सुमति ने चिंटू से पूछा- क्या हुआ चिंटू? तुम्हारा मुड़ कुछ ठीक नहीं लग रहा।
चिंटू ने फिर जो आज स्कूल में हुआ वह सब बताया।
सुमति- देख चिंटू, बड़े लोगो की बड़ी बाते। तुम्हे उन्हे अनदेखा करके सिर्फ और सिर्फ पढ़ाई पर ध्यान देना चाहिए। तुम ना एक काम करो, जब तुम्हारी परीक्षा आए तब खूब मेहनत करके अच्छे नम्बर लाना।
चिंटू- उससे क्या होगा?
सुमति- उससे होगा यह की जब स्कूल के टीचर तुम्हारे रिज़ल्ट को सरहेंगे तो सब अपने आप तुम्हे होशियार विद्यार्थी समझकर तुमसे सामने से ही बाते करेंगे। मै चाहती हूं तुम हमेशा अव्वल ही आओ। और हां मुझे पढ़ाना मत भूलना। रोज रोज तुम स्कूल में जो पढ़ोगे वह मुझे भी पढ़ाओगे। ऐसे तुम्हारा रिविजन भी हो जाएगी।
चिंटू- तु सही कह रही है सुमति। मै जरूर मन लगाके पढूंगा। तुझे पढ़ाने से मेरा रिविजन भी हो जायेगा। सही बात है, मै ऐसा ही करूंगा। एग्जाम्स आने दो, सबकी बोलती बंद न कर दूं तो मेरा नाम बदल देना। चल अभी तुझे आज में इंग्लिश का सब्जेक्ट पढ़ता हुं।??
दोनो पढ़ने बेठ गए उन्हें देख पिया भी पढ़ने बैठ गई।
शारदा शाम को घर आ गई तब तीनो बाहर खेलने चले गए। खेलते वक्त भी चिंटू कल के स्कूल के बारे में सोच रहा था। कल मै अपना बैग साथ ही रखूंगा, या हम में से कोई एक ध्यान रखेगा हमारे बैग्स का। सुमति उसे देखकर बोलती है- चिंटू फिर से तु सोचने लगा? सब छोड़ और अभी सिर्फ खेलने में ध्यान दे चल। देर तक खेलने के बाद खाने के टाईम पर तीनो अपने अपने घर चले गए।
दूसरे दिन चिंटू ने अपनी मां से बस का पास निकलवा ने के पैसे मांगे। सुबह तो पैदल ही जाना था तो जल्दी घर से निकल गए। और मां से कहा था- बस का पास निकालकर ही आऊंगा तो घर आने में देर हो जायेगी। स्कूल पहुंचकर सब ने अपनी अपनी जगह ले ली। क्लास टीचर ने अटेंडेंस को और पढ़ना शुरू किया। क्लास टीचर इंग्लिश का सब्जेक्ट लेते थे। उन्होंने पहला लेसन पढ़ाया फिर जान बूझकर चिंटू से इंग्लिश में ही सवाल पूछा। उन्हे लगा ये जवाब नहीं दे पाएगा। पर उनका सोचना गलत निकाला। चिंटू ने सर को इंग्लिश में ही जवाब दिया तो सर के साथ साथ क्लास के सभी बच्चे अचंभित हो गए?। उसके बाद सर ने मन्नू और राधा को भी सवाल पूछे, उन्होंने भी सही जवाब दिया। तो सर जो पहले दिन इन तीनो को तुच्छ समझ रहे थे, उन का जवाब सुनकर गर्व महसूस करने लगे। जब क्लास खत्म हुई तो उसी सर ने स्टाफ रूम में जाकर दूसरे टीचर्स को भी उन बच्चो के बारे में बताया।
स्कूल से छूटकर तीनो बस अड्डे पर पास निकलवाने लाइन में खड़े रह गए। पास निकलने के बाद वे सब बस में ही अपने घर वापस गए। घर पहुंचकर चिंटू ने देखा सुमति बुखार से तड़प रही थी। पिया उसके माथे पर नमकवाले पानी का कपड़ा रख रही थी। वह उसका हाथ पकड़ता है तो हैरान रह जाता है। वह सुमति से कहेता है इतने बुखार में तुम यहां क्यो आई?
सुमति ने कहा यहां पिया अकेली रहती, तो में यहां आ गई।
चिंटू- मै देखता हुं कोई बची हुई दवाई पड़ी है घर पे या नहीं। मां हमेशा मेडिकल की दवाइया घर पे रखती है। पढ़े लिखे होने का यही फायदा होता है। कौनसी दवाई कब लेनी है यह पता चल जाता है।
नसीब से बुखार की दवाई पड़ी हुई थी। पहले चिंटू ने उसकी एक्सपायरी डेट देखी फिर सुमति को दवाई खिलाई। एक दो घंटे बीतने के बाद वह कुछ ठीक महसूस करने लगी।
आज रात को शारदा ने मंगू, सुमति ओर उसके पति रामू को अपने घर खाने के लिए बुलाया था। देर रात तक सब घर के बाहर बैठकर बाते कर रहे थे पर चिंटू अंदर जाकर सो गया था। उसे सुबह स्कूल जो जाना था, बाहर बैठता तो निंद पूरी नहीं होती। और निंद पूरी नहीं होती तो पढ़ाई में ध्यान नहीं दे पाता।
सुबह चिंटू एंड मंडली बस स्टॉप पर मिले। बस भी टाइम से ही आ गई तो स्कूल भी प्रेयर से पहले पहुंच गए। आज क्लास में सभी स्टूडेंट्स चिंटू के आते देख ना कुछ कमेंट्स की और ना ही उन्हें चिड़ाया। लीना उनके पास आई और बताया- तुम्हे पता है यह सब आज क्यू इतने शांत है?
चिंटू- नहीं, मुझे नहीं पता।
लीना- मै बताती हुं। तुमने शायद ध्यान दिया हो, हमारे क्लास में सीसीटीवी कैमरे लगे हुए है। कल प्रिंसिपल मैडम ने वह फूटेज देखे थे। उनमें उन सब की शैतानी देख ली थी मैडम ने। तुम्हरे आने से पहले पहले ही इन सब को प्रिंसिपल मैडम ने खूब डांट लगाई। अब वह सब या और कोई भी दूसरी क्लास वाले भी उन स्टूडेंट्स को परेशान नहीं करेंगे जो रिजर्व सीट पर आए है।
राधा- हमारे प्रिंसिपल मैडम बहुत ही अच्छे है। वे हम सब में कोई भेदभाव नहीं रखते। अब हम यहां मन लगाकर पढ़ेंगे और मैडम के भरोसे को नहीं तोड़ेंगे।
क्लास में काफी स्टूडेंट्स होशियार थे पर उन सब को पीछे छोड़ पहली एग्जाम में चिंटू फर्स्ट नम्बर पर आ गया। तब तो पूरे क्लास को विश्वास नहीं हो रहा था। स्लम एरिया का लड़का हमसे भी आगे कैसे निकाल गया? पढ़ाई के साथ साथ चिंटू और मन्नू फुटबॉल में भी आगे थे। चिंटू को फुटबॉल टीम में अंडर 14 का कप्तान बनाया गया। कुछ लड़के दूसरी क्लास के थे टीम में, जो जलते थे चिंटू से। थोड़े ही वक्त में वह सब का चहेता बन गया था। हर कॉम्पिटिशन में पार्ट लेता था स्कूल में। हालाकि हर बार फर्स्ट नहीं होता था पर पार्ट हमेशा लेता था। उसके क्लास के वे लड़के जो शुरुआत में उसे परेशान करते थे वह भी अब उसके दोस्त बन चुके थे। लीना और राधा भी अच्छी फ्रेंड्स बन गई थी। चिंटू एकबार छुट्टी के दिन सुमति और पिया को अपना स्कूल दिखाने ले आया था। उसकी आंखे तो फटी की फटी रह गई। इतना बड़ा स्कूल...!? बाप रे...,! काश मुझे पढ़ने दिया होता तो शायद मैं भी तुम्हारे साथ ऐसी स्कूल में पढ़ती।?
चिंटू- कोई बात नहीं सुमति मै तुझे पढ़ाता तो हुं। तुझे हर वो सब्जेक्ट आता है जो मै तुझे पढ़ता हुं।
सुमति- तु मुझे पढ़ता है पर कहलाऊंगी तो मै अनपढ़ ही।
चिंटू- एक काम करते है, तु डायरेक्ट दसवीं का एग्जाम दे देना। फिर आगे भी पढ़ लेना।
सुमति- ऐसे कैसे कोई एडमिशन दे देगा? तु रहने दे, बस तु ही मुझे पढ़ाया कर। मुझे किसीको नहीं बताना कि मुझे पढ़ना लिखना आता है या नहीं। तु जाने यही बस है मेरे लिए।
चिंटू- ऐसा क्या…????
सुमति- हा, ऐसा ही।
चिंटू- अच्छा तेरा पति पूछेगा क्या पढ़ाई कि है तो क्या जवाब देगी?
सुमति- मै.. मै कहूंगी ना जो तुने सिखाया है वह बोल दूंगी। वो भी इंग्लिश मेे। बात करना तो तु सीखा ही रहा है तो शादी होने तक तो सीख ही जाऊंगी। (शादी तो तुमसे ही करनी है, फिर क्यो सिखू किसी और के लिए?)
चिंटू, पिया और सुमति वापस घर आते है।
चिंटू की पढ़ाई अच्छे से चल रही थी। उसके स्कूल के प्रिंसिपल और सब टीचर्स उससे बहुत खुश थे। जब वह दसवीं कक्षा में आया तब उसने जीतोड़ मेहनत करके बोर्ड एग्जाम्स में थर्ड रेंक से उत्तीर्ण हुआ। सारे स्कूल में खुशियां छा गई। प्रिंसिपल मैडम ने चिंटू की मां को बुलाकर उन दोनो का सम्मान किया। उसके पुराने स्कूल के प्रिंसिपल सर ने भी अपने स्कूल बुलाकर उसका सम्मान किया। उन सबमें सबसे ज्यादा खुश थी सुमति। क्योंकि वह ही थी जो दसवीं कक्षा में उसके साथ दिन रात बैठकर पढ़ने में मदद करती थी। जब चिंटू घर आने को निकला तब पहले सुमति के घर ही गया वो भी मिठाई लेकर। सुमति के माता पिता ने भी उसको बधाई दी। सुमति उसे देखकर रोने लगती है।
चिंटू उससे कहता है- पगली रो क्यो रही है? तेरी मेहनत भी इसमें शामिल है। अकेले पढ़ने बैठता तो मन नहीं लगता पढ़ने मै। यह सब तेरे साथ का ही नतीजा है।
सुमति- यह तो खुशी के आंसू है। तुझे इस मुकाम पर देखकर बहुत खुश हूं मैं।
चिंटू- मंगू मौसी और मौसाजी आप भी तो मिठाई लीजिए। अगर आपने सुमति को पढ़ने दिया होता तो वह भी मेरे साथ टॉप करती।
मंगू मौसी- हा अब मुझे भी पछतावा हो रहा है। पर कोई नहीं तु तो आगे पढ़ना, बिचमे पढ़ाई मत छोड़ना।
चिंटू- ऐसे कैसे छोड़ दूं पढ़ाई। बड़ा आदमी जो बनाना है। फिर हम सब एक साथ रहेंगे।
मंगू मौसी- हां बेटा, ऐसा ही होगा। भगवान तुझे हमेशा ऐसे ही तरक्की देते रहे।
रामू काका- बेटा बस तु पढ़ लिखकर बड़ा आदमी बनजा यही दुआ है ऊपरवाले से। तेरे पास होने की खुशी में आज हम सिध्दी विनायक माथा टेकने जाएंगे। जा घर जाके तेरी मां और पिया को तैयार रहने को कह दे। कुछ देर में हम सब साथ चलते है।
सब खुश हो गए। जैसे चिंटू घर पहुंचा तो वहा उसने दो तीन लोगो को अपने घर के बाहर अपनी मां के साथ खड़ा पाया। वह जब वहा गया तो देखा वे कोई टीवी चैनल के रिपोर्टर थे। वे स्कूल से चिंटू का एड्रेस लेकर उसका इंटरव्यू लेने आए थे के किस तरह से उसने एक स्लम एरिया में रहकर पढ़ाई कि। वह भी बिना कोई ट्यूशन। चिंटू ने बताया- बस कड़ी मेहनत और मेरी मां का परिश्रम ही मुझे यहां तक ले आया। मेरे दोस्त ने भी मेरा साथ दिया इसमें।
रिपोर्टर- आपके दोस्त का नाम बताएंगे हमे?
चिंटू- हा, क्यो नहीं? मेरी दोस्त का नाम है सुमति।
रिपोर्टर- तो उनके कितने पर्सेंटेज आए है?
चिंटू- वह पढ़ती नहीं है पर मेरे साथ बैठकर मेरी बुक्स पढ़ती रहती है। अगर आज उसने एग्जाम्स दी होती तो मुझसे भी आगे होती। पर उसके माता पिता ने उसे पढ़ने नहीं भेजा था।
रिपोर्टर- ओह क्या में उसे मिल सकती हुं?
चिंटू सुमति को उसके घर से बुला लता है।
रिपोर्टर ने अपना नाम स्नेहा बताया। वह सुमति से बात करने लगी- सुमति तुमने पढ़ाई क्यो नही की?
सुमति- बस नहीं कि।
स्नेहा- तुम चाहो तो मै तुझे पढ़ने में मदद कर सकती हुं।
सुमति- सच्ची??
स्नेहा- हा, बिल्कुल। कल से मै तुम्हे पढ़ने आऊंगी। तुम अपने जैसे दूसरे बच्चो को इकठ्ठा कर लेना मै और मेरे दोस्त आप सब को सुबह आएंगे पढ़ाने। ठीक है न..।
सुमति यह सुनकर खुश हो जाती है।
रिपोर्टर के जाने के बाद सब सिद्धि विनायक के दर्शन करने जाते है।
रिपोर्टर ने चिंटू का इंटरव्यू लिया और उसकी फोटो के साथ साथ सुमति का भी फोटो खींचा। दूसरे दिन उनकी फोटोज अखबार में थी। मन्नू अखबार लेकर चिंटू के घर आया उसे बताने। चिंटू अपनी और सुमति की फोटो देखकर बहुत खुश हुआ। वह भागते हुए सुमति के पास जाता है और उसे उसकी फोटो दिखाता है। साथ में पढ़कर भी बताता है कि उन्हें पढ़ाने के लिए कुछ रिपोर्ट्स और कुछ स्कूल के टीचर्स बारी बारी आएंगे हमारी बस्ती में। यह सुनकर सुमति खुशी से उछल पड़ी। वह अपनी मां से कहती है- आते वक्त मेरे लिए किताबे लेती आना।
बस्ती के बाहर के मैदान में अगले दिन से पढ़ने के लिए स्नेहा आती है। पहले दिन कुछ दस बारह बच्चे आ गए थे। वह सब स्नेहा को स्नेहा दीदी कहकर बुलाने लगे। स्नेहा के साथ उसका बॉयफ़्रेंड भी था राहुल। पहले दिन दोनों ने सब का परिचय लिया और अपना परिचय दिया। एक दिन में ही सब बच्चे स्नेहा और राहुल के साथ घुलमील जाते है। चिंटू भी वेकेशन के कारण उन बच्चो को पढ़ता है जो छोटे है। बड़े बच्चे स्नेहा दीदी के पास पढ़ते है। फिर चिंटू, स्नेहा और राहुल घर घर जाकर पूरी बस्ती के लोगो को समझाते है कि वे सब भी अपने बच्चे भेजे पढ़ाई के लिए।
अगले दिन की संख्या और बढ़ जाती है। सब सोचते है अगर चिंटू पढ़ सकता है तो हमारे बच्चे भी पढ़ लिखकर आगे आएंगे। यह एक अच्छी सोच थी बस्ती वालो की। पहले लड़के ज्यादा आते थे पढ़ने फिर लड़कियो की तादात भी बढ़ गई। आस पास की बस्ती से भी मा बाप अपने बच्चो को छोड़ने आते है पढ़ाई के लिए। इस तरह एक छोटा सा स्कूल बस्ती में खुल गया। धीरे धीरे स्नेहा और उसके दोस्तो की मेहनत रंग लाने लगी, विद्यार्थियों की संख्या बढ़ने लगी। बच्चे अब म्युनिसिपल स्कूल में जाने लगे। स्नेहा अपने काम के साथ साथ उन गरीब बच्चो को ट्यूशन देती और सही मार्गदर्शन भी।
एकबार रात को स्नेहा अकेले सरप्राइज विजिट पर अाई के बच्चे पढ़ते है या नहीं। घर घर जाकर सब बच्चों को देखकर वापस घर को जा रही थी तो बस्ती के बाहर ही कुछ बदमाश खड़े थे। उन्होंने स्नेहा को परेशान किया और उसके पीछे पीछे चलने लगे। स्नेहा अपना व्हीकल बस्ती के बाहर वाले रोड पर पार्क करती थी। वह उस जगह तक पहुंचे उससे पहले उन बदमाशों ने स्नेहा का हाथ पकड़ लिया और उसके मुंह पर हाथ रखकर उसे खींचने लगे। उसी वक्त चिंटू और मन्नू राधा के घर जा रहे थे। उन बदमाशों को देख दोनों ने नीचे पड़े पत्थर उठकर उन पर फेंकने लगे और जोर जोर से चिल्लाने लगे। उनकी आवाज़ सुनकर बस्ती से सब दौड़े आए। वह बदमाश लड़के सब के आने से भाग गए। स्नेहा रोने लगी थी। चिंटू ने उसे कहा- दीदी आप रोइए मत, वह अब कभी आपको नहीं तंग करेंगे। वह हमारी बस्ती के नहीं थे। अब जब कभी यहां दिखे तो ये बस्तीवाले उनकी टांगे तोड़ देंगे। ?
बस्ती से एक आदमी स्नेहा को छोड़ने उसके घर तक गया। स्नेहा ने उस व्यक्ति को अपने घर से रिक्शा में बिठाकर पैसे देकर वापस भेज दिया। घर आकर स्नेहा ने राहुल को फोन करके सब बताया। राहुल ने उसे अकेले जाने की बात को लेकर डांट दिया। फिर कभी अकेले ना जाने का प्रोमिस भी लिया।
इधर सब बस्तीवाले इकठ्ठा हुए। उनमें से सबसे बुजुर्ग आदमी ने कहां- ये बच्ची अपना समय निकालकर हमारे बच्चो को पढ़ने आती है तो हमें भी उसकी सुरक्षा के बारे में सोचना चाहिए।
सब इस बात से सहमत हुए। फिर तय किया गया के जो भी घर पर रहेगा वह उनके आने से जाने के टाइम तक उनके साथ रहेगा। ताकि इस बार की तरह वह अकेली ना हो। उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी हम सब को उठानी है। वे हमारे बच्चो के लिए इतना कुछ करते है तो हमे भी उनके लिए कुछ करना चाहिए। सबने यह बात मान्य रखी।
दूसरे दिन से कोई न कोई स्नेहा और उसके दोस्तो के साथ रहता ही था। स्नेहा को सुमति से कुछ ज्यादा ही लगाव हो गया था। वह उसे दो तीन बार अपने घर भी ले गई थी। चिंटू और स्नेहा दोनों के कारण सुमति पढ़ाई में होशियार बन गई थी।
देखते ही देखते चिंटू ने बारहवीं कक्षा भी अच्छे पर्सेंटेज से पास कि और कॉलेज में एडमिशन लिया। आगे की पढ़ाई के बाद उसने आईपीएस बनने का सोचा था। चिंटू, मन्नू और राधा ने कॉमर्स कॉलेज में एडमिशन लिया। यहां कॉलेज में भी चिंटू हर जगह आगे रहता था। उसने पढ़ाई के बाद घर घर जाकर स्कूल के स्टूडेंट्स को ट्यूशन देना भी शुरू कर दिया था। ट्यूशन की फिस से घर में मां को हेल्प मिल जाती थी। शारदा और मंगू को उसके मकान मालिक ने फैक्ट्री के पास बनाए गए मजदूर आवास में घर दिला दिया था। जिसमे दो रूम, किचन और बाथरूम था। बस्ती में तो उन लोगो को सुलभ शौचालय में जाना पड़ता था। यहां अपना बाथरूम देख पिया खुश हो गई थी। पानी और लाइट बिल भी कम आते थे। शारदा और मंगु ने एक ही फ्लोर पर पास पास ही घर लिया था। सुमति भी अब बड़ी हो गई थी। वह दिखने में अब बहुत सुंदर लगती थी, उसके पिता पर गई थी। उसके पिता ने अब शराब छोड़कर मालिक की फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया था। खुशी खुशी सबके दिन बीत रहे थ। पर कहते है न खुशियां ज्यादा देर रुकती नहीं। बस वैसा ही कुछ हुआ।
क्रमशः
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