શરૂઆત આપણી (કાવ્ય) Heena katariya द्वारा कविता में हिंदी पीडीएफ

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શરૂઆત આપણી (કાવ્ય)

કઇક એવી છે શરૂઆત આપણી
જેમા બસ તારી યાદો રહી છે બાકી 
કઇક એવી છે મુલાકાત આપણી 
જેમા બસ વાતો જ રહી છે બાકી
કઈક એવો છે પ્રેમ આપણો
જેને નામ આપવાનુ છે બાકી
કઈક એવો છે વિરહ છે આપણો
જેને વણૅન કરવાનો રહો છે બાકી
કઈક એવો છે અંત આપણો 
જેની શરૂઆત રહી ગઇ છે બાકી
કઈક એવી છે શરૂઆત આપણી
જેમા બસ તારી યાદ જ રહી છે બાકી


फ़र्क तो पडता हैं 

फ़र्क तो पडता हैं लेकिन 
मै अपना दर्द छुपा लेती हूँ 
गहरी तनहायी हैं साथ मैं 
मेरे और कुछ भी नहीं हैं 
बस एसे जिने कि आदत 
हो गयी हैं मुझको मानो 
कभी कभी तुमहारी बाते भी 
खुद हि से कर लेती हूँ 
लेकिन तुम तो जानते हो 
कि मुझे तो फ़र्क हि नहि पडता 
काश कभी तुम भी जान पाते कि 
तुम्हारे चले जाने से मुझे भी फ़र्क पड़ता है


  सपनो कि नाव 

नींद के दरिया मैं 
सपनो कि नाव पर 
किस ओर चल पड़ी हु मैं 
खुद को हि कही खो रही हु मैं 
जाने अनजाने तेरी हो रही हु मैं 
पास खडे हो तुम भी 
फ़िर भी न जाने क्यों दुर हो तुम 
खड़ी हु मैं भी वही जहाँ 
तुम मुजे मै तुम्हें नहीं जानति 
फ़िर भी न जान पायी मैं
क्यों दर्द हैं पास मेरे 
किधर जा रही हु मैं न जाने 
सपनो कि नाव पर 
नींद के दरिया मैं 
तेरे ख्वाब मे खो रही हु मैं


 तुम हो कहाँ  

धूप ढलने लगी है
यादें मिटने लगी है 
ढूँढ रही हूँ खुद को यहाँ 
अंधेरो में तनहा खड़ी हु मैं यहाँ 
खो हि दिया हैं मैंने खुद को
एक वार हि सही लौट आओ तुम यहाँ 
तुम हि हो यहाँ और वहाँ 
फ़िर भी हो तुम बहुत दूर 
खुद हि ना जानु कैसे
जी रही हूँ मैं इतना दूर 
धूप ढलने लगी है
यादें मिटने लगी है 
खो हि दिया खुद्को यहाँ 
पता नहीं हो तुम कहाँ



જ્યારે હું હસતો ચહેરો જોઉ છું 
ત્યારે તેના હાસ્યનુ કારણ જોઉ છું
     


            शिकायत

मुझे तुमसे कोई शिकायत तो नहीं हैं 
पर कभी तुमने मूड कर देखा होता
वही खडी थी जहाँ छोड़ कर गए थे
कहने को तो बहुत कुछ था
पर तुम कभी लौट कर आये हि नहीं
रुक जाओ ये भी नहीं कह सकती
क्योंकि सितारा किसी एक का नही होता
काश! एक बार मोका मिलता मुझे
शायद बाते बयान कर पाती तुमसे
जानती हु नादान हु मैं पर
इस नादान को उमर से ज़्यादा हि सिखा गये तुम
शिकायत तो नहीं है तुमसे बस
जो भी हैं हमारी यादें और कुछ बातें बाकी है 




    पता नहीं क्यों हुआ

Pata nahi kyon hua ye 
Na janu Me or na tum
Kon sa bandana he ye 
Na janu me or na tum
Jo dard na kah sake ye
Bina kahe samaj gaye
Na janu me or na tum
Yun to Tere bina bhi ji
Rahe the Hum 
Fir kyon ab ji nahi sakte 
Tumhe Milne ke baad
Na janu me or na tum
Koi khawish nahi thi ye
Bewazah hi ji rahe the 
Na jaane konsi door he 
Jisme bandhe he hum
Na janu me or na tum
Bichad na hi tha to kyon
Mile Hum or tum
Na janu me or na tum 
Pata nahi kyon hua ye



दर्द ऎसा है कि हमदर्द जेसा और 
दुख ऎसा कि दीलासे के जेसा