The Author Sarvesh Saxena फॉलो Current Read पांच दिन - अंतिम भाग By Sarvesh Saxena हिंदी डरावनी कहानी Share Facebook Twitter Whatsapp Featured Books तेरी मेरी यारी - 9 (9)केस ज़रा भी आगे नहीं बढ़ पा रहा था। इससे इंस्पेक्ट... मंजिले - भाग 1 (1) -----लम्बी कहानी एपिसोड टाइप ------ ---... You Are My Choice - 34 जैसे ही रॉनित अपने होटल रूम से बाहर निकला तो उसने समाने खड़ी... संवाद (नैतिकता अनैतिकता के प्रश्नों को रेखांकित करती पौराणिक प्रसं... डेविल सीईओ की स्वीटहार्ट भाग - 74 अब आगे,जब राजवीर ने कहा कि रूही ने उस के दिमाग में अपनी एक अ... श्रेणी लघुकथा आध्यात्मिक कथा फिक्शन कहानी प्रेरक कथा क्लासिक कहानियां बाल कथाएँ हास्य कथाएं पत्रिका कविता यात्रा विशेष महिला विशेष नाटक प्रेम कथाएँ जासूसी कहानी सामाजिक कहानियां रोमांचक कहानियाँ मानवीय विज्ञान मनोविज्ञान स्वास्थ्य जीवनी पकाने की विधि पत्र डरावनी कहानी फिल्म समीक्षा पौराणिक कथा पुस्तक समीक्षाएं थ्रिलर कल्पित-विज्ञान व्यापार खेल जानवरों ज्योतिष शास्त्र विज्ञान कुछ भी क्राइम कहानी उपन्यास Sarvesh Saxena द्वारा हिंदी डरावनी कहानी कुल प्रकरण : 4 शेयर करे पांच दिन - अंतिम भाग (80) 4.2k 12.1k 2 कहानी के पिछले भाग मे आपने पढ़ा कि नेहा बताती है कि वो नर जानवर और कोई नहीं उसका भाई है जिसे उसकी माँ ने काली शक्तियों. से पैदा किया था, जो हर पांच दिन मे एक शिकार ढूंढता है, वरदान और नेहा उसे मारने के लिए योजना बनाते हैं lअब आगे.... यह कह कर वरदान नेहा को कुछ बता कर बाहर चला गया l नेहा ने एक बैग तैयार किया l वरदान ने भी गाड़ी मे बहुत सी काम की चीज़ें रख ली और यह सब लेकर वह घर से जंगल की ओर निकल पड़े, बहुत दूर चलने के बाद उन्हें एक जहरीला सांप मिला पर नेहा उसे मार कर आगे बढ़ गई, अचानक एक पेड़ की आड़ में कुछ सरसराहट हुई तो उन दोनों ने देखा एक कुत्ते की पूंछ दिखाई पड़ी, वरदान ने कुत्ते को तीर मारा तो देखा वो तो जंगली कुत्ता है, तीर लगने से कुत्ता चिल्लाने लगा और देखते देखते वहां पर कुत्तों का झुंड जमा हो गया, नेहा पूरी तरह से कुत्तों के बीच फंस चुकी थी, कुत्ते उस पर झपटने ही वाले थे कि तभी एक तेज गाड़ी बीच में आ गई और झट से नेहा उसमें बैठ गई, गाड़ी में वरदान था कुत्ते गाड़ी के पीछे भागने लगे तब वरदान ने कुत्तों के बीच बहुत सी खाने पीने की चीज़ें डाल दीं, जिस से कुत्तों मे भयानक लड़ाई होने लगी, पूरे जंगल में शोर मचा था, वह दोनों गाड़ी में बैठे चारों ओर देख रहे थे कि वो नर जानवर जो एक कुत्ता भी है कुत्तों के शोर से वहां जरूर आएगा, मगर बहुत देर तक राह देखने के बाद उन्हें यह प्लान फेल होता लग रहा था क्योंकि आधे से ज्यादा कुत्ते मारे गए थे पर वह नहीं आया था, दोनों कुछ और करने के लिए सोचने लगे क्योंकि वक्त कम बचा था तभी अचानक तेज़ सांस लेने की आवाज सुनाई पड़ी दोनों ने चौक कर इधर-उधर देखा कोई नहीं दिखा, दोनों गाड़ी से उतर गए दूर-दूर तक कोई नहीं दिखा नेहा बोली, "शायद हमें ऐसे ही लगा होगा", तभी वरदान चिल्लाया क्योंकि वह नर जानवर गाड़ी के ऊपर ही था, वह दोनों भागने लगे नर जानवर उन को मारने के लिए पीछे पीछे भागने लगा नेहा बैग ढूंढने लगी और नर जानवर बोला, "मुझे मारने आए हो, मुझे कोई नहीं मार सकता, तुम भी नहीं, मैं तुम दोनों को मार डालूंगा" यह कहकर वो कुत्तों की तरह तेज़ तेज़ आवाजे निकालने लगा तभी नेहा ने वरदान की तरफ इशारा किया तो वरदान ने नर जानवर का ध्यान भटकाया, इतनी देर मे नेहा ने और उसने गाड़ी से माचिस निकाली और गाड़ी में आग लगा दी कुछ ही देर में ब्लास्ट हो गया हो गया और गाड़ी के परखच्चे उड़ गए , जंगल में चारों और आग लग गई, पर जानवर बच गया जला नहीं, अब वो और भी झुंझला गया था, वो उन दोनों पे झपटा तो वरदान ने नेहा से कहा, "तुम भाग जाओ, वरना ये हम दोनों को मार देगा" l ये सुनकर नेहा दूसरी तरफ जंगल मे भाग गई, नर जानवर वरदान के पीछे भागने लगा, आग भी चारों ओर फैल गई थी, वरदान उस आदमखोर से लड़ता रहा, काफी देर तक लड़ाई चलती रही, इधर नेहा भागते भागते एक जगह रुकी तो देखा कि एक पुरानी झोपड़ी थी, वो मदद के लिए उस मे चली गई, अंदर जाके देखा तो वो हैरान रह गई उस झोपड़ी मे उसकी और उसकी माँ की एक तस्वीर लगी थी, वो झोपड़ी किसी और की नहीं उसकी माँ की थी, वो कुछ कपड़े, तंत्र मंत्र का समान और कुछ बर्तन देख रो पड़ी, उसे आखिरी बार देखा माँ का चेहरा याद अगया, उसकी माँ ने अपने वो आठ महीने और नर जानवर के पैदा होने के बाद से मौत तक का समय यही गुजारा था l उसने चारों ओर देखना चालू किया कि क्या पता उस नर जानवर को मारने का कोई उपाय मिल जाए, उसने एक बक्सा देखा और जल्दी से खोला, बक्सा खोलते ही उसमे एक और तस्वीर मिली जो एक बच्चे की थी जो बहुत खामोश था, अब उसे समझ आया कि माँ ऐसा सुन्दर बच्चा चाहती थी लेकिन, तभी एक किताब मिली जो उसकी माँ ने लिखी थी, नेहा वो किताब लेकर जंगल की और दौड़ गई l जंगल मे उस नर जानवर ने वरदान की गर्दन पकड़ ली और उसे नीचे दबाकर हंसने लगा, इससे पहले कि नर जानवर वरदान को मार देता, नेहा तेज़ से चीख पड़ी और उसने हवा मे गोली चलाई, वरदान को कुछ समझ नहीं आया कि तभी धड़ाम से कुछ गिरा और नर जानवर की गर्दन कट कर उधर जा गिरी, वरदान आश्चर्य मे पड़ गया तो नेहा बोली, गाड़ी की दरवाजा ब्लास्ट की वजह से ऊपर पेड़ पे जा टंगा था, तुम्हें इस हालत मे देख मुझे कुछ नहीं सूझा और मैंने उस गाड़ी के दरवाजे पे गोली मारी तो वो डाल से छूट कर नीचे आ गिरा सीधा उस शैतान की गर्दन पर ", वरदान बोला," चलो अच्छा ही रहा, अब हमे यहां से भाग लेना चाहिए ", नेहा ने तभी कहा कि नहीं अभी ये मरा नहीं, इस किताब मे लिखा है कि जब तक इसका सर काट कर उसके धड़ मे एक कुत्ते का सिर नहीं लगाया जाएगा जब तक ये ऐसे ही काटने के बाद भी जुड़ जाएगा" l नेहा और वरदान कुछ और सोचते उस से पहले वो नर जानवर का धड़ उठा और अपना सिर ढूंढने लगा जिसे देख वो दोनों घबरा गए l वरदान ने उस नए जानवर को कास कर पकड़ लिया और नेहा दूसरे कुत्ते का सिर ढूंढकर के आई, नेहा ने किताब खोलकर मंत्र पढ़ना शुरू किया कि तभी नर जानवर का सिर हंसता हुया उड़ता हुआ आया, जंगल में आग इतनी तेज़ हो गई थी कि अब रुकना मुश्किल हो रहा था, नर जानवर बौखला रहा था, मंत्र खत्म होने ही वाला था कि वहाँ पर एक दम वो बुढ़िया प्रकट हो गई और बोली, "मार दो इसे नेहा बेटी, और मुझे भी माफ कर दो मैंने इसे जन्म के बाद मारने की बहुत कोशिश की लेकिन इसने मुझे ही अपना गुलाम बना लिया और मुझसे अपना काम कराता रहा और मेरी ये हालत की कि मैं मारकर भी मुक्त नहीं हो पाई" ये सुनते ही नर जानवर का सिर उछलकर अपने धड़ मे लगने ही वाला था कि वरदान ने एक कुत्ते का सिर उस धड़ मे लगा दिया, मंत्र पूरे हो चुके थे, सिर लगाते ही एक धमाका हुआ, वो बुढ़िया वहाँ से गायब हो गई थी धमाके के साथ खौफनाक आवाजें उठती गई और धुएँ मे एक तस्वीर उभर कर आई तो वरदान चिल्लाते हुए बोला, "ये तो वही बच्चा है, चले जाओ, छोड़ दो मुझे" l कुछ पल बाद वहा चारों ओर धुआं ही धुआं था, हर तरफ उस नर जानवर के शरीर के छोटे टुकड़े पड़े थे l नेहा और वरदान एक दूसरे के गले लग कर चारों तरफ देख रहे थे, अब वरदान के पांच दिन खत्म हो चुके थे और उस पर से वो शैतानी साया भी हमेशा के लिए खत्म हो चुका था l नेहा और वरदान जंगल से बाहर निकले और घर के लिए बस पकड़कर घर की ओर चल दिए l? समाप्त ?कहानी पढ़ने के लिए आप सभी मित्रों का आभार lकृपया अपनी राय जरूर दें, आप चाहें तो मुझे मेसेज बॉक्स मे मैसेज कर सकते हैं l?धन्यवाद् ?? सर्वेश कुमार सक्सेना ‹ पिछला प्रकरणपांच दिन - भाग 3 Download Our App