चिंटू - 3 V Dhruva द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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चिंटू - 3

दिन बहुत अच्छे चल रहे थे। एक दिन सुमति की मां और पिता रविवार के दिन अपने मालिक के घर गए थे। मालिक ने उन्हे घर का ध्यान रखने के लिए बुलाया था। वहा रात को पार्टी थी तो मेहमान आने वाले थे। सुमति उस दिन चिंटू के वहां ही रुकी थी। रात को जब सब मेहमान आ गए तो मंगु और रामू घर के पीछे जहा रसोई का काम चल रहा था वहां ध्यान रखने बैठे थे कि कहीं किसी चीज की जरूरत न पड़े। पार्टी शुरू हो गई थी। मेहमानों ने खाना भी शुरू कर दिया था तभी जोर से एक धमाका हुआ।?

सब जगह अफरा तफरी मच गई। जहा रसोई पक रही थी उधर गैस सिलिंडर फटा था। आग लगने के कारण वहा रखा दूसरा सिलिंडर भी फट गया। घर के पीछे का हिस्सा बुरी तरह से जल गया। और उस आग में रसोई के लिए आए लोगों के साथ साथ सुमति के मां बाप भी आग में जूलस गए। यह खबर आग की तरह फैल गई। शारदा, चिंटू, सुमति सब मालिक के घर की तरफ भागे। उन लोगो के वहा पहुंचने तक फायर ब्रिगेड आ चुकी थी और आज पे काबू करने की कोशिश कर रही थी। सब से ज्यादा खराब हालत सुमति की थी। शारदा और चिंटू जैसे तैसे उसे संभाल रहे थे।

आग में जुलसे लोगो को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया था। पुरानी बस्ती से भी सब पड़ोसी आ गए थे। सब मिलकर अस्पताल चले गए। पोस्टमॉर्टम होने तक सब बाहर ही खड़े रहे। बाद में जब मंगु और रामू के शव मिले तब सब उन्हे उनके घर ले गए। सुमति बार बार बेहोश हो जा रही थी। स्नेहा और राहुल को मन्नू ने फोन कर दिया था, वे लोग भी आ गए थे। भारी मन से सब ने अर्थी को कांध दी और स्मशान गृह ले गए। सुमति ने ही अपने मां और पिता को मुखाग्नि दी।

घर आकर शारदा ने सुमति को खाना खाने के लिए कहा। पर वह किसी तरह मान नहीं रही थी। फिर चिंटू उसके पास आता है, वह निवाला बनकर सुमति की तरफ ले जाता है। सुमति यह देख चिंटू के गले लगकर फूट फूटकर रोती है?। तभी स्नेहा उसके सिर पर हाथ रखकर उसे सांत्वना देती है। जैसे तैसे चिंटू उसे खाना खिलाता है। रात को जब सब वापस जाने लगे तब स्नेहा और राहुल ने सुमति को अपने साथ आने को कहा। पर शारदा ने उन्हे यह कहकर मना किया कि वह अब मेरी पिया की तरह ही है, वह हमारे साथ ही रहेंगी। वह ज्यादा आपसे खुलकर बात नहीं कर पाएगी तो इसे यही रहने दीजिए। वैसे भी ये हमारे घर की ही सदस्य रही है हमेशा से।

धीरे धीरे सुमति सामान्य होने लगी। वह शारदा मौसी के साथ काम पर जाने लगी थी। चिंटू ने उसे कम बंद करवाकर कंप्यूटर क्लास जॉइन करवा दिया। दिमाग की तेज थी तो कंप्यूटर भी सीखने लगी। मंगु और रामू के मालिक ने शारदा के घर आकर सुमति का पूरा खर्चा उठाने की बात कि। पर शारदा ने तब मना कर दिया था। फिर भी उनके मालिक ने सुमति के नाम का बैंक अकाउंट खुलवाकर उसमे दस लाख रुपए रख दिए थे। ताकि सुमति भविष्य में किसी पर बोज न बने। और यह रकम उसे उसकी शादी पर मिले। उसके व्याज की रकम से सुमति ने कंप्यूटर क्लास जॉइन किया था। शारदा या चिंटू ने कभी उस पैसो का लालच नहीं रखा जो सुमति को मिले थे। वह सुमति को अपने खर्चे पर ही घर में रखते थे।

दूसरे साल कोलेज में एक लड़की का न्यू एडमिशन हुआ। बला की खूबसूरत थी। कार लेकर कोलेज आती थी तो अमीर घर से लग रही थी। कोलेज में आते ही सब लड़के उसके आगे पीछे होने लगे थे, देख रहे थे ये कौनसी क्लास में जा रही है। वह सेकंड ईयर कॉमर्स की स्टूडेंट निकली वो भी चिंटू के क्लास में ही। जैसे वह क्लास में एंटर हुई, लड़को के साथ साथ लड़कियां भी उसे मुंह फाड़े देखने लगी?। राधा मन्नू से कहती है- कोई इतना भी सुंदर कैसे हो सकता है यार।
मन्नू- हा यार, सच कह रही है तु। पर तू अपने इस चिंटू को देख उसकी तरफ नजर भी नहीं कर रहा है।
चिंटू- मै यहां पढ़ने आया हुं ना कि हीरोगिरी करने। इन जैसी तो हजारों घूमती है बाहर। पर हमे अपनी चद्दर देखकर ही पैर फैलाने चाहिए। इनके सपने मत देखो और पढ़ने में ध्यान दो वरना फैल हो जाओगे। आशिक़ कहिके...।?

जो लड़की क्लास में अाई थी उसका नाम रिया सहगल था। इंडस्ट्रियलिस्ट मुकेश सहगल की बेटी। जो एक बड़े उद्योपति की इक लौती संतान थी। तभी तो उसके पिता ने उसे हर छूट दे रखी थी। उसी वजह से वह थोड़ी अभिमानी बनी हुई थी। वह हर जगह सब का अटेंशन लेना चाहती थी। कोई उसे इग्नोर करे वह सह नहीं सकती थी। पहले दिन तो उसने क्लास में ज्यादा ध्यान नहीं दिया। उसे पता ही था सबकी नजरें उसीको देख रही है। पर जैसे जैसे दिन बीते वह नोटिस करने लगी कि सब उसे देखते है, उसके साथ बात करने के मौके ढूंढ़ती है पर सिर्फ चिंटू उस पर ध्यान नहीं दे रहा था। उसे यह तो पता चल गया था कि यह कॉलेज में टॉपर है और घर की परिस्थिति भी खास नहीं है। ऐसे लड़के तो हमेशा अमीर लड़की की चाह रखते है। पर ये सबसे अलग लग रहा है और घमंडी भी। इसका घमंड तो तोड़ना पड़ेगा। कॉलेज में पॉप्यूलर है तो क्या हुआ, मै भी कम नहीं। ?

* * * *
कुछ वक्त बितने के बाद रिया क्लास में सामने से चिंटू से बात करने गई।
रिया- हाय चिंटू! क्या कर रहे हो?
चिंटू- ओह हाय! कुछ नहीं बस प्रोजेक्ट की तैयारी कर रहा हुं। अभी इंटर कोलेज कॉम्पिटिशन होने वाला है तो उसी की तैयारी चल रही है।
रिया- क्या मुझे भी अपनी टीम में शामिल करोगे? मैंने कभी ऐसी कॉम्पिटिशन में पार्ट नहीं लिया। तुम्हारे साथ रहकर सीख जाऊंगी।
चिंटू- या श्योर! वैसे भी मुझे दो लोग हेल्पर के तौर पर चाहिए थे। वो क्या है कि मेरे साथ जो फ्रेंड्स थे उनके घर कोई जरूरी काम आ गया था तो मुझे दो लोग ढूंढने ही थे। अगर तुम्हारी कोई फ्रेंड हो तो भी बोलना। हमारे इस प्रोजेक्ट में हेल्प के लिए।
रिया- ठीक है, मै अभी अपनी फ्रेंड् को ले आती हुं। तुम हमे इसके बारे में समझा दो ताकि आगे हेल्प कर सके।
(रिया मन में ही अपने आप से बोल रही है- अब देख बच्चु तु मुजसे कैसे बचता है।)
दरअसल रिया को उसकी फ्रेंड्स ने चैलेंज दिया था। दम है तो चिंटू को पटा के दिखाए। क्योंकि उन सब ने फर्स्ट ईयर में चिंटू को प्रपोज किया था पर चिंटू ने सब को मना कर दिया था। रिया ने उनका चैलेंज ऐक्सेप्ट कर लिया था। और यह भी कहा अगले दो महीने खत्म होने से पहले मै उसे अपना बना लूंगी। आज से ही उसने अपना दाव खेलना शुरू कर दिया। वह अपनी फ्रेंड को ले आई चिंटू के पास। चिंटू उन्हे सब समझने लगा जिससे दोनों को जल्दी समझ में आ जाए। उस बेचारे को क्या खबर वो तो सिर्फ मजे ले रही थी, सीखना तो दूर रहा।

चिंटू जब घर आया तो उसने देखा घर पर स्नेहा दीदी और राहुल भैया आए हुए थे।
वो हमे अपनी शादी का न्योता देने आए है- सुमति ने कहा।
चिंटू- ओह! सुमति जरूर आएगी।
स्नेहा- सिर्फ सुमति नहीं, तुम सबको भी आना है हमारी शादी में। और एक बात कहना चाहते थे हम..
शारदा- कहिए ना।
राहुल- हम सुमति को कानूनी तौर पर गौद लेना चाहते है।
यह सुनकर घर में सन्नाटा छा गया। फिर शारदा बोली के अगर सुमति चाहे तो हमे कोई एतराज़ नहीं। आखरी फैसला उसीका होगा।
सबकी नजरें अब सुमति पर थी। शारदा, चिंटू और पिया मन ही मन सोचने लगे कि सुमति मना कर दे और स्नेहा और राहुल सोच रहे थे सुमति हा बोल दे। सुमति सोच रही थी अगर मै यहां से चली गई तो चिंटू से कभी अपने प्यार का इजहार नहीं कर पाऊंगी। और यहां बार बार आ भी नहीं सकूंगी, तो मै तो नहीं जाऊंगी।
सुमति- दीदी आप और भैया बहुत अच्छे है और मेरा ख्याल भी अच्छे से रखेंगे मुझे पता है। पर में इन सब को छोड़कर नहीं आ सकती। मेरा मन अब दूसरी जगह नहीं लगेगा। यहां सब मुझे बहुत प्यार करते है। सोरी दीदी मै यही रहना चाहती हुं। यह सुनकर शारदा, चिंटू और पिया खुश हो गए।
स्नेहा ने कहां- कोई बात नहीं सुमति, तुझे जहां अच्छा लगे वहीं रहना। हा पर हमारी शादी में आप सबको जरूर आना है। और सुमति हमारा घर भी तुम्हारा ही है। तुम जब चाहो आ जाना, ठीक है?
सुमति- मै जरूर आऊंगी दीदी। आपकी शादी में और आपके घर रहने भी।

* * * *
स्नेहा और राहुल के जाने के बाद पिया सुमति को गले लगा लेती है और कहती है- मुझे लगा सुमी के तुम चली जाओगी।
सुमति- ओहो.. सुमी? अच्छा नाम दिया तूने। ऐसे कैसे तुझे छोड़के चली जाती? आप सबके बिना मेरा जी नहीं लगता वहा।
शारदा- मुझे भी यही लगा था बेटा की तुम चली जाओगी।
सुमति- मौसी, इतने साल आप पर बोझ बनकर रही हु। अब समय आ गया है अपना फर्ज निभाने का।
चिंटू- क्या मतलब बोझ बनकर? हमने तुम्हे हमेशा घर का सदस्य ही माना है। और क्या मतलब फ़र्ज़ निभाने का?
सुमति- ये आप सबका बड़प्पन है। जहा आप सबके खाने के लाले थे, फिर भी आप सबने मुझे यहां रखा था। और तो और कभी मुझे मुआवजे में मिले पैसों तक का कभी जिक्र नहीं किया। आप सबकी भावनाएं में समझाती हुं। मै जहां कंप्यूटर सीखने जाती हुं वहा मुझे नौकरी की ऑफर मिली है, रिसे्शनिस्ट की। मैंने वह स्वीकार कर ली है। दस से पांच बजे तक का टाइम है नौकरी का। कल से ही मुझे जॉइन करने को कहा है विशाल सर ने।
शारदा- विशाल सर कौन है? अच्छे तो है न? तु उससे अच्छे से पहचानती है ना?
सुमति- अरे मौसी...! कितने सवाल कर दिए? विशाल सर क्लास के मालिक है। वह बहुत अच्छे है और शादीजुदा भी है, उनकी वाइफ मेनका मेम है। दोनों ही मिलकर कम्प्यूटर क्लास चलाते है। वो क्या है कि क्लास की रिसे्शनिस्ट ने जॉब छोड़ दी तो उन्होंने मुझे जॉब का ऑफर दिया। वैसे भी आप सब तो चले जाते है, मुझे घर पर अकेले रहना पड़ता है, तो सब फिर साथ ही घर आएंगे पांच बजे।
चिंटू- तु समझदार है वैसे पर संभलकर रहना जॉब पर। कोई परेशान करे तो मुझे बता देना, समझी?
सुमति- हां बाबा समझी।
चिंटू- अच्छा चल तेरी जॉब लगने की खुशी में मै तुझे एक अच्छी जगह चाय पिलाता हुं।
शारदा- बाहर जाने की क्या जरूरत है? मै अभी बना देती हुं।
पिया- नहीं मां, हम बाहर ही जाएंगे।
शारदा- अच्छा तुम सब जाओ, मै रात के खाने की तैयारियां करती हुं।

चिंटू पिया और सुमति को लेकर एक चाय की दुकान पर जाते है। चिंटू कहता है- दुकान छोटी है पर चाय बढ़िया मिलती है।
सुमति- तुम लाए हो तो अच्छी ही मिलती होगी। पर दो चाय ही मंगवाना।
चिंटू- क्यो?
सुमति- एक पिया की और एक हम दोनों के बीच।
चिंटू- अरे मेरे पास है पैसे तु घबरा मत।
सुमति- पैसों का सवाल नहीं है, बस तु मंगवाना दो चाय?।
चिंटू- मंगवाता हुं बाबा, गुस्सा क्यों होती है?
दो चाय का ऑर्डर दे दिया था चिंटू ने। वहां काम करनेवाला छोटू दो चाय लेकर आ गया। एक चाय का ग्लास पिया को दिया और एक में से सुमति और चिंटू ने चाय पी। सुमति ने कहा इस तरह चाय पीने से प्यार बढ़ता है।
तो पिया बोलती है- बस इससे ही प्यार बढ़ाना है मुझे भी प्यार मिलेगा?
सुमति- मिलेगा न पगली। तुझे ज्यादा प्यार करती हुं इस लिए तो पूरी चाय तुझे दी है।
चिंटू- और मुझे अधूरा प्यार करती है, है न?
सुमति मन में ही बोलती है- तुझे तो बचपन से पूरा प्यार ही करती हुं पगले, तु ही नहीं समजता।?
चिंटू- क्या सोच रही है?
सुमति- कुछ नहीं, तु यह बता तेरा कॉलेज कैसे चल रहा है अभी?
चिंटू- इंटर कॉलेज कॉम्पिटिशन की तैयारी चल रही है। तुझे बताया था न वो नकचड़ी रिया है हमारे क्लास में। वह सामने से अाई थी आज बात करने और प्रोजेक्ट में साथ देने के लिए।
(चिंटू सुमति को हर बात बता था कॉलेज की)
सुमति- अच्छा तो रूप सुंदरी अा ही गई आखिर बात करने? संभलकर रहना ऐसे बड़े लोगो से।
चिंटू- हां हां, जनता हुं। वो सिर्फ बात करने के लिए ही प्रोजेक्ट में साथ दे रही है। इतने दिनों में उसकी फितरत जान ही चुका हुं।
सुमति- राधा को बोलना बहुत दिनों से घर नहीं अाई है। बोलना सुमति गुस्सा कर रही थी।
चिंटू- बोल दूंगा। एक काम करते है। कल हम सब रात को पाऊभाजी खाने चलते है साथ में। तु, मै, पिया, राधा और मन्नू ठीक है।
पिया- येएएए... बहुत दिनों बाद हम साथ जाएंगे। पक्का हं भाई फिर मुकर मत जाना कहे देती हुं।
चिंटू- पक्का चलेंगे बस।

तीनो घर पहुंचे तब तक शारदा ने खाना बना लिया था। उन्होंने कल का प्रोग्राम भी शारदा को बता दिया।
अगले दिन रिया कॉलेज में चिंटू का इंतज़ार कर रही थी। जैसे ही चिंटू आया उसे रिया ने बताया आज मेरा बर्थ डे है। आज शाम मैंने पार्टी रखी है होटल सम्राट में। तुम्हे आना है याद रखना।
चिंटू रिया को बर्थ डे विश करता है। पर दिलगीर भी होता है और कहता है मै आज नहीं आ सकता। मेरा आज शाम का प्रोग्राम मेरे फ्रेंड्स और फैमिली के साथ तय हो चुका है तो मुझे माफ करना।
रिया चिड जाती है पर कुछ बोलती नहीं। मुझे तुम्हे कल ही बता देना चाहिए था। कोई बात नहीं फिर किसी दिन जाएंगे पार्टी करने साथ में। तुम्हारी पार्टी उधार रही मुझ पर।
फिर रिया वहा से चली जाती है। चिंटू मन्नू और राधा को शाम के प्रोग्राम के बारे में बताता है और रिया के बारे में भी।
मन्नू- संभलकर रहना इसके लक्षण कुछ ठीक नहीं लगते मुझ।
राधा- मुझे भी ?।
फिर क्लास शुरुर हो जाने पर तीनो शाम को मिलने का कहकर क्लास अटेंड करते है।

शाम को सब मिलकर पाऊंभाजी खाने जाते है। वहा पर चिंटू ने सुमति को रिया की बर्थडे पार्टी के बारे में बताया। सुमति भी उससे बचे रहने कि हिदायत देती है। पिया ने सबसे कहा कोई कॉलेज या रिया की बात न करे। हम यहां सिर्फ अपनी ही बाते करेंगे, किसी और की नहीं। सब उसकी बात मानकर अपने में मस्त होकर पाऊंभाजी की जियाफत उड़ाते है।

क्रमशः
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