Kachcha Gosht book and story is written by Zakia Zubairi in Hindi . This story is getting good reader response on Matrubharti app and web since it is published free to read for all readers online. Kachcha Gosht is also popular in सामाजिक कहानियां in Hindi and it is receiving from online readers very fast. Signup now to get access to this story.
कच्चा गोश्त ज़किया ज़ुबैरी (1) बित्ते भर का क़द और दस गिरह लम्बी ज़बान!... और जब यह ज़बान कतरनी की भांति चलती तो बृज बिहारी बहादुर भी बगलें झांकते दिखाई देते। भिड़ के छत्ते को छेड़ने से पहले सोचना ...और पढ़ेथा न कि पंचायत के सरपंच बने बैठे हैं। और दबदबा ऐसा क
कच्चा गोश्त ज़किया ज़ुबैरी (2) यही सब सोचती मीना घर की ओर चली जा रही थी कि सामने से सब्बो मटकने की कोशिश कर रही थी। मीना के भीतर उसे देख कर एक उबाल सा उठा। लगता था प्रकृति ...और पढ़ेउसकी गर्दन बनाना ही भूल गई थी। धड़ लम्बा और छोटी टांगें। कंधे को एक तरफ़ झुकाए हुए थी। वह अपनी छोटी छोटी टांगों से मीना की तरफ़ लगभग भागी चली आ रही थी।... उसे पहले से ही मालूम था कि सरपंच आज मदन मोहन की मां को क्या फ़ैसला सुनाने वाला है। सारा गांव उसे बुद्दू समझता था, मगर