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नवोदय

नवोदय

रामसिंह बहुत संपन्न परिवार से थे, उनका भारतीय पुलिस सेवा में चयन हो जाने से वे अत्यंत प्रसन्न थे क्योंकि जनता की सेवा की कामना उनके मन में बचपन से ही थी। वे बहुत ही कुशल, ईमानदार, साहसी एवं विनम्र व्यक्तित्व के धनी माने जाते थे। एक बार अचानक ही भूकंप आने से धरती दहल गई इससे जानमाल के नुकसान के साथ साथ बहुत बड़ी आर्थिक क्षति भी जनता को हुई।

इसकी गंभीरता को देखते हुये, सेवा को कार्य को और गति प्रदान करने के लिए रामसिंह की नियुक्ति भूकंप प्रभावित क्षेत्र में की गई। वे दिन रात अपने साथियों के साथ बचाव कार्य में लगे रहते थे। भूकंप की गंभीरता को देखते हुये सेना को भी मदद के लिए बुलाया गया था। रामसिंह ने देखा और महसूस किया कि सेना के जवान प्राकृतिक आपदा के हालात में बचाव कार्य हेतु पूर्ण रूप से प्रशिक्षित है। जिसके कारण वे बहुत तेजी से हालात संभालते जा रहे थे, जबकि रामसिंह के सभी साथी इस प्रकार के हालात से जूझने के लिए प्रशिक्षित नही थे और उन्हें बचाव कार्यों में अत्यंत कठिनाई का सामना करना पड़ रहा था।

रामसिंह रात में अपने कैंप में विश्राम हेतु जब लेटे हुये थे तो उनके मन में विचार आया कि हमारे देश के नागरिकों को भी प्राकृतिक आपदाओं के समय बचने की प्राथमिक शिक्षा का ज्ञान अवश्य होना चाहिए। सेना जिस प्रकार से इसमें निपटने में सक्षम है उसी प्रकार से सभी को ऐसी विषम परिस्थितियों से निपटने का प्रषिक्षण मिलना चाहिए। हमारे देश में ऐसी प्राकृतिक आपदायें प्रतिवर्ष आती हैं जिससे काफी जानमाल का नुकसान होता है। कुछ समय पश्चात रामसिंह का बचाव दल वापस अपने गृहनगर लौट आता है। रामसिंह के मनोपटल पर भूकंप की भयानकता के दृश्य अभी भी घूम रहे थे और वह चैन से नही सो पा रहा था।

रात्रिभर विचार मंथन करने के पश्चात वह एक निश्चय पर पहुँच गया कि आम जनता के लिए ऐसा प्रशिक्षण संस्थान होना चाहिए जहाँ प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए सामान्य जानकारी एवं प्रशिक्षण प्रदान किया जाये। उसने इसकी कार्ययोजना बनाकर शासन की सहमति से ऐसे केंद्र का निर्माण किया और सेना की सहायता से आम नागरिकों को प्राकृतिक आपदा के समय बचाव एवं राहत कार्य के लिए प्रशिक्षित करना प्रारंभ कर दिया। कुछ माह में रामसिंह के संस्थान में काफी लोग जुड गये जो कि प्राकृतिक आपदा के समय सेना एवं प्रशासन के साथ उनका सहयोग करते थे। इन प्रशिक्षित लोगों के कारण बचाव कार्य में अभूतपूर्व तेजी आने लगी जिस कारण रामसिंह के संस्थान को बहुत प्रसिद्धि मिलने लगी।

ऐसे प्रशिक्षण की उपयोगिता को समझते हुए प्रषासन द्वारा विभिन्न स्थानों एवं शिक्षा संस्थानों में भी इसके प्रशिक्षण शिविर आयोजित होने लगे। इस संस्थान की उपयोगिता को देखते हुए देश भर में इसकी प्रसिद्धि फैलने लगी और जगह जगह ऐसे प्रशिक्षण केंद्र खुलने लगे। रामसिंह के इस प्रकार के प्रयासों को देखते हुये उन्हे सरकार द्वारा सम्मानित किया गया। यदि हमारे मन में दूसरों के हित की भावना सेवा के भाव हो तो साधन उपलब्ध होकर सफलता अवश्य प्राप्त होती है।

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