छत्रपति शिवाजी महाराज अप्रतिम थे। उनका पराक्रम, कूटनीति, दूरदृष्टि, साहस व प्रजा के प्रति स्नेहभाव अद्वितीय है। सैन्य-प्रबंधन, रक्षा नीति, अर्थशास्त्र, विदेश नीति, वित्त, प्रबंधन —सभी क्षेत्रों में उनकी अपूर्व दूरदृष्टि थी। जिस कारण वे अपने समकालीन शासकों से सदैव आगे रहे। राष्ट्रप्रेम से अनुप्राणित उनका जीवन सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है और अनुकरणीय भी। छत्रपति शिवाजी महाराज ने ‘हिंदवी स्वराज’ की अवधारणा दी। अपनी अतुलनीय निर्णय क्षमता और सूझबूझ व अविजित पराक्रम के बल पर मुगल आक्रांताओं के घमंड को चूर-चूर कर दिया। अपनी लोकोपयोगी नीतियों से जनकल्याण किया। शिवाजी महाराज की तुलना सिकंदर, सीजर, हन्नीबल, अटीला आदि शासकों से की जाती है। यह पुस्तक उस अपराजेय योद्धा, कुशल संगठक, नीति-निर्धारक व योजनाकार की गौरवगाथा है जो उनके गुणों को ग्राह्य करने के लिए प्रेरित करेगी। 6 अप्रैल सन् 1980 शिवाजी महाराज की 300वीं पुण्य तिथि का महत्त्वपूर्ण दिन! इसे स्वयं स्व. प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की गरिमामय उपस्थिति में रायगढ़ परिसर में मनाया गया। परिसर मनुष्यों से खचाखच भरा था। सबके मन में असीम उत्साह भरा हुआ था। समारोह की प्रमुख अतिथि, भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने अपने भाषण में शिवाजी महाराज का गुणगान करते हुए कहा
Full Novel
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 1
यह पुस्तक उस अपराजेय योद्धा, कुशल संगठक, नीति-निर्धारक व योजनाकार की गौरवगाथा है, जो उनके गुणों को ग्राह्य करने के लिए करेगी।.. ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 2
[पृष्ठभूमि]प्राचीनकाल से हिंदुओं की पुरानी युद्ध-प्रणाली प्रचलित थी, जिसमें दोनों पक्षों के बीच में खंबे के रूप में एक रखा जाता था शंख, भेरी, आदि बजाकर युद्ध प्रारंभ किया जाता था। शत्रु को बिना इशारा दिए युद्ध प्रारंभ करना निंदनीय माना जाता था। शत्रु को सावधान करना अनिवार्य था। यह प्रथा पुर्तगीजों के आगमन तक जारी थी। दक्षिण में मुसलमानों के आक्रमण कभी-कभार ही हुए। पुर्तगीज एवं केरल के नायर लोगों के बीच प्रतिस्पर्धा बहुत थी। नायरों ने कभी रात्रि में युद्ध नहीं किया। छिपकर भी आक्रमण नहीं किए। युद्ध सुबह होने के बाद ही प्रारंभ किया जाता था। ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 3
[ शिवाजी महाराज का बचपन ]सन् 1626 में मलिकंबर की मृत्यु के बाद मुगलों ने लखोजी जाधवराव की मदद निजामशाही से लड़ाई शुरू की, उसी समय जहांगीर बादशाह की मृत्यु हो गई जिससे शाहजहाँ को दिल्ली जाना पड़ा। शहाजी राजा ने अल्पायु मुर्तुजा एवं उसकी माँ को कल्याण के पास माहुली के किले में रखा। जाधवराव व मुगल सेना ने इस किले को घेर लिया। जाधवराव व निजामशाह की माँ में एक गुप्त समझौता हुआ, जिसके तहत शहाजी राजे व उनकी पत्नी जीजाबाई माहुली के किले से बाहर निकल गए। तब जीजाबाई सात महीने की गर्भवती थीं। उनका प्रथम ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 4
[ शिवाजी महाराज एवं डेविड व गोलिएथ ]फिलिस्तीन एवं इजराइल में युद्ध शुरू हो गया था। दोनों छावनियों के एक खाई थी। फिलिस्तीन की सेना में एक सात फीट ऊँचा राक्षसी योद्धा था। वह लगातार चालीस दिनों से बख्तर पहनकर युद्ध के लिए रोज ललकार रहा था। उसका नाम था गोलिएथ। इस नाम को सुनते ही संपूर्ण इजराइली सेना थरथर काँप उठती थी। इशाय नामक एक बकरियों के चरवाहे के आठ पुत्र थे। उनमें से सात इजराइली सेना में थे। आठवें पुत्र का नाम था डेविड। एक दिन इशाय ने डेविड को अपने भाइयों के लिए नाश्ता लेकर भेजा। ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 5
[ शिवाजी महाराज और थर्मोपीली.. ]थर्मोपीली की लड़ाई ग्रीस इतिहास की अत्यंत महत्त्वपूर्ण लड़ाई थी। लिओनी डास के असीम के फलस्वरूप ग्रीस की स्वतंत्रता, ग्रीक संस्कृति व यूरोपियन संस्कृति का मूल स्वरूप सुरक्षित रहा। थर्मोपीली के सँकरे रास्ते से स्पार्टा की ओर जाते समय बीच राह एक शिला-स्तंभ आता है, जिस पर लिखा यह वाक्य यात्रियों को आज भी यह सूचना देता है कि हे यात्री! तुम जब स्पार्टा पहुँचो, तब वहाँ के बाशिंदों से जरूर ऐसा कहो कि आप सबकी आज्ञा सिर-माथे पर लेकर हम इस भूमि पर न्योछावर हुए हैं और यहाँ आज भी उपस्थित हैं।इस स्वतंत्रता ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 6
[ शिवाजी महाराज और 'गनिमी कावा' ]मध्ययुगीन भारत में अनेक महत्त्वपूर्ण युद्ध हुए। कुछ युद्धों ने तो इतिहास ही डाला कुछ महत्वपूर्ण युद्ध इस प्रकार है—1. तराइन का युद्ध।2. पानीपत का युद्ध।3. खंडवा खानवा का युद्ध।4. गोग्रा का संग्राम।5. चौसा की लड़ाई।6. बिलग्राम का युद्ध।7. पानीपत का दूसरा युद्ध।8. हल्दी घाटी का युद्ध।9. पानीपत का तीसरा युद्ध।शिवाजी महाराज किसी भी बड़े युद्ध में शामिल नहीं हुए। उन्होंने किसी बड़े संग्राम का भी सहारा नहीं लिया। वे 'गनिमी कावा' (छापामार युद्ध) में अपनी कुशलता दिखाते रहे।ईसा पूर्व 500 के आसपास युद्ध में पराक्रम करने वाले रोमन योद्धाओं को सेंचुरियन कहा ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 7
शिवाजी महाराज और संसार के कत्लेआमसूरत शहर ताप्ती (तापी) नदी के किनारे बसा हुआ है। समुद्री किनारा कुछ ही के फासले पर है। सूरत में एक किला था। शहर में सुरक्षा की व्यवस्था नहीं थी। शिवाजी महाराज की सेना पास आते देखकर सूरत का सूबेदार किले के अंदर भाग गया। शहर पर मराठों का कब्जा हो गया। ब्रिटिश एवं डच लोगों ने अपने भंडारों की रक्षा स्वयं की।उस समय सूरत का उत्पादन 12 लाख रुपए वार्षिक था। यह शहर व्यावसायिक दृष्टि से बहुत महत्त्वपूर्ण था। कारोबार की डेढ़ हजार वर्षों की परंपरा थी। अत्यंत विकसित शहर था। व्यापारी संपन्न ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 8
[ शिवाजी महाराज और ट्रॉय ]ग्रीस और ट्रॉय के बीच ईसा पूर्व सन् 1193 से 1184 के बीच लगातार वर्ष तक युद्ध हुआ था। इस युद्ध ने दोनों देशों की संस्कृति, संस्कार और साहित्य के अलावा विभिन्न कलाओं को भी अत्यंत गहराई से प्रभावित किया। यह प्रभाव आज तक चला आ रहा है। इस युद्ध को 'ट्रोजन वार' के नाम से जाना जाता है। अमर कवि होमर ने जो अप्रतिम महाकाव्य 'इलियाड' लिखा है, वह इसी संघर्ष को बयान करता है। भारत में 'महाभारत' की जो स्थिति है, वही स्थिति ग्रीस और ट्रॉय में 'इलियाड' की है। ये दोनों ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 9
[ शिवाजी महाराज और चीन की दीवार ]2200 साल पहले की यह चीन की दीवार संसार के 7 आश्चर्यों से एक है। यह 6000 किलोमीटर लंबी है। इसका निर्माण कार्य लगातार 1600 वर्ष तक चलता रहा। इस प्रकार के किसी निर्माण पर विश्वास करना मुश्किल है। ईसा पूर्व सन् 230 में इसका निर्माण प्रारंभ हुआ था, जिसे सन् 1640 में रुकवा दिया गया था।बीजिंग के उत्तर-पूर्व में करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित शानहैफा बंदरगाह से शुरू होती यह दीवार सैकड़ों पर्वतीय उतार-चढ़ावों एवं खाइयों से निकलकर पश्चिम में गोबी के रेगिस्तान तक जाती है। इसे दीवार कहने ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 10
[ शिवाजी महाराज एवं उनका महान् पलायन.. ] कैद से छुटकारा पाने वाले लोग ज्यादातर असफल होते थे, लेकिन कैदी अपनी कुशलता, नियोजन एवं नसीब के कारण आजादी हासिल कर लेते थे। शिवाजी महाराज बादशाह औरंगजेब की कैद से किस प्रकार एक चमत्कार की तरह निकल गए और अपने वतन महाराष्ट्र भी पहुँच गए, इस सत्य घटना की कोई मिसाल नहीं है। इतिहास बताता है कि कारागार से निकल भागना उतना मुश्किल नहीं होता, जितना कि दुबारा गिरफ्तार होने से बचना मुश्किल होता है। शिवाजी इन दोनों कसौटियों पर खरे उतरे। औरंगजेब उन्हें दुबारा कभी न पकड़ सका। प्रस्तुत ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 11
[ शिवाजी महाराज और नौसेना ]ईस्ट इंडिया कंपनी:भारत एवं अन्य पूर्वी देशों में व्यापार करने के लिए अंग्रेजों ने इंडिया कंपनी’ की स्थापना की थी। इस कंपनी को यूरोपीय देशों ने अपनी कानूनी स्वीकृति भी दे दी थी।16वीं सदी में ब्रिटेन, द यूनाइटेड प्रॉविंसेस, नीदरलैंड, फ्रांस, डेनमार्क, स्कॉटलैंड, स्पेन, ऑस्ट्रिया, स्वीडन आदि राष्ट्रों के बीच सुदूर पूर्व की दिशाओं में व्यापार करने की स्पर्धा शुरू हुई।सितंबर 1599 में लंदन के व्यापारियों ने 3 लाख पौंड एकत्रित कर ‘ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी’ स्थापित की। सन् 1600 में ब्रिटेन की रानी एलिजाबेथ ने ‘ईस्ट इंडिया कंपनी’ को अंतरराष्ट्रीय व्यापार करने के ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 12
[ शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक एवं मैग्नाकार्टा ]शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक भारत के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण घटना है। सत्ता के दौरान ‘हिंदुस्तान का मुगल साम्राज्य’ यानी ‘हिंदुस्तान की सरकार’ ऐसा समीकरण मुगल तो करते ही थे, स्वयं भारतवासी भी करते थे। जब भी कोई अंतरराष्ट्रीय करार मुगलों से होता, यही समझा जाता कि करार हिंदुस्तान के साथ हुआ है। 'महान् मुगल' (द ग्रेट मुगल), 'मुगल सम्राट्' (द एंपरर ऑफ इंडिया) अथवा 'हिंदुस्तान का सम्राट्' (द इंडियन एंपरर) जैसे शब्द अंतरराष्ट्रीय दस्तावेजों में खुलकर प्रयोग में लाए जाते थे। बीजापुर और गोलकुंडा दो स्वतंत्र राज्य थे। राजपूत राज्यों की ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 13
[ शिवाजी महाराज और जिनेवा सम्मेलन ] सन 1864 से पहले युद्ध बंदियों के साथ बहुत निर्ममता का सलूक जाता था। इस पर नियंत्रण रखने के लिए स्विट्जरलैंड के शहर जिनेवा में संसार के प्रमुख देशों के सम्मेलन होने शुरू हुए, जो सन् 1864 से 1949 तक बार-बार होते रहे। वर्तमान में भी ये सम्मेलन उसी जिनेवा में समय-समय पर होते रहते हैं, जिनमें युद्ध के नियमों पर एवं उन नियमों को तोड़ने वालों पर मशविरा किया जाता है। जिनेवा सम्मेलनों में लिये गए अंतरराष्ट्रीय निर्णयों का कड़ाई से पालन किया और करवाया जाता है, ताकि युद्ध की विभीषिका ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 14
[ शिवाजी महाराज और धर्म ]शिवाजी ने इसलामी शत्रुओं से लड़ाइयाँ कीं, किंतु इसलामी प्रजा से उनका कोई शत्रुत्व था। आदिलशाह, मुगल, सिद्दी ये सब इसलामी थे। इसलामी प्रजा को शत्रु मानना तो दूर, शिवाजी ने उन्हें अपनी सेना और नौसेना में शामिल किया। उन्हें बड़े-बड़े ओहदे दिए। इब्राहिम खान, दौलत खान आदि मुसलमानों ने शिवाजी की नौसेना में सबसे ऊँचे पदों की शोभा बढ़ाई। शिवाजी सभी के राजा थे, केवल हिंदुओं के नहीं।धर्म महत्त्वपूर्ण है, किंतु राष्ट्र के विकास में, राष्ट्र की सुरक्षा में धर्म रुकावट नहीं बनना चाहिए। यही संदेश शिवाजी ने अपने आचरण से दिया है। ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 15
[ शिवाजी महाराज और डिप्लोमेसी ]अनेक दिल दहला देने वाले रहस्य शिवाजी महाराज के जीवन में शामिल हैं। उन्होंने के अपेक्षा युक्ति को अधिक महत्व दिया और यही है उनकी सफलता का राज। आश्चर्य की बात यह थी कि तोरणा का किला वह पहला किला था, जो उन्होंने हासिल किया। इसके लिए उन्होंने कोई लड़ाई नहीं लड़ी। उन्होंने तोरणा के किलेदार को केवल एक धन राशि दी और किला उनके ताबे में आ गया ! सचमुच यह आश्चर्य की बात थी।पुरंदर के किले को भी हासिल करने के लिए उन्होंने केवल शत्रु पक्ष की आपसी फूट का लाभ उठाया। ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 16
[ शिवाजी महाराज और संकटकालीन परिस्थितियाँ ]बड़े-से-बड़े तनाव में भी जीवन-मृत्यु का युद्ध पूरी क्षमता के साथ लड़ सकने यह वास्तविक योद्धा कहलाता है। शिवाजी हर अर्थ में वास्तविक योद्धा थे। अवसान के बाद भी वे मराठों को वास्तविक योद्धा बनने के लिए प्रेरित करते रहे।शिवाजी का देह-विलय हुआ था 4 अप्रैल 1680 के दिन। उनके न रहने के बाद उन्होंने जिस मराठा साम्राज्य का निर्माण 30 वर्षों में किया था, उसी मराठा साम्राज्य ने स्वयं का अस्तित्व 30 वर्षों तक बनाए रखा एवं अपनी जिजीविषा की रक्षा की।मुगलों और मराठों को यदि डारविन के विश्व विख्यात सिद्धांत ‘केवल ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 17
[ शिवाजी महाराज और फ्रेंच राज्य क्रांति ]फ्रेंच राज- क्रांति के फलस्वरूप कुछ अत्यंत श्रेष्ठ शब्द मानव इतिहास में के लिए जगमगा उठे, जैसे; लिबर्टी, इक्वैलिटी और फ्रैटरनिटी, यानी स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व! फ्रांस के राष्ट्रीय सूत्रों की एवं त्रिसूत्री कार्यक्रम की रचना ही इन आदर्श शब्दों की धुरी पर हुई।पहली परिभाषा : मानव अधिकारसन् 1789 में जब मानव अधिकारों एवं नागरिक अधिकारों को परिभाषित किया गया, तब स्वतंत्रता की व्याख्या इस प्रकार की गई, ‘स्वतंत्रता, यानी दूसरों को कष्ट न पहुँचाते हुए हम जो चाहें, सो कर सकें।’ (अधिनियम 4 )हर स्त्री पुरुष को अपने प्राकृतिक अधिकारों का ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 18
[ शिवाजी महाराज और मराठी भाषा ]"राज्य का कामकाज उसी भाषा में होना चाहिए, जो भाषा वहाँ की जनता इस्तेमाल करती है। शिवाजी इस संकल्पना को स्वीकार करते हुए चलें। आम आदमी की भाषा और राजभाषा में अंतर होने पर थोड़े ही लोगों को लाभ होता है। प्रशासन की व्यवस्थाएँ कुछ थोड़े ही लोगों के हाथ में रहती हैं, जिससे आम आदमी का शोषण शुरू हो जाता है। शिवाजी इस तथ्य को अच्छी तरह समझ चुके थे। उन्होंने जानबूझकर अपने राज्य का कामकाज स्थानीय भाषा में ही करने की परंपरा बनाई।'माझा मराठी ची बोलु कौतुके परि अमृतात ही पैज ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 19
[ शिवाजी महाराज और समाज सुधार ]सती प्रथा पर प्रतिबंधइस प्रथा के अनुसार पति का अवसान होने पर पत्नी स्वेच्छा से पति के साथ ही जल जाती थी। इतिहासकारों के अनुसार यह प्रथा चौथी सदी से प्रारंभ हुई। माना जाताहै कि अगर किसी पुरुष की एक से अधिक पत्नियाँ होतीं, तो उनके बीच स्पर्धा सी हो जाती कि सती कौन होगी।कुछ विद्वानों के अनुसार सती प्रथा केवल उच्च वर्ग में या स्वयं को प्रतिष्ठित मानने वाले बड़े लोगों में प्रचलित थी। सामान्य वर्ग के लोगों में या निम्न वर्ग में इसका प्रचलन नहीं था। कुछ इतिहासकारों के अनुसार यह ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 20
[ शिवाजी महाराज और गुलामी की प्रथा ]गुलामी का प्रारंभमुसलिम गुलामी के स्पष्ट एवं विस्तृत उल्लेख उन कागजात में हैं, जो मोहम्मद गजनी के भारत पर आक्रमण के साथ ताल्लुक रखते हैं। गजनी ने 11वीं शताब्दी में भारत को रौंदना शुरू किया था। उसका जो आक्रमण सन् 1024 में हुआ, उसमें उसने अजमेर, नेहरवाल, काठियावाड़ एवं सोमनाथ के मंदिर का विध्वंस किया, साथ ही उसने एक लाख से अधिक हिंदुओं को गुलाम भी बनाया।इन गुलामों को मजदूरों की तरह जोता गया, ताकि उन प्रचंड इमारतों का निर्माण हो, जिनसे मुसलिमों के शासन की पहचान बनी। दिल्ली की कुतुबमीनार इसका ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 21
[ शिवाजी महाराज एवं उनके पिताश्री ]दो-तीन वर्ष ऐसे रहे, जब शिवाजी ने बीजापुर के प्रदेश में उथल-पुथल मचा इसके समाचार बादशाह मुहम्मद आदिलशाह के दरबार में बराबर पहुँचते रहते थे, लेकिन उसने ध्यान नहीं दिया। कल्याण का सूबेदार जब शिवाजी के हाथों बिल्कुल ही बरबाद हो गया, तब वह रोता हुआ बीजापुर दरबार में गया। बादशाह के सामने उसने शिवाजी की कारगुजारियों को विस्तार से बयान किया।अब बादशाह को भी लगा कि ‘शिवाजी ने तहलका मचा दिया हैै’, ऐसी बातें जो बार-बार सुनने में आ रही हैं, उन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। शिवाजी ने सरकारी खजाना लूट ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 22
[ शिवाजी महाराज एवं उनके भ्राता (बंधु) ]शाहजी की दो पत्नियाँ थीं। पहली जीजाबाई, जो शिवाजी की माँ थीं। तुकाबाई, जो व्यंकोजी की माँ थीं।दो राज-बंधुओं में एकता होना मुश्किल है। शिवाजी एवं उनके छोटे भाई व्यंकोजी राव इसके अपवाद नहीं थे।सन् 1664 में अपने पिता शाहजी राजे का अवसान होने के बाद शिवाजी ने उनका प्रदेश स्वयं के अधिकार में ले लिया। शिवाजी को मालूम था कि भविष्य में औरंगजेब दक्षिण से आक्रमण करेगा। इसलिए उन्होंने दक्षिण की तरफ एक राज्य स्थापित किया, जिसकी राजधानी चेन्नई के पास जिंजी में थी। इस मुहिम के दौरान व्यंकोजी ने शिवाजी ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 23
[ शिवाजी महाराज एवं उनके पुत्र ]शिवाजी महाराज के दो पुत्र थे। पहली पत्नी सईबाई का पुत्र संभाजी (जन्म मई, 1656) और तीसरी पत्नी सोयराबाई का पुत्र राजाराम (जन्म 14 फरवरी, 1670 )। राज्याभिषेक के अवसर पर शिवाजी ने सोयराबाई को रानी का पद दिया था। संभाजी को भी इसी दिन युवराज का पद दिया गया और उन्हें सिंहासन की निचली सीढ़ी पर मुख्य प्रधान मोरोपंत के साथ बिठाया गया था। दस्तावेजों में जो चश्मदीद बयान दर्ज हुए हैं, वे यही कहते हैं।संभाजी को शिवाजी ने सन् 1671 से राज-काज में शामिल किया था। अंग्रेज वकील थॉमस निकॉलस पहली ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 24
[ शिवाजी महाराज का देहावसान ]सन् 1680 के मार्च महीने में रायगढ़ के राजाराम का उपनयन संस्कार किया गया। आठ ही दिनों बाद शिवाजी महाराज ने राजाराम का विवाह करवा दिया। प्रतापराव गूजर की कन्या को ध्रुव-वधू के रूप में स्वीकार करते हुए 4 अप्रैल, 1680 के फाल्गुन, वदि 10 के दिन यह विवाह संपन्न हुआ। महाराज के एक सभासद ने लिखा है कि छोटे पुत्र राजाराम के लिए प्रतापराव गूजर की कन्या वधू के रूप में पसंद करके विवाह संपन्न किया गया और वधू का नाम जानकीबाई रखा गया। भव्य उत्सव हुआ और दान-धर्म भी उसी भव्यता के ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 25
[ शिवाजी महाराज एवं उनके कॉमरेड्स (मावले) ] पन्हालगढ़ को कैसे घेरा गया और थर्मोपीली की लड़ाई कैसे लड़ी इन दो घटनाओं पन्हालगढ़ में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले शिवा काशीद के बारे में विचार करेंगे।पन्हालगढ़ किले पर कठोरतम घेरा डालने के बावजूद शिवाजी महाराज सबकी नजर बचाकर किले से निकल गए हैं और तेजी से पलायन कर रहे हैं, यह सुनते ही सिद्दी जौहर ने उनका पीछा किया और 'शिवाजी' को पकड़ भी लिया, किंतु ठीक से पूछताछ करने पर पता चला कि पकड़ा गया ‘शिवाजी’ शिवाजी है ही नहीं! वह तो कोई और है, जिसने शिवाजी का वेश ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 26
[ शिवाजी महाराज एवं न्याय व्यवस्था ] शिवाजी महाराज के निष्पक्ष न्याय का ज्वलंत उदाहरण है, ज्येष्ठ पुत्र संभाजी संदर्भ में उनके द्वारा ली गई भूमिका।शिवाजी महाराज की अनुपस्थिति में युवराज संभाजी ने राज-काज में जो हस्तक्षेप किया था, उसके कारण अष्टप्रधान मंडल के साथ उनका उग्र विवाद होता रहता था। उन विवादों के कारण महाराज का विश्वास युवराज संभाजी पर से उठ चुका था।शिवाजी महाराज के एक प्रमुख ब्राह्मण दरबारी अण्णाजी दत्रे की बेटी से मिलने के लिए युवराज संभाजी गढ़ उतरकर जाते थे। उस लड़की के साथ संभाजी के अनैतिक संबंध कहे जाते थे। यह पता चलने ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 27
[शिवाजी महाराज एवं भारत की स्वतंत्रता संग्राम ]व्यापार करने के उद्देश्य से भारत आनेवाले अंग्रेजों के प्रति महाराज के में संदेह उत्पन्न हो रहा था। अंग्रेजों के स्वभाव का सूक्ष्म निरीक्षण करके शिवाजी महाराज ने भविष्यवाणी कर दी थी कि एक दिन यह कौम भारत भूमि पर कब्जा करने का प्रयास करेगी। अंग्रेजों एवं अन्य विदेशियों के साथ भारतीय शासकों को कैसा बरताव करना चाहिए, इस बाबत शिवाजी ने अपने आज्ञा-पत्र में इस प्रकार मार्गदर्शन किया है—साहूकार तो हर राज्य की शोभा होते हैं। साहूकार के योगदान से ही राज्य में रौनक आती है। जो चीजें उपलब्ध नहीं होतीं, ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 29
महामानव का उदय कैसे होता है? पेचीदा घटनाओं का लंबा सिलसिला हमेशा किसी न किसी विशिष्ट जन-समुदाय को जन्म है। जन्म के बाद; इस विशिष्ट जन समुदाय का विकास होता है, तत्कालीन सामाजिक परिस्थितियों के प्रभाव के कारण। महामानव के उदय के ये ही दो बुनियादी कारण हैं— 1. विशिष्ट जन समुदाय को जन्म देनेवाला पेचीदा घटनाओं का लंबा सिलसिला और 2. तत्कालीन सामाजिक परिस्थितियों का प्रभाव।“महामानव किसी समाज का नव-निर्माण करे, इससे पहले स्वयं समाज को ऐसी परिस्थितियाँ बनानी चाहिए, जिनसे महामानव जन्म ले।” ये शब्द हैं हर्बर्ट स्पेंसर के (‘द स्टडी ऑफ सोशियोलॉजी’)।हर्बर्ट स्पेंसर का मानना है ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 30
सर जदुनाथ पूछते हैं कि शिवाजी ने स्वराज की स्थापना की या क्रिगस्टाट स्थापित किया ? ‘क्रिगस्टाट’ यानी ऐसा जो केवल युद्ध अथवा लूटमार करके जीवित रह सकता हो। अलाउद्दीन खिलजी और तैमूर लंग की फितरत यही थी। क्या शिवाजी भी उन्हीं के जैसे निर्ममता के अवतार थे? सर जदुनाथ सरकार ने यह सिर्फ पूछा नहीं है। उत्तर भी उन्होंने स्वयं ही दे दिया है। सर जदुनाथ सरकार कहते हैं, “मैं शिवाजी को लुटेरा नहीं मानता। शिवाजी महाराज का अधिकांश जीवन घोर लड़ाइयों में बीता था। अपने अल्पकालीन जीवन में उन्हें शांति के क्षण कम ही मिल सके।”अपने राजनैतिक ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 32
अनेक घटनाओं के आधार पर कहा जा सकता है कि शिवाजी महाराज महान् समझे जाने वाले अनेक अन्य योद्धाओं अपेक्षा अधिक महान् थे। महानता और महान् व्यक्ति, इस संदर्भ की चर्चा हम कर चुके हैं। हम आठ विदेशी एवं दो भारतीय राजकर्ताओं के जीवन की संक्षिप्त जानकारी लेकर इन दस व्यक्तियों की तुलना शिवाजी महाराज के जीवन एवं कार्यों से करेंगे।शिवाजी महाराज के जीवन में ऐसी-ऐसी घटनाएँ घटी हैं कि सुनकर सारा संसार हिल जाए! उन घटनाओं के आधार पर हम उन्हें ‘एकमेवाद्वितीयम्’ घोषित करके स्वयं गौरवान्वित हो सकते हैं।अलग-अलग अनोखी घटनाएँ अलग-अलग व्यक्तियों को अलग-अलग ऊँचे शिखर पर ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 31
दैनंदिन जीवन की सामान्य घटना हो या संसार की कोई महत्त्वपूर्ण घटना हो, हम उनकी आपस में तुलना करते हैं। उनके बीच फर्क क्या है, इसे हम स्पष्ट समझना चाहते हैं। यही तत्त्व भूतकाल एवं वर्तमान काल में कार्यरत व्यक्तियों के लिए भी लागू होता है। ऐसी तुलना से किसी घटना अथवा व्यक्ति की अद्वितीयता को प्रत्यक्ष समझने का मौका मिलता है।शिवाजी महाराज कितने अद्वितीय थे? आइए, महाराज का मूल्यांकन करें। जैसा कि इस ग्रंथ के प्रकरणों से स्पष्ट होता है—● डेविड एवं गोलिएथ।● थर्मोपीली एवं लिओनिडास।● महान् पलायन।● ट्रॉय का घेरा।● चीन की दीवार जैसी पर्वतीय किलों की ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 33
किन्ही भी दो ऐतिहासिक व्यक्तियों की तुलना करना संभव नहीं है; उचित भी नहीं है, किंतु इसका एक लाभ है कि ऐसी तुलना जिसके साथ की जा रही है, वह अपनी पूर्ण विशेषताओं के साथ हमारे दिल में जगह बनाता है।शिवाजी अनेक कसौटियों पर श्रेष्ठ पुरुषों के बीच श्रेष्ठतम सिद्ध होते हैं। उन्होंने अपने राष्ट्र के गुणों को ही नहीं, अवगुणों को भी पहचाना, जिन्हें दूर करने के प्रयास के साथ जन-जन का स्वाभिमान जाग्रत् किया। शिवाजी ने अपनी प्रजा में एकता की स्थापना कर उसे अनेक पराक्रम करने के लिए प्रोत्साहित किया।शिवाजी की अपेक्षा अधिक पराक्रम करने वाले ...और पढ़े
शिवाजी महाराज द ग्रेटेस्ट - 28
[ छत्रपति शिवाजी महाराज के विदेशियों की दृष्टि में? ]ऑबकॅरे नामक फ्रांसीसी यात्री ने सन 1670 में भारत-भ्रमण किया अपने ग्रंथ 'व्हॉएस इंडीज ओरिएंटेल' में उसने अपने अनुभव प्रस्तुत किये हैं। यह यात्रा-वर्णन सन 1699 में पेरिस से प्रकाशित हुआ। उसमे से लिये गए कुछ उद्धरण― “शिवाजी ने किसी एक शहर को जीत लिया, ऐसा समाचार आता ही है कि तुरंत दूसरे समाचार का पता चलता है कि शिवाजी ने उस प्रदेश के आखिरी छोर पर आक्रमण किया है।” “वह केवल चपल नही है, बल्कि वह जुलियस सीजर के जैसा दयालु एवं उदार भी है इसलिए जिन पर वह ...और पढ़े