वो कौन थी-4 SABIRKHAN द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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वो कौन थी-4

अमन का हाथ मोबाइल में मैसेज देख कर इस तरह कांप उठा जैसे किसी बिच्छू को हाथ में पकड़ लिया ना हो!
उसका परिवार मुसीबत में है ये जानकर अमन काफी परेशान था!
उसने घर पर बात करनी चाहि.. मगर ये क्या?
इस वक्त मोबाइल में सिग्नल नहीं था!
अमन की बेचैनी को ताड गया हो ऐसे कोने में बैठा वो लडका उसे टुकूर टुुकूर देख रहा था!
"साबजी थें मने घणा परेशाण लागों हों..? कांई बात है..?"
अमन का मन इस वक्त उससे बात करने के मुड मे नही था!
बस एक ही बात उसके सर पे चढ बैठी थी! कुछ अजीब हो रहा है उसके साथ!
धीमे-धीमे पवन का झोर बढ रहा था!
घर पहोंचना जरुरी है..! निगाह, रेहान और मां अकेले है घर में..!
तभी वो शैतानी बच्चा उसके घर मे जा धमका है..! उसका मन अब खाने में नहि लगा..!
वो उठ गया! हवा के तेज रुख से दिवार पर टंगा कैलेन्डर उसके टेबल पर आकर गीरा! फडफडा कर सब पन्ने उलट गये.. रविवार और पूष्प नक्षत्र की तारीख पर रेड मार्कर से मार्क किया गया था!
7 तारीख थी.! मतलब कल की तारीख पर मार्क था!
अमन के दिमाग में एक अजीब विचार कौंधा..!
क्या ये कोई अगमचेती थी? कोई संकेत था ,जिसके पिछे कोई दिल दहलाने वाला राज छूपा था? क्योंकि घरकी दिवार पर लिखी अरबी ईबारत कुछ दफन राज की और ईशारा कर रही थी! कुछ अनसुलझी पहेली जरुर थी, जो फिलहाल उसकी समझ मे नहीं आ रही थी!
वह लड़का जो उसे बड़े ही विचित्र अंदाज से देख रहा था! अमन ने उसे बील पे किया!
पैसों को वह लड़का लॉकर में रखने लगा! तब अमन की निगाह उसके लॉकर में रखी चीजों पर पड़ी!
वो मंगलसूत्र और गोल्ड के कंगन थे!
इन चीजों को यहां पर देख कर अमन को हैरत जरूर हुई!
"साबजी बुरा ना लगे तो एक बात बोलु?
ढाबा छोडने की अमन की छटपटाहट देखकर वो रह नही पाया!
अमन ने उसके चहेरे को गौर से देखा!
कुछ अजीब सी परेशानी भरे भाव उन आंखो मे उमड आये थे!
"रास्ता बहोत खराब है! कुछ भी हो सकता है! पिछले दस दिणों से यहां पर बहोत से हादसे हुवे है..! मने घणो डर लागे है, कहीं आपरे साथ भी कोई अनहोणी न होवे ! आप ढाबे पर रूक जावे! एक कमरो खाली पडीयो है भीतर..! "
"नही यार.. मने घर जाणो पडी! मने ठा है हाईवे अटउ(यहांसे) धणो आघो(दुर) नी है! "
"क्या थें परिवार रो होच (चिंता) करियो? थरारा(आपके) परिवार ने कीं नी रेवेला(होगा)! "
अमन को अब सचमुच डर लगने लगा था ! वह गौर से इधर उधर देखने लगा!
कुछ ऐसी बात थी , जो वह समझ नहीं पा रहा था ढाबे वाले छोरे की बात सुनकर उसके दिमाग में खलबली मची हुई थी! मैंने उसको बताया नहीं है की मेरे घर मैं वह मौजूद है फिर भी इसे कैसे मालूम हो गया की मैं मेरे परिवार की चिंता कर रहा हूं?"
बिजली का बल्ब लपक झपक करने लगा था ! अमन के मन में घबराहट हुई! वो चुपचाप ढाबे के दायरे से बाहर निकल गया! उसको महसूस हो रहा था! जैसे दो- चार आंखें उसका पीछा कर रही थी! जैसे वह लड़का बड़े ही विचित्र ढंग से अपने पीले दांत वाली कढंगी हंसी मे मग्न था!
अमन जानता था शहर तकरीबन यहां से एकाद मील दूर था!
तेज रफ्तार से चलेगा तो जल्द हाईवे तक पहुंच जाएगा! अमन के हाथ में इस वक्त वह बांस का मजबूत डंडा था!
अभी भी सियार की चीखें सुनाई दे रही थी! कच्ची सड़क पर दूर-दूर तक कोई दिखाई नहीं दे रहा था ! सुनसान रास्ता निशाचर जानवरों की चहल-पहल,कहीं एकल दोकल चमदगाड की फड़फड़ाती लहरें तो कहीं दूर दूर तक चंद्रमा की रोशनी को ढकती हुई पेड़ों की राक्षसी परछाइयां लहरा रही थी!
अमन ने एक नजर ट्रक की ओर देखा! फिर वह चुपचाप आगे चलने लगा!
हवायें सर्द थी! उसके पैरों में जान आ गई थी! किसी भी चीज की परवाह किए बगैर वह सीधे रास्ते पर तेजी से भाग रहा था कि अचानक उसे ठिठक जाना पड़ा!
उसको एक पल के लिए लगा जैसे उसके साथ साथ कोई और चल रहा था! उसकी अपनी परछाई के बगल में ही एक और परछाई उसे दिखी!
उसके बदन में रोंगटे खड़े हो गए! दिल धाड धाड बजने लगा था!
खौफ भरी निगाहों से अमन परछाई को देख रहा था!
बड़े ही ताज्जुब की बात है उसकी परछाई जैसी ही दूसरी परछाई लेफ्ट साइड पर मौजूद थी!
दोनों परछाइयां एक त्रिकोणी बना रही थी ! उसी त्रिकोण के छोर पर वह खड़ा था! रस्ते की दोनों साइड बाबुल और बेर के कांटो से इस तरह जकड़ी हुई थी अगर कोई जानवर उसे भेद कर रोड क्रॉस करना चाहे तब भी नहीं कर सकता! अचानक उस कांटो से बनी दीवार में सरसराहट हुई!
दहशत भरी निगाहों से उसने कांटो वाली झाड़ी को एक टूक होकर देखने लगा!
कांटो के बीच में एक बड़ी आंख उसने देखी! अमन का बदन पसीने से तर हो गया!
दुम दबाकर वह वहां से भागा! उसने मन में एक बात की गांठ बांध ली ! कुछ भी हो जाए पर अब ना तो इधर उधर देखना है , ना रुकना है!
वह तेजी से भाग रहा था तब तरह-तरह की डरावनी आवाजे उसका पीछा कर रही थी!
पीछे से कोई गाड़ी की हेडलाइट दिखी!
उसकी जान में जान आ गई!
उसनें गाड़ी रोकने के लिए हाथ उठाया ही था की वह हेड लाइट धीमे धीमे उसके बगल में आकर रुक गई!
वह एक पुलिस जीप थी!
एक चेहरे ने बाहर झांकते हुए कड़क आवाज में पूछा!
"क्या तुम्हारा नाम अमन है?"
जैसे उस आदमी के सर पर सींग निकल आए हो ऐसे अमन हैरानी से उसे देखने लगा!
बताओ ? वह फिर से दहाड़ा.
"हां..हां हमने हड़बड़ा कर कहा -"मैं अमन हूं मगर आपने मेरा नाम कैसे जाना?"
"गाड़ी में बैठ जाओ बताता हूं ये रास्ता बहुत खतरनाक है!
अमन के पास दूसरा कोई ऑप्शन नहीं था वह चुपचाप गाड़ी में बैठ गया!
"क्या वह ट्रक तुम्हारी है?"
"हां !"अमन ने सिर हिलाया!
जैसे अमन को लगा उस पुलिसिया को सब पता था फिर भी वह तसल्ली कर रहा था!
"गाड़ी में ही सो जाना था ना, बाहर क्यों निकले?"
उसने एक और सवाल दागा!
"मेरा घर पहुंचना बहुत जरूरी है! पुलिसिया बहुत शातिर था ! उससे कुछ भी छुपा कर जानबूझकर वह किसी नई मुसीबत में फंसना नहीं चाहता था सो बोला!
मेरी वाइफ का मैसेज आया है !वह किसी से डर रही है !कोई ऐसी अज्ञात शक्ति है जिस नए घर में प्रवेश करके खौफ का माहौल खड़ा कर दिया है! दीवार पर कुछ अरबी में इबारत बन गई थी जिसका मेरी पत्नी ने व्हाट्सएप मे उल्लेख किया है! उनको मुसीबत में छोड़कर मेरा यहां रात रुकने का मन कैसे करता?
अमन ने अपनी वाइफ के व्हाट्सएप मैसेज दिखाएं!
भूख लगी थी ढाबे पर खाना खा रहा था कि मैसेज आए?
"कौन से ढाबे पर?"
"बस यही.. मेरी गाड़ी खड़ी है उससे आगे ही तो था वह ढाबा!"
"माय गॉड ! मुझे इसी बात का डर था कि तुम उस ढाबे में कहीं उलझ ना जाओ ! अच्छा हुआ तुम महफूज निकल आए?"
"क्या मतलब.. सर..? "
"मतलब यह बरखुरदर जिस ढाबे पर तुम रुके थे ! वह ढाबा पिछले 10 दिनों से खंडहर में तब्दील हुआ पड़ा है! ढाबे वाले बाप बेटे को बड़ी बेरहमी से किसी ने मारा था!
जैसे उनके दोनों पैरों को पकड़ कर किसी राक्षसी ताकत ने बीच में से उनके शरीरो को चीर डाला था!
औह माय गोड..! पर क्यो..? "
क्यो कि उस लडके ने कार हादसे वाली जगह से मरी हुई औरत के गहने चुराये थे! "
अमन का बदन पूरी तरह कांप रहा था! यह उसके साथ क्या हो रहा था ! कैसे मकड़ जाल में फंसा था वह?
पुलिस जीप आबु के करीब पहोंच चुकी थी!
झील जैसी आंखें और सुनहरे बाल वाले अफसर ने कहा-
वारिस खान ने कभी अपनी जिंदगी में हार नहीं मानी ! ना किसी से वो डरा है!
बस एक रहस्यमई रुहानी ताकात ने उसकी जिंदगी में दखल दिया !और शुरू हुई एक खोज ! जिस की परतें एक के बाद एक खुलने वाली है!
वारिस खान ने हाईवे पर एक अच्छी होटल देखकर गाड़ी रोकी!
कॉफी का ऑर्डर देकर दोनों वहां बैठ गए!
बहुत ही लंबी कहानी है मगर तुम्हें कुछ चीजें जानी जरूरी है!
तुमने अपने फोन में जो इबारत लिखी मुझे दिखाई वह काम किसी मामूली ताकत का नहीं है !
तुम्हें कुछ बताना है..!
ग्रहों और नक्षत्रों के देवी देवताओं के साथ अरबों का जिस एक मान्यता पर सबसे अधिक विश्वास था वो थी जिन्न/शैतान/डेविल की इबादत. ग्रहों और नक्षत्रों की पूजा अरब के आसपास के इलाक़ों से अरब में आई थी
कुह्हान (Kuhhan) वो लोग होते थे जो जिन्न से संपर्क बनाते थे. ये एक तरह के भविष्यवक्ता होते थे.! इनके पास जब कोई किसी सलाह या भविष्य जानने के लिए आता था तो ये कुछ कर्मकांडों के साथ जिन्न से संपर्क करके लोगों की शंकाओं का समाधान करते थे. “जिन्नों” के वजूद को आगे चलकर इस्लाम में भी सम्मिलित किया गया और कुरान में 28 छंदों की एक “सूरह जिन्न” है जो पूरी तरह से जिन्नों को ही समर्पित है.!
श्रेष्ठ पुजारी होता था वो एक काहिन (कुह्हान शब्द का एकवचन) होता था जो ज़रूरत पड़ने पर कर्मकांड के हिसाब से जिन्नों से संपर्क साधता था.! जिन्नों से संपर्क होने के बाद काहिन लोग “अभिशप्त और अभिभूत” अवस्था में छंदों की तरह कविता के रूप में भविष्यवाणी करते थे.! ये कविताएं उसी तरह से होती थीं
अरबी लोग इन “भविष्यवक्ताओं” द्वारा कही गयी वाणी को दैवीय वाणी मानते थे और अपनी समस्याओं का समाधान उनमें ढूंढते थे.! इन भविष्यवाणियों और दैवीय कविताओं को ढके हुए कपड़े (किस्वा) पर धागों से कढ़ाई के रूप में लिखा जाता था
किसी एसे ही काहिन ने वो ईबारत जिन्न से तुम्हारे धर मे लिखवाई है!
कुछ है जो हम सब को जानना है..!
कोई ऐसा इंसान है जो किसी ऐसे काहीन की मदद लेकर यह करवा रहा है !तुम्हारे घर मैं मौजूद बच्चा कोई आम बच्चा नहीं है वह एक "जिन्नात का बेटा" है!
अमन के पैरों तले से जमीन खिसक गई! अफसर की बातें उसे हैरान कर देने वाली थी ऐसा कैसे हो सकता है एक दिन रात का बेटा मेरे घर पर क्यों पहुंच गया?"
क्योंकि तुम्हें ही दफन हुए राज को लोगों के सामने लाना है भटकने वाली आत्मा मैं नहीं जानता तुम से क्या चाहती है!
मै तुमको कैसे जानता हुं? तुम्हारे मन में यह सवाल उठा था ना?
मुझे पहले से मालूम था कि तुम इस रास्ते से गुजरने वाले हो!
वह मैं तुम्हें बताऊंगा! इत्मीनान रखो खाना खा लो!

( क्रमश:)

कौन था वह पुलिसिया...? कैसे जानता था वो अमन के बारे मे. .!

जानने के लिये पढते रहे 'वो कौन थी'