चिंटू - 8 V Dhruva द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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चिंटू - 8

डीएसपी वर्मा सर का घर बांद्रा में था। वह एक बारह मंजिला टॉवर में दसवीं मंजिल पे रहते थे। वैसे पार्टी टॉवर के सेक्रेटरी की परमीशन लेकर टैरेस पर रखी गई थी। ज्यादातर उनके बेटे पुनिश के फ्रेंड्स ही थे वहा पर। बड़े लोग उसके पापा के साथ अपने घर पर थे। जब राजदीप सुमति के साथ वहा पहुंचा तो डीएसपी सर ने खुद उन्हें वेलकम किया और कहा- सब लोग टैरेस पर है, आप भी जाओ और कुछ देर में हम भी आ रहे है। राजदीप और पुनीश कई बार एक दूसरे से मिल चुके थे तो वह सुमति को लेकर सीधे टैरेस पर पूनिश से मिलने चला गया।

टैरेस पर पहुंचने पर उसे कई सारे चेहरे देखने को मिले जिसे वह पहले से जनता था। दरअसल जब पुलिसवाले के फंक्शन्स
होते थे तब वह सब हमउम्र होने के कारण साथ ही बैठते थे। राजदीप सुमति के साथ पुनिश को बर्थडे विश करने चला गया। पुनिश राजदीप से गर्मजोशी से मिलता है और सुमति की ओर देख कहता है- गर्लफ्रेंड?
राजदीप- नहीं रे! दोस्त है।
पुनिश(सुमति से)- ओह! सच कहुं तो आप बहुत खूबसूरत लग रही है इस ब्लैक ड्रेस में।
सुमति- थैंक्स एंड हैप्पी बर्थडे!
पुनिश- थैंक यू! वैसे आपका नाम जान सकता हुं?
राजदीप तपाक से बोलता है- सौम्या!
सुमति राजदीप के सामने देखती है तो वह पलके जपका के चुप रहने को कहता है। फिर दोनों साइड में चले जाते है। सुमति राजदीप से पूछती है- अपने नाम क्यों गलत बताया?
राजदीप- बुरा मत मानना पर तुम्हारा नाम कुछ अजीब है, सुमति?। ऐसा भी कोई नाम होता है? अगर इन्हें मै तुम्हारा नाम बताता तो हंसते तुम्हारे ऊपर।
सुमति- पर मुझे तो कोई प्रॉब्लम नहीं है अपने नाम से।
राजदीप- तुम ये नाम बचपन से सुनती आ रही हो तो तुम्हे प्रॉब्लम नहीं होगा। पर ये भी सच है सुमति नाम से अच्छा तुम अपना नाम सौम्या ही रखलो।
सुमति- मुझे अपना नाम नहीं बदलना। ?
राजदीप- अभी इस नाम वाम के चक्कर को छोड़ो और पार्टी enjoy करो।

राजदीप सुमति को अपने कुछ फ्रेंड्स से मिलवाता है। जो पुनिश और उसके कॉमन फेंड्स है। ज्यादातर गेस्ट्स आ चुके थे और डीएसपी सर भी अपने गेस्ट के साथ ऊपर आ चुके थे। उन्होंने पुनिश को केक कट करने के लिए कहां। सब लोग पुनिश के आसपास घेरा करके खड़े रह जाते है। जब केक कट हुआ तभी रिया और चिंटू वहा पहुंच गए। घेरे के कारण सुमति और चिंटू एकदुसरे को नहीं देख पाए। धीरे धीरे पार्टी का दौर शुरू हो गया। राजदीप सुमति और कुछ फ्रेंड्स के साथ एक कौने में खड़ा था। रिया, चिंटू और पुनिश के साथ खड़ी थी। चिंटू को उन दोनों की बातों में कोई दिलचस्पी नहीं थी तो वो इधर उधर देखने लगा। तभी उसकी नजर सुमति पर पड़ती है और वह उसे देखता ही रहता है। यह देख पुनिश उससे कहता है- क्यू जनाब होश उड़ गए न उसे देखकर?
चिंटू झेंपकर बोलता है- क्या?
पुनिश- अरे! वो लड़की जो राजदीप के साथ खड़ी है उसे देखकर होश उड़ गए न तुम्हारे वहीं कह रहा हुं।
रिया उस और देखती है और कहती है- चिंटू ये तो वही है न जब हम चाय पीने गए तब मिले थे।
चिंटू- हा, इसलिए ही देख रहा था।
पुनिश- ओह! पर मानना पड़ेगा। यहां सभी लड़कियों में वह अलग लग रही है, सादगी से परिपूर्ण। बाकी सबको देखो, कितनी स्टाइलिश है। और वह एक...?।
रिया- ओ हैलो! यहां और भी लोग है इससे भी खूबसूरत। जरा नजर इधर उधर दौड़ाओ।
पुनिश- अरे बाबा, तुमसे ज्यादा नहीं है कोई खूबसूरत यहां। रिया और पुनिश के पापा बचपन के दोस्त है तो उसी हिसाब से रिया और पुनिश में भी दोस्ती थी।

बाते चल रही थी तब चिंटू का कलेजा फटा जा रहा था सुमति के बारे में जो कुछ भी पुनिश कह रहा था वह सुनकर। वह तय नहीं कर पा रहा था कि उसे जलन हो रही है या उसकी फ्रेंड के बारे में वह सुन नहीं पा रहा था। वह सोच रहा था पहले यह राजदीप ओर अब बाकी रह गया था तो ये भी आ गया सुमति का गुणगान गाने। बार बार उसकी निगाहें सुमति पर ही जाकर अटकती थी। सच में आज वह लग तो अच्छी ही रही है, मैंने पहले उसे कभी इस तरह तैयार होते नहीं देखा है। वह अपनी मन की विडंबना में था और सुमति अब राजदीप और उसके फ्रेंड्स के साथ खुलकर बाते कर रही थी।

सुमति भी चिंटू को देख लेती है। वह भी बार बार उसे देख रही है, आखिर वह उसका पहला प्यार जो है। राजदीप ने सुमति को कहां- डिनर कर ले?
सुमति ने भी हां में जवाब दिया और दोनों अपने फ्रेंड्स के साथ प्लेट लेने चले गए। उसे देख चिंटू भी रिया को बोलता है खाना खा लेने के लिए। दरअसल वह मौका ढूंढ़ रहा था सुमति से बात करने का। जब सुमति प्लेट में सब्जी ले रही थी तभी पीछे से राजदीप का धक्का लग गया और सब्जी प्लेट के बदले उसकी ड्रेस पर गिर गई।
राजदीप- ओह! सोरी सुमति। मेरे पैर में ये लाइट का केबल अटक गया था तो गलती से तुम्हे धक्का लग गया।
सुमति- कोई बात नहीं, मै इसे साफ कर देती हुं।

पुनिश ने देखा के सुमति का ड्रेस खराब हुआ है तो वह तुरंत उसके पास आ जाता है और कहता है- अरे सौम्याजी आपकी ड्रेस खराब हो गई। एक काम कीजिए नीचे मेरे घर पर चली जाईए। वहां ठीक से साफ कर दीजिएगा।
सुमति- नहीं, इतनी भी खराब नहीं हुई। मै यही टिश्यू से साफ कर देती हुं।
पुनिश- अरे शर्माइए मत। ड्रेस में दाग लग जाएगा।
सुमति- ब्लैक ड्रेस में दाग नहीं दिखेगा पुनिशजी। आप फिक्र न करे।
पुनिश- राजदीप देख क्या रहा है अपनी फ्रेंड को लेकर जा नीचे और हेल्प कर ड्रेस क्लीन करने में।
पुनिश के जोर देने से राजदीप सुमति को लेकर नीचे उसके घर चला जाता है। घर पर पुनिश की मम्मी थी। राजदीप ने उन्हें बताया- आंटीजी मेरी फ्रेंड की ड्रेस खराब हुई है तो वॉशरूम में साफ करने आई है।
पुनिश की मम्मी- बेटा, इसे जल्दी से वॉशरूम दिखादे। और मै टैरेस पर जा रही हुं, कोई जरूरत हो तो बता देना।
राजदीप- ठीक है आंटीजी। और घर को लॉक करू या खुला ही रखना है?
आंटीजी- वैसे अभी में पुनिश की दादी को नीचे ही भेज रही हुं। वह ज्यादा देर वहा बैठ नहीं पाएगी तो घर लॉक मत करना। जब मम्मीजी आजाए तब तुम दोनों ऊपर आ जाना।
राजदीप- ठीक है आंटीजी मै यही पर हुं।
पुनिश की मम्मी टैरेस पर चली जाती है और सुमति बाथरूम में अपनी ड्रेस साफ करने चली जाती है।

कुछ देर में सुमति बाहर आती है। तो राजदीप उसके गीले हाथ पोंछने के लिए अपना रुमाल देने जाता है। ड्रॉइंगरूम में कालीन बिछाया हुआ था तो सुमति का पैर उसमे अटकता है और वह पीछे गिरने वाली होती है। तभी राजदीप उसे कमर से पकड़ लेता है। दोनों की नजरें एक दूसरे को देखने लगती है और राजदीप का ध्यान उसके माथे पर लगी बिंदी पर जाता है। वह सुमति की बिंदी जगह धीरे से चूम लेता है। सुमति की आंखे बंद हो जाती है। उसी वक्त चिंटू टैरेस से वॉशरूम जाने का बहाना करके नीचे आता है और वह राजदीप और सुमति को देख लेता है। जब राजदीप सुमति को लेकर नीचे जा रहा था तब चिंटू ने उन्हें देखा था। वह उनके पीछे पीछे जाना चाहता था पर रिया ने उसे रोक लिया था। जब उससे रहा न गया तो वाशरूम का बहाना करके नीचे आ गया था। राजदीप को सुमति के सिर पर चूमता देख वह अपना आपा खो बैठता है और अंदर आकर राजदीप का कोलर पीछे से पकड़कर उसके मुंह पर एक मुक्का दे मारता है। सुमति यह देख डर से पीछे हट जाती है पर जब चिंटू दुबारा राजदीप पर हमला करने जा रहा है तो सुमति गुस्से से उसका नाम लेकर चिल्लाती है- चिंटू... ये क्या कर रहे हो तुम? छोड़ो राजदीप को।
चिंटू सुमति के चिल्लाते ही रुक जाता है और कहता है- इसकी हिम्मत कैसे हुई तुम्हे छूने की?
सुमति- वो मुझे कुछ भी करे, तुम होते कौन हो ये पूछने वाले?
चिंटू- ये तुम क्या कह रही हो? तुम मेरी बेस्ट फ्रेंड हो और यह...।
सुमति बीच में ही गुस्से से बोल पड़ती है- बेस्ट फ्रेंड? नहीं, तुम्हारे और मेरे बीच में कोई रिश्ता नहीं है। इतने टाइम से हम एकदुसरे की तरफ देख भी नहीं रहे है या बात भी नहीं कर रहे है तो काहेका बेस्ट फ्रेंड? बेस्ट तो क्या तुम मेरे फ्रेंड भी नहीं हो अब।
चिंटू- उस रात को भूल जाओ सुमति। मै मानता हुं गलती मेरी थी पर अब मुझे उसका पछतावा है।
सुमति- पछतावा? यह पछतावा नहीं, जलन है। तुम चाहते हो तुम्हारे सिवा मै किसी और से न मिलू या बात करू?
चिंटू- मैंने ऐसा कब कहां पर..
सुमति- पर बर कुछ नहीं। मै कभी तेरी लाइफ में दखलंदाजी नहीं करती हुं तो तुम भी मेरी लाइफ में दखलंदाजी मत करो, समझें?
चिंटू- तु भोली है सुमति, किसी भी एैरे गैरे के साथ चली जाती हो कहीं भी।
सुमति- भोली थी पहले, अब नहीं। और राजदीप कोई एैरा गैरा नहीं है। वह मेरा फ्रेंड है जो मेरी हर बात समजता है। तुम्हारे साथ तो मै बचपन से थी फिर भी तुम मुझे नहीं समझ पाए। क्योंकि तुम्हारे आंखो में बड़ा आदमी बनने की पट्टी जो पड़ी है। और इसलिए ही तुमने रिया से रिश्ता जोड़ा है।
चिंटू- तुम मेरे बारे में यह सोचती हो?
सुमति- सही सोचती हुं। तुम्हे रिया से नहीं उसके पैसो से प्यार है। जब ये पैसो का बुखार उतर जाए तब देखना कितने अकेले रह जाते हो इस दुनिया में।

चिंटू तमतमाकर सुमति के ऊपर हाथ उठाने जाता है तो राजदीप उसका हाथ पकड़ लेता है और उसे धक्का दे देता है। चिंटू गुस्से में सुमति से कहता है- तु ये मत भूल कि तु हमारे घर में रह रही है। अगर हमने न पाला होता तो पड़ी होती किसी कचरे में।
सुमति- पाला तूने नहीं शारदा मौसी ने है। घर मेरे पास भी है, बेघर नहीं होती अगर तुम ना रखते तो। तुमसे यह उम्मीद नहीं थी के तु ऐसा भी सोच सकता है। अमीरी की पट्टी जो पड़ चुकी है तुझ पर। दम है तो अपने बलबूते पर कुछ करियो। रिया का दामन पकड़कर नहीं।
सुमति राजदीप का हाथ पकड़कर रोते हुए वहा से चली जाती है। चिंटू दोनों को जाता हुआ देख वहीं बैठ जाता है। उन दोनों के जाने के बाद उसे अपनी गलती का अहसास होता है कि मै यह क्या बोल गया उसे। वो सही तो कह रही थी मैंने अपने आप को आगे ले जाने के लिए ही रिया से दोस्ती कि थी। और अबतक उसके सारे नखरे भी उठा रहा हुं

उधर सुमति राजदीप को पार्टी में न जाकर घर चलने के लिए कहती है। तो राजदीप उसे समजाता है- एक इंसान की वजह से दुनिया खत्म नहीं हो जाती। उस इंसान की वजह से हम अपनी खुशियों पर क्यू आग लगाए? तुम कहीं नहीं जा रही, चलो हम टैरेस पर ही जाएंगे। तुम अपना मुंह और मूड दोनों ठीक कर लो।
सुमति- तुम सही कह रहे हो, मै उसकी वजह से अपना मूड क्यों खराब करू। मै कहीं नहीं जाऊंगी। उसे मेरी कोई पड़ी नहीं तो मुझे भी उसकी कोई नी पड़ी, चलो चलते है। वह अपने आंसू पूछकर राजदीप के साथ चल दी।
दोनों टैरेस पर जाते है तभी पुनिश की मम्मी उन्हें मिली और कहा- माफ़ करना बेटा, आपको इंतज़ार करना पड़ा। पर मम्मीजी नीचे जाना नहीं चाहती थी। और मै यहां मेहमानों में उलझ गई थी। नीचे कौन है?
राजदीप- कोई लड़का है, यही पार्टी में ही आया हुआ है। वो वॉशरूम यूज करने गया है।
पुनिश की मम्मी- कोई बात नहीं, मै अभी नीचे किसीको बैठाकर आती हूं।

चिंटू जब ऊपर आया तो रिया उसे पूछती है- कहा गए थे? मै कब से तुम्हे ढूंढ़ रही थी। और ये तुम्हारी आंखें क्यों लाल है?
चिंटू- वो आंख में कचरा चला गया था, उसे ही साफ करने नीचे गया था।
रिया- बताकर नहीं जा सकते थे? मै क्या यहां तुम्हे ढूंढ़ती फिरू?
चिंटू कुछ बोला नहीं। रिया फिर चिंटू के लिए प्लेट में खाना ले आती है। पर चिंटू तबीयत का बहाना बनाकर खाता नहीं है। रिया ने उस पर ध्यान न देते हुए खुद खाने लगती है। चिंटू की नजर सुमति ओर राजदीप को ढूंढ़ रही थी। उन्हें वे दोनों पुनिश के साथ दिखे। दोनों एक ही प्लेट से खाना खा रहे थे। यह देख उसे गुस्सा आ जाता है पर अब कुछ कर नहीं सकता था।

सुमति सबके साथ बातचीत तो कर रही थी पर अंदर ही अंदर उसे भी बुरा लग रहा था। वह भी यही सोच रही थी मैंने कुछ ज्यादा ही चिंटू को सुना दिया। इतने समय का दबा हुआ गुस्सा एक साथ फुट पड़ा। पर अब मै उसे कहने का मौका नहीं देनेवाली कि वे लोग मेरा पालन पोषण कर रहे है। माना के शारदा मौसी और पिया के मन में ऐसा कुछ नहीं है पर अब में चिंटू के साथ एक घर में नहीं रह पाऊंगी। अब बहुत हुआ, मै मेरी नज़रों के सामने उसे किसी और का होते हुए अब नहीं देख पाऊंगी।
उसे सोच मै देख राजदीप उसे पूछता है- किस सोच में डूबी हुई है?
सुमति कोई जवाब ना देते हुए उसे excuse me कहके किसी को फोन करने चली जाती है।

क्रमशः
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