चिंटू - 11 V Dhruva द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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चिंटू - 11

अगले दिन पूरा दिन सुमति काम में व्यस्त रही। आज बॉस ने सबको जल्दी छुट्टी दे दी थी। सब के साथ स्नेहा और राहुल भी सुमति को लेकर जल्दी घर चले गए। कुछ देर बाद राहुल के मोबाइल में फोन आता है। वह मोबाइल लेकर सामने वाले से बात करने लगा- अरे यार, मै तो भूल ही गया। आज काम इतना था कि दिमाग से ही निकल गया। अच्छा चल हम तैयार होकर आते है अभी।
स्नेहा ने पूछा- क्या हुआ? कहा जाना है?
राहुल स्नेहा को बताता है- अरे यार, आज हमारे बॉस ने एक पार्टी रखी है। उन्होंने कल ही बताया था मुझे। मै भूल गया तुम्हे बताना।
स्नेहा- घर पर रसोई बन गई है, अब हम कहीं नहीं जाएंगे। बॉस को मना कर दो।
सुमति- हा पापा, मै भी आज बहुत थक चुकी हुं। मुझे कहीं नहीं जाना। और जाना इतना ही जरूरी है तो आप दोनों हो आओ, मै घर पर ही रहूंगी।
राहुल- ऐसा कैसे चलेगा? बॉस की पार्टी है, जाना तो पड़ेगा। रसोई को फ्रिज में रख दो, कल खा लेंगे। अभी दोनों फटाफट तैयार हो जाओ। चलो चलो जल्दी करो...। सौम्या तुम वह को लास्ट में तुमने ड्रेस ली थी वह पहनना, अच्छी लगेगी।
सुमति को राहुल और स्नेहा अब सौम्या ही कहते थे।

तीनो पार्टी के लिए तैयार होकर निकलते है। अब भरेपूरे घर में रहकर सुमति और भी अच्छी दिखने लगी थी। ऊपर से अब उसके कपड़े पहनने की स्टाइल को भी स्नेहा ने सुधार दिया था। खूबसूरत तो वह थी ही पर अब और उसमे चार चांद लग गए थे। तीनो अपने चैनल की ऑफिस पहुंचते है। यह देख स्नेहा कहती है- बॉस ने यहां पार्टी रखी है? कोई और जगह नहीं मिली थी पार्टी के लिए। कंजूस कहिका...
इतने में पीछे से आवाज आती है- कौन कंजूस है स्नेहा?
स्नेहा पीछे देखती है तो उसके बॉस और उसकी फैमिली ही थी। वह बौखला जाती है और उसकी बौखलाहट पर राहुल और सुमति दोनों हस पड़ते है। फिर बात संभालते हुए सुमति कहती है- कुछ नहीं, मम्मी तो पापा को कंजूस कह रही थी। वह आपके लिए फूलों का गुलदस्ता नहीं लिया न इसलिए।
बॉस- अरे कोई बात नहीं, फॉर्मेलिटी की जरूरत नहीं है भाई। वैसे पार्टी हमने ऑफिस के टैरेस पर रखी है। चलो सब साथ ही चलते है।

टैरेस पर गए तो शानदार डेकोरेशन था। स्नेहा ने यह देखकर कहा- यह तो किसिकी बर्थडे पार्टी लगती है। राहुल तुमने बताया नहीं, अब गिफ्ट कहा से लाएंगे?
राहुल- फिकर नोट डार्लिंग। उसका जुगाड हो गया है।
स्नेहा गुस्से से कहती है- अब किसकी लाई हुई गिफ्ट पर अपना भी नाम लिखवा लिया।
राहुल- क्या कुछ भी? अभी देखना मेरी गिफ्ट।
सुमति दोनों की बात सुनकर मुस्कुराती रहती है। पर दिल के एक कोने में दुख भी है।

सब स्टाफ और उसकी फैमिली आ गई उसके बाद राहुल टैरेस पर बनाए गए छोटे से स्टेज पर से माइक लेकर कहने लगा- लेडीज एंड जेंटल मेन, आज आप सबका इस पार्टी में आने के लिए शुक्रिया। हमारे बॉस श्री प्रभाकर शिंदे सर का शुक्रिया अदा करना चाहता हुं कि उन्होंने हमें पार्टी ऑर्गनाइज करने की परमीशन दी।
यह सुन स्नेहा और सुमति एक दूसरे के सामने देखती है। तब स्नेहा कहती है- इसे पहले से पता था पार्टी का और हमे उल्लू बना रहा था। घर आने दो इसे...।
सुमति- मम्मा, पहले पापा की बात तो सुन लिजिए। फिर बोलिए...
स्नेहा- हा हा, देखी पापा की चमची।?
राहुल स्टेज पर से किसी को लाइट बंद करने के लिए कहता है। कुछ देर बाद जब लाइट हुई तो स्टेज पर लिखा हुआ था "happy birthday dear Soumya"। यह देखकर स्नेहा को याद आया कि आज तो 21 April है, सौम्या का बर्थ डे है। ओह! मै भूल कैसे गई?? सब तालियों से सौम्या को बधाई देते है। स्नेहा उसे गले लगा लेती है और माफी मांगती है- मुझे माफ़ कर दे बेटा, मै आज का दिन भूल गई।
सुमति- कोई बात नहीं मम्मा, वैसे भी आपके घर यह मेरा पहला बर्थ डे है। आपको कहा से याद होगा?
राहुल स्नेहा और सुमति को स्टेज पर बुलाता है। दोनों स्टेज पर जाते है और राहुल को गले लगा लेते है। सुमति राहुल को कहती है- थैंक यू पापा। आपको याद था मेरा बर्थ डे?
राहुल- मेरी बेटी का बर्थ डे है, भूलूंगा कैसे?

फिर स्टेज के बाजू में से एक और आवाज आती है- और हम भी नहीं भूले। सुमति वहा देखती है तो पिया, राजदीप के साथ पुनीश भी साथ में था। सुमति खुश होकर पिया को गले लगा लेती है और कहती है- आप सब? ओह! वेलकम पुनिशजी।
पिया- क्यों नहीं हो सकते?
सुमति- ओह! पिया, तु जानती नहीं तुम सबको देखकर में कितनी खुश हुई हुं। फिर पिया का कान मरोड़ती है और कहती है- तो इसलिए तूने भी आज मुझे बर्थ डे विश नहीं किया था।
राजदीप और पुनिश सुमति को एक बड़ा सा फूलों का बुके देकर विश करते है। और पिया अपनी मां के हाथ से बने आलू के पराठे उसे देती है। तो सुमति कहती है- आज तो मै यही खाऊंगी। पता है कितना मिस करती थी मै इन पराठो को ?!

राहुल फिर सुमति को केक काटने के लिए बुलाता है। सुमति पिया को अपने साथ लेकर स्टेज पर आती है फिर स्नेहा और राहुल के साथ केक कट करती है। सब लोग एक साथ बर्थ डे सोंग गाकर उसे बधाई देते है।
पुनिश इस बीच सुमति को एकटक देखते ही जा रहा है। सेलिब्रेशन कर जब सब स्टेज से नीचे आए तो सुमति ने राहुल से पूछा- पापा आपको कैसे पता चला आज मेरा बर्थ डे है?
तो पिया जवाब देती है- तीन दिन पहले मैंने है अंकल को फोन करके बताया था। फिर उन्होंने ही ये सरप्राइज पार्टी तेरे लिए ऑर्गनाइज की है।
स्नेहा (रूठने के अंदाज में)- और मुझे भी नहीं बताया।?
राहुल- तु सरप्राइज को कभी सरप्राइज रख पाती है क्या? तुम्हारे पेट में बात ही नहीं टिकती। इसलिए नहीं बताया।
सुमति राजदीप से कहती है- राज कैसे हो? बात तो फोन पर हो जाती है पर बहुत टाइम बाद मिलना हुआ। और पुनिशजी आप कैसे है? आपका नंबर पापा को कहा से मिला?
राजदीप ही जवाब देता है- जब अंकल ने पिया से मेरा नंबर लेकर मुझे कॉल किया तब पुनिश मेरे साथ ही था। अंकल ने जब पूछा कि कोई और उसके फ्रेंड्स है तो मैंने पुनिश का नाम दे दिया था। हम भी तो गए थे उसके बर्थ डे पर। तो मै भी साथ ले आया इसे। हिसाब बराबर...?।
इस बात पर सब ठहाके लगाते हुए पार्टी एन्जॉय करते है।

सब लोग ने सुमति को गिफ्ट्स दिए तब स्नेहा ने राहुल से पूछा तुम्हारा गिफ्ट कहा है अब? बताऊंगा बाद में। सब बाते करने में और डिनर करने में व्यस्त थे तब सुमति पिया को एक साइड ले जाकर पूछती है- तु अकेली ही आई? चिंटू???
पिया- हम तेरा मूड खराब नहीं करना चाहते थे तो उसे बताया ही नहीं। वैसे भी वह मन्नू भाई के घर पढ़ने गया है। उसके एग्जाम्स नजदीक आ रहे है।
सुमति- तु कैसे आई?
पिया- मै और राजदीपभाई पुनिशभाई की कार में आए है। वापस भी उनके साथ ही जाएंगे।
सुमति- अच्छा... तुमने चिंटू को बताया कि यहां आ रही हो?
पिया- अब उसको भूल जा और आगे बढ़। वो उस छम्मक्छल्लो के अलावा किसी पर ध्यान नहीं देता। देखना वो लटकाने वाली है एक दिन भाई को।
सुमति- ऐसा मत बोल। कीसिकी खुशियों को नजर नहीं लगाते।
पिया- और तेरी खुशियों का क्या?
तभी राजदीप वहा आ जाता है और उनकी बाते सुन लेता है।
वह कहता है- जो गया वह बित गया, जो आने वाला है उसे स्वीकार करे महोतरमा।?
पिया- कौन आने वाला है?
सुमति- तु छोड़ ना उसे, ऐसे ही बकवास करता रहता है ये।
पुनिश भी इतने में आ जाता है- अरे मंडली मुझे अकेला छोड़कर यहां आ गई? सौम्या ये क्या, अपने महेमान को कोई अकेला छोड़ता है क्या?
सुमति- सोरी पुनीश जी, ये दोनों ने मुझे बातों मै उलझाए रखा है।
पिया- अच्छा...।?

उन सबको हसते हुए देख स्नेहा और राहुल भी खुश हो जाते है। स्नेहा राहुल से कहती है- सौम्या इतने वक्त से हमारे साथ रहती है पर इतना खुश उसे कभी नहीं देखा। हमे उनके दोस्तों को घर बुलाते रहना चाहिए, ताकि वह खुश रहे।
राहुल- सच कह रही हो तुम। हम उसे अपनी जिम्मेदारी पर यहां लाए है तो उसका खयाल रखना भी हमारा कर्तव्य है। अच्छा, देख पार्टी हमने रखली है तो अब डांस भी हो जाए?
स्नेहा- हो जाए...।?
राहुल अनाउंसमेंट करता है - लेडीज एंड जेंटल मेन आप सब मेरी बेटी के बर्थ डे पर आए उसके लिए शुक्रिया। देखिए अब बर्थ डे का केक भी सब ने खा लिया और डिनर भी ऑलमोस्ट सबका हो गया है तो क्यों न डांस करके थोड़ा खाना भी हजम कर ले और थोड़ा एन्जॉय भी कर ले। कल से फिर वही घिसिपिटी जिंदगी शुरू हो जाएगी। तो क्या कहते हो दोस्तों...?
सब ने एक साथ चीयर्स किया और फिर डांस का म्यूजिक लगा दिया गया। सब अपने अपने ग्रुप के साथ डांस करने लगे।

आज पुनिश कि नजर सुमति पर से हट ही नहीं रही थी। एक और प्यार का दीवाना आ गया था कॉम्पिटिशन में।? पर वह सुमति से कुछ कह नहीं पाता है। हर बार उसके सामने आते ही पुनिश की बोलती बंद हो जाती है। और उसकी इस हरकत को पिया नोटिस कर रही थी।
सबने पार्टी मै बहुत ही एन्जॉय किया। धीरे धीरे सब घर जाने लगे तब फिर से स्नेहा ने सुमति के गिफ्ट के बारे में राहुल से पूछा। तब वह शांति रखने को कहता है और सब काम यहां का निपटा लू फिर दिखता हुं कहा। अब पिया, राजदीप और पूनिश भी जाने लगे। जाते जाते पुनिश सुमति को कहता है- सौम्या, इस sunday हम मूवी देखने जाने वाले है क्या तुम आना चाहोगी?
सुमति- मै मम्मी पापा से पूछकर बताऊंगी।
तब स्नेहा वहा आती है और कहती है- पुनिश इसकी टिकिट भी ले लेना। यह जरूर आएगी। हा, पर जाने वाला कौन कौन है?
पुनिश- हमारा फ्रेंड सर्कल ही है, और उसमे लड़कियां भी है। आप चिंता मत कीजिएगा आंटी। सब अच्छे घर से बीलोंग करते है।
स्नेहा- ठीक है बेटा, फिर तो कोई टेंशन नहीं है।
स्नेहा के चेहरे पर स्माइल आ जाती है। और वह स्माइल देखकर सबके चेहरे भी खिल जाते है।
सबके जाने के बाद जब स्नेहा, राहुल और सुमति नीचे आए तो सामने एक चमचमाती एक्टिवा खड़ी थी सुमति का इंतजार करते हुए। राहुल सुमति को कहता है- बेटा ये तेरा बर्थ डे गिफ्ट है। तुम अब 18 years की हो चुकी हो तो अब एक्टिवा चला सकती हो।
सुमति खुश होकर अपने पापा के गले लग जाती है।
स्नेहा- यह कब ले आए?
राहुल- मेरा एक फ्रेंड है इसके शो रूम में मैनेजर। उससे ही बात करके इसका अरेंजमेंट कर दिया।
सुमति- पर मुझे कहा आता है एक्टिवा चलना।
राहुल- कोई बड़ी बात नहीं है, में रोज रात को सिखाऊंगा तुझे।
स्नेहा- पर अभी इसे ले कैसे जाएं?
राहुल- क्या कैसे? तुम कार लेकर जाओ, मै एक्टिवा लेकर आता हुं पीछे।

आज सुमति का दिन मायूसी भरा था पर शाम बहुत ही खुशगवार निकली। उसने अपना बर्थ डे कभी ऐसे एन्जॉय नहीं किया था। हा पर पुराने घर जब भी किसी का बर्थ डे होता तो सब सिद्धि विनायक मंदिर जाते और जुहू चौपाटी चले जाते। वो भी क्या दिन थे!

* * * *

सन्डे था तो सब आराम से दस बजे उठे थे। ममता ने आज जल्दी आकर मिसल पाव बनाया था। राहुल और सुमति को बहुत पसंद थी यह डिश। सुबह पहले सब चाय लेकर बालकनी में बैठ गए न्यूज पेपर पढ़ने को। पेपर पढ़ते पढ़ते राहुल को खयाल आता है कि सौम्या की पढ़ाई डायरेक्ट एग्जाम देकर दसवीं कक्षा तक हुई थी। वो तो कंप्यूटर क्लास करने की वजह से इसे काम आता है। तो क्यों न एक्सटर्नल स्टूडेंट का फॉर्म भरके आगे की पढ़ाई कंप्लीट करवा दूं। वह यह बात स्नेहा और सुमाती से शेयर करता है। दोनों इसमें राज़ी हो जाते है। वैसे सुमति पहले भी चिंटू जब पढ़ता था तो सब जल्दी जल्दी सीख लेती थी। तो अब भी कोई दिक्कत नहीं होगी। फिर तय हुआ कि राहुल अपनी एक पहचान वाले की स्कूल में उसका एडमिशन करवा देगा। वैसे भी नया सत्र भी शुरू होने को था।
दोपहर का खाना निपटा के तीनो आराम कर रहे थे तभी राजदीप का फोन आता है। वह सुमति को लेने के लिए आ रहा है तो तैयार रहने को कहता है।
सुमति कहती है- पर पिक्चर का शो तो छे बजे का है। अभी से क्यों लेने आ रहा है?
राजदीप- पहले हम सब पुनिश के घर जा रहे है। वहीं से सीधा मूवी देखने जाएंगे।
वह स्नेहा और राहुल को यह बात बताती है तो दोनों उसे जाने की परमीशन दे देते है। सुमति राजदीप को एक घंटे के बाद आने के लिए कहती है।
राजदीप- एक घंटे बाद? तब तक तैयार होने वाली हो?
सुमति- मुझे तैयार होने में सिर्फ दस मिनट लगते है समझें? वो तो मैंने खाना अभी खाया है तो नींद आ रही है। आधा घंटा सो जाउंगी फिर तैयार हो जाऊंगी।
राजदीप- सोना जरूरी है?
सुमति- बहुत जरूरी है, वरना पूरा दिन सुस्ती रहेगी शरीर में।
राजदीप- अच्छा ठीक है, मै एक घंटे बाद आता हुं। फोन नहीं करूंगा, सीधे लेने आ जाऊंगा।
सुमति- ठीक है बाबा। अब फोन रख्खु? बाय।

* * * *
रिया- plz चिंटू आज तो आ जाओ। आज तो वैसे भी सन्डे है।
चिंटू- plz यार, आज मन्नू और राधा घर आने वाले है।
रिया- हां तो उनको मना कर दो। मै कुछ सुनना नहीं चाहती, तुम्हे आना ही है। कितने दिनों बाद हम सब ने बाहर जाने का प्रोग्राम बनाया है। वैसे भी हम शाम को जा रहे है, तब तक तुम पढ़ाई कर लो। उसके बाद मै कुछ सुनने वाली नहीं हुं। अगर तुम नहीं आए तो देख लेना।?
चिंटू- ठीक है, देखता हुं।
बात ख़त्म हुई तब तक मन्नू और राधा आ चुके थे। चिंटू ने शारदा से कह के दोनों का लंच बनवा दिया था। सन्डे के कारण आज सब घर पर ही थे। पिया किसी से फोन पर बात कर रही थी। जब उसने बात खत्म की तो चिंटू ने पूछा- किसके साथ इतनी हस हसकर बाते हो रही थी??
पिया- सुमति के साथ।
सुमति का नाम सुनते ही दिल मचलने लगा। फिर पिया से पूछा- क्या बाते हो रही थी?
पिया- तुम्हे क्यों बताऊं?
फिर पिया किचन में शारदा के पास चली जाती है और उसे बताती है- मां पता है आज पहली बार सुमति अपने नए दोस्तों के साथ पिक्चर देखने जा रही है। उसके नए मम्मी पापा कितने अच्छे है।
शारदा- अच्छा यह तो बता, आप लोगो ने पार्टी में क्या क्या किया?
चिंटू के कान खड़े हो गए यह सुनकर।
पिया- क्या बताऊं मां, बहुत मजा आया था। सुमति तो हमको देखकर बहुत खुश हुई थी। वह मुझे अपने साथ ले गई थी स्टेज पर केक काटते वक्त। फिर बहुत बाते कि और डांस भी अंकल आंटी ने करवाया।

चिंटू को याद आता है, दो दिन पहले सुमति का बर्थ डे था। शीट! यही मौका था जब मै सुमति को उसके नए घर जाकर मिल सकता था। ओह गॉड! ये रिया के साथ रह रहकर दिमाग का बैंड बज गया है। मै भूल कैसे गया?
उसे सोच मै डूबा देख मन्नू उसे पूछता है- क्या हुआ? किस सोच मै डूबा है?
चिंटू- यार दो दिन पहले सुमति का बर्थ डे था, मै भूल गया उसे विश करना।
मन्नू- तो अब विश कर दे, उसमे क्या?
चिंटू- मेरे पास उसका मोबाइल नंबर नहीं है। पिया के पास है पर वह मुझे डे नहीं रही है। शायद सुमति ने मना कर रखा है।
राधा- तु उसके घर चला जा कोई तोहफा लेकर।
चिंटू- सही कह रही हो तुम, ऐसा ही करता हुं। शाम को रिया ने बाहर जाने का प्रोग्राम बनाया है। मै जल्दी सुमति के घर होते हुए जाऊंगा। यही ठीक रहेगा। आज मै उससे माफी मांगकर, उसे मनवाकर ही रहूंगा।।
मन्नू- बेस्ट ऑफ लक ?

क्रमशः