डिस्क्लेमर - ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है, इस कहानी का किसी भी तरह से किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है... कहानी को वास्तविक रंग देने के लिये कहानी की जरूरत के अनुसार ही शहरों के नाम चयनित किये गये हैं, इस कहानी को लिखने का उद्देश्य मात्र मनोरंजन है इसलिये कहानी में लिये गये पात्रों के नामों और शहरों के नामों को अपनी भावनाओं से जोड़कर ना देखें क्योंकि ये सिर्फ एक कल्पना है!!

नए एपिसोड्स : : Every Monday, Wednesday & Friday

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हीर... - 1

।। ॐ श्री गणेशाय नम:।।डिस्क्लेमर - ये कहानी पूरी तरह से काल्पनिक है, इस कहानी का किसी भी तरह किसी भी जीवित या मृत व्यक्ति से कोई संबंध नहीं है... कहानी को वास्तविक रंग देने के लिये कहानी की जरूरत के अनुसार ही शहरों के नाम चयनित किये गये हैं, इस कहानी को लिखने का उद्देश्य मात्र मनोरंजन है इसलिये कहानी में लिये गये पात्रों के नामों और शहरों के नामों को अपनी भावनाओं से जोड़कर ना देखें क्योंकि ये सिर्फ एक कल्पना है!!==================================हफ्ते भर के थका देने वाले शेड्यूल के बाद आज फाइनली रविवार का दिन आ ही ...और पढ़े

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हीर... - 2

अंकिता.. अजीत से बात करने के बाद फटाफट से तैयार हुयी और बिल्कुल ठीक समय पर उससे रियो रेस्टोरेंट मिलने के लिये घर से निकल गयी.. रियो रेस्टोरेंट काफ़ी बड़ा और बहुत खूबसूरत तरीके से बना हुआ भुवनेश्वर के सबसे महंगे रेस्टोरेंट्स में से एक था और यही वजह थी कि अंकिता ने अजीत को मिलने के लिये वहां बुलाया था... असल में बचपन से ही जिस माहौल में वो रही उसकी वजह से उसे लग्ज़रीज़ की आदत थी लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं था कि अंकिता सामने वाले से ही खर्च करवाती थी...वो खुद भी खर्च करती थी ...और पढ़े

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हीर... - 3

अक्सर कई शायरों को कई महफ़िलों में कहते सुना है कि अगर एक मर्द के दिल को कोई बात पंहुचा जाये तब वो अंदर ही अंदर घुटता रहता है और सब कुछ सहता रहता है.. उसकी आंखों में आंसू ज़रूर आते हैं लेकिन वो उन्हें बाहर आने से पहले ही अपनी आंखों में सोख लेता है पर कभी रोता नहीं है और अगर वो रोने लगे तब समझ लेना चाहिये कि अब बात इतनी जादा बड़ी हो चुकी है कि उस बात को सहना अब उसके बस का नहीं रहा... समझ लेना चाहिये कि अब उस मर्द के दिल ...और पढ़े

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हीर... - 4

चारू के पापा अजय जानते थे कि राजीव तकलीफ़ में हो और चारू उसका साथ देने ना जाये ऐसा किसी कीमत पर नहीं होने वाला था लेकिन वो ये बात भी बहुत अच्छे से जानते थे कि चारू अगर ट्रेन से चाहे टैक्सी से.. तुरंत भी दिल्ली के लिये निकलेगी तब भी उसे दिल्ली पंहुचते पंहुचते रात हो जायेगी और रात में दिल्ली का माहौल कैसा हो जाता है ये बात किसी से छुपी नहीं थी, ऐसे में जवान लड़की को अकेले दिल्ली भेजने का निर्णय लेना अजय तो क्या किसी भी लड़की के पिता के लिये बिल्कुल भी ...और पढ़े

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हीर... - 5

इश्क, मोहब्बत, प्यार, लव, प्रेम... नाम भले अलग अलग हैं लेकिन इन सबका अंजाम एक ही है.. तन्हाई, दर्द, और आंसू!! शायद इसी दर्द से होकर गुज़र रहा था राजीव.. शायद इसीलिये उसकी जिंदगी जीने की इच्छा ही खत्म हो गयी थी इसीलिये उसने खुद को आज उस हालत में पंहुचा दिया था जिसमें वो चाहकर भी अपने खुद के पैरों तक पर खड़ा नहीं हो पा रहा था और अंदर ही अंदर बस टूटता चला जा रहा था... जहां एक तरफ़ अपने फ्लैट में नशे की हालत में जमीन पर पड़ा राजीव.. अंकिता को याद करते हुये खुद ...और पढ़े

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हीर... - 6

अजीत को राजीव के साथ के अपने अतीत के बारे में बताते हुये अंकिता ने आगे कहा- राजीव ये नहीं जानता था कि हम और हमारी फ्रेंड्स उसकी क्लासमेट होने वाले थे लेकिन हम सब ये बात जान चुके थे जब राजीव ने हम सबसे ब्लॉक-सी के बारे में पूछते हुये ये बताया था कि वो भी एमबीए फर्स्ट सेमेस्टर का स्टूडेंट है... राजीव की दबंग पर्सनैलिटी और उसके कपड़े पहनने का स्टाइल देखने के बाद हम सारी फ्रेंड्स इस बात को लेकर बहुत एक्साइटेड थे कि राजीव और सीनियर्स की पहली मुलाकात कैसी होगी जब वो लोग क्लास ...और पढ़े

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हीर... - 7

अंकिता ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुये अजीत से कहा- जब तक मैम क्लास में रहीं तब तक राजीव बिल्कुल किसी सीधे सादे स्टूडेंट की तरह अपनी चेयर पर बैठा रहा लेकिन वो जैसे ही क्लास से गयीं... उसने अपनी चेयर पीछे करी और एक पैर पर दूसरा पैर रखकर बिल्कुल अग्निपथ के अमिताभ बच्चन की तरह हाथ पीछे करके बड़े स्टाइल में बैठ गया और अपने दूसरे हाथ को टेबल पर रखकर अपनी उंगलियों से ठक ठक करने लगा, उस समय हमें राजीव का एटीट्यूड बहुत ऐरोगेंट सा लगा और ऐसा लगा जैसे वो सिर्फ मैम के ...और पढ़े

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हीर... - 9

अजीत के रियेक्शन्स देखकर अंकिता को जब ये महसूस हुआ कि राजीव के बारे में उसे बताते बताते वो में कुछ जादा ही खो गयी थी और अजीत के सामने उसे ऐसा नहीं करना चाहिये था तब वो अपनी बात सोचते हुये एकदम से सीरियस हो गयी और सीरियस होते हुये वो अजीत से बोली- हमारे और राजीव के बीच में कोई मिस अंडरस्टेंडिंग नहीं है जो भी है वो बिल्कुल साफ़ है!! अपनी चेयर से लगभग उठ चुका अजीत.. अंकिता की बात सुनकर फिर से चेयर पर बैठ गया और बैठने के बाद बहुत सॉफ्टली उससे बोला- अम्म्.. ...और पढ़े

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हीर... - 8

अजीत.. अंकिता की राजीव को लेकर करी गयी बातें सुन तो रहा था लेकिन जिस तरीके से अंकिता खुश हुये और राजीव की तारीफ़ें करते हुये उसे अपने और राजीव के अतीत के बारे में सारी बातें बता रही थी... उसे अपने मन में एक अजीब सी उलझन सी होने लगी थी, अंकिता के मुंह से राजीव की तारीफ़ उसे अच्छी नहीं लग रही थी लेकिन वो चुप था और बड़े ध्यान से अंकिता की बातों को सुन रहा था!! अपनी बात को आगे बढ़ाते हुये अंकिता ने कहा- उस दिन के बाद हर गुज़रते दिन के साथ राजीव ...और पढ़े

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हीर... - 10

चारू को लेकर करी गयी अंकिता की बात को सुनने के बाद अजीत अवाक् होकर थोड़ी देर तक उसका ताकता रह गया और उसकी वजह ये थी कि उस समय राजीव महज एक स्टूडेंट था और एक स्टूडेंट की मिस्ट्रेस हो सकती है ये बात उसे बहुत अजीब सी लग रही थी लेकिन उसने अंकिता से कुछ कहा नहीं क्योंकि पिछले दो सालों की दोस्ती में वो इतना तो जानता ही था कि अंकिता एक गुस्सैल लड़की है और अगर फिर से वो इरिटेट हो गयी तब वो उसके पास बिल्कुल नहीं रुकेगी और शायद उससे नाराज़ भी हो ...और पढ़े

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हीर... - 11

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुये अंकिता ने कहा- उस होटल के रेस्टोरेंट के अंदर जाने के बाद चाय हुये पहले तो राजीव वैसी ही नॉर्मल बातें करता रहा जैसे हमेशा करता था लेकिन जब हम ये कहते हुये अपनी जगह से उठे कि "चलो राजीव हम तुम्हें भुवनेश्वर घुमाते हैं!!" तब उसने हमारा हाथ पकड़कर हमें वापस चेयर पर बैठा दिया और बहुत प्यार से किसी बच्चे की तरह उसने कहा- यार बाहर जाकर क्या करेंगे और फिर भुवनेश्वर आना जाना तो अब लगा ही रहेगा.. फिर कभी घूम लेंगे और यार हम इतने दिनों बाद मिले हैं ...और पढ़े

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हीर... - 12

अपनी बात को आगे बढ़ाते हुये अंकिता ने कहा- इसके बाद तीन दिनों तक यहां भुवनेश्वर में रुक कर वापस कानपुर चला गया और उसके कुछ दिनों के बाद छुट्टियां खत्म होने पर हम भी वापस दिल्ली लौट गये... राजीव का हमारे लिये पजेसिव एटीट्यूड जो हमें अच्छा लगता था वो अब बदलने लगा था, वो छोटी छोटी बातों पर इरिटेट हो जाता था और बार बार हंसी मजाक करते हुये आंख मारकर फ्लैट में चलने के लिये कहते हुये कह देता था "चलो वो काम पूरा कर लिया जाये जो उस दिन अधूरा रह गया था!!" ...और पढ़े

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हीर... - 13

अजीत एक पढ़ा लिखा संभ्रांत परिवार का लड़का था, एक ऐसे परिवार का लड़का जहां की कुछ बहुत मज़बूत होती हैं जिन्हें लांघना तो दूर.. लांघने के बारे में सोचना तक एक गुनाह होता है। बचपन से एक अच्छे, स्वस्थ और संस्कारी माहौल में पला बढ़ा और हाई स्टैंडर्ड स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ा तीन भाइयों और दो बहनों में सबसे छोटा अजीत इन सारे कुचक्रों से हमेशा बहुत दूर रहा जैसे राजीव के कुचक्रों के बारे में वो अंकिता से सुन रहा था इसलिये राजीव के बारे में सुनते सुनते उसे राजीव से जैसे घिन सी आने लगी ...और पढ़े

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हीर... - 14

कहते हैं कि दो दिलों में एक दूसरे के लिये पनपा प्यार अगर मुकम्मल हो जाये तब तो ठीक.. अगर प्यार अधूरा रह जाये या अधूरा कर दिया जाये तब दोनों दिलों में से कोई एक दिल उस रिश्ते की टूटन से मिले दर्द की तकलीफ़ को पूरी जिंदगी महसूस करता रहता है और दिल के किसी कोने में अपना प्यार पूरा ना हो पाने की टीस हमेशा बनी रहती है, राजीव से मिले धोखे की वजह से शायद यही टीस अंकिता का दिल भी महसूस कर रहा था इसलिये आज जब अजीत का साथ उसे मिला तो वो ...और पढ़े

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हीर... - 15

अंकिता सुबकते हुये रियो रेस्टोरेंट से चली गयी और अजीत उसके दर्द को सीधे अपने दिल पर महसूस करते उसे वहां से बस जाते देखता रह गया लेकिन उसे समझ में ही नहीं आया कि इतने बड़े धोखे को याद करके और उसकी टूटन को महसूस करके रोती हुयी रेस्टोरेंट से गयी अंकिता से क्या कहकर वो उसे ये भरोसा दिलाये कि "राजीव की धमकियों के डर के बीच.. अब तुम अकेली नहीं हो अंकिता, मैं तुम्हारे साथ हूं!!"अंकिता के वहां से जाने के करीब पांच मिनट बाद अजीत भी अपनी नम आंखें और भारी दिल लेकर वहां से ...और पढ़े

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हीर... - 16

चारू शायद ये बात जानती थी कि आज राजीव जिस हालत में है उसके पीछे क्या रीज़न है लेकिन ये सोच सोचकर डर भी लग रहा था, बुरा भी लग रहा था और बेचैनी भी महसूस हो रही थी कि... "आज पापा को राजीव को इस हालत में नहीं देखना चाहिये था, पता नहीं वो कैसे रियेक्ट करेंगे, कहीं ऐसा ना हो जाये कि वो गुस्से में मुझे यहां से लेकर चले जायें और राजीव... राजीव इसी हालत में यहां पड़ा रह जाये!!"नशे में धुत्त होकर जमीन पर पड़े और शायद नशे में गिरने की वजह से लगी किसी ...और पढ़े

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हीर... - 17

अपने पापा अजय के वहां से जाने के बाद अब सारी जिम्मेदारी चारू की थी... अब अकेले उसको ही डिसाइड करना था कि वो ऐसा कौन सा तरीका अपनाये जिससे राजीव जल्दी से जल्दी होश में आ जाये और फिर चारू उसकी बात उसकी मम्मी से करवाकर उन्हें ये भरोसा दिला पाये कि राजीव बिल्कुल ठीक है!!अजय के वहां से जाने के बाद अभी भी अपनी आंखों में आंसू भरकर सुबक रही चारू अपनी जगह पर खड़ी होकर दो मिनट तक बस यही सोचती रही कि वो ऐसा क्या करे कि राजीव को होश आ जाये, यही बात सोचते ...और पढ़े

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हीर... - 18

कमरे का फर्श साफ़ करने के बाद राजीव तो नहाने के लिये चला गया था लेकिन चारू... चारू अभी अपनी जगह पर हाथ बांधे खड़ी..आंसुओ से भरी अपनी लाल हो चुकी आंखों से बाथरूम के गेट की ही तरफ़ देखे जा रही थी और लगातार सुबकियां लेती जा रही थी!!इस तरीके से खड़े होकर बाथरूम की तरफ़ देखते हुये चारू को राजीव की आज की हालत देखने के बाद वो दिन याद आने लगा था जब----=="तुम हो राजीव!! तुमने मुझे पहचाना?? मैं तुम्हारी खिचड़ी आंटी.. याद आया??" चारू की मम्मी ने राजीव से कहा...राजीव ने भी खुश होते हुये ...और पढ़े

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हीर... - 19

रात के करीब ग्यारह बज चुके थे और जहां एक तरफ़ दिल्ली में राजीव के सामने हाथ जोड़कर बैठी उसे किसी भी तरह से नॉर्मल करने की कोशिश कर रही थी वहीं दूसरी तरफ़ भुवनेश्वर में अजीत के साथ रेस्टोरेंट में डिनर करने के बाद अंकिता और निर्मला दोनों वापस घर आ चुके थे...घर आने के बाद अंकिता के कमरे में उसके बिस्तर पर बैठीं निर्मला ने उससे धीरे से कहा- अजीत अच्छा लड़का है, बातचीत में भी अच्छा है और देखने में भी बहुत हैंडसम है और गोरा भी है!!ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठकर अपने कानों के बुंदे ...और पढ़े

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हीर... - 20

दो लोगों के बनाये गये इस प्यार नाम के रिश्ते में.. उन दोनों में से कोई एक तो होता है जो उस रिश्ते में बहुत जादा सीरियसली इन्वॉल्व हो जाता है और उस रिश्ते के अधूरे रह जाने की सूरत में वो शख्स बिल्कुल ऐसे ही टूट कर बिखर जाता है जैसे आज राजीव बिखर चुका था... और सिर्फ राजीव और अंकिता के रिश्ते की ही नहीं बल्कि हर उस रिश्ते की... जो टूट जाता है या इन्टेंशनली तोड़ दिया जाता है उसकी सबसे बड़ी विडंबना यही होती है कि... जो धोखा देता है वो तो अपनी लाइफ़ में ...और पढ़े

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हीर... - 21

"तू तो मेरा साथ नहीं छोड़ेगी ना चारू?" राजीव की सुबकते हुये कही गयी ये बात सुनकर चारू ने हिम्मत बढ़ाते हुये कहा- बचपन से लेकर आजतक मैंने कभी तेरा साथ छोड़ा है क्या जो अब ऐसे समय में जब मेरे सबसे प्यारे दोस्त को मेरी सबसे ज्यादा जरूरत है... मैं उसका साथ छोड़ दूंगी!!अपनी बात कहते कहते चारू ने राजीव के आंसू पोंछते हुये कहा- मुझे तेरा साथ छोड़ना ही होता तो मैं सिर्फ तेरी वजह से यहां क्यों आती और तुझे ऐसी हालत में देखने के बाद यहां क्यों रुकती.. हम्म्!!"मेरी वजह से क्यों? तुझे कैसे पता ...और पढ़े

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हीर... - 22

कभी कभी किसी किसी इंसान की जिंदगी में कुछ ऐसे मोड़ आ जाते हैं जिनके चक्रव्यूह में उलझकर वो सही और गलत का डिसिजन नहीं ले पाता है, यहां तक कि अगर वो इस बात को महसूस भी करले कि परिस्थितियों के भंवर में फंसकर वो कुछ गलत कर रहा है और उसे ऐसा नहीं करना चाहिये तब भी... उसे वो रास्ता नज़र नहीं आता जिसपर चलकर वो खुद को संभाल सके या उन परिस्थितियों से खुद को बाहर निकाल सके और इन्हीं बातों के फेर में वो उस चक्रव्यूह में और जादा उलझता चला जाता है ठीक वैसे ...और पढ़े

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हीर... - 23

राजीव के महज़ फोन रिसीव ना करने की वजह से चारू इतनी जादा परेशान हो गयी कि वो उससे के लिये दिल्ली तक चली आयी लेकिन उसे इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि आज उसने कितना बड़ा काम कर दिया था, आज अगर वो सही समय पर दिल्ली आकर राजीव को ना संभालती तो भगवान जाने क्या अनर्थ हो जाता...मधु और अवध से बात करने के बाद अब जाकर कहीं राजीव के मन को भी सुकून मिल रहा था, थोड़ा नॉर्मल होने के बाद राजीव ने चारू से कहा- तू अकेले क्यों आयी चारू... बाबू जी ...और पढ़े

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हीर... - 24

अपनी गोद में सिर रखकर लेटे राजीव के सोने के बाद चारू भी थोड़ा कम्फर्टेबल होते हुये बैठ गयी अपना सिर अपनी सीट की बैक पर टिकाने के बाद वो खो गयी.. राजीव के साथ की अपने अतीत की यादों में....आज से करीब इक्कीस साल पहले जब राजीव और चारू दोनों वही कोई छ: साल के रहे होंगे, उस समय चारू का निकनेम ज्योति हुआ करता था और वो राजीव के साथ कानपुर के ही सैंट कौटिल्या कॉन्वेंट प्री स्कूल में नर्सरी बी में पढ़ती थी, चूंकि राजीव और चारू (उस समय ज्योति) बहुत छोटे थे इसलिये जहां एक ...और पढ़े

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हीर... - 25

बचपन की मासूमियत और उस मासूमियत में करी गयी निश्छल सी बातें कानों में जाकर एक अलग ही तरह रस घोल देती हैं जिसके एहसास से मन एकदम से प्रफुल्लित हो उठता है वैसा ही कुछ हुआ मधु के साथ जब उन्होंने नन्हीं सी ज्योति को ये कहते सुना कि "मुझे लाजीव से छादी कलनी है!!"रोते रोते अचानक से कही गयी ज्योति की ये मासूम सी बात सुनकर मधु ताली बजाकर जोर से हंसी और "अरे... हाहाहा!!" कहते हुये उन्होंने ज्योति को अपने गले से लगा लिया...मधु और ममता तो ज्योति की इस बात पर हंस ही रही थीं.. ...और पढ़े

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हीर... - 26

=="अंकिता तुम मेरा फोन नहीं उठाती हो, मैसेज का रिप्लाई भी नहीं करती हो.. क्या हुआ क्या है, अरे तीन महीने पहले तो तुमसे मिलकर आया था.. तब तक तो सब ठीक था फिर इन तीन महीनों में ही अचानक से ऐसा क्या हो गया जो तुम ये सब कर रही हो, मुझे मेरी वो गलती तो बता दो जिसकी सजा तुम मुझे दे रही हो!!" राजीव ने लगभग गिड़गिड़ाते हुये अंकिता से कहा...अंकिता ने बड़े कैजुयली जवाब दिया "गलती तुम्हारी नहीं राजीव.. गलती हमारी है जो नादानी में हमने तुमसे दोस्ती कर ली, तुम खुद अपने आप को ...और पढ़े

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हीर... - 27

अवध ने जब राजीव से कहा कि "मधु ने रात से खाना.. खाना तो दूर पानी भी नहीं पिया तब उनकी ये बात सुनकर राजीव एकदम स्तब्ध होकर अपनी फटी हुयी आंखों से उनकी तरफ़ देखता रह गया..."मम्मा रात से भूखी हैं और वो भी मेरी हरकत की वजह से... ऐसा तो मैं नहीं था फिर मैं ऐसा कैसे बन गया, मैं तो मम्मी पापा को खुशियां देना चाहता था फिर... ये सब, ये सब कैसे हो गया मुझसे!!" भारी मन से ये बात सोचते हुये राजीव जब ठिठके हुये कदमों से घर के अंदर गया तब उसने जो ...और पढ़े

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हीर... - 28

जब किसी का इंतज़ार बड़ी बेसब्री से किया जाता है ना तब.. अचानक से उसके सामने आ जाने पर पल के लिये तो सच में ये समझ ही नहीं आता कि क्या रियेक्ट करें या क्या कहें.. कुछ ऐसा ही हाल इस समय मधु का हो गया था, पूरी रात के लंबे इंतजार के बाद राजीव को अपनी आंखों से अपने सामने बैठा देख मधु थोड़ी देर तक तो उसे ऐसे देखती रह गयीं जैसे उन्हें यकीन ही ना हो रहा हो कि उनका राजीव उनके सामने आ चुका है, अचानक से खुली नींद की गफलत में उन्हें कुछ ...और पढ़े

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हीर... - 29

"ज़रा सी दिल में दे जगह तू, जरा सा अपना ले बना.. मैं चाहूं तुझको मेरी जां बेपनाह!! फ़िदा तुझपे.. मेरी जां बेपनाह!!".. अपनी कार के ठीक सामने आकर खड़ी हुयी सफेद रंग की स्कॉर्पियो में बज रहे इस गाने को सुनकर अंकिता के चेहरे का सारा रंग उड़ गया था और उसके दिमाग में बस यही बात घूमे जा रही थी कि "र.. राजीव आ गया!!" और यही बात उसके मन में इस कदर घबराहट पैदा कर रही थी कि उसे समझ में ही नहीं आ रहा था कि अब वो करे.. तो करे क्या!!इस गाने का राजीव ...और पढ़े

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हीर... - 30

अपने प्रपोजल के लिये अंकिता से मिले एक्सेप्टेन्स के बाद अंकिता के सामने अपने घुटनों पर बैठे अजीत ने सॉफ्टली उसका हाथ पकड़ा और उसकी रिंग फिंगर में डायमंड की वो रिंग पहनाने के बाद उसका वही हाथ चूमते हुये उससे बड़े रोमांटिक अंदाज़ में बोला- चलें...??अंकिता को नहीं पता था कि अजीत कहां चलने की बात कर रहा था और वो भी ऑफिस टाइम में... लेकिन उसने अजीत से कोई सवाल जवाब नहीं किया और कुछ सेकेंड्स तक मुस्कुराते हुये उसकी तरफ़ एकटक देखने के बाद उसने बस "हम्म्!!" कहा और कार से उतर कर बाहर आ गयी....अभी ...और पढ़े

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हीर... - 31

आंखों में आंसू लेकर अंकिता को याद करते करते राजीव की आंख कब लग गयी उसे पता ही नहीं दिन सुबह के करीब सात बज़े थे और अवध दरवाजे पर आये दूध वाले से दूध ले रहे थे कि तभी एक कार हॉर्न बजाते हुये उनके बिल्कुल पास आकर रुक गयी, अपने पास आकर खड़ी हुयी उस कार को देखकर अवध स्माइल करने लगे कि तभी चारू उस कार से उतरकर बाहर आ गयी और अवध को देखकर अपने दोनों हाथ जोड़ने के बाद सिर झुकाकर बोली- नमस्ते पापा जी.. गुड मॉर्निंग!!अवध ने भी चारू के सिर पर हाथ ...और पढ़े

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हीर... - 32

चारू जब राजीव के कमरे में उसे जगाने के लिये पंहुची तब उसने देखा कि राजीव पेट के बल करवट लेटे गहरी नींद में सो रहा है, उसे ऐसे चैन से सोते देख चारू मुस्कुराने लगी और बिस्तर के दूसरी साइड करवट लेकर लेटे राजीव के पास कुर्सी डालकर बैठ गयी और इस बात से बेखबर होकर कि कोई उसके पास आकर बैठा है... चैन से सो रहे राजीव को मुस्कुराते हुये देखने लगी और सोचने लगी कि "परसों रात तुझे उस हालत में रोते देखने के बाद तुझे जगाने का मन नहीं कर रहा यार, तुझे अपने घर ...और पढ़े

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हीर... - 33

असल में होता क्या है मालुम.. सच्चा प्यार एक ऐसी फ़ीलिंग होता है जो किसी भी इंसान को अपने के लिये इतना सेंसिटिव कर देता है कि उसे हल्की सी खंरोच भी आ जाये तो उसकी चिंता में मन हर समय परेशान रहने लगता है.. भले वो इतना परेशान ना हो जिसे खंरोच लगी लेकिन सामने वाला यही सोच सोचकर परेशान होता रहता है कि काश... ये चोट उसकी जगह मुझे लगी होती तो कितना अच्छा होता, प्यार में बिताये गये दिन महज दिन नहीं होते बल्कि एक पूरा का पूरा दौर होते हैं.. एक ऐसा दौर जिसकी यादें ...और पढ़े

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हीर... - 34

राजीव एक जिम्मेदार और समझदार इंसान था और वो कहीं ना कहीं ये बात बहुत पहले ही समझ चुका कि अंकिता उसे धोखा दे चुकी है लेकिन किसी भी बात को समझना और उसे स्वीकार करना... दो अलग अलग चीजें होती हैं बस इसीलिये सब कुछ अपनी आंखों के सामने होता देखने और अंकिता की रूड बातों को खुद अपने कानों से सुनने के बाद भी राजीव का दिल अक्सर उसे कहीं ना कहीं ये महसूस कराता रहता था कि... "शायद हमारे बीच सब ठीक हो जाये, मैंने कभी किसी भी लड़की के साथ गलत नहीं किया तो भगवान ...और पढ़े

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हीर... - 35

अंकिता को अपने सपने में खुद से दूर जाते और दूर जाते हुये उसे ये कहता देख कि "हम शादी नहीं कर सकते!!" राजीव का मन बहुत जादा परेशान होने लगा था... इतना परेशान कि वो सुबह से ही बेचैन सा होकर इधर उधर किनछा किनछा सा ऐसे घूमे जा रहा था जैसे उसके मन को कहीं एक जगह सुकून ही ना मिल पा रहा हो, बार बार उसका मन करता कि वो फिर से अंकिता को कॉल करे और बार बार वो ये सोचते हुये कि "अंकिता ने फोन ना रिसीव किया तो!!" अपना मन मसोस कर अपना ...और पढ़े

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