सबूत Dr Narendra Shukl द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

सबूत

सबूत

सुच्चा सिंह , ये तू किन्हें उठा लाया है ? सामने खड़े , दुबले-पतले से दिखने वाले ग्रामीण युवक तथा पास खड़ी , सांवले - मंझोले कद - काठी वाली युवती की ओर इशारा करते हुये इंस्पैक्टर सुमेर सिंह ने अपनी लंबी व तीखी मूंछों को मरोड़ते हुये कहा । ‘

‘सर, ये प्रेमी -प्रेमिका हैं । शिवाजी पार्क के एक कोने में झगड़ रहे थे । ये इस लड़की को जबरदस्ती अपनी साइकिल पर बैठाने की कोशिश कर रहा था । और यह लड़की बार-बार मना कर रही थी । ‘

‘क्यों बे मज़नू की औलाद । कहां भगा कर ले जा रहा था इसे ? बेंत की नोक , युवक के पेट में चुभोते हुये , इंस्पैक्टर सुमेर सिंह पूछा । ‘

‘ . . . इंस्पैक्टर साहब , हम पति - पत्नी हैं । यह हमारी जोरू , रामवती है । मायके जाने की जिदद कर रही थी । और हम कह रहे थे कि ‘बचवा‘ की बोरड की परीक्षा के बाद हम खुद - ब - खुद छोड़ आयेंगे । . मुला , इ समझती ही नहीं । वह रोने लगा । ‘

‘इ हमार मरद ही है हुज़ूर । ठीक कह रहा है । हम , पति - पत्नी ही हैं । हमार भाई की शादी है । राम के पुरवा में । वहीं जा रहे हैं । माई - बाप नाहीं है हुज़ूर । ़ ़ अब हमी सबसे बड़े है । जाना जरूरी है । बस इसी बात पर नोक - झोक हो रही थी हुज़ूर । युवती ने अपने पति की बात का समर्थन किया । ‘

‘ तुम्हारे पास क्या सबूत है कि तुम दोनो , पति - पत्नी हो । इंस्पैक्टर सुमेर सिंह ने सख्ती से पूछा ।‘

‘ सबूत तो कोनो नाहीं है। , , पर माइ कसम हुज़ूर , इ हमार जोरू ही है । युवक ने रोते हुये कहा । ‘

‘ सुच्चा सिंह , मुझे तो यह ‘लव -जे़हाद ‘ का मामला लगता है । दलाल भी हो सकता है । ज़रा तलाशी तो ले इसकी । आजकल यहां पार्कों में अफीम बेचने का धंधा भी जारों वा है । इंस्पैक्टर साहब ने सुच्चा सिंह की ओर इशारा करते हुये कहा । ‘

सुच्चा सिंह ने युवक की धोती व कुर्ते पर हाथ मारा और धोती के एक छोर से निकली , रूमाल की एक पोठली को सामने मेज़ पर रख दिया ।

‘ इसमें क्या है । । इंस्पैक्टर साहब ने बड़े कोतुहल से , युवक की आंखों में आंखें डालते हुये पूछा । ‘

सरकार , ईमा हमार महीने भर की पगार है । आज ही ठेकेदार से मिली रही । बचवा की फीस भरनी है । ‘

इंस्पैक्टर साहब ने पूछा - कितना है ? ‘ उसने ज़वाब दिय - पूरा एक हज़ार रूपइया ।

इंस्पैक्टर सुमेर सिंह के चेहरे पर मुस्कान उभर आई । फौरन पोटली को कब्ज़े में लेते हुये हवलदार सुच्चा सिंह को आदेश दिया - ‘सुच्चा सिंह, इन्हें छोड़ दो । पक्का सबूत मिल गया । ये दोनो पति - पत्नी हैं । ‘

थाने में ठहाके गूंजने लगे और वे दोनों असहाय , आर्द्र आंखों के साथ थाने से बहार निकल आये ।

- डा. नरेंद्र शुक्ल