Should a film be made on the story of Prithviraj Chavan? books and stories free download online pdf in Hindi

क्या पृथ्वीराज चव्हाण की कहानी पर फिल्म बनना चाहिये ?


महाराज पृथ्वीराज चौहान , दिल्ली के सिंहासन पर बैठने वाले आखिरी हिन्दू शासक और हमारे बचपन का वो ऐतिहासिक हीरो , जिनकी वीरता की कहानियां पढ़ते हुए हम बड़े हुए।
पृथिवीराज- संयोगिता की प्रेम कहानी.... शायद ही कोई ऐसा हो जिसने न पढ़ा हो। मुझे याद है मेरी छठीं क्लास की इतिहास की किताब में सबसे यादगार और रोचक पाठ मुझे यही लगता था जिसे न जाने मैंने कितनी बार पढ़ा । पृथ्वीराज चौहान का शौर्य ही ऐसा था कि उनकी वीरता की कहानी सीधे दिल पर लगती थी ..... कैसे एक छोटे से बालक ने बचपन में शेर का मुँह फाड़ा था ...... कैसे 11 साल की उम्र में उन्होंने दिल्ली का शासन संभाला था ..... कैसे एक राजकुमारी ने बिना देखे इन्हे अपना सब कुछ मान लिया और उसने अपने पिता के खिलाफ जाकर अपने स्वयंवर में पृथ्वीराज की मूर्ति के गले में वरमाला डाली थी और उसकी लाज रखने के लिए महाराज पृथ्वीराज अपने दुश्मन के यहाँ पहुंचे और उन्होंने राजकुमारी संयोगिता से शादी की।
उनके जैसा शौर्य न किसी उनसे पहले के राजा का था न उनके बाद किसी को प्राप्त हुआ , उनके परम मित्र कविवर चंदबरदाई जी हिंदी साहित्य के प्रथम महाकवि है । हिंदी साहित्य की शुरुवात इनकी रचना 'पृथ्वीराज रासो' से मानी जाती है , उनके साथ की वजह से ही उन्होंने मुहम्मद गोरी का अंत किया था , उनकी लिखी 4 पंकितयाँ हर किसी को याद है-
चार बांस चौबीस गज अंगुल अष्ट प्रमाण
ता ऊपर सुल्तान है मत चूके चौहान !
इन्ही पंक्तियों के जरिये उन्होंने पृथ्वीराज चौहान को गोरी के बैठने का स्थान बताया था और यह सुनकर उन्होंने शब्दभेदी बाण चलाया था जो गोरी के सीने के आर पार चला गया।
कल अक्षय कुमार की बहुप्रतीक्षित फिल्म पृथ्वीराज चौहान का ट्रेलर देखा , जिसमे एक 54 साल का एक्टर 20 साल के पृथ्वीराज का किरदार निभा रहे है , पृथ्वीराज चौहान का जीवन काल दुर्भाग्य वश 43 साल रहा और अब उन पर बनने वाली फिल्म में उनसे दुगुनी उम्र का अभिनेता उनका किरदार निभा रहा है। मुझे अक्षय कुमार की अभिनय छमता में कोई संदेह नहीं , लेकिन क्या कोई इसी उम्र का अभिनेता इस किरदार को नहीं निभा सकता था। राजकुमार राव , आयुष्मान खुराना , जीतेन्द्र कुमार उर्फ़ जीतू भैया ऐसे कई बेहतरीन नए सितारे है जिन्होंने अपनी अभिनय कौशल का प्रमाण दिया है , अगर यह किरदार इनमे से कोई एक्टर करता तो अधिक वास्तविकता होती।
पृथ्वीराज चौहान का जीवन काल इतना गौरवशाली रहा है की उसे 2 घंटे की फिल्म में उतरना मुमकिन नहीं। ट्रेलर देख कर देशभक्त और गौरवशाली महाराज की फीलिंग कम आयी लेकिन भव्य सेटों और vfx का बेहतरीन प्रदर्शन जरूर हो रहा है , मेकर्स का पूरा फोकस अक्षय और मानुषी पर है , क्युकी बॉलीवुड अपने असली रूप से बाहर इतनी आसानी से नहीं निकल सकता , उसके लिए हीरो हेरोइन का प्रेम प्रदर्शन अनिवार्य है। बस बॉलीवुड इस फिल्म को भी अपने फ्लेवर में लाकर बर्बाद न कर दे।
खैर कुल मिलाकर ट्रेलर ठीक ठाक है लेकिन फिल्म को देखने की लिए उत्सुकता हो ऐसा उसे देखकर नहीं लग रहा है। बचपन में एक शो 'धरती का वीर योद्धा पृथ्वीराज चौहान' आता था , जिसे हम सबने देखा जिसमे रजत टोकस और मुग्धा चाफेकर ने पृथ्वीराज संयोगिता का किरदार निभाया था। हमारे लिए तो आज भी पृथ्वीराज - संयोगिता वही दोनों है। उनके गौरवशाली इतिहास को बहुत बेहतरीन ढंग से और सादगी से दिखाया गया था , जहा कहानी पर फोकस किया गया था न की भव्यता पर।
अंत में यही लिखूँगी कि महाराज पृथ्वीराज चौहान हमारे इतिहास का वो गौरवशाली अंग है जिनकी वीरता की कहानी सुनकर हमारे अंदर भी जोश आ जाता है और दिल इस गौरवशाली शासक को नमन करने लगता है , तो कोई भी एक्टर उनकी तुलना कर ही नहीं सकता।

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