Paanch din - 3 books and stories free download online pdf in Hindi

पांच दिन - भाग 3

कहानी के पिछले भाग मे आपने पढ़ा वरदान अपने साथ होने वाली घटनाओं से परेशान होकर अपने गाँव जाने का फैसला करता है पर कुछ अनहोनी के कारण जंगल मे छूट जाता है जहां उसे नेहा मिलती है, नेहा अपनी कहानी बताती है जिस से पता चलता है उस नर जानवर का सच, अब आगे....


नेहा ने बताया उसके पापा मम्मी इसी घर में रहते थे, पापा बहुत बड़े पंडित थे, सारा गाँव उनकी बहुत इज़्ज़त करता था, माँ घर पर ही रहती, माँ को कहानियां पढ़ना बहुत पसंद था पर वो हमेशा भूत, प्रेत और काली शक्तियों वाली कहानियाँ पढ़ती थी, माँ चाहती थी कि एक बेटा हो, वह दिन रात पापा से यही बातें करती थी कि मेरा बेटा होगा लेकिन बेटे की जगह मैं पैदा हो गई इसलिए मां ने मुझे हमेशा नफरत से देखा और मुझे कभी मां का प्यार नहीं दिया, जब उन्हें पता चला कि उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया है तो वो इतना क्रोधित हुई कि उन्होंने अपना गर्भाश्य नोच डाला, वो पापा से भी नफरत करने लगी और कहती, "जिस भगवान की तुम इतनी पूजा करते हो उसने तुम्हें क्या दिया ये बेटी, बंद कर दो इनको पूजना" l पापा बहुत समझाते पर माँ नहीं समझती, माँ जानती थी कि वह अब दुबारा माँ नहीं बन सकती इसीलिए मां काली शक्तियों की पूजा करने लगी, पापा ने बहुत समझाया लेकिन मां मेरे लिए नफरत और एक बेटे की चाहत में पागल हो गई थी l

वह रात दिन न जाने कहां कहां से नए तंत्र करती हैं और फिर एक दिन उन्होंने अपनी पूजा की शक्तियों से एक ऐसी शक्ति ढूंढ निकाली जिससे वह मां बन सकती थी, मुझे वो दिन अच्छी तरह से याद है, जब माँ एक कमरे में अपनी पूजा कर रही थी चारों ओर धुआं हो रहा था, पूरे कमरे में रंगों से चौकी और उसपे जगह जगह नर कंकाल और जानवरों के कंकाल रखे थे l माँ के ठीक सामने गोला बना था, जिसके बीचो बीच एक मास का बड़ा टुकड़ा रखा था शायद वह किसी इंसान का दिल था, मैं उस दिन अपनी सहेली के यहां से आई थी, उस समय मैं 12 साल की थी, अपनी दोस्त के यहां से मैं उसका कुत्ता भी ले आई थी, जो कि मुझे बहुत प्यारा लगता था मां अपनी पूजा में लगी थी, मैं कमरे में घुसकर धीरे से एक जगह छुपकर यह सब देख रही थी तभी माँ ने मंत्र पढ़ना बंद कर दिया और उस गोले में रखे दिल को ध्यान से देखने लगी, अचानक गोले मे रखा दिल धड़कने लगा, उसके अंदर से खून की धारा बहने लगी, माँ बहुत तेज तेज हंसने लगी और दिल उठाकर खाने वाली ही थी कि डर के मारे मैं तेजी से चिल्ला पड़ी और मेरे हाथ से कुत्ता भाग कर सीधा उस दिल को छीन कर खाने लगा l माँ राक्षसों की तरह चिल्ला उठी और कहने लगी, "नालायक तूने मेरी कितने दिन की मेहनत पर पानी फेर दिया, मेरा तंत्र भंग कर दिया", मैं बहुत डर गई और रोने लगी, माँ ने चिल्लाते हुए तेजी से कुत्ते को पकड़ कर ऊपर उठाया और आधा-आधा फाड़ दिया, कुत्ते का सारा खून माँ के ऊपर था, जैसे कोई डायन खून मे नहा रही हो, फिर माँ ने कुत्ते का दिल निकाला और खा गई और फिर बैठ कर मंत्र पढ़ने लगी l मैं डर कर बेहोश हो गई और जब होश आया तो देखा मैं अंधेरे कमरे में रस्सी से बंधी पड़ी थी l मैं तेजी से रोने लगी और कहने लगी, "मुझे मत मारो, मां मैं तुम्हारी हर बात मानूंगी, बहुत दूर चली जाऊंगी प्लीज मां मुझे मत मारो" , जैसे तैसे मैंने रस्सी खोली और भागी, माँ भी पीछे पीछे भागती रही और मेरे पास आ गई मैं जाकर एक मूर्ति से टकरा गई और गिर पड़ी, माँ बोली, " हरामजादी तुझे इसकी सजा मिलेगी, मैं तुझे अपने मंत्र से इस मूर्ति की तरह मूर्ति बना देती हूं, मैं रोती रही और माँ कुछ मंत्र पढ़कर चली गई और मैं देखते ही देखते मूर्ति में बदल गई l जब पापा आए तो ये सब देख उन्होंने मां को घर से निकाल दिया, ऐसा लगता था जैसे वह शैतान बन गई हो मेरे पापा मुझे रोज देख कर रोते हैं और कहते, "कुछ तो बोलो ना, देखो मैं कितना अकेला हूं मेरी बच्ची, मुझे ऐसे मत देखो, मैं तेरे बिन नहीं जी सकता"l

दिन कटते गए और आठ महीने बीत गए, एक दिन माँ आई पापा ने जब उन्हें देखा तो घर में रख लिया यह सोच कर कि कैसी भी हो यह मेरी पत्नी है और यह मां बनने वाली है, फिर एक दिन वह भी आ गया जब माँ दोबारा मां बनने वाली थी वो चिल्लाए जा रही थी, पापा ने वैध को बुलाया लेकिन माँ ने मना कर दिया, उसने दर्द में कराहते हुए, उसी कमरे में एक कई रंगों से एक रंगोली बनाई जिसमें हड्डियां मरी हुई चिड़िया और कुछ नर कंकाल रखे थे, पापा को यह सब अच्छा नहीं लगा इसलिए वह मेरे कमरे में आ गए बहुत देर बाद एक बच्चे के रोने की आवाज आई, पापा ने झट से कमरे का दरवाजा खोला और मां के कमरे में गए तो देख कर डर से कांप गए क्योंकि वह बच्चा बहुत भयानक था उसका चेहरा तो इंसान का था और बाकी धड़ कुत्ते का था l पापा बाहर भाग कर आ गए, जब माँ ने उसे देखा तो वो चिल्ला चिल्ला कर रोने लगी, ऐसा लग रहा था जैसे वह कोई शर्त हार गई हो, मां रोए जा रही थी और आज उसको अपने किए पर पछतावा हो रहा था इसीलिए पापा ने उससे कहा कि, "अब रोने से क्या फायदा, लेकिन अब इस बच्चे का हम क्या करेंगे?, तुमने तो मेरी बच्ची को भी जीते जी मार दिया",माँ ने पछताते हुए कहा, "मैं अपना तंत्र वापस तो नहीं ले सकती लेकिन हां मैं इतना जरूर कर सकती हूं कि तुम्हारी उम्र बराबर बढ़ती रहेगी और तुम सबको देख सुन सकोगी पर मूर्ति की तरह यही खड़ी रहोगी और जब कभी कोई लड़का तुम्हें अपनी बाहों में लेकर तुम्हारे होंठ चूमे गा तो तुम फिर से जिंदा हो जाओगी "l

यह कहकर माँ वहां से चली गई फिर कभी मैंने मां को नहीं देखा और पिताजी उस खौफनाक बच्चे को मारने गए तो वह वहां से भाग गया था, उस बच्चे को ढूँढते ढूँढते पिता जी जंगल में चले गए जहां उन्होंने देखा वह आधा कुत्ता और आधा बच्चा छोटे-छोटे चूहों को खाए जा रहा है, उसे मारने के लिए पिता जी ने जी जान लगा दी लेकिन वो भी उस नर जानवर के हाथों मारे गए l मैं आज भी उसको याद करके सहम जाती हूं, वह आधा शरीर कुत्ते का और आधा मानव का न जाने कितनों की जान ले चुका होगा l वरदान नेहा की कहानी सुनकर कुछ देर चुप रहा और बोला, "वह कुत्ता मुझे दिखा और जब से वह दिखा है तभी से मुझे अजीब अजीब घटना घटनाएं हो रही हैं", नेहा ने वरदान को समझाते हुए कहा, "हमारे पास सिर्फ 1 दिन बचा है तुम्हें बचाने के लिए क्योंकि हर पांचवें दिन वह खौफनाक बच्चा किसी को शिकार बनाता है, अब बारी तुम्हारी है अब सोचना यह है कि हम उसे ढूंढेगे कैसे "? वरदान बोला," वह शरीर से कुत्ता है और दिमाग से मानव तो फिर उसकी सोच भी मानव की तरह ही होगी और कुत्ते की तरह खतरनाक जिसे मारना आसान नहीं l


आगे की कहानी अगले भाग मे...


कहानी पढ़ने के लिए आप सभी मित्रों का आभार l
कृपया अपनी राय जरूर दें, आप चाहें तो मुझे मेसेज बॉक्स मे मैसेज कर सकते हैं l

?धन्यवाद् ?

? सर्वेश कुमार सक्सेना

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