बेगुनाह गुनेहगार 7 Monika Verma द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

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बेगुनाह गुनेहगार 7

सुहानी और रोहित के बीच की बातचीत बांध हो चुकी थी। और इमरान के साथ जैसे हमसफर मिल चुका हो ऐसे सुकून मिल चुका था। लेकिन रोहित की यादों से दूर नही हुई । कैसे भूल पाती। दो साल से साथ जो थे। 


सुहानी छुटियो में घर आती है। बाकी समय अपनी जॉब पर रहती है। इराही के काम से हर कोई खुश है। यहां भी उसने अपनेपन के स्वभाव से कई दोस्त बना लिए है। मर्दो से थोड़ा दूर रहती है। सबकी मदद करती है। 

कोई ऊपरी अधिकारी उसकी गलती बताता तो उसे मानकर उसे सुधारने की कोशिश करती है। सुहानी धीरे धीरे रोहित को भुलाने की कोशिश कर रही है। घर आते ही इमरान उसे बुला लेता मिलने के लिए। दोस्त के खाली घर मे। प्यार भरी बातें करते प्यार भरे पल बिताते।

सुहानी इमरान को खुश देखकर खुश रहती है। इमरान और सुहानी शादी के बाद क्या करेंगे उसकी बातें करते रहते। सुहानी इमरान के रिश्ते के बारे में किसी को नही पता। सिवाय इमरान के दोस्तो को। 

सुहानी हैरी से भी बहोत प्यार करती है। वो चाहती है जिस तरह सुहानी ने भुगता है वो हैरी न भुगतें। हैरी की पढ़ाई लिखाई में कोई बाधा नही चाहती। सुहानी ने अपनी कमाई के पैसे हैरी की पढ़ाई में खर्च करना शुरू कर दिए। हैरी की जरूरत की सारी किताबे, फीस में सुहानी मदद करती है। मम्मी पापा के ताने भी सुनती है। 

सुहानी ने इमरान से बात की हैम घर मे हमारे रिश्ते के बारे में बता देते है। शादी हम बाद में करेंगे। 
इमरान ने कहा अभी नही। मुझे सेटल हो जाने दो बाद में कहेंगे। 

सुहानी इस वजह से चुप रही। सुहानी के मम्मी पापा उसे शादी के लिए फ़ोर्स करने लगे। लेकिन सुहानी अब किसी अनजान घर मे नही जाना चाहती। मासी घर 3 साल बिताये है। बंधन वगेरा सुहानी को पसंद नही। 

सुहानी के सपनो के बीच कोई अवरोध आये यह उसे बिल्कुल पसंद नही। उसमे भी शादी तो बिल्कुल नही। इमरान पे भरोसा हो चुका था इसी वजह से उसने इमरान को हा कही थी। 

अब सुहानी के माता पिता सुहानी से बात करना बंद कर चुके है। सुहानी ने बहोत कोशिश की। लेकिन कुछ नही हुआ। इराही का फ़ोन आता तो बातचीत हो जाती। 

अब सुहानी के पापा सुहानी के साथ रहने लगे। एक दिन सुहानी के पापा अपने बड़े भाई को सुहानी के यहाँ लेकर आए। चल चलन उनके कुछ अच्छे नही है। सारा परिवार इस बात से वाकेफ है। लेकिन सुहानी इन सब से अनजान है।


एक दिन सुबह सुबह जब पापा नहाने गए तब अंकल ने सुहानी को कमरे से आवाज लगाई। 

सुहानी अंकल के पास गई और बोली जी अंकल बोलिए। 

अंकल ने सुहानी का हाथ पकड़ कर अपनी ओर खींच लिया। सुहानी को गले लगा लिया। अंकल ने सुहानी के गाल पर किस किया। सुहानी मुस्कुराई। अंकल के इरादे वह समझ नही पाई। फिर अंकल ने सुहानी को कस के गले लगाया। उसकी छाती कमर धीरे धीरे नीचे की और बदन को दबाते हुए छूते गए। 

सुहानी बोलने लगी नही । जाने दो मुझे।

अंकल बोले अच्छा जा अभी। नखरे दिख रही है बदमाश! रात को मेरे बिस्तर में आना। एन्जॉय करेंगे। बहोत मजा आएगा। आएगी न?

सुहानी यह सुनकर हक्का बक्का रह गई। tv में यह सब देखा तो था लेकिन यह सब सुहानी लाइव देख रही है। फील कर रही है। किसी भी तरह अंकल को धक्का मारकर वहाँ से निकल गई। वख्त होते ही जॉब पर चली गई। और मम्मी को कॉल किया। उसने बताने की कोशिश की। मम्मी अंकल अच्छे नही है। पापा को बोलो उन्हें यहाँ से ले जाए। मुझे वो मेरे सामने बिल्कुल नही चाहिए। 

लेकिन मम्मा कुछ समझ न पाई या नासमझ होने का नाटक कर रही थी समझ न पाई। न ही सुहानी खुल के कुछ बता पाई। 

कैसे बताती ? सुहानी की माँ ने कभी उसे इतने करीब रखा ही नही। सुहानी की तबियत खराब होती तो भी सुहानी मम्मी को नही बता सकती थी। है प्यार तो था मम्मी और सुहानी के बीच। लेकिन कुछ दूरिया रह गई। जो मिट ही नही पाई। 

दूसरे दिन अंकल वहाँ से चले गए। अब तक कि सुहानी की गलती समझ आती है। लेकिन इस बार? सुहानी की क्या गलती थी? यही की वो एक लड़की है? काश वो एक लड़का होता। 
क्या इमरान सुहानी का साथ देगा? या इस बार भी इराही के नसीब में था सिर्फ धोखा। देखते है अगले अंक में।