मेरी प्यारी शैली
आशीष कुमार त्रिवेदी
मेरी प्यारी शैली
तुमको यह पत्र लिखना आरंभ करने से पहले मै बहुत देर तक कागज़ और कलम लिए बैठा रहा। जिससे रोज़ ही मुलाकात होती हो, फोन पर बात या वाट्सऐप पर चैट होती हो उसे पत्र लिखना कुछ अजीब लग रहा था। लेकिन मेरे दिल ने महसूस किया कि रोज़ मिलने या बात करने के बाद भी मन में बहुत कुछ ऐसा रह जाता है जो अनकहा हो। शायद तुम्हारी उपस्थित चाहें वह फोन पर ही क्यों ना हो मुझे सम्मोहित कर लेती है। हर बार तुमसे मिलकर या बात करके मैं यही महसूस करता हूँ कि मेरे ह्रदय में तुम्हारे लिए जो प्रेम है मैं सही प्रकार से उसका इज़हार नहीं कर पाया हूँ। इसलिए मैंने तुम्हें पत्र लिखने का विचार किया।
आज 14 फरवरी है। यानी वेलेंटाइन डे। जिसे प्रेम की अभिव्यक्ति का दिन माना जाता है। अतः तुम्हें पत्र लिखने के लिए इससे अच्छा और कौन सा दिन हो सकता था।
दरअसल मैंने कभी भी तुमसे अपने प्रेम का इज़हार नहीं किया। कभी मौका ही नहीं मिला। हमारी प्रेम कहानी कोई सामान्य प्रेम कहानी नहीं है। लोग कहते हैं कि जब प्यार होता है तब दिल में घंटियां बजती हैं। सब कुछ सुंदर लगने लगता है। व्यक्ति एक अजीब से ख़ुमार में डूबा रहता है। ऐसा होता होगा पर हमने महसूस नहीं किया। जिन हालातों में हम एक दूसरे के पास आए उनमें ऐसा होना संभव भी नहीं था।
हम दोनों के प्यार का आधार एक त्रासदी बनी। उस रेल हादसे ने हम दोनों के ही जीवन में अवसाद का अंधेरा भर दिया था। मैं अपनी पत्नी के साथ हनीमून से लौट रहा था। जब आधी रात के समय अचानक जैसे कोई धमाका हुआ। बाद में पता चला कि रेलगाड़ी पटरी से उतर गई। थी। जब होश आया तो मैंने देखा कि मेरी पत्नी सीट के नीचे दबी है। मैंने उसे खींच कर निकालना चाहा किंतु वह मुझे छोड़ कर जा चुकी थी।
रक्षकदल ने मुझे डब्बे से बाहर निकाल लिया। अपने दुख में डूबा मैं बैठा था। तभी मेरी नज़र तुम पर पड़ी। तुम बदहवास सी इधर उधर देखती हुई किसी को खोज रही थी। कुछ ही समय पहले मैंने भी अपने को खोया था। तुम्हारी मनोदशा मैं समझ सकता था। मैंने तुम्हें शांत कराने के लिए हाथ में पकड़ी बोतल से पानी पिलाया। शांत होने पर तुमने बताया कि तुम अपनी माँ को खोज रही हो जो इसी गाड़ी से तीर्थयात्रा कर लौट रही थीं। हम दोनों ने मिलकर उन्हें खोजा। पर वह तुम्हें इस दुनिया में अकेला छोड़ कर जा चुकी थीं। उस दिन दर्द की एक डोर ने हमें बाँध दिया था। हमदर्द बनकर हम एक दूसरे का दर्द बांटने लगे।
समय बीतने के साथ हमारा आपसी विश्वास बढ़ता गया। हमदर्दी और विश्वास कब प्रेम में बदल गया हमें पता ही नहीं चला। हमने उस प्रेम की दस्तक नहीं सुनी। वह तो चुपचाप हमारे दिलों में आकर बैठ गया। हमने तो बस उसकी उपस्थिति को अनुभव किया। जब तक हम प्रेम की पदचाप सुन पाते हम दोनों प्रेम में भींग चुके थे। इसलिए मैं कभी तुमसे अपने प्रेम का इज़हार नहीं कर सका।
अब जब हमने एक दूसरे का हाथ थाम कर इस जीवनपथ पर साथ चलने का फैसला लिया है तो मेरे मन में इस बात की इच्छा जागी है कि मैं तुम्हें बता सकूँ कि मैं तुमसे कितना प्रेम करता हूँ। तुम्हारा मेरे जीवन में क्या स्थान है। कि तुम्हें पाकर मैं खुद को कितना खुशकिस्मत समझने लगा हूँ। वैसे मैं तुमसे मिलकर भी यह सब कह सकता था। लेकिन तुम्हारे सामने आते ही ना जाने क्यों मेरे शब्द मौन हो जाते हैं। दिल में कई प्रकार के जज़्बात उठते हैं पर ज़ुबां तक नहीं आ पाते। इसलिए कागज़ का यह टुकड़ा मेरे मन के भावों को अपने अंतस में समेट कर तुम्हारे पास लाएगा। यह ख़त मेरे मन का दर्पण बन कर तुम्हें मेरे प्रेम का अक्स दिखाएगा।
यूँ तो प्रेम की गहराई नाप सकना संभव नहीं है। फिर भी यदि मैं तुमसे यह कहूँ कि मैं तुम्हें अपने प्राणों से भी अधिक चाहता हूँ तो यह मेरे दिल में तुम्हारे लिए प्यार का जो सागर हिलोरे मार रहा है उसकी गहराई की कुछ थाह दे सकता है। 'प्राणों से भी अधिक प्यारा होना' यह पंक्ति यूं तो प्यार दर्शाने के लिए सबसे अधिक प्रयोग की जाती है। लेकिन यह सच्चे प्यार को ही दिखाती है। कठिन से कठिन परिस्थिति में भी एक इंसान जिसकी हिफाज़त को सबसे अधिक उद्धत रहता है वह उसके प्राण ही तो होते हैं। अब यदि कोई किसी को अपने प्राणों से भी अधिक चाहे तो फिर उसके प्यार की गहराई को आसानी से समझा जा सकता है। मैं तुम्हें इतना अधिक चाहता हूँ कि यदि आवश्यक्ता पड़े तो तुम पर अपने प्राण भी न्यौछावर कर सकता हूँ।
मैं तुमसे जितना अधिक प्रेम करता हूँ उतना ही तुम्हारा मेरे लिए प्रेम मेरे जीवन में महत्व रखता है। तुम्हारा प्रेम मेरे जीवन की सबसे अधिक मूल्यवान पूंजी है। तुम्हारा प्रेम उस धूप की तरह है जो एक ओर मेरे ह्रदय में ऊष्णता का संचार करता है तो दूसरी तरफ मेरे जीवन में प्रकाश फैलाता है। वह मुझे पूर्णता प्रदान करता है। तुम्हारे प्यार ने मेरे जीवन में आ गई रिक्तता को भर कर मुझे जीना सिखाया है।
यदि मुझे तुम्हारा प्यार ना मिला होता तो मैं अपने ग़म के अंधेरों में डूब गया होता। किशोरावस्था में ही मैं अनाथ हो गया था। ननिहाल में आश्रय तो मिला किंतु परिवार की कमी सदैव महसूस होती रही। अपने पैरों पर खड़ा होने पर मैंने बहुत चाव से अपना घर बनाया। विवाह किया। उस दिन ट्रेन में अपनी बर्थ पर लेटे हुए मैं अपने आने वाले दिनों के सुखद सपने ही देख रहा था। पर एक झटके में ही सारे सपने बिखर गए। तकदीर की इस ठोकर से मैं बुरी तरह टूट गया था। मैंने ज़िंदगी से मुंह मोड़ लिया। उस मुश्किल वक्त में तुम एक ईश्वर का वरदान बन कर मेरी ज़िंदगी में आईं। अपने स्निग्ध प्रेम और समझदारी से तुमने मेरे मन के विषाद को दूर कर मुझमें पुनः जीने की इच्छाशक्ति का संचार कर दिया।
शैली तुम्हारे भीतर असाधारण सहनशक्ति है। उस कठिन समय में तुम ना सिर्फ अपने दुख से जूझ रही थीं बल्कि मेरे दुख से लड़ने में मेरी सहायता भी कर रही थीं। मैं यदि तुम्हारी जगह पर होता तो इतना धैर्य ना रख पाता। मैं अक्सर तुमसे सिर्फ अपने दुख की बात करता था। यह भूल जाता था कि तुम भी उसी अकेलेपन की आग में जल रही हो। किंतु तुमने सदा बिना धैर्य खोए मेरी बात सुनी। मुझे सदैव अपने दुख से लड़ने की प्रेरणा दी।
अब तक तुमने मुझे बहुत कुछ दिया है। अब मेरी बारी है। मैं तुम्हें इस बात का भरोसा दिलाता हूँ कि मैं सदैव तुम्हें खुश रखने का प्रयास करूँगा। तुम्हारी सारी तकलीफों को अपनी परेशानियों से ऊपर रखूँगा। तुम्हें जब भी मेरी ज़रूरत होगी मुझे अपने साथ पाओगी। मैं सदा धैर्य और प्यार से तुम्हारे साथ पेश आऊँगा।
किसी भी रिश्ते के लिए सबसे ज़रूरी होता है आपस का विश्वास। उसी विश्वास के सहारे दोनों बेफिक्री से अपना जीवन एक दूसरे को सौंप देते हैं। इस विश्वास के टूटने से रिश्ता एक घुटन भरी क़ैद बन जाता है। मैं तुम्हें इस बात का पूरा यकीन दिलाता हूँ कि कभी भी तुम्हारा मुझ पर जो भरोसा है उसे शर्मिंदा नहीं करूँगा।
शैली मैने इस कागज़ पर जो लिखे हैं वह महज़ शब्द नहीं हैं। वह मेरे मन के सच्चे भाव हैं। यदि तुम इन शब्दों पर अपनी उंगलियां फिराओगी तो इनमें मेरे ह्रदय की धड़कनों को महसूस कर सकोगी।
इतने दिनों से मैं जो कहना चाहता था वह सब मैंने इस पत्र में लिख दिया है। मुझे पूरा भरोसा है कि यह पत्र तुम्हें मेरे प्रेम की गहराई का अनुभव करा पाएगा।
अपने जीवन में जीवनसाथी के रूप में तुम्हारे आने की प्रतीक्षा करता.....
तुम्हारा....