बेगुनाह गुनेहगार 13 Monika Verma द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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बेगुनाह गुनेहगार 13

सुहानी जिसे एक दोस्त मिल चुका था, आज वो मुसीबत में है। सुहानी का नंबर उसने ब्लॉक लगा दिया। सुहानी अब कुछ नही कर सकती। अब सुहानी और अयान के बीच बातचीत बंद हो गई। सुहानी इन सब के लिए खुद को ही कोसने लगी। दो तीन महीनों बाद सुहानी अयान से कांटेक्ट कर पाई। अयान ने सुहानी से बात की। सुहानी खुश हुई। अयान कभी कभी बात कर लेता। 

सुहानी के पापा के फ़ोर्स करने की वजह से सुहानी ने शादी के लिए है कर दी। लड़का देखने गए। देखने मे तो अच्छा है। बाते करने पर उस लड़के नई सुहानी को बताया आप मेरे मम्मी पापा का खयाल रख लो और घर सम्हाल लो। जॉब करो या न करो आपकी मर्जी। लेकिन अगर ट्रांसफर नागी मिला तो आपको जॉब छोड़नी पड़ेगी न। 
वो खुद अपने चाचा और पापा के वजह से जॉब पर लगा है। वो भी सिर्फ प्रैक्टिस कर रहा है। सुहानी अपने सपनो को कैसे मार देती। सुहानी घूँट घूँट कर तो जी ही रही थी। उसके पापा उसे कभी साथ नही देने वाले। वो भी कहते है शादी के बाद सब छोड़ देना। जैसा वो कहे वैसे करना  

सुहानी मासी के वहाँ 3 साल गुजार चुकी थी। अब फिर से वही जिंदगी? कभी नही। ये सुहानी के बर्दास्त से बाहर था। सुहानी ने साफ इनकार कर दिया। 

सुहानी अपनी दोस्त महक को साथ लेकर आई थी। वो महक के घर चली गई। सुहानी को समझने वाली फिलहाल तो महक ही थी। 

घर आई तो मम्मी पापा ने बात नही की। सुहानी जैसे बोज बन चुकी है। मम्मी पापा पर और इस धरती पर। लोग बाते करते अभी तक घर पे बिठा रखा है। सुहानी के पापा घर आकर सुहानी को बुरा भला सुनाते।

अब सुहानी के बर्दास्त से बाहर है। वो अपने किराए के मकान में अकेली रहती है। दुनिया की कोई फिक्र नही है। जमाने के सामने खुद के मा बाप ने घुटने टेक दिए तो किसी और कि क्या बात करे।

क्यो किसी पे भरोसा करे। अयान को भी तो किसीकी जरूरत है। लेकिन इतनी जल्दी कुछ हो नही सकता।

तभी सुहानी को अयान का मेसेज आया कि उसे जॉब मिल गई। सुहानी अपना सारा गम भूला कर खुशी से पागल हो गई। अयान ठीक है। उसे जॉब मिल गई। जैसे अयान की खुशी को अपनी खुशी मान रही है। 

सुहानी अपना दर्द तो पूरी तरह भूला चुकी है। बहोत खुश है। अयान कभी कभी सुहानी से बात कर लेता। सुहानी उसी में खुश हो जाती है। 


सुहानी धीरे धीरे अपने आप को सम्हाल रही है। अपनी सपनो की लाइब्रेरी बनाने के लिए किताबो की लिस्ट तैयार कर रही है। साथ मे जॉब। 

सुहानी चाहती है कि वह पहले किताब खुद पढ़े। अगर अच्छी हो तो उसे पुस्तकालय के लिए मंगवाए। सुहानी ने ऑनलाइन के बुक्स पढ़ी। जो अच्छी लगी उसका एक लिस्ट बनवाया। 
आज अयान को बहोत मिस कर रही है। काश अयान भी मेरी खुशियो में शामिल होता। उसने अयान से बात करने की कोशिश की। 

सुहानी: hi

अयान: hi

सुहानी: कैसे हो?

अयान: बढ़िया। आप सुनाओ।

सुहानी: बस यू ही।

अयान: क्या चाहते हो।

सुहानी: कुछ नही । ऐसे ही बात करने का मन हुआ। 

अयान: ????

सुहानी : अरे वाह। मूड में हो।

काफी समय बात हुई।

अयान: बाते तो में भी करना चाहता हु। लेकिन डर लगता है कही आप का दिल न दुखा दू।

सुहानी: ऐसा क्यों कह रहे हों?

अयान: कुछ तो ख्वाइश होगी आपकी मुझसे।

सुहानी: मुझे कुछ नही चाहिए।

अयान: शादी?

सुहानी: तो?

अयान: देखो में चाहता हु की आपके साथ बेस्ट टाइम स्पेंड करू। लेकिन उसके बाद आपको छोड़ दिया तो आपको लगेगा कि मैने आपको धोखा दे दिया। 

सुहानी कुछ टाइप करते करते रुक गई। फिर कुछ नही बोली।

अयान: देखो , हम मील भी नही आपका यह हाल है। हम मिलेंगे तो क्या करोगे?

सुहानी: हम न ही मिले वही बेहतर होगा। 

अयान : हम्म। 

अब क्या होगा सुहानी के साथ। सुहानी ने वो दर्द महसूस किया। सुहानी जान चुकी है कल्पेश भैया किस दर्द से अपनी अंतिम सांस तक गुजरे है। एक एक पल भारी है। अकेले चलने से कोई दर्द नही मिलता। लेकिन किसी के साथ चलने के बाद अकेले चलना कितना मुश्किल है वो सुहानी समझ रही है। 

लेकिन सुहानी के पास जीने के लिए अपने सपने है। और अयान की यादे। इतनी मुश्किले बहोत है जीने के लिए। और कुछ बाकी है भी? देखते है अगले अंक में।