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मैं कायर नहीं हूं

"टैक्सी , टैक्सी ,रुक, रुक, रुक, खाली हो भाइया , गोसाईं रोड चलोगे ।" निधि ने हाथ टैक्सी को हाथ देते हुए कहा ।
"जी मैडम , जरूर , बैठिये ।"
"हेलो, हाँ मां , टैक्सी मिल गयी है बस आ रही हु , थोड़ी देर में ।हाँ हाँ पता है , आज थोड़ा देर हो गई ऑफिस से निकलते-निकलते पर आप चिंता न करो । मैं बस थोड़ी देर में पहुंच जाउंगी । भैया प्लीज थोड़ा तेज चलाओ ।"
"जी मैडम।"
"बस ,बस भैया यही रोक दीजिये आगे गली में मेरा घर है ।मैं यही से चली जाउंगी ।"
"अरे मैडम आगे तक छोड़ देते है , रात का वक़्त है , अकेली कहा जाएगी ।"
"अरे नहीं भैया , बस चले जायेगे यही तो है आगे मेरा घर , गली संकरी है तो आपको टैक्सी घुमाने में दिक्कत होगी , आप यही से चले जाइये ।"निधि ने टैक्सी वाले को पैसे देते हुए कहा और घर की ओर चल दी ।


गली में शांति थी क्योकि रात अधिक हो चुकी थी इसलिए निधि तेजी से घर की ओर जा रही थी । तभी सामने से उसे एक तेज गति से मोटर साइकिल आते हुए दिखी ।अँधेरी रात में बाइक की हेड लाइट की चमक से निधि को आगे कुछ नहीं दिख रहा था । एकाएक बाइक उसके पास आकर रुक गयी सवार ने हेलमेट लगाया था इसलिए निधि को उसका चेहरा कुछ साफ़ नहीं दिखा लेकिन फिर भी निधि उसे पहचान गयी थी ।वह पंकज था , उसके साथ मैनेजमेंट की पढाई करता था , एक दिन उसने निधि को प्रोपोज़ किया था और निधि ने साफ़ मन करते हुए उससे कुछ दूरी बना ली थी ।तभी से पंकज के इरादे निधि के लिए कुछ सही नहीं थे ।


आज लगभग दो साल बाद निधि पंकज को अचानक इस तरह देख कर घबरा गयी ।
वह वहां से भागना चाहती थी लेकिन पंकज ने अपनी बाइक रोड पर निधि के आगे तिरछी करके कड़ी की थी ।इससे पहले वह कुछ समझ पाए पंकज ने अपनी जेब में हाथ डाला और कुछ तेजी से उसकी ओर उछाल दिया ।निधि की चीख निकली और वह बेहोश होकर गिर पड़ी । उसकी आवाज सुन कर उसका परिवार और मोहल्ले के लोग बाहर इकठ्ठा हो गए ।उन्होंने देखा निधि एक ओर बेहोश पड़ी है और उसके पास एक टूटी हुई कांच की शीशी पड़ी है ।आस-पास कोई नहीं था क्योकि पंकज तो उनके आने से पहले ही भाग निकला था ।निधि की माँ को तो बदहवासी में चक्कर आ रहे थे उन्हें समझ ही नहीं आ रहा था कि अभी थोड़ी देर पहले तो उनकी निधि से बात हुई थी और अब अचानक उनकी बेटी की क्या हालत हो गयी। सभी लोगो में डर और सन्नाटा पसर गया ।

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अगले दिन :-

"निधि ,उठ ना ; देख , तेरे पापा कितना परेशान है , कल से कुछ नहीं खाया l कहते है जब तक तुम नहीं खाओगी तब तक नहीं खायेगे l बेटा चल ; उठ ना , कितना परेशान करोगी अपनी माँ को ; जल्दी से उठ जाओ l "

"मिसेज अग्रवाल आप मरीज को परेशान ना करे ,निधि की हालत गंभीर है l आप हौसला रखें l और हमें आपना काम करने दीजिये l"

"प्लीज डाक्टर आप कुछ करिए हमारी एक ही बेटी है ,उसकी यह हालत हमसे देखी नहीं जा रही है आप कुछ करिये वह कब तक ठीक होगी कुछ तो बताईए कल रात से उसे होश नहीं आया है प्लीज कुछ करिये l आप जो कहेंगे हम करेंगे बस आप उसे आप ठीक कर दीजिए l"

"मिस्टर एंड मिसेज अग्रवाल हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे है कि निधि को जल्दी होश आ जाए l लेकिन एसिड ने उसके चेहरे के ऊपरी भाग को झुलसा दिया है , उसके आखों औ बालों का हिस्स्सा जल गया है l हमने बडे हॉस्पिटल से डाक्टर को बुलाया है वो निधि की सर्जरी करेंगे l आज से वही ही निधि का ईलाज करेंगे l अब आपकी बेटी जल्दी से जल्दी ठीक हो जाएगी भरोसा रखें l बस आप सर्जरी के लिए पैसे जमा करवा दीजिए l"


"धन्यवाद डॉक्टर साहब बस आप निधि को बचा लें मै आपने गहने बेच कर भी पैसों का इंतजाम कर दूँगी , बस आप हमारी बेटी को बचा ले डॉक्टर साहब आपका बड़ा उपकार होगा हमपर l"

" चिंता ना करो निधी की माँ भगवान हमारे साथ है निधि को कुछ नहीं होगा l"


कुछ दिन बाद :-

"माँ मेरी पट्टिया कब खुलेंगी मुझे आप दोनों को देखना है ,कब से आप कह रही है , आज माँ बस बता ही दो l" निधि उतावली होकर पूछती है |

"हाँ बेटी डॉक्टर ने कहा है,आज ही खुलेगी लेकिन चलो पहले अपने पापा के हाथ से खाना खा लो l"

"देख ना निधि पिछले कई दिनों से तेरे ख्याल में यही हॉस्पिटल के ही चक्कर काटते रहते है ,अपने काम पर भी नहीं जाते अब मैने कहा था कि डॉक्टर ने कहा है निधि ठीक है , फिर भी चैन नहीं पड़ता इन्हे , इसी तरह अपनी तबियत ख़राब कर लेंगे "

"अरे ये हमारी जिगर का टुकड़ा है , भला इसे बिना देखे हमें कैसे चैन पड़ेगा ?"

"हाँ और मुझे आप दोनों को बिना देखे नहीं चैन पड़ता है , अब बस जल्दी से ये पट्टियां खुल जाये "

थोड़ी देर में डॉक्टर नर्स के साथ निधि के चेहरे की पट्टियां हटाने के लिए आते है l


"निधि बेटा जब आपकी पट्टियां निकल जाएगी तो आप धीरे -धीरे अपनी आँखे खोलना l "

नर्स निधि क पट्टियां खोलती है l सभी निधि का चेहरा देखते है , उसका चेहरा पूरी तरह से बरबाद हो चुका था l निधि को आँखे खोलने के बाद भी कुछ नहीं दिखता है , वह कहती है -" सिस्टर , प्लीज आप सर पट्टियां हटाओ , मुझे कुछ दिख नहीं रहा है l "

"बेटा पट्टियां हट गयी है आप देखने की कोशिश करो l "पापा ने कहा l

" मिस्टर अग्रवाल आप निधि को फोर्स ना करे , हमें पहले ही लगा था कि शायद निधि की रोशनी जा सकती है , क्यकि एसिड ठीक उसकी आखो क पास ही गिरा था l "

उसका चेहरा बर्बाद हो चुका है और अब वह देख भी नहीं सकती यह जानकर निधि बेहोश हो गयी l अपनी एकलौती बेटी की यह हालत देख कर पूरे परिवार की तो जैसे दुनिया ही उजड़ गयी l

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अगले दिन -:

मिस्टर अग्रवाल को पुलिस स्टेशन से फ़ोन आता है -"हेलो !मिस्टर अग्रवाल आप जल्दी से पुलिस स्टेशन आ जाइये l आपके और निधि जी के बयान के आधार पर हमने आरोपी को गिरफ्तार किया है , आप यहाँ आकर पहचान कर ले l "


"निधि बेटा , चलो हमें पुलिस स्टेशन जाना होगा l "

"पापा मैं नहीं जा सकूंगी, कैसे जाउंगी इस बदसूरत चेहरे के साथ , मैं नहीं जाना चाहती ,दुनिया हसेगी मुझ पर , प्लीज आप ही चले जाओ और मैं किसी का भी सामना नहीं करना चाहती हूँ।" निधि ने अपना डर बताते हुए कहा ।
"नहीं बच्चा तुमने तो कुछ गलत नहीं किया , तो तुम्हे घबराने की जरुरत नहीं है ।" माँ ने समझाते हुए कहा ।
"हाँ निधि और रही बात सुंदरता की तो सच्ची सुंदरता तो मन में होती है ।निधि तो मेरी बहादुर बच्ची है वह अपने आरोपी को सजा नहीं दिलवाएगी । बेटा , यह तुम्हारी लड़ाई है इसे तुम्हे ही लड़ना है ।" पापा ने उसका हौसला बांधते हुए कहा ।


"जरूर पापा , मैं उस पंकज को सजा जरूर दिलवाऊंगी और साबित कर दूंगी की 'कायर नहीं हूँ मैं ' ।"


पुलिस स्टेशन में -:
मिस्टर अग्रवाल -"इंसपेक्टर साहिब आप इस आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा दिलवाइये , इसने मेरी बेटी की जिंदगी बर्बाद कर दी है । 'थू' है ऐसे इंसान पर निधि ने इसका प्रेम प्रस्ताव ठुकरा दिया था इसलिए इसने ऐसा घटिया काम किया । शर्म आनी चाहिए इसे खुद पर , पड़े लिखे होने के बाद भी ऐसी ओछी सोच , जिसके साथ यह प्यार करने का दावा करता था उसी की जिंदगी बर्बाद कर दी ।"
"पापा आप शांत हो जाईये , इंस्पेक्टर आप इसे छोड़ दीजिये ,वैसे भी मेरी जिंदगी बर्बाद हो ही गयी है और इसे कुछ सालो की सजा मिल भी गयी तो क्या मेरी आँखे वापस आ जाएगी , क्या मैं पहली जैसी बन पाऊँगी , नहीं , कभी भी नहीं । अब आगे मैं कोई भी क़ानूनी पचड़े में नहीं पड़ना चाहती हूँ ,मैं अपनी जिंदगी शांति से जीना चाहती हूँ । इसको सजा तो भगवन देगा , इसलिए इंस्पेक्टर मैं अपना केस वापस लेती हूँ और हमारी तरफ से आपको जो तकलीफ हुई उसके लिए माफ़ी चाहते है ।"

"निधि बेटा- -- --
"पापा आप कुछ ना कहे बस मुझ पर भरोसा रखे ।"
इंस्पेक्टर ने आरोपी पंकज को छोड़ दिया ।पुलिस स्टेशन के बहार निधि ने पंकज को उसकी आजादी की बधाई देने के लिए आपने हाथ बढ़ाते हुए कहा -"तुम्हे तुम्हारी आजाद जिंदगी की बधाई हो पंकज ।"
पंकज ने इतराते हुए जवाब दिया "वाह निधि तुम्हे तुम्हारी गलती का बहुत जल्द एहसास हो गया ,जो तुमने मुझे आजाद करा दिया ।"
"हाँ ,एहसास तो हो गया ।"
"काश निधि , तुमने मुझे उस दिन मन ना किया होता , मेरा प्रोपजल मान लेती तो तुम्हारा यह हाल ना होता ।"

पंकज को बातो में मस्त जान कर निधि ने दुपट्टे में छिपा चाकू निकलकर पंकज के पेट में भोक दिया , फिर वही चाकू उसने अपने पेट में मार लिया ।
इस तरह निधि ने पंकज को मार कर खुद को मार लिया ।

निधि मरने से पहले अपने पापा को बस यही बोल पायी -"पापा, आपने कहा था न कि मैं आपकी बहादुर बेटी हूँ , हाँ पापा ! मैं बहादुर हूँ मैंने अपने आरोपी को खुद से सजा दे दी । ऐसे इंसान समाज पर अभिशाप है , इसलिए इनका जिन्दा रहना समाज के लिए घातक होता । ऐसे इंसान कि सजा सिर्फ मौत ही थी , इससे बेहतर सजा इसके लिए नहीं हो सकती थी । अपनी इस हालत के साथ मैं आप पर बोझ नहीं बनना चाहती थी इसलिए अपने आपको भी मार लिया क्योकि ऐसी जिंदगी से तो मौत ही अच्छी है आप रोज मुझे ऐसी हालत में देखते और तकलीफ होती , मुझे इससे अच्छा अपनी जिंदगी ख़तम करना ही लगा क्योकि रोज थोड़ा-थोड़ा मरने से अच्छा है , एक ही बार में मार जाना ।मैंने अपनी लड़ाई खुद लड़ी है और अपना न्याय भी खुद ही कर लिया है| और शायद मैंने साबित कर दिया कि मैं कायर नहीं हूँ |"

copyright@ - पूर्णिमा'राज'

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