भाग – ३६
कोलेजमें पुलिस आते देखकर सरगमने जल्दी से दादाजी और झिलमिल को कुछ कहा और वो चिठ्ठी लेकर पीछे के दरवाजे से निकल गई | वो पहले अपने रूम में गई और अलमारी में रखी मोती की माला निकाली जो सूरजने सुगम को दी थी | सुगम घर पर थी, सरगम को वो मोती की माला देखती हुई देखकर सुगम बोली, ‘मम्मी ये तो सूरज अंकल तुम्हारे लिए लाये थे...!’
सरगम का ध्यान वो माला में ही था, उन्होंने उस माला के कुछ मोती को गीना और फिर उस माला को तोड़ दी | मम्मी को ऐसा करते देखकर सुगम उनके पास आ गइ और डांटने लगी, ‘कितनी अच्छी माला थी और तुमने तोड़ दी |’
सरगमने सुगम की बात पर ध्यान नहीं दिया और उनमे से कुछ मोती संभालकर अपनी जेब में रख लिये और वहा से जाने लगी | सुगम भी फ़र्स पर गीरे दुसरे मोतीओ को इकठ्ठा करने लगी |
सरगम कोलेज के बहारी गेट पर आई | कोलेज के बहार छोटू अभी भी खड़ा था | सरगम को ऐसे आते देखकर छोटूने उसको रोका और कहा, ‘ मेरा सूरजभैया कहा है ?’
‘मुझे पता नहीं है, उन्हें कही से भी ढूंढना पड़ेगा वरना आखरी सच उसे कभी नहीं पता चलेगा |’ सरगम इधर उधर देख रही थी और फिर उसे कुछ याद आया तो छोटू के सामने देखकर कहा, ‘वो एक लड़की आई थी वो कौन थी ? मैंने तुमको उसके पीछे जाते हुए देखा था |’ सरगमने जैसे ही पूछा तो छोटू थोडा घबडा गया और बोला, ‘नहीं, मैं कीसी से नहीं मिला....!’
‘छोटू तुम सच बोलो, सूरज की जान को खतरा है....! ये सच उन तक पहुचना जरुरी है | भगवान न करे की उसको कुछ हो जाए, मुझे किसी की तलाश है की हमें मदद करे |’ सरगमने ऐसे कहा की छोटू को लगा की सच कहना जरुरी है तो उसने गुलाबो का नाम दिया |
‘ये गुलाबो कहाँ मिलेगी ?’ सरगमने जल्दी पूछा |
‘मैं आपको उनके पास ले जाता हूँ...!’ छोटू तुरंत सरगम को साथ ले के उस चाय की दूकान ले गया |
गुलाबो वहा पर ही थी | छोटू और सरगम दोनों को साथ देखकर वो चौंक गई | वो कुछ कहे उससे पहले सरगम बोली, ‘गुलाबो, मैं तुम्हे नहीं पहचानती मगर यदी सूरज के बारे में कुछ भी जानती हो तो मुझे सच बताओ, मुझे उनसे मिलना जरुरी है | पुलिस का भरोसा मैं नहीं कर शकती इसलिए तुम्हारे पास आई हूँ |’
‘मगर मैं क्या कर शकती हूँ ? मुझे भी पता नहीं की सूरज है कहाँ ?’ गुलाबो बोली |
सरगमने गुलाबो से कहा, ‘मैंने देखा तो शायद मुस्ताक ही उस कार में था | वो उसे कही ले गया है !’ सरगमने जैसे ही मुस्ताक का नाम दिया तो गुलाबो कुछदेर सोचने लगी | ‘मुस्ताक था तो वो अनवर ही उसे ले गया है.... और वो उसे डी के के पास ले जायेगा...!’ गुलाबोने अंदाजा लगा लिया |
‘कौन है ये अनवर और डी के...? और वे सूरज के पीछे उस हीरे के लिए ही है न ?’ सरगम के मुंह से हीरे की बात निकलते ही गुलाबो उसकी ओर देखने लगी और कहा, ‘तुम जानती हो उस हीरे के बारे में ?’
‘तुम पहले मुझे सूरज से मिला दो, मैं कई सारी बात पहले उन्हें बताना चाहती हूँ..!’ सरगमने तुरंत जवाब दिया |
गुलाबोने फोन लगाया, ‘हा, अनवर तुम सूरज को कहा ले गए हो ? डी के अभी मिलना चाहता है |’
‘मगर उसने तो कल बोला था...!’ सामने से अनवर की आवाज आई |
‘उसे कुछ जल्दी है, मैं उसे लेकर वहा आ रही हूँ, तुम कहा हो ?’ गुलाबोने अनवर को जवाब देने के लिए मजबूर किया | ‘वो खंडहर के पीछेवाली रूम में... मगर ध्यान से पुलिस को पता न चले....!’ अनवरने फोन काट दिया |
गुलाबो और सरगम उस जगह जाने के लिए निकल ही रहे थे तभी सामने इन्स्पेक्टर तेजधार मिला | तेजधार को देखकर ही दोनों रुक गए |
‘ओह्ह आह गो गुलाब और गुलशन दोनों साथ है...! वाह, मजा आ गया...!’ तेजधारने दोनों की ओर देखकर कहा | मगर दोनों तेजधार को बिना जवाब दिए उधर से निकल गए | तेजधार उनके पीछे देखने लगा और दोनों के कदमो की तेज गति से मन ही मन बोल पड़ा, ‘कुछ तो गरबड है, वरना ये दोनों ऐसे साथ नहीं जाते...!’ उसने पुलिसथाने पर फोन लगाया | वहा से पता चला की इन्सपेक्टर पूरणसिंग संगीत कोलेज गया है और उन्होंने वहा से सूरज को किसीने किडनैप किया है वैसी रिपोर्ट लिखाई है |
तेजधारने उनको पता न चले ऐसे उनका पीछा करना शुरू किया |
********* ********
सूरज भी नहीं जानता था की उसे कहा ले जा रहे है और धीरे धीरे उसे होंश आ रहा था | आखीर उसे एक जगह बिठाया गया और उसके मुंह पे लगाया हुआ कपड़ा हटाया गया | सूरज की आँखे अभी भी दवाई के असर के कारण ढली हुई थी | वो धीरे धीरे होंश में आ रहा था | जिस रूम में सूरज को रखा गया था उसमे घना अँधेरा था |
‘मैं कहा हूँ .... ? मुझे यहाँ क्यूँ लाये हो....?’ सूरजने लड़खड़ाते शब्दों में कहा |
‘वो तो तु भी जानता है की तुम्हे यहाँ क्यों लाया गया है ? डी के तुम्हे आखरीबार मिलना चाहता है | तुमने बहुत वक्त लिया है, अब हमारे सब्र का इम्तहान ख़त्म हो चूका है |’ कीसी की आवाज पीछे से आई मगर सूरज उसका चहेरा देख नहीं पा रहा था |
‘कौन है वहां ?’ सूरजने पूछा |
‘तेरे पास जो हीरे है वो हमें दे दे वरना आज तुम्हारी जिन्दगी का आखरी दिन है |’ उस पीछे खड़े आदमी ने पीछे से ही डरावनी आवाज से कहा |
‘मुझे नहीं पता की हीरे कहाँ है ?’ सूरजने जैसे ही ये कहा तो उसने सूरज के पीछे से ही पीठ पर एक भारी चीज से फटका मारा और सूरज के मुंह से दर्द की आह निकल गई |
‘देख अब यहाँ तुझे न तो छुडानेवाला कोई है, या न तो तुझे जिन्दा रखने में हमें ज्यादा दिलचश्पी...!’ वो अब ज्यादा डरावनी आवाज से सूरज को चेतावनी दे रहा था |
‘मुझे तुमसे एक जरुरी बात करनी है... पहले मेरे हाथ छोडो..!’ सूरजने अब कोई जल्दबाजी नहीं की और हल्की आवाज में कहा |
सूरज की बात का उन पर कोई असर नहीं हुआ मगर जो पीछे से डरा रहा था वो अब आगे आया | सूरजने उसको देखने के लिए अपनी आँखों पर जोर दिया | अब वो अच्छी तरह से दिख रहा था | सूरजने उसे देखते ही कहा, ‘ओह्ह... अनवर...!’
‘तो तुझे मेरी शक्ल याद है ?’ अनवरने कहा |
‘वो मैं कैसे भूल शकता हूँ..! तुम मुझे ये दूसरी बार पकड़ के लाये हो...!’ सूरजने जैसे ही ये कहा तो अनवर मुश्कुराया और बोला, ‘तेरी आँखे और दिमाग तो ज्यादा तेज है | उस दिन हालत भी तेरी ओर थे और वक्त भी कम था, मगर आज हालात भी अच्छे है और काफी वक्त भी है...!’ अनवरने अब सूरज को गले से पकड़कर उसकी आँखों में घूरने लगा |
‘अनवर, तुझे हीरे चाहीए और मुझे जाननी है सच्चाई की मुझे फंसानेवाला कौन था ?’ सूरजने अनवर की आँखों में देखकर कहा |
सूरज की ये बात सुनकर वो जोरो से हंसने लगा और बोला, ‘इतनी सी छोटी बात के लिए हमें तड़पा रहा है ? तेरी ये ख्वाहिश तो मैं अभी पुरी कर शकता हूँ |’
अनवर कुछ आगे कहे उससे पहले पीछे खड़े दुसरे आदमीने कहा, ‘सूरज तुम जल्दी सच बता दो, वरना ये लोग कोलेज से संगीत प्रतियोगिता में जानेवाले पुरी टीम को किडनैप करनेवाले है और उनके साथ काफी सारा ड्रग्स भेजनेवाले है, ये सौदा तुम्हारे नाम से होगा और तुम ज्यादा बुरी तरह से फंस जाओगे |’
सूरजने उस आवाज को पहचान ली हो ऐसे कहा, ‘ओह्ह, मुस्ताक अब तुम भी इनके जैसा हो गया है |’
‘हां, तुम जैसा बनाता तो मेरी जिन्दगी के नसीब में सलाखे होती या बदतर जिन्दगी...!’ मुस्ताक भी ये कहता हुआ सूरज के पास आया |
सूरज कुछदेर खामोश रहा और कहा, ‘तुम कब तक बचोगे मुस्ताक ? तुम्हे कईबार अच्छाई के रास्ते पर चलने का मौका मिला फिर भी तुम नहीं समझे | मैं डी के की जगह तुम्हे हीरे दे दू तो मुझे कुछ सच्चाइया बता सकते हो मुस्ताक ?’
‘क्या ?’ मुस्ताकने कहा |
‘तुमने गुंजा और श्रीधर को क्यूँ मारा, श्रीधर तो तुम्हारा दोस्त था ?’ सूरज ने चिल्लाके कहा |
‘वो मेरा दोस्त नहीं था, वो मेरी गुलशन को ले गया था, उसने मेरी गुलशन को मुझसे दूर किया था |’ मुस्ताक भी सूरज के सामने जोर से चिलाया |
गुलाबो सरगम को ले के इस रूम में पहुँच चुकी थी | अँधेरे की वजह से अनवर और मुस्ताक इन दोनों को देख नही शकते थे, वे इन तीनो की बाते सुनने के लिए कुछदेर रुके |
तेजधार भी अब उनका पीछा करते हुए यहाँ तक आ पहुंचा था | ये इलाका अब तेजधार का था इसलिए उसने बहार खड़े गुंडे को तो बेदर्दी से यमसदन पंहुचा दिया था | तेजधार की बन्दूक से निकली गोली तेज, सही निशाने पर लगनेवाली और खामोश थी |
बड़े कमरे के अंधेरे में अब छह लोग थे | तेजधार दूर से सब को देख रहा था |
मुस्ताक और सूरज की बाते सुनकर अनवर भी बोला, ‘सूरज, आज तेरी सच जानने की आखरी इच्छा भी पुरी कर देता हूँ | सही में हमने वो हीरे श्रीधर को दिए थे और वो हमें कह रहा था की वो तो मैंने सूरज को दिए थे | उसवक्त तुम्हारे पास से कुछ मिला नहीं था तो श्रीधर को हमने कई बार टॉर्चर किया मगर वो यही कहता रहा की वो तुम्हारे पास ही है | एक सच बात की उस दिन श्रीधर का जो एक्सीडेंट हुआ था वो मैंने ही करवाया था, मैं उसे डराना चाहता था | मगर वो एक्सीडेंट ज्यादा भयानक हो गया था | मैंने देखा की उस कार में श्रीधर और गुंजा दोनों मरे नहीं थे तो मैंने उसे वही पर ही फिर से मारने की धमकी दे के चला गया...! मैं दूर खड़ा देख रहा था की अब वे दोनों क्या करेंगे? मगर तभी सुलेमान और मुस्ताक दोनों उधर आये | मुझे लगा की ये इन दोनों को बचा लेंगे मगर ये तो हमारे बाप निकले | इन दोनोंने वही पर उन दोनों को मार के फिर से कार के अन्दर रख दिया | सूमसाम जगह थी, इन दोनों को लगा की उसे देखनेवाला कोई नहीं मगर मैं ये देखकर हैरान हो गया की एक बाप अपनी बेटी को क्यूँ मार रहा है ?’
‘वो उसकी बेटी नहीं थी और तुम दोनों को इसकी सजा मिलेगी | ’ सूरज चिल्लाया |
‘अभी कुछ ही देर में हमारे बोस यहाँ आ रहे है तुम्हे तब तक जीने की मैं महोलत देता हूँ | यदी तबतक तुम कुछ भी नहीं बताओगे तो तुम्हारा भी हाल उस श्रीधर के जैसा ही होगा |’ अनवरने भी सूरज की चीख को दबाने के लिए जोर से मारते हुए कहा |
‘तेजधार और तुम्हारी दुश्मनी क्यों हुई ? और गुड्डी कौन है ?’ सूरजने मार खाते खाते हुए भी सच जानने की कोशिश की |
सूरज की ये बात सुनकर अनवर रुक गया और बोला ‘वो साल्ला, हरामी इसी के तो पैसे मांग रहा था | सुलेमानने श्रीधर और गुंजा का केस निपटाने के लिए उसको बारबार पैसे दे रहा था | उसका पेट भर नहीं रहा था, इसलिए उसे भी बता दिया की सुलेमान और अनवर से दुश्मनी क्या होती है ? उस हरामजादे को उसकी औकात दिखाने के लिए उसकी बेटी गुड्डी को हॉस्टल से उठा लाये और...!!’
क्रमश : .....