Paanch din - 2 books and stories free download online pdf in Hindi

पांच दिन - भाग 2

कहानी के पिछले भाग मे आपने पढ़ा..

वरदान एक बिंदास लड़का है जो मुंबई मे रह रहा है, लेकिन जब से उसे एक बच्चे की अजीब सी तस्वीर मिलती है तब से उसके साथ अजीबो गरीब घटनायें होने लगती हैं, उसे एक नर जानवर दिखाई पड़ता है और उसी रात एक बुढ़िया सपने मे दिखती है जो उसे कह जाती है कि वो सिर्फ पांच दिनों तक जिएगा l

अब आगे....

वरदान ने डर कर दरवाजे बंद कर लिए और बिस्तर पर जाकर लेट गया तभी उसके पैर टेढ़े होने लगे और वह जानवरों की तरह होने लगा, वह तेजी से चिल्लाने लगा और बिस्तर से कूद पड़ा तभी उसे होश आया कि वह एक भयानक सपना देख रहा था, उसके दिल की धड़कन तेज हो रही थी और वह पूरा पसीने से भीगा हुआ था, उसने तुरंत लाइट जलाई और फिर बाहर देखा दूर दूर तक कोई नहीं था और चारों ओर अंधेरा था l उसे बस सपने की एक ही बात याद आती पांच दिन.. और उसकी जिंदगी खत्म, फिर वह शांत होकर बैठा और सोचने लगा कि उसके दिमाग में डर बैठ गया है ऐसा कुछ भी नहीं होता l

अगले दिन वह उठा और ऑफिस के लिए तैयार होने लगा जल्दी-जल्दी वह घर से बाहर निकल रहा था तो उसने तस्वीर देखी, लेकिन ये क्या तस्वीर दीवार पे थी ही नहीं, उसने नीचे देखा तो चारों ओर कांच बिखरा पड़ा था, उसने तस्वीर उठा के देखा तो हैरान रह गया, उस तस्वीर मे सब कुछ हूबहू पहले जैसा था लेकिन वो बच्चा गायब था, वो चिल्लाते हुए बाहर भागा और दरवाजा खोलकर बाहर आया तो उसके पैर मे एक तेजी से ठोकर लगी और वो गिरते गिरते बचा फिर बड़बड़ाता हुआ ऑफिस के लिए निकल गया l

बीती रात की सारी बातें एक्सीडेंट, वो नर - जानवर बच्चा, वह बुढ़िया, पांच दिन वाली बात और बच्चे की तस्वीर उसके दिमाग में घूम रहे थे तभी उसने कुछ सोचा तो उसे याद आया कि सुबह जब उसका पैर टकराया था वो और कुछ नहीं एक कटोरा था जो उस बढ़िया का था जो उसे कल रात सपने में दिखी थी l अब वरदान के डर का कोई ठिकाना नहीं था, उसने अपने आप को दिलासा दिया और अपना कंप्यूटर स्टार्ट किया तो सबसे पहले इस स्क्रीन पर पांच दिन लिखा हुआ आ रहा था, उसने अपना कंप्यूटर बंद कर दिया और कैलेंडर की ओर देखने लगा उस पर भी आज की तारीख से लेकर अगले पांच दिनों की तारीख तक सब पर लाल निशान लगे थे, वह समझ गया था कुछ ना कुछ बहुत बुरा होने वाला था l कहीं ऐसा तो नहीं उसकी जिंदगी वाकई में सिर्फ पांच दिनों की है, वह सीधे बॉस के पास गया और उसने एक हफ्ते की छुट्टी मांगी, बड़ी मुश्किल से बॉस ने उसे 6 दिन की छुट्टी दे दी l

वरदान अभी मरना नहीं चाहता था इसलिए वह परेशान था वह सोचने लगा कि अगर वो पांच दिनों के बाद मर गया तो क्या होगा? इससे पहले मैं अपनी सारी इच्छाएं पूरी कर लूं, फिर उसने सोचा कि अपने गांव चला जाता हूं, यह शहर छोड़ दूं तो शायद मैं बच जाऊं l उसने रात में ही पैकिंग की और अपने गांव के लिए रवाना हो गया l घना अंधेरा था बस चलती जा रही थी और वरदान यही सब बातें सोचते सोचते सो गया, अचानक वरदान की आंख खुली तो देखा पूरी बस खाली थी कोई नहीं था वह चिल्लाने लगा, "रोको... बस रोको..." पर बस नहीं रुकी वह दौड़कर ड्राइवर की सीट के पास गया तो देखा कि वही औरत गाड़ी चला रही थी और उसका चेहरा वैसे ही पूरा ढका था वरदान उसे देखकर दरवाजे की ओर भागा और उसे तेजी से खोलने लगा तभी आवाज आई, "अरे क्या कर रहे हो बेटा? अरे क्या कर रहे हो बेटा?, जाकर अपनी सीट पर बैठो l वरदान ने पीछे देखा तो कंडक्टर था और बस पूरी भरी थी जैसे पहले l वह बिल्कुल हैरान था कि उसके साथ क्या हो रहा है, वो पागलों की तरह बर्ताव करने लगा, कुछ देर बाद वह चुप होकर बैठ गया वह सभी लोगों की ओर देखने लगा तो उसे ऐसा लगा जैसे सब मुस्कुरा रहे हो और उसी को घूरे जा रहे हो, उसे बार-बार ऐसा लग रहा था कि बस में बैठे सारे लोग मरे हुए हो, वह अपनी सीट से चिपका जा रहा था और भगवान को मन ही मन याद करके आंखें बंद करके सो गया l सुबह हुई तो गाड़ी रुकी, सब लोग बस से उतरे और घूमने लगे वहां पर कोई गांव या मकान नहीं थे बस सुनसान हरियाली थी, वरदान इधर उधर देखने लगा कि तभी अचानक बस स्टार्ट हुई और चली गई वह बस के पीछे पीछे भगा लेकिन बस नहीं रुकी l

अब वह सुनसान जंगल में अकेला रह गया अब उसे विश्वास हो चुका था कि उस बुढ़िया की बात बिलकुल सच निकली वह बैठ कर रोने लगा और सोचने लगा कि यह क्या हो रहा है और क्यों?
वह कितना बिंदास कितना मस्त होकर जिंदगी जी रहा था और अब उसकी जिंदगी में सिर्फ डर ही डर है और मौत का इंतजार फिर उसे एक रास्ता दिखा और वह उसी रास्ते पर चल दिया सुबह से दोपहर हो गए जंगल में घूमते घूमते लेकिन उसे कुछ भी नहीं मिला रात होने पर उसे एक पुराना घर दिखाई दिया जिसमें वह चला गया उसके अंदर एक बहुत बड़ा हॉल था बहुत आलीशान हवेली लग रही थी चारों और बड़े बड़े कमरे थे तभी वह एक कमरे में दरवाजा खोलकर घुस गया उसके घुसते ही दरवाजा अपने आप बंद हो गया कमरे में चारों ओर अंधेरा था उसने अपने हाथों से इधर-उधर कमरे में टटोलने की कोशिश करें तो उसके हाथों में में कोई चीज टकराई उसने दोनों हाथों से उस चीज से ऊपर से नीचे तक हाथ लगाया तो उसके शरीर में उत्तेजना पैदा हो गई उसे ऐसा लगा जैसे कोई सुंदर स्त्री खड़ी हो l

उसने बहुत देर तक उसको छूने के बाद उसे एहसास हुआ कि वह एक स्त्री की मूर्ति है लेकिन वह वरदान कितना कामुक हो गया था कि उससे रहा नहीं गया और उसने उस मूर्ति के होंठ चूम लिए और उसके चूमने से ही वह मूर्ति जीवित हो गई, कमरे में रोशनी हो गई वरदान उस स्त्री को देखकर अपना आपा खो बैठा और बोला तुमसे सुंदर स्त्री मैंने पहले कभी नहीं देखी, आओ मुझे बाहों में भर लो, स्त्री बोली मैं भी बहुत समय से प्यासी हूं और तुम्हारी राह देख रही हूँ, तभी वह दोनों बिस्तर पर एक दूसरे की बाहों में भर के लेट गए, वरदान पहले तो घबरा गया पर फिर बहुत खुश हुआ और बोला की मेरी तो जिंदगी वैसे ही पांच दिन की बची है और दूसरा दिन तो गुजरने वाला है, बाकी तीन दिन मैं तुम्हारे साथ बिस्तर पर ही काट लूंगा, आ जाओ मुझे बाहों में समा लो पूरी रात दोनों एक दूसरे की बाहों में सोते रहे देर रात जब वरदान की आंख खुली तो उसने देखा की लड़की खिड़की के पास खड़ी बाहर की ओर देख रही थी वरदान के जगते ही उसने वरदान को शुक्रिया कहा, वरदान ने लड़की से कहा, "इतने अंधेरे मे तुम बाहर क्या देख रही हो? और तुम हो कौन? तो लड़की ने बताया, "मेरा नाम नेहा है और मैं अपनी मम्मी-पापा के साथ बड़े प्यार से इसी घर में रहा करती थी पर इस प्यार को जैसे किसी की नजर ही लग गई तभी अचानक एक घड़ी के बचने की आवाज आई वरदान को याद आया है कि दूसरा दिन खत्म होने वाला है और उसकी जिंदगी के तीन दिन बाकी है तीन दिनों की जिंदगी के बारे में सोचते ही वह घबरा गया और बोला, " तुम मुझे अपनी बाहों में भर लो मैं बस तीन दिन का मेहमान हूं", नेहा गुस्सा कर बोली, "मैंने तुम्हारे साथ रात गुज़ारी इसका यह मतलब नहीं है कि मैं तुम्हारी विरासत हूं, तुम्हारे साथ रहना मेरी मजबूरी है तुमने मुझे जीवित किया था", वरदान ने आश्चर्य में पूछा, "कैसी जिंदगी? तुम आखिर हो कौन? मुझे अपने बारे में बताओ और तुम नहीं जानती कि मेरे साथ क्या हुआ है, मुझे उस बुढ़िया ने बताया था कि मेरी जिंदगी सिर्फ पांच दिन की है और वो नर जानवर, हे भगवान वो क्या था? ", नेहा ने कहा," मैं यह सब जानती हूं और मैं तुम्हें बचा सकती हूं, पर यह बहुत मुश्किल काम है इसके बारे में हमे बहुत कुछ सोचना होगा l

आगे की कहानी अगले भाग मे...


कहानी पढ़ने के लिए आप सभी मित्रों का आभार l
कृपया अपनी राय जरूर दें, आप चाहें तो मुझे मेसेज बॉक्स मे मैसेज कर सकते हैं l

?धन्यवाद् ?

? सर्वेश कुमार सक्सेना

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