हीर... - 29 रितेश एम. भटनागर... शब्दकार द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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हीर... - 29

"ज़रा सी दिल में दे जगह तू, जरा सा अपना ले बना.. मैं चाहूं तुझको मेरी जां बेपनाह!! फ़िदा हूं तुझपे.. मेरी जां बेपनाह!!".. अपनी कार के ठीक सामने आकर खड़ी हुयी सफेद रंग की स्कॉर्पियो में बज रहे इस गाने को सुनकर अंकिता के चेहरे का सारा रंग उड़ गया था और उसके दिमाग में बस यही बात घूमे जा रही थी कि "र.. राजीव आ गया!!" और यही बात उसके मन में इस कदर घबराहट पैदा कर रही थी कि उसे समझ में ही नहीं आ रहा था कि अब वो करे.. तो करे क्या!!

इस गाने का राजीव के साथ कुछ ना कुछ कनेक्शन तो ज़रूर था वरना अंकिता का दिमाग सीधे चौदह सौ किलोमीटर दूर बैठे राजीव की तरफ़ तो बिल्कुल भी ना जाता!!

सामने खड़ी स्कॉर्पियो में बज रहे उस गाने को सुनकर अंकिता डर के मारे कांप ही रही थी कि तभी वो स्कॉर्पियो ठीक उसके बगल में आकर उसकी कार के ठीक ऑपोजिट डायरेक्शन में खड़ी हो गयी जिसकी वजह से अंकिता जिस ड्राइविंग सीट पर बैठी हुयी थी वो सीट.. उस स्कॉर्पियो की ड्राइविंग सीट के ठीक बगल में आ गयी थी और उस गाड़ी की ड्राइविंग सीट पर राजीव हो सकता है.. इस बात को सोचकर अंकिता की सांसे फूलने लगी थीं, वो अपनी दोनों आंखे फाड़े हुये उस स्कॉर्पियो की ड्राइविंग सीट की तरफ़ वाले शीशे की तरफ़ ही देखे जा रही थी जो कि फिलहाल बंद था और उस पर काली फिल्म चढ़ी हुयी थी... 

अंकिता तेज़ तेज़ हांफते हुये उस तरफ़ देख ही रही थी कि तभी आसमान में बहुत जोर से बादल गरजने लगे और उन गरजते हुये बादलों के बीच जैसे ही उस स्कॉर्पियो में चल रहे गाने में वो आलाप आया "ओहो हो... हो ओsssओ!!" वैसे ही उसकी ड्राइविंग सीट की तरफ़ चढ़ा हुआ शीशा धीरे धीरे करके नीचे उतरने लगा... 

जैसे जैसे शीशा नीचे उतर रहा था वैसे वैसे अंकिता के दिल की धड़कन और तेज़ होने लगी थी कि तभी वो शीशा जैसे ही आधा खुला वैसे ही अंकिता राहत की गहरी सांस छोड़ते हुये स्माइल करने लगी क्योंकि वो राजीव तो वैसे भी.. हो ही नहीं सकता था... वो अजीत था!! जो आज कुछ अलग ही मूड में दिखाई दे रहा था... 

अजीत ने लाइट यलो कलर की प्लेन शर्ट पहनी हुयी थी और उस शर्ट के ऊपर उसने.. कल अंकिता की दी हुयी शर्ट के कलर से मैच करती हुयी टाई पहनी हुयी थी, अजीत गोरा था इसलिये आंखों पर पहने ब्लैक गॉगल में वो आज कुछ जादा ही फ्रेश और डैशिंग लग रहा था!! 

स्कॉर्पियो की ड्राइविंग सीट पर अजीत को बैठा देख अंकिता ने भी अपनी साइड का शीशा नीचे कर लिया और अचानक से अजीत को इस तरीके से अपने सामने देखकर खुश होते हुये उसने उससे मिलाने के लिये अपना राइट हैंड बाहर निकाल लिया.... 

अजीत ने भी क्यूट सी स्माइल देते हुये अपना हाथ आगे बढ़ाया और अंकिता से हाथ मिलाने लगा कि तभी अंकिता ने दूसरे हाथ से अपनी कार स्टार्ट करी और बहुत सॉफ्टली और प्यार से भरे तरीके से अजीत का हाथ अपने हाथ में थामकर उसने धीरे से अपनी कार हल्की सी आगे बढ़ाई और फिर ब्रेक लगाकर अजीत को मुस्कुराते हुये देखने लगी.. 

अंकिता के अपनी कार को हल्का सा आगे बढ़ाकर रोकने पर अजीत को जैसे समझ आ गया हो कि वो क्या करना चाहती है.. वैसे उसने भी अपनी स्कॉर्पियो का बैक गियर लगाया और बहुत धीमी स्पीड में उसका हाथ पकड़े पकड़े ही गाड़ी को पीछे की तरफ़ चलाने लगा इसके बाद अंकिता ने भी हंसते हुये उसी स्पीड पर अपनी कार आगे बढ़ा ली... 

अजीत और अंकिता स्माइल करते हुये और बहुत प्यार से एक-दूसरे को देखते हुये थोड़ी दूर तक ऐसे ही चलते चले गये कि तभी अजीत ने झटके से अपनी स्कॉर्पियो के ब्रेक लगाये और अंकिता का हाथ छोड़कर बहुत तेज़ स्पीड में अपनी गाड़ी को पीछे ले जाकर ठीक से खड़ा कर दिया और फिर उसका दरवाजा खोलकर नीचे उतर आया... 

उसकी गाड़ी में अभी भी वही गाना चल रहा था और बारिश की हल्की हल्की फुहारें पड़नी शुरू हो चुकी थीं... 

अपनी गाड़ी से उतरकर अपने बालों को बड़ी स्टाइल में सहलाते हुये आगे बढ़ रहे अजीत ने जैसे ही अंकिता की कार के पास पंहुचकर उसकी तरफ़ वाला गेट खोला वैसे ही जो गाना उसकी गाड़ी में चल रहा था उसमें लाइन आयी "मैं तेरे मैं तेरे कदमों में रख दूं ये जहां.. मेरा इश्क दीवानगी, है नहीं है नहीं आशिक कोई मुझसा तेरा.. तू मेरे लिये बंदगी!!" और जैसे ही ये लाइन शुरू हुयी वैसे ही बारिश की हल्की हल्की फुहारों के बीच अजीत अपने सामने बैठी अंकिता के सामने अपने घुटनों पर बैठ गया... 

अंकिता के सामने अपने घुटनों पर बैठने के बाद अजीत ने अपनी शर्ट की जेब से एक अंगूठी निकालकर अंकिता की तरफ़ बढ़ाते हुये कहा- I wish to live.. Rest of my life with you!! Will you marry me....?? 

अंकिता जो आज अजीत को एक अलग ही मूड में देखकर एक अजीब सी खुशी महसूस कर रही थी.. उसने अजीत के इस तरह से प्रपोज़ करने पर ब्लश करते हुये अपना बांया हाथ आगे किया और रिंग फिंगर को खोलते हुये बोली- Yes..... 

जैसे ही अंकिता ने "Yes" बोला... वैसे ही जोर से बिजली चमकी और चारों तरफ़ बादलों की तेज़ गड़गड़ाहट गूंज गयी... शायद ऊपर बैठकर जो सबकी कहानियां लिखता है उसे ये बात बिल्कुल पसंद नहीं आयी थी.... 

एक तरफ़ राजीव.. अंकिता की वजह से अपने अंधकार में जा रहे करियर और अपने मम्मी पापा को दुख पंहुचाने के गिल्ट की आग में अंदर ही अंदर झुलस रहा था और दूसरी तरफ़ किसी की जिंदगी को गड्ढे में धकेल कर अंकिता किसी और के साथ अपने सपनों के पंखों को उड़ान दे रही थीं... 

कितना बेशर्म रिवाज है ना इस इश्क का... जो इसे दिल से निभाता है वो रोता है और जो इसे खेल बना देता है वो हमेशा खुश रहता है... हैना?? 

और हर बार यही होता है........ 

क्रमशः