वो कौन थी.. SABIRKHAN द्वारा डरावनी कहानी में हिंदी पीडीएफ

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वो कौन थी..


(अपने अंदाज को बरकरार रखते हुये एक और कहानी लेकर हाजिर हुं )

मकान हवा उजास वाला और काफी बडा है जिजु..!
निगाहने सारे कमरे का मुआयना करके अरमान के चेहरे पर उभर आए विचित्र भावों को पढ़ने की कोशिश करते हुए कहा
वैसे आप और जीजी को रहना है !
पसंद नहीं है तो दूसरा ढूंढ लेंगे तब तक आप मेरे घर में रह जाओ!
फ्लैट के 3 बड़े बड़े कमरे और किचन को देखने के बाद अरमान को जो विचित्र एहसास हुए उसको वह जाहिर कर के अपनी पत्नी नाज को परेशान करना नहीं चाहता था!
मन के विचारों पर कंट्रोल करते हुए तेजी से उसने निगाह से कह दिया!
फिलहाल तो निगाह हम इसी मकान में रह लेंगे..!
यस जीजी.. घर इतना भी बुरा नहीं है..! मेरे लिए सबसे फायदेमंद तो यही बात है कि जीजा और तुम दोनों मेरे घर के बिल्कुल सामने हो..!
और फिर तेरे इर्द-गिर्द ही कोई बड़ा मकान होगा तो बाद में देख लेंगे.!
ठीक है.. साफ सफाई करवा कर अपना सामान अंदर रखवा देते हैं..!
चलो अब तुम दोनों मेरे घर पर तब तक वह झाड़ू पोछा वाली भी आ जाएगी साफ सफाई उससे करवा देती हुं !
पंजाबी सलवार कुर्ते में अपने गोरे बदन को ढके हुए निगाह के मखमली श्वेत चेहरे पर फूलों सी मुस्कान छा गई!
अरमान ने आंखो से गर्भित इशारा किया!
तब नाज थोड़ी कसमसाई उसकी चेहरे पर सख्ती थी! उस नकली रोष में भी मोहब्बत की झलक रही थी!
काफी मेल था दोनों का आपस में!!
कभी कोई अनबन नहीं!
शादी के बाद साथ रहते हुए 5 साल गुजर गए थे! अब चार साल की एक प्यारी बच्ची थी!
अरमान एक अच्छा मोटर मैकेनिक था!
अपने छोटे से गांव में काम बहुत कम मिल रहा था! उस वजह से वह परेशान रहता था!
आर्थिक विडंबना की वजह से नाज को धरणी की स्वर्ग से सुंदर काफी जगहों पर घुमाने की उसकी मंशा अधूरी ही रह जाती थी!
जब नाजने अरमान की चिंताओं का जिक्र निगाह से किया तो उसने मशवरा देते हुए कहा था कि अपने मियां को लेकर तू जल्द से जल्द मेरे पास आजा! राजस्थान का पाली शहर बहुत बड़ा है!
उसका काम यहां कभी रुकेगा नहीं!
निगाह की बातों पर गौर करके
नाज ने पाली जाने के लिए अरमान को मना लिया!
और आज वो दोनो पाली मे थे!
अपनी साली के घर मे खाना हुवा तब तक ईत्मिनान से मजदूरो के पास घर की सफाई करवा के सामान भीतर रखवा दिया..!
आज दुसरे शहर मे उन्होने अपनी जिंदगी की कश्ती आगे बढाई!
छोटे छोटे तीन कमरे थे!
हर एक कमरे में खिडकिया थी जिस पर परदे लगे थे..!
मध्यस्थ खँड को बेडरुम के लिये दोनो ने चुना था!
फस्ट कमरा महेमानो के लिए मुकर्रर कर दिया और लास्ट कमरा डायनिंग होल धोषित किया..!
हदिस अपनी मा को चिपक कर लेटी थी!
अरमान अपनी साली और साढु के पास गप्पे लडा रहा था!
नाज खाना तैयार करके अरमान का वेईट कर रही थी!
काफी देर हो गई थी !
नये अंजाने शहर मे खुद को अकेली छोड कर अरमान का बाहर रहना उसके मन को नही भाया! वो काफी गुस्सा थी!
उसका गुस्सा अब ज्वाला मुखी बनकर अरमान पर टूटने वाला था!
तकरीबन साडे ग्यारा के करिब बिजली चली गई!
नाज काफी डर रही थी!
वह सूनमून होकर बेड मे लेट गई!
आंखे बंद करके उपर शॉल ओढली थी उसने!
की तब उसे कदमो की आहट सूनाई दी!
वो सो ने का ढोंग कर के पडी रही..!
अरमान ने अपने फ्लेट का गेट खोलकर भीतर एन्ट्री की अंधेरा गहेरा था..!
सामने किचन नजर आ रहा था..! फिर तीन कमरे थे!
किचन मे उसने एक परछाई देखी!
जो उसके पास होकर गुजरी.. !
अरमान को गुस्सा आया !
"बच्ची यहां गुम रही है और उसकी मा बिंदास्त होकर सो गई होगी..!
वो लडकी की परछाई अचानक उसकी आंखो से ओझल हो गई!
अरमान अंधेरे मे मोबाईल की टोर्च निकाल कर दरवाजे की और घुरता रहा!
दरवाजा बंद कर के फिर वो अपने बेडरुम मे आया!
मोबाईल टोर्च का फोक्स बेड पर डाला..!
उसकी मा से लिपट कर वो बच्ची सोई हुई थी!
अरमान के सर से काफी बोज हल्का हो गया!
पर दिमाग अभी भी गुमराह था!
किसकी परछाई थी? वह गुडिया आखिर कौन थी?
जब ईधर चूपचाप नाज को जगाकर दोनो ने खाना खाया !
उस वक्त निगाह के मकान की सिढिंया वो छोटी सी बच्ची रात का अंघेरा चीरते हुई चढ रही थी!
जिसकी परछाई किसी को नजर आने से रही!
*******

"बावली हो गई है छोरी तू..?आधी रात को हाथों में पैरों में और बालों में मेहंदी लगा वेगी तू?"
जीजा जीजी की मेहमान नवाजी करने के बाद फ्लैट में उनका सामान शिफ्ट करवा के अब फ्री हुई थी !अमन के आने से पहले निगाह पैरों में मेहंदी लगाने बैठ गई थी!
उसका ख्वाईद अमन लोरी चलाता था! तीन चार रोज पहले लोरी लेकर वह हैदराबाद की ट्रिप पर गया हुआ था! उसकी कुछ देर पहले ही कॉल थी! निगाह को सूचित किया गया था, कि "खाना बनाकर रखें वह बस पहुंचने वाला है!
तब से निगाह बहुत खुश थी! गुलाब से हॉट हल्की सी लिपस्टिक से रंगे थे ! गोरे चेहरे पर मासूमियत निखर उठी थी! बड़ी-बड़ी बोलती आंखों में काजल लगाया था! कानों में इयररिंग्स और गले में मोतियों का व्हाइट नेकलेस उसके बेनमून रूप में चार चांद लगा रहा था! ऊपर से उसके होठों पर सजी थी मुस्कान..!
जीजा और जीजी उसके करीब रहने आए हैं !वो बात निगाह अमन को बताना चाहती थी! उसका मन काफी उतावला हो रहा था! अमन को अब तक आ जाना चाहिए था!
मेहंदी लगाने से पहले वह दस बार अमन को कॉल कर चुकी थी! नंबर कवरेज क्षेत्र से बाहर आ रहा था!
अपने मन में उठ रही अनुचित आशंकाओं से बचने वह मेहंदी लेकर बैठ गई थी ! तो सासु जी को काफी अचंभा हुवा!
निगाह उनकी बात सुनकर शरारत करती हुई बोली "मम्मी जी आपने भी लगा दु मेहंदी? पैरों में और माथे पर ठंडक हो जावेगी!
"नई..नई छोरी अमन ने आजाणे दे! कल तू अपना शौक पूरा कर लेणा! जब तक छोराऊं बात नी रेवे मारो जीव धणो उचाट मे है थने कांई बतावु में..!"
पर मम्मी जी अबार फोन री दस ट्राय लगा दी है मै णे..! कोल लागो कोनी है..! आप फिकर कोनी करो..! अब वो ड्रावर है और ड्रावरां री जिंदगी यु ज है..! टाईम माथे पहोच गिया तो पहोंच गिया.. वरना राह तक बोकरां.. पुरी जिंदगी..! "
"छोरी अल्ला न करे कोई बुरी बात हुई हो..!
सासुजी ने ईतना कहा की बाहर बिल्ली के रोने की आवाज आई..!
"मने कुछ भी ठीक न लागे है छोरी..! ये सब अशुभ संकेत होवे..! "
"मम्मी सरदी धणी पडे है थे रजाई ओढ ने आरामउ सो ई जावो..! वो आवेला जदी थनोने जगाउला..!"
"कोई फोण बी आवे तो मारूउ बात कराणा..! "
ठीक है थे सो जाओ..!
वो अपनी सास को संभाल रही थी ,फिरभी उसका मन समय जैसे जैसे गुजरने लगा उदास होता गया!
की तभी अचानक फोन की रींग बजी!
उछलकर उसने तपाक से फोन उठा लिया!
फोन की स्क्रीन पर अमन का नाम देखकर उसकी जान में जान आ गई थी!
कहां थे जी ईतनी देर से कब से ट्राय कर रही थी!
अरे यार निगाह फोन की बैटरी डिस्चार्ज हो गई थी, और एक मुसीबत आ गई है?
"अबे की होया?"
आबू से कुछ आगे रास्ते में गाड़ी पंक्चर हो गई है! दोनों टायर पंक्चर है !गाड़ी छोड़कर नहीं आ सकता हूं समाण भरा पड़ा है!
कोई बात नहीं अपणा ख्याल रखणा मम्मी जी काफी परेशाण थी!"
"बात करवा दो म्हारी..!"
उसकी सासने निगाह को बात करते हुए सुना तो बोली "छोरा रो फोन है लाव मने दे..!"
अमन ने मम्मी जी से बात की वह और सुबह पहुंचने वाला है यह बात जानकर उन्होंने सुकून की सांस ली !फिर वह आराम से निश्चिंत होकर सो गए!
रात को उसकी आंख खुल गई!
अपना छोटा सा बच्चा बगल में सोया हुआ था ! वह बात रात को उसे याद ना रही! अचानक किसी ने दरवाजे पर दस्तक दी!
इस वक्त कौन हो सकता है ?
एक पल के लिए उसे लगा नाज और अरमान को कोई परेशानी तो नहीं हुई होगी ना..? उसका मन व्यग्र था कदम लड़खड़ाए रहे थे जब दरवाजे तक पहुंची बाहर से किसी बच्चे की आवाज आई !
"मां..! ओ मां...!"
एक जोर का झटका उसके ह्रदय को लगा! माय गॉड ! ये तो अपने रेहान की आवाज है ! इस वक्त वह बाहर क्या कर रहा है? उसको तो मैंने अपनी गोद में सुलाया था फिर वह बाहर कैसे पहुंच गया?
पगलाईसी होकर निगाह मैं कुछ भी सोचे समझे बगैर दरवाजा खोल दिया!
वह उसका बच्चा रेहान ही था ! बाल बिखरे हुए थे! जैसे धूल मिट्टी से सारे कपड़े खराब हुये थे!
इतनी रात गए तू कहां खेल रहा था अंदर आ जा ! मेरी तो जान ही निकल गई!"
वह बच्चा दौड़ कर अंदर कमरे में चला गया!
निगाह उसके पीछे पीछे ही भागी!
उसने देखा कि वह दौड़ता हुआ बेड के नीचे छुप गया!
जब निकाह की नजरें बेड पर गई तो उसकी हालख से चीख निकल गई!
उसका अपना रेहान मुंह तक रजाई औढे सोए हुए था!
और बेड नीचे से वह बच्चा गायब था! निगाह के होश उड़ गए ! दिमाग सून्न रह गया ! समझ में नहीं आ रहा था , वह कौन बच्चा था? जिसके पीछे पीछे वह भागी चली आई?
उसके चेहरे का रंग उड़ गया था! अपने ही कमरे में एंटर होते वक्त उसके कदम लड़खड़ाए ने लगे!
(क्रमश:)

कौन था वह बच्चा? क्या थी उसकी दास्ता.. जानने के लिये पढते रहे "वो कोन थी..? "