अच्छाईयां – १० Dr Vishnu Prajapati द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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अच्छाईयां – १०

भाग – १०

सूरज जब गुलाबजामुन से मिलकर निकला तो कई सारे सवाल खड़े हो गए थे | गुलाब जामुन से वो पहले कभी मिला नही था, बदमाशो से भी वे कभी मिला नहीं फिरभी इतने सालो बाद ये सब मुझे कैसे जानते है ? छोटू और ये बच्चे को भीख मंगवानेवाला उनका उस्ताद भी इन सबके साथ जुड़े हुए है क्या ? सूरज को इन सारे सवालों के जवाब के लिए अब रात होने का इंतज़ार था | वैसे तो वे सारे रिश्ते नाते छोड़कर सुबह से ही निकल चुका था मगर गुलाबजामुन से मिलने के बाद उसको लगा की उसकी जिंदगी के कई सारे राझ खुलनेवाले है |

गुलाबजामुन ने भी उसे रात को हसीनाखाने में बुलाया था | शहर की ये जगह तो वैसे बदनाम थी मगर कई सारे शरीफ लोग रात को अपनी जवानी और अपना पैसा लुटाने यहाँ आते थे |

शाम ढल चुकी थी अँधेरा होते ही सूरज हसिनाखाने की और चलने लगा | संकड़ी गली थी मगर सब घर अच्छे सजाये हुए थे | हरघर से अलग अलग खुशबु बिखर रही थी | जो दिन में सुमसाम रहती थी वे गली रात को सजी सजाई दुल्हन सी बन गई थी | दोनों साइड घर थे, जिसके दरवाजे छोटे थे और कई घरो के बहार दो तीन औरते बनठन के खड़ी थी और वहा निकलते मर्दों की तरफ इशारे भी कर रही थी | सूरज ये सब देखकर उससे दूरी बनाए हुए चल रहा था |

‘किसको ढूंढ रहे हो साब ? हमारे पास आइये...!’ एक औरतने सूरज को ईशारा किया और अपने पास बुलाया |

‘तुम्हारा नाम क्या है?’ सूरजने ऐसे ही पूछा तो वो हंसने लगी और बोली, ‘साब पहलीबार आये लगते हो... यहाँ कोई नाम नहीं दाम पूछते है...!!’

‘गुलाबजामुन कहा मिलेगी?’ सूरजने उनकी बात पे ध्यान नहीं दिया और सीधी अपनी बात की |

गुलाबजामुन का नाम सुनते ही उसका चहेरा सख्त हो गया और जैसे नाराज हो गई हो वैसे बोली, ‘ वहा आपकी जवानी की प्यास पूरी नहीं होगी... हमारे पास आइये हम आपको खुश कर देंगे |’ वो सूरज को लुभाना जानती थी |

‘पर मुझे गुलाबजामुन से मिलना है...!’ सूरजने जब फिरसे गुलाबजामुन का नाम लिया तो वो गुस्से हो गई और बोली, ‘ तो यहाँ क्यू खड़ा है जा किसी ओर से पूछ ले, धंधे के टाइम पे मेरा मुड ख़राब मत कर....’ वो फिर रास्ते पर आते जाते दुसरे मर्द पे नजर करने लगी |

सूरज कुछ कदम आगे गया तो उस घर के अन्दर से एक आवाज आई, ‘ क्या हुआ शालू ?’

‘कुछ नहीं, अब लोगो को नखरे देखके पैसे बरबाद करने का शौख लगा है...!!’

सूरजने आगे देखा तो एक बड़े घर को महल के जैसे सजाया था और उसके बहार भीड़ लगी थी | वहां दरवाजे पर लोग लाइन लगा के अन्दर जाने के लिए बेताब थे | वहा खड़े लोगोमे से ज्यादातर लोगोने शराब पी रखी थी |

सुरजने उसमे से एक शराबी से पूछा, ‘ गुलाबजामुन कहाँ मिलेगी ?’

वैसे तो वे लड़खडाता था मगर कुछ देर अपने आप को संभालते हुए बोला, ‘ मेरे पीछे खड़े रहो, ये लाइन उसको देखने के लिए ही लगी है... और ये दो घूंट लगालो, उसके देखने के बाद नशा डबल हो जाएगा...’

और तभी सामनेवाली हवेली के दरवाजे खुले तो अन्दर से मदहोश करनेवाली खुशबु बिखरी और सुरीला संगीत भी बजने लगा | वहां खड़े सारे लोग उस खुश्बू की ओर भागने लगे और अन्दर जाने के लिए जल्दबाजी करने लगे |

सूरज भी उस भीड़ के साथ अन्दर गया | अन्दर काफी बड़ी जगह थी और सामने मुजरा करने की एक बड़ी जगह थी लोग उसके नजदीक बैठने को मिले वैसे अपनी जगह बना रहे थे | सूरज सबसे दूर था, वो सब देख रहा था |

कुछ देर बाद गुलाबजामुन आई और लगा की संगीत और मदहोशी का तूफ़ान आया | वो चाय के दूकानवाली और ये गुलाबोमें तो जमीन आशामान का अन्तर था | संगीत के ताल से साथ गुलाबजामुन नाच रही थी और सबको नचा भी रही थी | लोग उसपे पैसे भी फेंक रहे थे | गुलाबो देखती थी के कोई ज्यादा अमीर हो तो उसके पास ज्यादा नखरे करती और उससे पैसो की बारीश करवाती |

नाच के साथ वो सूरज के पास आई और एक चिठ्ठी सूरजके हाथोमें थमा दी | गुलाबो का स्पर्श नशीला था | यहाँ पर लोग दारु के नशेमे पैसे लूटा रहे थे, गुलाबो सबके पास से पैसे कैसे निकाले जाते है वो अच्छी तरह से जानती थी, वो सबको लुभा रही थी | भीख मांगनेवालो को एक रूपया न देनेवाले यहाँ सो-सो रुपये फेंक रहे थे | सुरजने अपने हाथोमे रखी वो चिठ्ठी पढ़ी, ‘ मैं ऊपर झरोखेमे मिलूंगी’

धीरे धीरे संगीत का सैलाब शांत हुआ, लोग गुलाबो को छूने के लिए बेताब थे मगर गुलाबो सबसे दूरियाँ भी बना रही थी | एक शराबी नशेमे गुलाबो के पास आया और बोला, ‘ तुम जो भी दाम कहो.... मैं तैयार हूँ..’

गुलाबो उसके रवैये से गुस्सा हुई और बोली, ‘ चल हलकट, मैं बिकाऊ नहीं हूँ, ये पैसे अपने बीवी बच्चो को देंना वो तुम्हे जिंदगीभर खुश रखेंगे |’ और वो झरोखेमे जाने लगी |

झरोखे पर जाते ही कुछ बोड़ीगार्ड्सने सूरज की तलाशी ली और उसे ऊपर जाने दिया | शायद गुलाबोने पहले से इंतजाम किया होगा | उस झरोखे से नीचे का सारा माहोल देख रहा था | गुलाबो कुछ देर बाद ऊपर आई |

‘तुम मुझे कैसे पहचानती हो ?’ सूरजने सीधी अपनी बात कही |

‘क्या लोगे चाय या कुछ हॉट....!!’ गुलाबोने सूरज के सवाल का कोई जबाब नहीं दिया तो सूरजने फिर से पूछा, ‘मुझे मेरे सवाल के जवाब चाहिए...!’

गुलाबो को लगा सूरज को यहाँ रुकना पसंद नहीं है इसलिए अपनी बात शुरू की, ‘ तुम्हे यहाँ आना अच्छा नहीं लगा होगा... पर मुझे अच्छा लगा की तुम आज मेरे पास हो | तुम्हे अपने जवाब जानने के लिए पहले कुछ बात जाननी होगी |

‘क्या...?’ सूरज शायद जल्दी में था |

‘तो सुन सूरज !.... मेरी और तेरी कहानी एक जैसी है | मुझे भी किसीने आवारा फेंक दिया था | मेरी माई कहती थी की मैं उसको कूड़ेमें से मिली थी | शायद मैं भी किसी की नाजायाझ औलाद होगी या मेरी माँ मुझे मार नहीं पाई होगी इसलिए फैंक दिया होगा | तुम्हारा बचपन भी ऐसा ही था मगर तुम्हे कोई अच्छा सहारा मीला और तुमने अपनी अच्छी जिंदगी बना ली | मैं कोठेवाली बाई के हाथ लगी और मेरा नसीब मुझे यहाँ खिंच लाया, मेरा मुकाम शायद यही था | मुझे भी बचपन से तुम्हारी तरह संगीत पसंद था मगर ये सब मर्दों को खुश करने के लिए मुझे नाचना भी पड़ा | मेरी बाई तो मुझे दुनिया की गन्दी नजरो से बचाती थी, मगर इस चौखट पे बेदाग रखना मुश्किल था | उसके मर जाने के बाद मुझे उसकी तरह मुजरा करना था | यहाँ कोई रिश्ता नहीं होता, यहाँ कोई प्यार नहीं होता, यहाँ केवल बेबस और मजबूर जिंदगी होती है | इस बेबस जिन्दजीमें तुम्हारे गाने मेरे लिए जीने का सहारा बन गए थे | तुम्हारी कोलेजमें मैं तुम्हे सुनने चुपके से आती थी | श्रीधर से तुम्हारे बारेमें सबकुछ जाना | सरगम के बारे में भी और तुम्हारी दोस्ती के बारेमे भी मुझे पता था | तुम सबने वर्ल्ड म्युझिक प्रतियोगिता जीती तो मुझे भी ये लगा की शायद मैं तुम्हारी टीम का हिस्सा होती तो.....!!’ गुलाबो सूरज के करीब आई और सूरजने देखा तो उसकी बातो में सच्चाई थी | सूरज चुप था और गुलाबो अपनी बात बता रही थी |

‘तुम ड्रग्स सप्लाय में पकडे गए.... तुम्हारी सजा के साथ तुम्हारी सजाई हुई जिंदगी बिखर गई... तुम्हे वो सजा मिली जो गुन्हा तुमने किया ही नहीं...मगर हम जैसे लोगो के नशीबमें भगवान दुःख ही लिखता है | तुम्हारी सजा भले ही ख़त्म हो गई हो मगर अभी भी तुम्हारी सजा तो वैसे की वैसी ही है | सूरज अब इस शहरमे तुम्हारा कोई नहीं है, तुम यहाँ से दूर चले जाओ... तुम्हारी जान को खतरा है |’

गुलाबो के मुह से आखरी शब्द सुनते ही सूरज चोकन्ना हो गया, ‘ मेरी जान को किसका खतरा ? और तुम्हे मेरी इतनी फ़िक्र क्यों है ?’

गुलाबो सूरज के नजदीक आई और बोली, ‘पहले सवाल का जवाब तो तेरे पास ही है और दुसरे सवाल का जवाब तुम मेरी आंखोमे देख शकते हो |’ गुलाबो सूरज के पास आई और सूरजने उसकी आँखोंमें देखा तो उनकी आँखे प्यार की प्यासी थी, वो भी किसीके आने का इंतज़ार कर रही थी | सूरज उससे दो कदम दूर चला गया |

‘क्या जवाब मिला ?’

‘कुछ नही...!’ सूरज चुप हो गया |

‘सूरज मैं भी बरसो से तेरी दीवानी हु.... तेरे संगीत की.... तेरे आवाज की..... हमारा तन आज तुम्हारे लायक नहीं है मगर मेरा मन आज भी सात स्वरों की तरह साफ़ है....!!’ गुलाबोने अपनी आँख बंद की और दूर जाने लगी और बोली, ‘ देख सूरज ये सारा मामला केवल ड्रग्स का ही नहीं और भी कुछ है इसलिए तुम संभलके रहना होगा.... और तुम्हे मेरी जरुरत रहेगी....!!’

सूरज को लगा की गुलाबो प्यार भी थी और पहेली भी थी, उनको समझना मुश्किल हो रहा था.... मगर सूरज को याद आया की जेल से निकलते ही कुछ लोगोने उसको किडनेप किया था और उस रात मेरा मुंह ढककर पिटाई की थी और पूछ रहे थे की तुम्हारे पास जो दूसरा करोडो का माल था वो कहा पर है....?’ दुसरे दिन रिटर्न टिकिट के कारन उसको मुझे मजबूरन छोड़ना पड़ा था | और वहा पर कोई मेरा पीछा भी कर रहा था......

और उस रात को मुझे पूछताछ करनेवाले लोगो में एक आवाझ लड़की की भी थी..... ‘क्यां वो गुलाबो थी.....?????’ सूरज अपने आपमें उलझ गया और ये जान भी गया था की ये सारे जवाब केवल गुलाबो के ही पास है |

‘कुछ और यानी क्या...??’ सूरज का ये सवाल गुलाबोने अनसूना कर दिया |

‘अभी तुम निकल जाओ बाकी की बात बादमे करेंगे, तुम्हारा यहाँ ज्यादा रहना भी ठीक नहीं | और हां... किसीको पता भी नहीं है की मैं चाय की दूकान पर भी काम करती हूँ.....’ इतना कहकर उसने अभी सूरज को जाने का ईशारा कर दिया |

क्रमश ......