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जनता को छलना कितना आसान है


एक बड़े से मैदान मे नेताजी भाषण दे रहे थे " भाइयों और बहनों यह आपकी सरकार इतनी सुस्त है कि उससे कोई काम नहीं होता , अपराधी खुले मे घूम रहें हैं ,सड़कें खुदी पडी हैं , महिलाओं का दिन मे भी बाहर निकालना मुश्किल हैं। बच्चों के पढ़ने के लिए उच्चकोटि के विद्यालय नहीं हैं। युवाओं के लिए नौकरीयाँ नहीं हैं।"

नेताजी जोश में तत्कालीन सरकार के विरुद्ध बोलकर अपना विपक्षी पार्टी के नेता होने का कर्तव्य पूरा कर रहे थे।

लोगों की भीड़ धक्का मुक्की करते हुए , पसीने से तरबतर , कड़ी दोपहर मे नेताजी को बड़े ध्यान से सुन रही हैं कि शायद वह उनके काम की बात कर दे। नेताजी आगे बड़े ही उत्साह से कहते हैं।

" भाइयों और बहनों इस बार हम सभी से वादा करते है कि पू्रे शहर की सड़के बनवा देगें । आपके बच्चों के लिए उच्चकोटि के विद्यालय खुलवा देगें । आप बहनों के लिए कानून व्यवस्था कड़क कर देगें । जिससे आप लोग रात मे भी बाहर जा सकती है। अपराधियों को इतनी सख्त सजा दिलवाएगे कि वह अपराध करना भूल जाएँ,गरीबों के लिए पक्के मकान बनवा देगें,अौर हर गली मे पीने के पानी का हैँडपम्प बनवा देगें।"

नेताजी ने चुनावी जुमला फेंका ।

जनता बडे ही उत्साह से तालियाँ बजाकर उनका उत्साहवर्धन करती है। नेताजी भी अपना पसीना पोछकर आगे कहते है कि "बस एक बार आप हमें अौर हमारी पार्टी को मौका दीजिए आपकी सेवा करने का, आने वाले चुनाव में आप सभी लोग हमारी पार्टी 'कखग' के ' * ' निशान पर अपना कीमती वोट हमें दे और अपने विकास को आमंत्रित करे।" जनता बहुत ही उत्साह से तालियाँ बजाती है।

नेताजी भी आगे बडे ही उत्साह से वर्तमान सरकार की कमियाँ ओर अपनी पार्टी की तारीफ करते हुए लोगो से वोट की अपील करते है।

नेताजी ने भाषण के बाद सोचा -"मैंने इतना रोचक और कर्ण प्रिय भाषण दिया है , तो जनता हमारी पार्टी को वोट अवश्य देगी। इसका मतलब है कि सरकार हमारी ही बनेगी , तो मेरे इस योगदान के लिये पार्टी मुझे किसी बड़े विभाग का मंत्री अवश्य बनाएगी। " उन्होने घर जाकर अपने परिवार के साथ विदेश यात्रा की तैयारी कर ली क्योंकि बड़े विभाग में ज्यादा पैसे उनकी जेब मे आ सकते है। इसलिए आनंद भी बड़ा उठाना चाहिए ।

नेताजी के इस रोचक अौर आशावादी भाषण को सुनकर लोगो ने भी अपना-अपना कीमती वोट 'कखग' पार्टी को दे दिया पार्टी की बहुमत की सरकार बनी ।पार्टी के किसी वरिष्ठ नेता को मुख्यमंत्री चुना गया । मंत्री गण नियुक्‍त हुए । परन्तु उन नेता को कोई मंत्री पद नहीं मिला उन्हे सिर्फ विधायक की कुर्सी से ही काम चलाना पड़ा।

नेताजी के सारे सपने चूर-चूर हो गए ,उनकी विदेश यात्रा भी रद्द हो गई। उनके अंदर पार्टी के विरुद्ध गुस्सा घर कर गया ।

4 साल बाद-:

एक बार फिर से चुनावी मौसम आ गया- इस बार नेताजी ने तय कर लिया कि वह यह पार्टी छोड़कर विरोधी पार्टी में शामिल हो जाएगें। जब चुनाव की घोषणा हुई तब नेताजी विपक्षी पार्टी के कार्यालय पहुँच गए । विपक्षी पार्टी ने उनका स्वागत किया । नेताजी ने अपनी बात कहना शुरू किया-"
“देखिए भाई इस साल चुनाव हम आपकी पार्टी से लड़ना चाहते है।”
विपक्षी नेता-“जरूर जरूर हमें तो पहले से ही अंदेशा था।”
“देखिए हम अापकी पार्टी से चुनाव लड़ेगे लेकिन एक शर्त रहेगी यदि आपकी पार्टी चुनाव जीत जाती है तो आपको हमें कोई बड़े विभाग का मंत्री बनाना पड़ेगा। ”
सामने विपक्षी नेताजी - “जरूर जरूर क्योंकि इस बार यदि अगर आपकी वजह से हम चुनाव जीत गए तो बहुत ही धन बरसऐगे आपके ऊपर।”

एक दिन नेताजी ने प्रेस वार्ता करके अपने आपको ‘'कखग ’ पार्टी से निकालकर अपने ''को ‘ अबस ’ पार्टी में शामिल कर लिया।

इस बार फिर चुनाव में नेताजी ने वही भाषण दिया कि -

"“भाइयों और बहनों यह आपकी सरकार इतनी सुस्त है कि उससे कोई काम नहीं होता , अपराधी खुले मे घूम रहें हैं ,सड़कें खुदी पडी हैं , महिलाओं का दिन मे भी बाहर निकालना मुस्किल हैं। बच्चों के पढ़ने के लिए उच्चकोटि के विद्यालय नहीं हैं। युवाओं के लिए नौकरीयाँ नहीं हैं।"”

“" भाइयों और बहनों इस बार हम सभी से वादा करते है कि पू्रे शहर की सडके बनवा देगें । आपके बच्चों के लिए उच्चकोटि के विद्यालय खुलवा देगें । आप बहनों के लिए कानून व्यवस्था कडक कर देगें । जिससे आप लोग रात मे बाहर जा सकती है। अपराधियों को इतनी सख्त सजा दिलवाएगे कि वह अपराध करना भूल जाएँ,गरीबों के लिए पक्के मकान बनवा देगें,अौर हर गली मे पीने के पानी का हैँडपम्प बनवा देगें।"”

“"बस एक बार आप हमें अौर हमारी पार्टी को मौका दीजिए आपकी सेवा करने का, आने वाले चुनाव में आप सभी लोग हमारी पार्टी ‘'अबस ’ के निशान'#' पर अपना कीमती वोट हमें दे और अपने विकास को आमंत्रित करे।"”

इस बार फिर जनता में वही उत्साह दिखा अौर उसने तालियाँ बजाकर फिर नेताजी का उत्साहवर्धन किया।

जनता ने फिर नेताजी की अपील को स्वीकार किया और बहुमत से पार्टी ‘'अबस ’ की सरकार बन गई। नेताजी ने एक बार फिर अपने परिवार के साथ विदेश यात्रा की तैयारी कर ली। सरकार बनी अौर नेताजी को बड़े विभाग का मंत्री नियुक्‍त किया गया। इस बार नेताजी की विदेश यात्रा अौर पार्टी स्थानांतरण यात्रा दोनों सफल हुई।

दोस्तों ‚ यही राजनीति है इसमें कोई भी किसी का सगा नहीं है ‚ बस अपना उल्लू सीधा करना और अपनी जेब भरना ही लोग जानते है जनता की तकलीफों से किसीखो कोई मतलब नहीं है। जनता इतनी मूर्ख होती है इनकी बातों में आकर इन्हें अपना कीमती वोट देती है और इनकी बना देती है। और यही सरकार मजबूर जनता पर ही जुल्म करती है।

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