
आजुबाजू वाले सब उसे देखने लगते है।
सुमति- पहले बताना चाहिए ना, भूत की पिक्चर है। मुझे डर लगता है ऐसी पिक्चरों से। मै नहीं आऊंगी।
तभी वहा से एक ग्राउंड स्टाफ का एक लड़का पसार हो रहा था वह कहता है- अरे मैडम यह तो कॉमेडी हॉरर है। डरने की कोई बात नहीं है आपको मजा आएगा देखना।
पुनिश- हा यार, इतनी भी डरावनी नहीं है मुझे स्टोरी पता है। अब चलो जल्दी से।
सुमति अनमने भाव से चली जाती है और कहते जाती है- अगर ज्यादा डरावनी हुई तो आधी पिक्चर भी नहीं देखूंगी।
राजदीप- अच्छा बाबा, चली जाना मेरी मां। पर अभी तू चल जल्दी से पिक्चर शुरू हो जाएगी।

अंदर जाकर पुनिश का एक फ्रेंड कहता है- पुनिश तुने सिट्स अच्छी बुक करवाई है, एकदम सेंटर में। मजा आ जाएगा पिक्चर देखने का।
तीनों कपल अपनी जोड़ीदार के साथ बैठ गए। बाकी सिट्स पर पुनिश, सुमति और राजदीप बैठ गए। दोनों लड़कों को सुमति के बीच में बैठने से साथ बैठने का मौका भी मिल गया।
पिक्चर शुरू हुई तब तो कुछ नहीं हुआ पर जब भी कोई डरावना सिन आता था सुमति राजदीप या पुनिश का हाथ कस के पकड़ लेती थी। उसे यह पता नहीं था वह साथ साथ अपने नाखून उन बेचारों के हाथो पर गड़ा रही थी। बेचारे उसे कुछ बोल भी नहीं पा रहे थे?। जब नॉर्मल सिन आया तो राजदीप पुनिश को अपना चोट वाला हाथ दिखता है। तो सामने वो भी अपना हाथ दिखता है राजदीप को, फिर दोनों हस पड़ते है?। सुमति दोनों को हसता देख पूछती है- क्या हुआ? इस डरावनी फिल्म में आपको हसना क्यों आ रहा है?
राजदीप- बस ये सिन देखकर हस पड़े।
सुमति- कमाल है, आज के बाद एसी मूवी देखने मत ले आना।?

साढ़े नौ बजे जब मूवी खत्म हुई तब जब सब बाहर आए तो पुनिश के एक फ्रेंड की नजर उसके हाथ पर जाती है। वह उससे पूछ बैठा- अरे पुनिश ये क्या हुआ हाथ पर?
फिर पुनिष राजदीप का हाथ भी उसे दिखता है और सुमति की तरफ घूमकर कहता है- ये सब इस मैडम ने किया है।
सुमति- है भगवान! आप दोनों को सोरी। वो में भूत की मूवी नहीं देख पाती, मुझे बहुत डर लगता है।
सब उन दो बेचारों के हाथ को देख देखकर हस रहे थे और सुमति शर्म से अपना मुंह अपने हथेलियों से छुपा लेती है।
राजदीप- चलो अब कुछ खा पी ले, बहुत भूख लगी है यार।
सब उसकी बात मानकर एक रेस्टोरेंट में पहुंचते है।

* * * *
रिया, चिंटू और उनके फ्रेंड्स भी शॉपिंग करके रेस्टोरेंट में पहुंचे। सबने अपनी अपनी जगह ले ली तभी चिंटू की नजर सुमति पर जाती है। सुमति के साथ राजदीप और पुनिश को देखकर वह अंदर ही अंदर जलन महसूस करता है। उसको सुमति की तरफ देख रिया भी वहा देखती है तो वह पुनीश को देखकर आवाज लगाती है। तभी सुमति भी चिंटू को देख लेती है। दोनों की नजरें टकराती है। चिंटू पछतावे के भाव से सुमति की ओर देखता है पर सुमति अपनी नजरें हटा लेती है। उसे लग रहा था शायद वह ज्यादा देर चिंटू को देखेगी तो अपने आंसू रोक नहीं पाएगी। आज भी दिल के एक कौने मै वह बसा जो था।

दोनों ग्रुप ने अपना अपना डिनर खत्म किया। जब सब जाने लगे तब अचानक सुमति को चक्कर आए और वह गिर पड़ी। यह देख चिंटू जल्दी से उसके पास आ जाता है। पुनीश और राजदीप भी उसे उठाने की कोशिश करते है। पुनिश ने सुमति का सर अपनी गोद में ले लिया और सबको दूर रहने को कह अपने रुमाल से हवा डालने लगा। एक हाथ की हथेली को राजदीप अपने हाथ से घिस रहा था और दुसरी हथेली चिंटू घिस रहा था। पूरा ट्राय एंगल...!

क्रमशः

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