मुस्कान का खेल
ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाष’
‘‘ अरे ! तुम मेरी बात तो सुनो,’’ रोहित जोर से चिल्लाया. मगर उधर से फोन काट दिया गया था.
रोहित घबराया हुआ था. उस ने फोन फेंक दिया. वह बिस्तर पर गिरा. जोर से मुक्का मारा. उठ खड़ा हुआ. फिर टहलता लगाा . घर से बाहर निकला. वापस अंदर आया. टेबल पर लैपटौप रखा था. उस के पास गया. चैटिंग पर लिखा.
‘‘ एक बार मेरी बात सुन लो. प्लीज...प्लीज.....प्लीज.’’
उधर से कोई जवाब नहीं आया.
रोहित बहुत घबराया हुआ था. उस की धड़कन बढ़ने लगी. वह उठा. हाथ में लोटा लिया. दो घुट पानी पिया. लोटे को फेंक दिया ़ तेजी से घुमा. लैपटौप की ओर बढ़ा. उस पर कोई जवाब नहीं था.
ठण्ड के दिन थे. लोग घरों में दुबके पड़े थे. सुबह का समय था. सूरज अभी निकला था. मगर रोहित को गरमी लग रही थी. उस ने बुशर्ट उतार कर फेंक दिया. फिर वापस घर से बाहर गया. जोर से चिल्लाया़
‘‘ कोई है,’’ कहते हुए वह अंदर आया.
पंखे की तरफ देखा. वह तेजी से घुम रहा था.
‘‘ क्या हुआ रोहित ? ’’ अंदर से किसी ने पुकारा.
रोहित चैंका. उस के कमरे में कौन हो सकता है. वह तुरंत पलटा.
सामने संजय खड़ा था.
‘‘ क्या बात है ?’’संजय ने उस के दोनों बांहे पकड़ कर पूछा,‘‘ बहुत परेशान लग रहे हो.’’
रोहित कुछ नहीं बोला.उस का गला रूंघ गया था. आंखें से आंसू बहने लगे. वह फफक कर रो पड़ा,‘‘ कुछ नहीं संजय, मैं बहुत परेशान हूं. लगता है कि जिंदगी समाप्त कर लूं ,’’ कहते हुए संजय धड़ाम से बिस्तर पर गिर पड़ा.
वह जोरजोर से रो रहा था. जैसे कोई मासूस बच्चा गिर जाने के बाद रोता है.
संजय उस के पास बैठ गया. उस के सिर पर हाथ फेरा. उस के बाल सहलाए. दूसरे हाथ से आंसू पौंछे. उस का सिर उठा कर गोद में रख लिया . सहारा पा कर रोहित संहला.
‘‘ मुझे पता था, तुम परेशान हो,’’ संजय ने रोहित को सीधे करते हुए कहा.
‘‘ मगर इतने परेशान होगे, यह मुझे पता नहीं था.’’
‘‘ मैं अब जीना नहीं चाहता हूं,’’ रोहित रोते हुए बोला,
‘‘ऐसा नहीं कहते.’’ संजय ने कहा.
‘‘ मैं क्या करूं ?’’ कहते हुए रोहित फिर रोने लगा.
संजय ने उसे सांत्वना दी,‘‘ संजय दुनिया में कोई ऐसा इनसान नहीं है जिस ने गलती न की हो. सभी गलती कर के उस से सबक लेते है. इस से वे भविष्य में ग्रलती नहीं करने के लिए सजग होते है. इसलिए जब तक तुम नहीं बातओगे कि समस्या क्या है तब तक उस का समाधान नहीं निकला जा सकता है ?’’
वह कुछ देर रूका. उस की बात का असर रोहित पर हो रहा था. उस ने रोना बंद कर दिया था. संजय ने अपनी बात जारी रखी,‘‘ रोहित मैं जानता हूं कि तुम एक बहादूर लड़के हो. इतनी जल्दी हिम्मत नहीं हार सकते हो.
‘‘ मगर जब तक तुम अपनी समस्या नही बातओगे, तब तक मैं कैसे जान पाऊंगा कि समस्या क्या है ? उस का समाधान कैसे किया जाना है ?’’
यह सुन कर रोहित उठ बैठा.
‘‘ मैं ने बहुत बड़ी गलती है. जिस की माफी मुझे कभी नहीं मिल सकती है,’’ रोहित ने कहा.
फिर उस ने जो कहा उसे सुन कर संजय भी दंग रह गया.
‘‘ आज फिर उसी मुस्कान का फोन आया था. उस ने कहा है कि यदि मैं ने दूसरी किश्त के 10000 रूपए नहीं दिए तो वह मेरी रिपोर्ट पुलिस में कर देगी.’’ रोहित ने बताया.
‘‘ वह ऐसा कैसे कर सकती है ,’’ संजय ने पूछा तो रोहित ने बताया ‘‘ उस के पासे मेरे अश्लील सीडी है जिस के बल पर वह मुझे नचा रही है.’’
‘‘ मगर , यह कैसे हुआ ?’’
तब रोहित ने विस्तार से बताना शुरू किया.
मैं रोज फेसबुक चलाता था. एक दिन मुस्कान से दोस्ती हुई. बातचीत चली. वह मुझ से चैटिंग करने लगी. उस से पहले सामान्य बातें होती थी. बाद मे प्यार की बातें होने लगी. वह मुझ से खुलने लगी. मैं ने उस से प्यारमनुहार की बातें की.
यह सिलसिला गत एक वर्ष से चल रहा था.
धीरेधीरे उस की बातें बदली. अब वह सैक्स की बातें करने लगी थी.
पहले उस ने लिखा,‘‘ मैं आप से मिलना चाहती हूं?’’
‘‘ क्यों ?’’
‘‘ आप अच्छे लगते है.’’
‘‘ अच्छा.’’
‘‘ जी.’’ उस ने लिखा,‘‘ मैं आप के ........’’
‘‘ क्या ?’’
‘‘ गले लगना चाहती हू.’’
‘‘ यह कैसे संभव है,’’ मैं ने उस से पूछा.
‘‘ मझ से मिल कर ,’’ उस ने मुझ को उकसाया.
मुझे उस की बातें में मजा आने लगा था. इस काराण बातों का सिलसिला आगे बढ़ने लगा.
रोहित बताए जा रहा था. मैं भी उस के साथ चैटिंग करने लगा. वह सैक्स की बातें करने लगी. मैं ने भी उस से सैक्स की बातें की.
उस ने मुझे कहा,‘‘ मैं आप का सीना देखना चाहती हू.’’
मुझे उस की यह बात अच्छी लगी. वह लड़की मुझे चाहती है. वह मुझ से प्यार करती है. यह मेरे लिए सुखद अनुभूति थी. मैं ने उसे अपना सीना दिखा दिया. बस यही से हमारे बीच वीडियों चैटिंग का सिलसिला शुरू हुआ.
‘‘ फिर, इस के बाद क्या हआ ?’’ संजय ने रोहित को पानी का गिलास देते हुए पूछा.
रोहित ने एक घुट पानी पिया. गिलास टेबल पर रखा. फिर एक लंबी सांस ली.
‘‘ इस के बाद हमारे बीच एकदूसरे के अंग देखने के लिए वीडियों चैटिंग होने लगी.’’
बात धीरेधीरे आगे बढ़ी.
हमारे दिन मुश्किल से बीतते थे. हम रात का इंतजार करते थे. कब रात हो, हम बातें करे. बस , रोज यही काम था. समय पंख लगा कर उड़ रहा था.
एक दिन मुस्कान ने कहा,‘‘ तुम अपनी छाती पर हाथ रखो.’’
‘‘ मैं यह सुन कर रोमांचित हो गया,’’ रोहित बोला,‘‘ मुझ में जोश आ गया था. ’’
मुस्कान मेरी हो चुकी थी. हमारे बीच कोई दूरी नहीं थीं. जैसे दो जिस्म एक जान हो.
‘‘ मैं तो उसे अपने सपनों की रानी मान चुका था,’’ रोहित बोला,‘‘ मैं ने उस से कहा,‘‘ पहले तुम अपनी छाती दिखाओ?’’
बस फिर क्या था. मुस्कान ने शरमाना शुरू किया.पहले उस ने कुछ नानुकूर की. मैं ने बहुत खुशामद की. तब काफी मानमनोव्वल के बाद वह मान गई. उस ने अपना कुरता ऊपर कर दिया. बस , फिर क्या था. मुझे इस जग की सारी खुशियां मिल गई थी. मैं ने उस के कहे अनुसार कार्य करना शुरू कर दिया.
अचानक एक दिन मुस्कान ने मुझ से अपना मोबाइल नंबर मांगा. यह सुन कर मैं बहुत खुश हुआ. अब मुस्कान से मोबाइल पर भी बात हो जाया करेगी
मैं ने उसे अपना मोबाइल नंबर दे दिया.
शाम का उस का फोन आया. मैं बहुत खुश था. मगर उस का फोन सुनते ही मेरे नीचे की जमीन निकल गई.
‘‘ तुम यह क्या कह रही हो,’’ मैं ने उस से पूछा.
मुझे उस की बात पर विश्वास नहीं हो रहा था.
वह कह रही थी,‘‘ रोहित ! तुम ने जोजो हरकत की है वह मेरे पास सीडी में रिकार्ड है. तुम ने मुझ से क्याक्या करवाया और खुद ने मेरे सामने क्याक्या किया है. तुम ने मेरे सामने अश्लील हरकत की है. यदि तुम ने मुझे 50000 रूपए नहीं दिए तो मैं यह सीड़ी पुलिस को दे दूंगी.
‘‘ जानते हो इस से तुम्हारी कितनी बदनामी होगी. तुम कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहोगो.’’
इस के बाद से मुस्कान मुझे ब्लैकमैल करने लगी.
‘‘ फिर ?’’
मैं ने पिताजी से झूठ बोला. उन्हीं बताया कि मुझे 20000 फीस भरना है. उन से 20000 रूपए ले कर मुस्कान के बताए अकाउंट में डाल दिए. ताकि वह मुझे बदनाम न करें.
यह मेरा भ्रम था. उस का आज दोबारा फोन आया. वह मुझ से फिर 10000 रूपए मांग रही थी. कह रही थी कि मैं ने पैसे नहीं दिए तो वह पुलिस में शिकायत कर देगी. मैं ने उस का मानसिक व शारीरिक शोषण किया है.
यह सुन कर संजय चैंक उठा.
‘‘ यह बात हैष्’, वह कुछ रूक कर बोला,‘‘ तभी मैं सोचूं कि रातदिन चहकने वाला रोहित कुछ दिनों से गुमशुम क्यों रहने लगा है.’’
‘‘ पहले तुम मोबाइल से खेला करते थे. अब मोबाइल के नाम से दूर रहते हो. पहले लड़कियों से बात करने में तुम्हें मजा आता था, अब उन के नाम से चिढ़ने लगे थे.’’
‘‘ हां, मैं क्या करता. मुझे लड़की नाम से नफरत हो गई . यदि लड़कियों की फितरत ऐसी होती है तो मुझे कभी शादी नहीं करना है. मैं मर जाना चाहता हूं.’’ कहते हुए रोहित बिस्तर पर गिर पड़ा.
‘‘ यदि इस मुसीबत से मुझे छुटकारा नहीं मिला तो मैं तो कहीं का नहीं रहूंगा. पहले ही मैं मातापिता से झूठ बोल चुका हू.ं’’ कहते हुए रोहत पुनः सुबकने लगा.
संजय ने उसे चुप कराया,‘‘ मैं आ गया हूं . अब समझों कि तुम्हें इस मुसीबत से छूटकारा मिल गया.’’
‘‘ क्या !’’ अविश्वास से रोहित ने पूछा.
‘‘ हां,’’ संजय ने कहा. फिर रोहित का मोबाइल लिया . फिर जिस नंबर से फोन आया था वह नंबर डायल कर पूछा,‘‘ भाई साहब ! आप कहां से बोल रहे है ?’’
‘‘ नीमच से ,’’ मोबाइल का स्पीकर आन था.
‘‘ जी, ’’ संजय ने कहा,‘‘ अभीअभी मेरे बहन ने फोन किया था. वह बहुत गुस्से में थी. ’’
‘‘ हां, इसीलिए वह अनर्गल बोल रही थी.’’
‘‘ जी, उसे 10000 रूपए पहुंचाना है,’’ संजय ने बात बनाई,‘‘ क्या, आप मेरी मदद कर सकते है ?’’
‘‘ जी बोलिए,’’ पीसीओ वाला संजय के झांसे में आ गया था,‘‘ आप मेरी बहन का पता दे सकते हैं.’’
‘‘ क्यों नहीं ?’’ पीसीओ संचालक कह रहा था,‘‘ लिखे.. नीलम-सुरेशचंद, 95 इंदिरानगर विस्तार , नीमच’’
‘‘ जी ! धन्यवाद आप का,’’ कह कर संजय ने फोन काट दिया.
यह सुनते ही रोहित भड़का उठा.
‘‘ नामपता ले कर क्या करोगे? उस से मिलोंगे और मेरी मुसीबत बढ़ाओगे.’’
‘‘नहीं, ऐसी बात नहीं हे,’’ संजय ने कहा ,‘‘ तुम मेरा भरोसा करो, मैं तुम्हारा नुकसान नहीं करूंगा.’’
संजय ने मोबाइल उठाया. बाहर आ कर किसी ने बातें करना लगा.
संजय की सांत्वना पा कर रोहित कुछ आश्वस्त हो गया था. उसे लगने लगा था कि उस का दोस्त उस की समस्या हल कर देगा. मगर उसे अब तक समझ नहीं आया था कि नीलम ने मुस्कान बन कर उसे बेवकूफ क्यों बनाया था. इस का सीधा मतलब था कि वह रोहित को ब्लैकमैल कर के पैसा ऐंठना चाहती थी.
रोहित उस दिन घर से बाहर नहीं निकला. वह दिन भर सोता रहा. यह पहला दिन था जब वह नींद निकाल रहा था. उसे पिछले 6 दिनों से नींद नहीं आ रही थी. उसे हर रोज 10000 रूपए भेजने की चिंता सता रही थी.
आज उस का बोझ कम हो गया था.
‘‘ रोहित !’’ किसी ने जोर से झकझौरा.
‘‘ क्या हुआ ?’’ अचानक रोहित उठ कर बैठ गया.
‘‘ तू है यार ,’’ रोहित ने कहा तो संजय बोला,‘‘ चल तेरा लैपटाॅप चालू कर.
रोहित ने बिना कोई प्रश्न पूछे लैपटाॅप चालू कर दिया.
संजय ने चैटिंग बाॅक्स खोला. फिर लिखा,‘‘ प्रिय डार्लिंग, मैं 10000 हजार रूपए भेज रहा हूं मगर आप का अकाउंट नंबर 63002700906 में पैसा जा नहीं रहा है. ’’
यह देख कर रोहित ने कहा,‘‘ वह अब चैंटिंग नहीं करेगी.’’
‘‘ क्यों भाई ?’’
‘‘ उस ने कहा था कि अब कोई चैंटिंगवैंटिंग नहीं. मुझे 10000 रूपए चाहिए. वह चुपचाप पहुंचा देना. और हां, आज के बाद मुझ से बात करने की कोशिश मत करना.’’
इस पर संजय ने कहा,‘‘ वह जरूर चैंिटग करेगी .’’
‘‘ क्यों ?’’
‘‘ उसे 10000 रूपए चाहिए.’’
‘‘ हां, वो तो है,’’ रोहित बोला तो संजय ने कहा,‘‘ मैं ने उस का खाता नंबर जानबूझ कर गलत लिखा है. और वह 10000 रूपए लेने के लिए सही खाता नंबर जरूर लिखेगी.’’
संजय की तरकीब काम कर गई.
उधर से जवाब मिला.
‘‘ सहीं खाता नंबर 63002700908 है.’’
‘‘ जी,’’ इधर से संजय ने लिखा,‘‘ सही नामपता है- नीलम सुरेशचंद 95 इंदिरानगर विस्तार नीमच है.’’
अचानक दूसरी ओर से उत्तर आया.
‘‘ जी...... क्या कहा ?’’
‘‘ मैं पुलिस में शिकायत करने जा रहा हूं कि तुम मुझे ब्लैकमैल कर रही थी,’’ संजय लिखने लगा तो रोहित ने उसे रोका,‘‘ यह क्या कर रहे हो संजय . मुझे मरवा दोगे.’’
तभी दरवाजे की ओर से किसी की जानीपहचानी आवाज आई,‘‘ वह सही कर रहा है.’’
यह आवाज सुन कर रोहित चैंक पड़ा.
यह तो उस के पिताजी की आवाज थी.
वे कमरे के अंदर आ चुके थे,‘‘ संजय ! तुम ठीक कर रहे हो.’’
यह सुन कर रोहित चैंक उठा. इस का मतलब था कि उस के पिताजी को उस की हरकत के बारे में सब मालुम था. वह संजय की ओर देखने लगा. उस ने हाथ का इशारा कर के पूछा,‘‘ यह क्या है ?’’
तब संजय ने रोहित के पिता के पास बैठते हुए कहा,‘‘ जब तुम ने अपने पिताजी से 20000 रूपए मांगे थे तब तुम्हारे बातों से इन्हें शक हो गया था. कहीं कुछ गड़बड़ है. इसलिए तुम झूठ बोल रहे हो. यह बात समझ कर इन्हों ने मुझे बुलाया. फिर मुझ से मिल कर सारी बातें कीं.’’
‘‘ इसीलिए तुम मुझ से मिले थे.’’
‘‘ हां,’’ संजय ने कहा?‘‘ और सारी बातें जान कर तुम्हारे पिताजी को बताई थी. जो अभीअभी पुलिस थाने जा कर आए है.’’
‘‘ हंा बेटा,’’ रोहित के पिता मदनलाल बोले,‘‘ मैं ने थानेदार साहब से बात कर ली है. उन का कहना है कि नीलम एक शैतान औरत है. वह आदमियों को फंसा कर ब्लैकमैल करती है. मगर अब वह तुम्हारे साथ ऐसा नहीं करेगी.
‘‘ जी,’’ रोहित अभी तक सामान्य नहीं हो पाया था.
‘‘थानेदार साहब का कहना है कि वह महिला है और उस के पास तुम्हारे खिलाफ अश्लील सीड़ी थी . वह उन्हें दे चुकी है. अब आइंदा वह तुम्हें तंग नहीं करेगी.’’
यह सुन कर रोहित दंग रह गया.
वह समझ गया था कि संजय का उस के पास आना इतफाक नहीं था. उस के पिताजी ने संजय को उस के पास भेजा था. उसी की सहायता से वह इस दलदल से बाहर निकल पाया था.
यह सोचते ही वह पिताजी के चरणों में गिर पड़ा,‘‘ पापाजी ! मुझे माफ कर दीजिए. मैं आइंदा ऐसी गलती नहीं करूंगा .’’
यह कह कर रोहित रोने लगा.
रोहित के पापा ने उसेे उठा कर गले से लगा लिया,‘‘ मेरा बेटा बहुत बहादूर है. वह इतनी जल्दी हार मानने वालों में से नहीं है.
रोहित के पापा कह रहे थे,‘‘ जिदंगी में उतारचढ़ाव तो आते रहते है. जो इन से सबक ले लेता है, वह सफल हो जाता . मैं ठीक कह रहा हूं न सजय बेटा ?’’
‘‘जी, अंकल,’’ संजय ने कहा,‘‘अब , मैं चलता हूं. ’’
‘‘ जी हां बेटा,’’ रोहित के पापा ने कहा उस के पहले ही संजय चलता बना.
***
मौलिकता प्रमाणपत्र
प्रमाणित किया जाता है कि प्रस्तुत रचना मेरी मौलिक है. यह कहीं से ली अथवा चुराई नहीं गई है. इसे अन्यथा प्रकाषन हेतु नहीं भेजा गया है.
ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाष’
अध्यापक, पोस्टआॅफिस के पास
रतनगढ-485226 जिला-नीमच (मप्र)