शेक्सपियर की कहानियाँ - रोमियो जूलिएट Monika Sharma द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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शेक्सपियर की कहानियाँ - रोमियो जूलिएट

शेक्सपियर

की

कहानियाँ

रोमियो और जूलियट


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रोमियो और जूलियट

चार्ल्‌स और मैरी लैम्ब द्वारा एक श्रेष्ठ प्रेम कहानी का सरलीकृत संस्करण।

अमीर कैप्युलैट और मौण्टैग्यू, वेरोना शहर के दो प्रमुख परिवार थे । इन दोनों परिवारों के बीच पुराना झगडा चल रहा था, जो कि इतना ज्यादा बढ चुका था कि दोनों परिवारों के बीच घातक दुश्मनी हो गयी थी व दोनों परिवारों के अनुयायी और दूरदराज के परिजन भी एक दूसरे के परिवारों से कोई सम्बन्ध नहीं रखना चाहते थे, इतना ही नहीं बल्कि झगडा इतना विशाल रूप ले चूका था कि मौण्टैग्यू परिवार के नौकर भी कैप्युलैट परिवार के नौकरों से नहीं मिल सकते थे, यहाँ तक कि गलती से भी कोई कैप्युलैट कभी किसी मौण्टैग्यू के समक्ष नहीं आते थे, फिर भी कभी कभार हुए आकस्मिक मिलाप अकसर गाली — गलोच, अप्रयुक्त रक्तपात और विवादों में तब्दील हो जाया करते थ, यह सब वेरोना की सडकों का खुशनुमा मौसम बिगाड दिया करता था ।

कैप्युलैट परिवार के मुखिया ने एक रात बेहतरीन भोज का आयोजन किया, जिसमे कई सुंदर महिलाओं और अनेक सज्जन मेहमानों को आमंत्रित किया गया था । इस आयोजन में वेरोना की सभी प्रशंसनीय सुंदरियाँ उपस्थित थी, मौण्टैग्यू घराने के अलावा सभी मेहमानों का स्वागत किया जा रहा था । कैप्युलैट की इस दावत में, रोमिया, मौण्टैग्यू का पुत्र और रोज्लिन, रोमियो की प्रेमिका भी उपस्थित थ, हालाँकि मौण्टैग्यू के व्यक्ति का इस समारोह में दिखना किसी खतरे से कम नहीं था फिर भी, रोमियो के एक दोस्त, बेन्वोलियो ने रोमियो को मुखौटा लगा कर उत्सव में आने के लिए राज्ी किया, ताकि वहाँ जा कर रोमियो अपनी रोज्लिन को देख पांए और वेरोना की अन्य सुन्दरियों के साथ उसकी तुलना कर पांए । बेन्वोलियो का कहना था कि वेरोना में रोज्लिन से भी कहीं खूबसूरत सुंदरियां है जिनके सामने रोज्लिन की खूबसूरती भी कुछ न लगे । रोमियो को बेन्वोलियो के शब्दों पर कोई खास भरोसा नहीं था, फिर भी रोज्लिन के प्यार में वह जाने के लिए राज्ी हो गया । रोमियो एक सच्चा और भावुक प्रेमी था जो कि प्यार में अपनी नींद खो चूका था और रोज्लिन की यादों में अकेला रहने के लिए घर से दूर भाग जाया करता था । दूसरी ओर, रोज्लिन जिसने हमेशा रोमियो का तिरस्कार किया और उसके प्यार के बदले उसको कभी ज्रा सी विनम्रता या स्नेह तक भी नहीं दिया । अनेक प्रकार की सुंदरियों और भिन्न साथियों की ओर रोमियो का ध्यान एकत्रित करके बेन्वोलियो अपने दोस्त के इस प्रेम का इलाज करना चाहता था । कैप्युलैट परिवार के इस आयोजन में, रोमियो अपने दोस्त बेन्वोलियो और मेरकुटियो के साथ मुखौटा धारण कर के गए थे । कैप्युलैट परिवार के मुखिया ने उनका स्वागत किया और कहा कि कोमल पेरों वाली सुंदर महिलाएं उनके साथ नृत्य करेंगी । मुखिया एक प्रसन्नचित और मग्न व्यक्ति थ, उन्होंने बताया कि अपनी जवानी में उन्होंने भी एक बार मुखोटा पहना था, और वे सुंदर व आकर्षक स्त्रियों को कान में कहानी फुसफुसा कर ही लुभा लिया करते थे । और वे नृत्य करने लग, और रोमियो अचानक ही वहाँ नृत्य करती एक महिला के अत्यधिक सौन्दर्य में खो गया, उस सुन्दरी को देख कर उसे ऐसा प्रतीत हुआ की मानों मशालों को भी उससे उज्जवल होना सीखना पड, और रात में उसकी सुन्दरता ऐसी चमकदार लगे की मानों किसी पूर्णिमा का चाँद, ऐसी अनमोल सुन्दरता जिसे कोई उपयोग में लाने की सोच भी न सक, किसी अवतार की भांति, इस पृथ्वी को भी अत्यधिक प्रिय ! जैसे काले कौवे के समूह में उडान भरता एक सफेद कबूतर, उस एक स्त्री की सुन्दरता व उसकी समृद्ध चमक सभी उपस्थित स्त्रियों के सौन्दर्य को फीका कर रही थी । कैप्युलैट का भतीजा, टाइबॉल्ट, रोमियो को उसकी आवाज् से पहचानता था और जब रोमियो इन तारीफों का बखान कर रहा था तब टाइबॉल्ट ने उसे सुन लिया था । एक उग्र और गुस्सैल स्वभाव वाला व्यक्ति, टाइबॉल्ट, यह न सह सका की एक मौण्टैग्यू मुखौटे की आड में उनके इस आयोजन का उपहास और तिरस्कार कर रहा था । टाइबॉल्ट, अत्यंत प्रचंड रूप में रोमियो की ओर बढा जिसे देख कर ऐसा लगा की मानों वह रोमियो को एक ही वार में मार डालेगा । लेकिन कैप्युलैट परिवार के मुखिया, टाइबॉल्ट के चाचा रोमियो को उस समय किसी प्रकार की चोंट से कष्ट नहीं पहुँचाना चाहते थे क्योंकि वह अपने मेहमानों का निरादर नहीं करना चाहते थे और क्योंकि रोमियो ने भी उस आयोजन में खुद को एक सज्जन के रूप में पेश किया था, और क्योंकि वेरोना के सभी लोग रोमियो के गुणी और अनुशासित व्यवहार की बहुत बडाई भी किया करते थे । टाइबॉल्ट, अपनी इच्छा के विरुद्ध शांत होने के लिए मजबूर था और उसने खुद को संयमित भी रखा, लेकिन उसने कसम खाई कि इस नीच मौण्टैग्यू को अगली बार उसकी घुसपैठ के लिए भारी कीमत चुकानी पडेगी ।

नृत्य किया जा रहा था, और रोमियो उसी स्थान की ओर देख रहा था जहाँ वह सुंदर स्त्री खडी थी, अपने मुखौटे की आड में रोमियो को थोडी आजदी प्राप्त हुई, उसने उसी आजदी का लाभ लेते हुए उस सुंदर स्त्री के हाथों को बडे ही विनम्र भाव से अपने हाथों में लेने का साहस किया, जैसे कि वह एक शर्मीला तीर्थयात्री हो जो कि किसी पवित्र तीर्थस्थान को छू रहा हा, उसका मानना था कि अगर उसके छूने से वह उस तीर्थस्थान को अपवित्र कर रहा हो ता, प्रायश्चित के लिए वह उन्हें चूमेगा ।

” अच्छा तीर्थ “, महिला ने उत्तर दिया, ” तुम्हारी भक्ति से पता चलता है कि तुम कितने सुशील और सभ्य हा, सन्यासियों के हाथ तीर्थयात्री छू सकते हैं पर चूम नहीं सकते “ ।

” क्या सन्यासियों और तीर्थयात्रियों के होंठ नहीं होते “, रोमियो ने कहा ।

” बिल्कुल होते हैं “, महिला ने कहा, ” जिनका उपयोग उन्हें केवल प्रार्थना के लिए करना चाहिए “ ।

” अच्छा, तो मेरे प्रिय संत “, रोमियो ने कहा, ” मेरी प्रार्थना सुन और स्वीकार कर, ऐसा न हो कि मैं निराश हो जाऊं “ ।

इस प्रकार के भ्रम और प्यार भरी गाथाओं में वह मग्न ही थे कि उस स्त्री को उसकी माँ के पास बुलवा लिया गया । रोमिया, यह पूछताछ ही कर रहा था कि उस सुन्दरी की माँ कौन है कि तभी उसे पता चला कि जिसके सौन्दर्य में वह इतना खोया हुआ हैं, वह और कोई नहीं बल्कि जवान जूलिएट ह, कैप्युलैट परिवार के मुखिया की बेटी और एकलौती वारिस, मौण्टैग्यू परिवार के कट्टर दुश्मन य अनजाने में वह अपने दुश्मन से दिल लगा बैठा था । इस बात से उसे उलझन हुई, लेकिन ऐसी कोई उलझन उसे प्यार करने से नहीं रोक सकती थी । थोडा आराम करने के बाद जूलिएट को पता चला कि जिस सज्जन पुरुष से वह बात कर रही थी वह रोमियो था, जो की एक मौण्टैग्यू था, जिसके लिए जूलिएट की तरफ से भी वही अविवेकी जुनून और आतुरता थी जो रोमियो की तरफ से उसके लिए थी य यह उसे एक अस्वाभाविक प्यार का जन्म लग रहा था, वह घबरा रही थी कि उसे अपने दुश्मन को प्यार करना चाहिए या फिर उसे अपने प्यार के साथ समझौता कर उसे वही भूल जाना चाहिए, जबकि उसके परिवार की परिस्थितियां उसे नफरत करने के लिए ही प्रेरित करेंगी ।

आधी रात हो चुकी थी, रोमियो अपने दोस्तों के साथ रवाना हो गया य लेकिन जल्द ही रोमियो अपने दोस्तों से जुदा हो गया क्योंकि वह उस घर से दूर नहीं रह पा रहा था जहाँ वह अपना दिल छोड आया था, वह जूलिएट के घर के पीछे बने बाग् की दीवार को लांघ कर घर में प्रवेश कर गया । अन्दर प्रवेश कर अपने नये नये प्यार के बारे में चिंतन करते हुए उसे ज्यादा समय नहीं हुआ था कि तभी उसे ऊपर की खिडकी में जूलिएट नज्र आई, जिसकी अत्यधिक सुन्दरता मानों उगते हुए सूरज की भांति उस खिडकी से अपने प्रकाश को जग में फैला रही हा, और इस नए उगते हुए सूरज की ज्बरदस्त चमक के सामने बगीचे में चमकता हुआ चाँद भी रोमियो को फीका, बीमार सा और पिला लग रहा था । अपने कोमल गुलाबी गालो को अपने रेशमी हाथों से छूते हुए देख रोमियो ने चाहा कि काश वह जूलिएट के हाथों का एक दस्ताना होता, जिससे की उसे जूलिएट के गालो को छू पाने का मौका मिल पाता । जूलिएट, रोमियो की मौजूदगी से अनजान खुद को अकेला मान, एक गहरी सांस के साथ उबासी लेते हुए बोली

” आह ! मैं ! “

रोमिया, जूलिएट की आवाज् सुन कर प्रफुल्लित हो उठा और बहुत धीमी व न सुनाई देने वाली आवाज् में बोला, ” हे ! स्वर्ग की अप्सरा के रूप में प्रतीत होने वाली, ज्रा फिर से बोला, तुम मेरे सिर के ऊपर ऐसे नज्र आ रही हो जैसे कि पंखो वाला स्वर्ग दूत जिसे सभी मनुष्य टकटकी लगायें देखना चाहेंगे “ ।

वह इस बात से अनजान थी कि कोई उसे सुन पा रहा होगा, और उस मज्ेदार रात में जन्मे उस नए — नए जोश में आ कर और रोमियो को वहाँ उपस्थित न मान कर वह अपने प्रेमी को उसके नाम से पुकारने लगी । ” ओह ! रोमिया, रोमियो ! “ उसने कहा, ” तुम कहा हो रोमियो ? मेरे लिए अपने पिता को मना कर दो और उनके नाम को छोड दो य और अगर तुम ऐसा न कर सका, तो मुझे अपने प्यार की कसम कि मैं कैप्युलैट परिवार से अपना रिश्ता तोड दूंगी । “

रोमियो यह सुन कर प्रोत्साहित हुआ, और उसका मन हुआ कि वह भी कुछ बोले परन्तु उसका मन अभी नहीं भरा था और वह अभी थोडा और सुनना चाहता था य और जूलिएट खुद के ही साथ ( जैसा कि वह मानती थी ) अपनी भावुक बातचीत जरी रखती है य वह अभी भी रोमियो को रोमियो होने के लिए और साथ ही एक मौण्टैग्यू होने के लिए कोस रही थी, और वह उसके लिए कोई और नाम चाहती थी, या फिर कम से कम वह उस नफरत भरे नाम को खुद से दूर रखें, और जूलिएट का कहना था कि एक ऐसे नाम के लिए जो कि उसका हिस्सा था ही नहीं रोमियो को उसे पूर्णतः स्वीकार कर लेना चाहिए । इन प्यार भरे शब्दों के बाद रोमियो खुद को और रोक पाने में असमर्थ था, और उसने जूलिएट के शब्दों को काल्पनिक न समझते हुए व्यक्तिगत स्तर पर उन्हें खुद के लिए माना और जूलिएट के प्रति उत्तर में कहा कि तुम मुझे अपना प्यार कहो या फिर मुझे किसी भी और नाम से पुकारो जो तुम्हे अच्छा लगे क्योंकि मैं आज से और अभी से ही रोमियो नहीं हूँ, अगर तुम्हे यह नाम इतना ही नापसंद है तो । जूलिएट अपने बागीचे मैं एक आदमी की आवाज् सुनकर हैरान हो गईं, रात और अँधेरा होने के कारण उससे शुरुआत में आवाज् पहचानने में भूल हुईं और वह नहीं समझ पाईं कि वह आवाज् किसकी थी, बेशक जूलिएट ने अभी रोमियो से लंबी बातें नहीं की थी और न ही उसकी आवाज् बहुत देर तक सुनी थी मगर फिर भी एक प्रेमी की आहट इतनी प्रिय होती है कि रोमियो के दोबारा बोलते ही तुरंत वह जान गईं कि यह आवाज और किसी की नहीं परन्तु उसके प्यारे रोमियो की ही ह, और वह रोमियो से बेवजह खतरा मोल लेकर बागीचे की दीवार लांघने के लिए सविनय व मैत्रीभाव से विरोध करने लगी, क्योंकि अगर उसके किसी भी रिश्तेदार ने उसे वहाँ देख लिया होता तो एक मौण्टैग्यू होने के नाते उसे निश्चित रूप से मार दिया गया होता ।

” ओह ! हो ! “, रोमियो ने कहा, ” उनकी बीसियों तलवारों से ज्यादा खतरा तो मुझे तुम्हारी आँखों में नज्र आ रहा है । हे प्रिय, तुम मुझ पर दया करना चाहती हो या मेरी तरफ दयाभाव से देखती हा, और मैं उनकी शत्रुता के खिलाफ सबूत हूँ । बेहतर होगा कि मुझे उनकी नफरत मार दे बजाएं इसकी कि इस नफरत भरी ज्न्दिगी को और बढा दिया जाए जिसमे कि मुझे तुम्हारे प्यार के बिना जीना पडे । “

” तुम यहाँ, इस जगह कैसे आए ? “, जूलिएट ने कहा, ” और किसके निर्देश से ? “

” मुझे प्यार ने निर्देश दिया, “ रोमियो ने उत्तर दिया । ” मैं कोई विमान चालक नहीं हूँ, लेकिन फिर भी अगर तुम मुझसे इतनी दूर होती जितना की वह छोर है जिसे समंदर अपनी लहरों से धोता ह, तो भी मैं तुमसे मिलने के लिए वहाँ आने में ज्रा सा भी संकोच नहीं करता “ ।

इस खोज के बाद की रोमियो भी जूलिएट से प्यार करता ह, उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया, लेकिन अभी भी रोमियो रात के अँधेरे के कारण उसे नहीं देख पा रहा था । जूलिएट भी रोमियो से प्यार करती थी, और अब जूलिएट भी जानती थी की रोमियो उससे प्यार करता है लेकिन फिर भी वह रोमियो से अपने प्यार का इज्हार करने से कतरा रही थी । उसको अपने शब्दों को याद करके दोहराने की इच्छा हुई परन्तु ऐसा करना असंभव था । जूलिएट भी अपने प्रेमी को अपने से दूर रख कर प्रसन्न रूप में खडीं थी जैसा की नम्र व बुद्धिमान महिलाओं का रिवाज् होता है थोडे तेवर दिखाना व थोडा अनुचित व्यवहार करना और शुरआत में अपने प्रेमियों को कठोर इनकार करना, उनसे दूर रह कर उनके शर्मीलेपन और उनकी उदासीनता को तब तक प्रभावित करना जब तक कि वो उनको पसंद न आने लग, ऐसा इसलिये भी ताकि उनके प्रेमी उन्हें हल्के में न आँकें और उन्हें आसानी से जीता जाने वाला न सोचें य जैसा कि किसी वास्तु के साथ होता ह, उसको प्राप्त करने में आने वाली कठिनाईयां उसका मूल्य बढा देती है । लेकिन जूलिएट के मामले में इनकार करन, या अस्वीकार करन, या फिर किसी और तरह की रीति रिवाज् संबंधी देरी और लंबे प्रणय निवेदन की संभावना नहीं थी । रोमियो ने खुद अपने कानो से उसके मुख से निकले प्यार भरे शब्दों को सुना था, जिसमे जूलिएट ने रोमियो के प्रति अपने प्यार को स्वीकार किया था और उस समय वह नींद में सपना नहीं देख रही थी कि रोमियो उसके साथ है । उसकी इस नयी स्तिथि के अनुसार उसने इमानदारी और सरलता से रोमियो द्वारा पहले सुनी गयी बातों की सच्चाई की पुष्टि की, और, रोमियो को ‘ प्यारे मौण्टैग्यू ' नाम से संबोधित किया ( प्यार एक कडवे नाम को भी मीठा बना देता है ), उसने रोमियो से विनती की कि वह उस पर आसानी से मान जाने के लिए छिछोरेपन या एक घटिया मन वाली होने का लांछन न लगाए, परन्तु उसे इस गलती का आरोप ( अगर वह एक गलती थी तो ) रात की उस दुर्घटना पर लगाना चाहिए जिसकी वजह से उसके मन के भाव आश्चर्यचकित रूप से बाहर आयें । और उसने यह भी कहा की हालांकि एक लडकी होने क अनुसार, लडकियों के रीति रिवाजों से परे उसका यह व्यवहार भले ही रोमियो को पूरी तरह से समझदारी भरा या विवेकपूर्ण न लग, परन्तु वह इस बात को साबित करके रहेगी कि वह कई ऐसे धोकेबाज् और ढोंगियों से समझदार, सच्ची व प्रज्ञावान है जो कि विवेक होने का केवल स्वांग रचते है और जिनकी विनम्रता पुर्णतः नकली व उनकी चालाकी की उपज मात्र होती है ।

रोमियो इश्वर का आह्वान करने लगा और कसमे ले कर कहने लगा कि वह एक इज्ज्तदार और इमानदार स्त्री के बारे में ऐसा कभी नहीं कह सकता और ऐसी सम्मानित स्त्री पर लांछन लगाने जैसे विचार भी उसके दिल और दिमाग के परे की बात है । ऐसा करने पर जूलिएट रोमियो को रोकने लगी, वह उसको कसमें न खाने के लिए विनती करने लगी य हालांकि उसे यह सब सुनने में मज आ रहा था, लेकिन फिर भी उसे उस रात के मिलन में कुछ अजीब सा लग रहा था । उस रात जो भी कुछ हुआ वह सब बहुत जल्दबाज्ी में, बहुत अस्वीकरणीय रूप में और बहुत अचानक हुआ था । लेकिन फिर भी रोमियो तत्काल ही उस रात जूलिएट के साथ अपने प्यार की कसमें लेना चाहता था, जूलिएट ने कहा कि वह तो उसके पूछे जाने से बहुत पहले ही ( जब उसने उसे खुद से बात करते सुन लिया था ) अपने प्यार का इज्हार कर चुकी है व प्रण ले चुकी ह, लेकिन उसने कहा कि उसके प्यार का खजना अनंत समुद्र के समान है व उसका प्यार समुद्र की तरह ही गहरा ह, और वो वह सब दोहराएगी जो कि उसने अपने प्यार के लिए पहले अर्पित किया था, और उसे ऐसा करने में अपार आनंद महसूस होगा । इसी प्यार भरे मिलन के बीच, जूलिएट को उसकी आया ने बुला लिया जो कि उसी के साथ सोया करती थी, आया को लगा कि जूलिएट के सोने का समय हो गया ह, जबकि सूर्योदय होने को ही था और नए दिन की शुरआत हो रही थी । लेकिन वह फौरन लौट कर आई और उसने रोमियो को तीन चार शब्द और कहे जिनका अभिप्राय था, कि अगर उसका प्यार वास्तव में माननीय ह, और उसके प्यार का मकसद शादी है तो वह अगले दिन उसके पास एक सन्देशवाहक को उनकी शादी के लिए समय निश्चित करने के लिए भेज देगी, और तब वह अपनी किस्मत को उसके चरणों में न्योछावर कर देगी और ज्न्दिगी भर उसका अपने इश्वर के रूप में पालन करेगी । जिस समय यह बातें चल रही थी उसी समय जूलिएट की आया उसे बार बार बुला रही थी, और वह बार बार अन्दर जा कर वापस लौट आ रही थी, ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मानों रोमियो के जाने से उसे ऐसा लग रहा हो जैसे कि एक छोटी बच्ची का पक्षी उससे दूर उड जा रहा हा, जिसे वह थोडी देर उडने दे और बाद में एक रेशमी डोर के सहारे वापस बुला ले । रोमियो भी जूलिएट के समान ही जुदा होने के अनिच्छुक था, क्योंकि दो प्रेमियों के लिए सबसे मधुर संगीत रात में एक दुसरे की आवाज् होती है । आखिरकार वे एक दुसरे के लिए शुभ रात्रि व रात भर के लिए आराम की मनोकामना करके जुदा हो जाते है ।

जब वे जुदा हुए उस समय भोर हो रही थी, और रोमिया, अपनी प्रेमिका के खयालों में पूरी तरह चूर हो चूका था, ऐसे में उसको नींद कैसे आती, अपने घर जाने की बजाये उसने पादरी लॉरेंस को ढूँढने के लिए अपना रास्ता पास ही के एक मठ की ओर मोड लिया । वह एक अच्छा व सच्चा पादरी था और वो अभी से ही अपनी पूजा पाठ में लग गया था । परन्तु, जवान रोमियो को इतनी सुबह अपनी ओर आते देख वह तुरंत समझ गया कि वह रात भर सोया नहीं ह, और अपनी जवानी के किसी लगाव की वजह से वह अपनी नींद खो चूका है । पादरी का यह अनुमान कि रोमियो रात भर सोया नहीं है और यह कि वह अपने प्रेम संबंध की वजह से नहीं सो पाया ह, बिलकुल सही था य परन्तु उनका यह मानना गलत था कि रोमियो की यह स्थिति रोज्लिन के प्यार में हुई है जिसमे की वह ठीक से सो भी नहीं पा रहा है । लेकिन जब रोमियो ने पादरी को जूलिएट के प्रति अपने प्रेम के बारे में बताया, और उनसे उस दिन अपनी शादी करवाने में सहायता करने के लिए विनती भी की, यह सब सुनते ही उस पवित्र आदमी ने रोमियो के लगाव में आए इस अचानक बदलाव से आश्चर्यचकित हो कर अपनी आँखें व हाथ ऊपर इश्वर की ओर उठा लिए, क्योंकि वह रोज्लिन की ओर रोमियो के प्रेम के सब राज् जानता था और रोमियो ने उससे कई बार रोज्लिन द्वारा तिरस्कार किये जाने की शिकायत भी की थी य और उसने कहा कि युवा पुरुषों का प्यार सही मायनों में दिल में न हो कर उनकी आँखों में होता है । ऐसे में रोमियो ने जवाब दिया कि उन्होंने स्वयं ही न जाने कितनी बार उसे रोज्लिन से अत्यधिक प्यार करने के लिए डांट लगाई ह, जिसने कभी उसके प्यार का मान नहीं किया और हमेशा ही उसका और उसके प्यार का तिरस्कार किया, जबकि जूलिएट को वह भी बहुत प्यार करता है और वह भी इससे बहुत प्यार करती है । पादरी ने उसके दिए गए कारणों में कुछ उपाय देखे य उसने सोचा कि युवा रोमियो और युवा जूलिएट के बीच वैवाहिक गठबंधन कैप्युलैट और मौण्टैग्यू परिवार के बीच चली आ रही लंबी दुश्मनी को शांत करने का काम कर सकती ह, दोनों परिवारों के बीच बनी इस गहरी दरार को इन युवाओं की शादी भर सकती है । पादरी एक सज्जन और नेक इंसान था, और इसके अलावा किसी और व्यक्ति को इन दोनों परिवारों की बीच सुलह कराने की कोई फिक्र भी नहीं थी । पादरी दोनों परिवारों का एक अच्छा मित्र था, और उसने इन दोनों परिवारों के झगडे को सुलझाने के लिए कई नाकाम कोशिशें भी की है । युवा रोमियो के प्रति अपने लगाव के कारण जिसको वह कभी किसी भी चीज् के लिए न नही करते थे और दोनों परिवारों की भलाई के बारे में सोचकर पादरी ने उनकी शादी में सहायता करने लिय हाँ कर दी ।

अब जा कर रोमियो वास्तव में धन्य हुआ था । और जूलिएट अपने वादे के अनुसार भेजे गए संदेशवाहक के ज्रिये रोमियो के नेक इरादे को अच्छे तरीके से जान चुकी थी । वह पादरी लॉरेंस के पास समय से पहले ही पहुँच पाने में कामयाब रही, जहाँ उन्हें पवित्र शादी के बंधन में बाँध दिया गया, उस नेक दिल पादरी ने इश्वर से प्रार्थना की कि वह इस अच्छे कार्य को अपने आशीर्वाद से धन्य करें, और इस युवा मौण्टैग्यू और युवा कैप्युलैट के मिलन के साथ साथ उनके परिवारों के बीच चले आ रहे पुराने संघर्ष और लम्बे विवादों को भी खत्म करने में उनकी सहायता करें ।

शादी की विधि समाप्त होते ही जूलिएट जल्दी से वापस अपने घर लौट गयी, जहाँ वह रहती थी । वह रात के आने के लिए बेसब्र हो रही थी, क्योंकि रोमियो ने उससे रात में उसके बगीचे में मिलने का वादा किया था, जहाँ वे बीती रात मिले थे । रात के इंतजर में बीच का समय उसे बहुत थका देने वाला लग रहा था, ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मानों समय कुछ क्षणों के लिए रुक गया हो । यह इंतजर की घडी उसे ऐसी लग रही थी जैसे कि किसी शानदार त्यौहार से पहले एक उत्सुक बच्चे को नये कपड, खिलोन, और सजावट के लिए होती ह, जिन्हें वह अगली सुबह से पहले इस्तेमाल नहीं कर सकता ।

उसी दिन, दोपहर के समय, रोमियो के मित्र, बैन्वोलियो और मर्क्‌यूशिया, वेरोना की गलियों से हो कर गुज्रते हुए, कैप्युलैट परिवार के एक समूह से मिले जिस की अगुवाई टाइबॉल्ट कर रहा था । टाइबॉल्ट एक प्रचंड व्यक्तित्व वाला व्यक्ति था । यह वही क्रोधी टाइबॉल्ट था जो कि कैप्युलैट परिवार के मुखिया द्वारा दिए गए भोज पर रोमियो से लडने को आतुर था । वह मर्क्‌यूशियो को वहाँ देख कर उस पर रोमिया, एक मौण्टैग्यू के साथ जुडे होने के लिए दो टूक आरोप लगाने लगा । मर्क्‌यूशिया, जो कि टाइबॉल्ट के समान ही अपने अन्दर आग भरे हुए था और टाइबॉल्ट के समान ही उसमे भी जवानी का खून पूरे उफान पर बह रहा था । मर्क्‌यूशियो ने उसके ऊपर लगाए गए आरोपों पर तेज् तरार व तीखेपन के साथ जवाब दिया । बैन्वोलियो के शांत कराने की कोशिशों के बावजूद भी वहाँ उनका गुस्सा एक झगडे का रूप लेने लगा था कि तभी रोमियो को खुद वहाँ से गुज्रता देख अत्यंत भयंकर टाइबॉल्ट मर्क्‌यूशियो को छोड कर रोमियो की ओर बढा और उसे खरी खोटी सुनाने लगा, और उसे खलनायक की शर्मनाक पदवी दी । वहाँ मोजूद सभी लोगों से ज्यादा रोमियो यह कामना कर रहा था कि टाइबॉल्ट के साथ उसका झगडा न हा, क्योंकि वह जूलिएट का रिश्तेदार था और जूलिएट को वह बहुत प्यारा था । इसके अलावा इस युवा मौण्टैग्यू ने आज तक कभी भी अपने पारिवारिक झगडो में हिस्सा नहीं लिया था । वह स्वभाव से सज्जन, दयालु, शांत, नम्र व बुद्धिमान था और अब तो उसको अपनी प्रेमिका की वजह से कैप्युलैट नाम भी अच्छा लगने लगा था । ऐसे में वह नाम उसको लडने के लिए उत्तेजित करने की बजाये नाराजगी दूर करने के लिए प्रेरित कर रहा था । इसीलिए वह टाइबॉल्ट को समझाने की कोशिश करने लगा, और उसे एक ‘ भले कैप्युलैट ' के नाम से भी संबोधित किया, एक मौण्टैग्यू होते हुए भी उसके ऐसा करने में ऐसा लगा कि मानों उसे उस नाम का उच्चारण करने में भी कोई गुप्त आनंद मिल रहा हो । लेकिन टाइबॉल्ट जो कि समस्त मौण्टैग्यू परिवार और मौण्टैग्यू परिवार से जुडे सभी लोगों से नर्क की भांति नफरत करता था, कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था और उसने अपना हथियार निकाल लिया । मर्क्‌यूशियो जो कि टाइबॉल्ट के साथ शान्ति के लिए रोमियो के गुप्त उद्देश्य से अनजान था मानने लगा कि रोमियो की मौजूदा सहनशीलता टाइबॉल्ट का अपमान करने का एक शांत तरीका है । मर्क्‌यूशियो के कई अपमानजनक शब्दों ने टाइबॉल्ट को उसकी उसके साथ पहली लडाई के लिए उकसा दिया, और फिर मर्क्‌यूशियो और टाइबॉल्ट तब तक लडते रहे जब तक कि मर्क्‌यूशियो एक प्राण — घातक वार खा कर ज्मीन पर गिर न गया, उस समय रोमियो और बैन्वोलियो लडने वालो को अलग करने का नाकामयाब प्रयास कर रहे थे । मर्क्‌यूशियो के मरने के बाद, रोमियो अपने आपे पर और नियंत्रण न रख पाया और टाइबॉल्ट द्वारा दी गयी खलनायक की पदवी जैसी भूमिका में आ गया, और वे तब तक लडते रहे जब तक कि रोमियो ने टाइबॉल्ट को मार नहीं गिराया । भरी दोपहर में वेरोना शहर के बीचों बीच हुए इस घातक झगडें की खबर ने जल्द ही नागरिकों की भीड को उस स्थान पर इकठ्‌ठा कर लिया और उस भीड में मौण्टैग्यू परिवार के मुखिया और कैप्यूलैट परिवार के मुखिया अपनी — अपनी पत्नियों के साथ भी उपस्तिथ थे । कुछ देर बाद ही वहाँ उस स्थान पर खुद वेरोना शहर के राजकुमार भी आ पहुंचे । राजकुमार, मर्क्‌यूशियो का रिश्तेदार था जिसे टाइबॉल्ट ने मार गिराया था और मौण्टैग्यू परिवार व कैप्यूलैट परिवार के बीच अक्सर होने वाले इन झगडो ने उनके राज्य के अनुशासन में कई बार बाधा भी डाली थी । ऐसे में राजकुमार सभी दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ कडे कानून का पालन करने का संकल्प करके आया था । राजकुमार ने बैन्वोलियो को इस दंगे की वजह और शुरआत के बारे में बताने को कहाँ क्योंकि वह इस पूरे दंगे का चश्मदीद गवाह था । बैन्वोलियो ने राजकुमार के कहे अनुसार सब बताया, उसने इस तरह सब सच सच बताया जिससे की रोमियो को किसी तरह का कोई नुकसान न हा, उसने अपने दोस्तों की इस दंगे में हिस्सेदारी को कम से कम करके बताया । कैप्यूलैट परिवार के मुखिया की पत्नी, अपने भतीजे टाइबॉल्ट की मृत्यु के चरम दुःख में अपने बदले की भावना पर काबू न रख पायी और उसने राजकुमार से गुहार लगाई कि उसके भतीजे के कातिल को सख्त से सख्त सज दी जाए, और उसने यह भी कहा कि बैन्वोलिया, रोमियो का एक मित्र और एक मौण्टैग्यू होते हुए अपने ब्यान में उनका ही पक्ष रखेगा और इसीलिए राजकुमार से अनुरोध किया कि उसकी बातों पे कोई ध्यान न दिया जाए । इस प्रकार उसने अपने नए दामाद के खिलाफ वकालत की, परन्तु वह अभी भी इन सब बातों से अनजान थी कि रोमियो उसका दामाद है और जूलिएट का पति । वही दूसरी ओर मौण्टैग्यू परिवार के मुखिया की पत्नी और रोमियो की माँ अपने बेटे की ज्न्दिगी के लिए पैरवी करती हुई देखी जा सकती थी, और वह बहस कर रही थी कि रोमियो ने ऐसा कुछ नहीं किया है जिसकी वजह से उसे टाइबॉल्ट की मृत्यु की सज दी जाए य टाइबॉल्ट तो पहले ही मर्क्‌यूशियो को मारने के जुर्म में कानून का अपराधी बन चूका था । राजकुमार, उन दोनों औरतों के भावुक तकोर्ं से प्रभावित हुए बिना और प्रस्तुत तथ्यों की ठोस जांच के बाद अपने नतीजे पर पहुंचा, और उस फैसले के अनुसार रोमियो को वेरोना शहर से निकाल दिया गया ।

यह खबर युवा जूलिएट के लिए काफी गंभीर और कठोर थी । जूलिएट, जो कि कुछ समय पहले तक एक दुल्हन थी ( बेशक कुछ घंटों के लिए ही सही ) परन्तु अब इस न्यायिक निर्णय के बाद ऐसा लग रहा था कि मानों उसका हमेशा के लिए ही तलाक हो गया हो । जब उस तक यह खबर पहुँची, तो सबसे पहले उसने रोमियो के प्रति अपने क्रोध को प्रकट होने दिया, जिसने कि उसके प्रिय भाई की हत्या की थी । उसने रोमियो को एक खूबसूरत अत्याचारी, एक दूत रूपी दानव, एक ऐसा कबूतर जो कि शान्ति का नहीं बल्कि हिंसा का प्रतिक हा, एक भेड के स्वरूप में भेडिया, एक प्रफूल्लीत चेहरे के पीछे छिपा धोकेबाज्, और उसे कई ऐसे ही परस्पर विपरीत नामों से पुकारा । ऐसा करना उसके दिमाग में चल रही, उसके प्यार और उसके क्रोध के बीच की उलझन को दर्शा रहा था । परन्तु अंत में क्रोध के ऊपर प्यार को जीत हासिल हुई, और वे आँसू जो कि उसने इस दुःख में गिराए थे कि रोमियो ने उसके प्रिय भाई को मार डाला था, खुशी के आँसू में बदल गए क्योंकि उसका पति जिसे कि टाइबॉल्ट मार डालता, अब भी जीवित था । फिर नए आँसू आये जो कि कुल मिला कर रोमियो के देश निकाले की सज के दुःख में आये थे । वह खबर जूलिएट के लिए कई टाइबॉल्ट की मौतों से अधिक भयानक थी ।

रोमियो ने दंगे के बाद पादरी लॉरेंस के कक्ष में शरण ले ली थी, जहाँ रोमियो को पहली बार राजकुमार के द्वारा उसको दी गईं सजा से परिचित कराया गया था । वह सज उसे मौत की सज से भी भयानक लग रही थी । उसे ऐसा इसलिए लग रहा था क्योंकि उसके लिए वेरोना शहर की दीवारों के परे कोई दुनिया ही नहीं थी और न ही जूलिएट की नज्रो से दूर रह कर कोई ज्िंदगी । उसके लिए स्वर्ग केवल वहीं था जहाँ जूलिएट रहती थी और इसके परे सब केवल कष्ट पहुंचाने वाला, यातनाएं देने वाला और नरक जैसा ही था । उस नेक पादरी ने उसको अपने मार्गदर्शन से उसके दुखों के लिए सांत्वना दी होती, परन्तु यह उत्तेजित जवान आदमी किसी की कोई भी बात सुनने को तैयार नहीं था, लेकिन बस पागलों की तरह अपने बालों को नोच रहा था और ज्मीन पर खुद को गिरा कर, जैसा कि उसने बताया वह अपनी खुद की कब्र के लिए जगह का माप ले रहा था । वह अपनी प्रेमिका के एक संदेश को सुन कर इस प्रकार की अनुचित स्थिति से जगा जिसे सुनने से वह फिर से सजीव सा हो गया था । और फिर पादरी ने उस स्थिति का फायदा उठाते हुए उसे उसके द्वारा दिखाई गई नामदोर्ं जैसी कायरता पर समझाया । पादरी ने उससे कहा कि उसने टाइबॉल्ट को तो मार ही दिया है तो क्या अब वह खुद को भी मार डालेगा, अपनी सुंदर प्रेमिका को भी मार डालेगा, जो कि केवल उसकी ज्न्दिगी में ही थी ? उसने कहा कि, एक सज्जन पुरुष का रूप मोम के समान होता है परन्तु कठिन परिस्तिथियों के अनुकूल जब अतिरिक्त साहस की ज्रूरत हो तो उसे खुद को मजबूत व कठोर रखना भी आना चाहिए । कानून उसके साथ नरम रहा है क्योंकि उसे उसके द्वारा किये गए अपराध के लिए मौत की सज नही सुनाई गईं, बल्कि राजकुमार ने अपने मुख से उसे केवल शहर के बाहर निकल जाने को ही कहा था । उसने टाइबॉल्ट को मार डाला है जबकि टाइबॉल्ट ने उसे वहाँ मार गिराया होता इस बात में एक प्रकार की खुशी ही थी । जूलिएट जिंदा थी और ( सारी उम्मीदों के परे ) उसकी अब उसकी प्यारी पत्नी भी बन चुकी थी, जिससे कि उसे बहुत खुश होना चाहिए था । रोमियो खुद को उन सभी शब्दों से ( जो कि पादरी उस पर आशीर्वाद के रूप में बरसा रहा था ) ऐसे दूर रखे हुआ था जैसे कि किसी मनहूस दुराचारी वेश्या से । और फिर पादरी ने उसे सावधान करते हुए कहा कि अगली बार वह इस प्रकार से निराश न हो जैसे कि उसके किसी प्रिय रिश्तेदार की घिनोनी मौत हो गयी हो । और तब, जब रोमियो थोडा सा शांत हुआ तो पादरी ने उसे सलाह दी कि उसे उसी रात चले जाना चाहिए और गुप्त रूप से अपनी प्रिय जूलिएट से विदाई ले कर सीधे मन्तुआ के लिए प्रस्थान करना चाहिए । वहाँ पहुँच कर उसे तब तक ठहरना चाहिए जब तक कि पादरी को उसके विवाह को सब के बीच घोषित करने का सही समय न मिल जाए, जो कि उनके परिवारों को मिलाने का एक उत्तम माध्यम हो सकता था । और फिर इस बात में उसे कोई संदेह नहीं था कि राजकुमार उसे माफ करने के लिए मजबूर हो जायेगा । और फिर वह अपने इस दुःख को भूला कर, बीस गुना अधिक खुशी के साथ वापस लौट पायेगा । रोमियो ने पादरी की इन सलाहों को मान लिया और अपनी जूलिएट के पास जाने के लिए और उससे मिलने के लिए पादरी से विदा ली । उसने प्रस्ताव रखा कि वह उस रात उसके साथ वहीं रुकेगा, और अगली सुबह सूर्योदय के साथ ही मन्तुआ के लिए अपनी यात्रा को अकेले शुरू करेगा । उस नेक पादरी ने उसे समय — समय पर पत्र भेज कर उसके अपने शहर और उसके घर की परिस्तिथियों से अवगत करवाते रहने का वादा किया ।

रोमियो ने वह रात अपनी प्यारी पत्नी के साथ गुजरी । रोमियो उसी बगीचे से हो कर जूलिएट के कमरे में गुप्त रूप से प्रवेश कर गया जहाँ उसने जूलिएट के प्यार के इज्हार को बीती रात सुना था । वह एक अत्यधिक खुशी और उत्साह की रात थी, परन्तु उस रात की खुशी और सुख जो कि वे दोनों एक दुसरे के साथ होने में पा रहे थ, को उनके जुदा होने की सम्भावना और बीते दिन में हुए घातक झगडें कम कर रहे थे । वह अनचाहा सूर्योदय उस दिन जल्द ही हो गया, और जब जूलिएट ने लार्क पक्षी का भोर वाला गाना सुना तो उसने खुद को फुसलाने की कोशिश की और माना कि वह आवाज् लार्क पक्षी की नहीं बल्कि बुलबुल की है जो कि रात में गाती ह, लेकिन असल में तो वह लार्क पक्षी की ही आवाज् थी और सुबह हो चुकी थी ऐसे में वह गाना उसे बेसुरा और मन को क्षति पहुंचाने वाला प्रतीत हो रहा था । और पूर्व की ओर से आने वाली सूरज की किरणें निश्चित रूप से यह दर्शा रही थी कि इन दोनों प्रेमियों के जुदा होने का समय आ गया था । रोमियो ने अपनी प्रिय पत्नी से बडे ही दुखी मन के साथ विदा ली और दिन के हर घंटे में मन्तुआ से उसे पत्र लिखने का वादा किया । और जब वह उसके कक्ष से नीचे उतर कर ज्मीन पर उसके कमरे के निचे खडा हुआ, तो जूलिएट की उस स्तिथि में जिसमें कि वह दुखःद भविष्य का पूर्वाभास कर रही थी, उसकी आँखों को वह ऐसा प्रतीत हुआ जैसे कि किसी कब्र की गहरायीं में दफन कोई मुर्दा । रोमियो के दिमाग ने भी उसे उसके लिए इसी प्रकार का आभास कराया । परन्तु अब रोमियो तुरंत रवाना होने के लिए मजबूर था, क्योंकि सूर्योदय के बाद वेरोना शहर की दीवारों में उसका पाया जाना उसको मृत्यु की सज सुनवा सकता था ।

यह इस खूबसूरत प्रेमी जोडे के लिए एक त्रासदी की शुरुआत थी । रोमियो को गए हुए कुछ ज्यादा दिन नहीं हुए थे कि कैप्यूलैट परिवार के मुखिया ने जुलिएट से शादी के लिए एक लडका पसंद कर लिया और जूलिएट के सामने शादी का प्रस्ताव रख दिया । जो पति उन्होंने जूलिएट के लिए चुना था, वह काउंट पैरिस था, और उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा होगा कि जूलिएट पहले से शादी — शुदा होगी । वह एक वीर, बहादुर, जवान और एक सज्जन व्यक्ति था । अगर वह कभी रोमियो से न मिली होती यह जूलिएट के लिए एक उत्तम और निसंदेह योग्य वर था ।

घबराई हुई जूलिएट अपने पिता द्वारा दिए गए इस प्रस्ताव से उलझन में थी । उसने निवेदन किया कि वह शादी के लिए अभी बहुत छोटी थी, और उसने यह भी कहा कि टाइबॉल्ट की हाल ही में हुई मृत्यु ने उसकी मन की स्तिथि को इस प्रकार कमजेर कर दिया था कि वह किसी भी तरह से किसी पति से मिलकर खुश नहीं हो पायेगी, और उसने यह तक भी कहा कि यह प्रस्ताव कैप्यूलैट परिवार की कैसी असभ्य छवि प्रकट करेगा क्योंकि अभी तक टाइबॉल्ट के अंतिम संस्कार की क्रियायें भी ठीक से समाप्त नहीं हुई थी और वह एक शादी के जश्न का आयोजन करने की तयारी कर रहे थे । जूलिएट ने उस प्रस्ताव को टालने की हर संभव कोशिश की परन्तु केवल असली कारण ही नहीं बताया जो कि यह था कि वह पहले से ही शादीशुदा थी । परन्तु कैप्यूलैट परिवार के मुखिया मानों उसके सारे निवेदनों को सुनने के लिए बहरे हो चुके थे और एक आदेशपूर्ण तरीके से उन्होंने उसे तैयार हो जाने का आदेश दिया क्योंकि आने वाले गुरुवार तक उसकी शादी पैरिस से कर दी जायेगी । पैरिस जैसा अमीर, जवान और महान पति वेरोना में मिलना बहुत ही गर्व की बात है जिसे जूलिएट को खुशी से स्वीकार कर लेना चाहिए । वह यह सहन नहीं कर पा रहे थे कि मात्र दिखावटी शर्म के वह अपने अच्छे भविष्य के रास्ते में खुद रूकावटे डाल रही थी, जैसा की उन्होंने उसके इनकार करने के ढंग से पाया ।

ऐसी कठिन परिस्थिति में जूलिएट कृपालु पादरी के पास गयी जो कि संकट की घडी में हमेशा एक अच्छे सलाहकार के रूप में सामने आते थे । पादरी ने उससे कहा कि क्या वह कोई भी उपाय स्वीकार करने के लिये दृढ ह, और जूलिएट ने उत्तर दिया कि वह किसी कब्र में जीवित दफन हो जाएगी पर अपने खुद के पति के जिंदा रहते वह कभी पैरिस से शादी नहीं करेगी । पादरी ने उसे अपने घर चले जाने का निर्देश दिया और कहा कि अपने चेहरे से खुशी प्रकट करना और अपने पिता की इच्छानुसार पैरिस से शादी करने के लिए हाँ कर देना । उन्होंने उसको एक शीशी में कोई मिश्रण दिया और कहा कि अगली रात को यानि शादी से एक रात पहले शीशी में दिए गए मिश्रण को पी लेना, जिसे पीने के बाद चालीस घंटे तक वह ठंडी और अजीवित दिखाई देगी, और जब अगली सुबह उसका दूल्हा उसे लेने के लिए आयेगा तब वह उसे मृत पायेगा, और उसके शरीर को उस देश के तौर तरीको अनुसार खुला ही एक ताबूत में उनके परिवार के मकबरे में दफनाने के लिए ले जाया जाएगा । और अगर वह अपने डर को भूल कर इस काम के लिए अपनी सहमति दे देती है तो वह यह मिश्रण पीने के 42 घन्टे के अन्दर निश्चित रूप से ही जग जायेगी ( उस मिश्रण का काम करने का तरीका ऐसा ही था ) और उसे ऐसा लगेगा कि मानों वह किसी सपने से बाहर आई हो । और उसके जागने से पहले वह पादरी उसके पति को इस पूरी योजना के बारे में सुचना दे देगा, ताकि वह रात तक वहाँ पहुँच कर जूलिएट को अपने साथ ही मन्तुआ ले जा सके । रोमियो के लिए उसका प्यार और पैरिस के साथ शादी के भय ने युवा जूलिएट को इस भयानक कार्य को करने की ताकत दी, और उसने पादरी से वह शीशी ले कर उससे उनके सभी निर्देशों का पालन करने का वादा किया ।

मठ से जाते समय उसने युवा काउंट पैरिस से मुलाकात की और विनय के साथ ढोंग करते हुए उसने उससे उसकी पत्नी बनने का वादा किया । यह कैप्यूलैट परिवार के मुखिया और उनकी पत्नी के लिए बहुत ही खुशी की खबर थी । ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मानों इस खबर ने उस बूढे व्यक्ति में जवानी भर दी हा, और जूलिएट जिसने कि पहले उन्हें काउंट पैरिस से शादी के लिए इनकार करके इतना दुखी कर दिया था, वह दोबारा उनकी प्रिय हो गई थी और जूलिएट ने उनकी आज्ञा का पालन करने का वादा भी किया । कैप्यूलैट परिवार के घर में शादी की तैयारियों को लेकर हलचल सी मच गई थी । इस आयोजन में किसी भी प्रकार की कमी नहीं छोडी गयी थी । ऐसा आयोजन किया गया था जैसा कि वेरोना शहर में पहले कभी नहीं देखा गया था ।

बुधवार की रात को जूलिएट को वह मिश्रण पीना था । उसके मन में अनेक प्रकार के डर आ रहे थे कि कहीं ऐसा न हो कि पादरी ने उसकी शादी रोमियो से कराने के आरोप से बचने के लिए उसको ज्हर दे दिया हो । लेकिन बाद में उसके मन में आया कि अंततः वह पादरी एक पवित्र आदमी के रूप में जाना जाता हैं । वह इस बात से भी डर रही थी कि कही ऐसा न हो कि वह रोमियो के आने से पहले ही जग जाएँ और उस जगह का आतंक, मृत कैप्यूलैटो की हड्डियाँ से भरा हुआ वह मकबरा और जहाँ टाइबॉल्ट खून से सना हुआ अपने कफन में पडा हुआ सड रहा होगा, यह सभी कहीं उसे पागल न कर दे । फिर उसने उन सभी कहानियों के बारे में सोचा जिनमे कि उसने सुना था कि जहाँ मृत शरीरों को रखा जाता है वहाँ आत्माएं भटकती है । परन्तु फिर रोमियो के लिए उसका प्यार व पैरिस के लिए उसकी घृणा उसके दिमाग में आई, और उसने बिना ज्यादा सोचे वह मिश्रण निगल लिया और बेहोश हो गई ।

जब युवा पेरिस सुबह सुबह संगीत के साथ अपनी दुल्हन को जगाने के लिए आया तब एक जीती जागती जूलिएट की बजाय उस कमरे में उसे केवल निर्जनता व एक मृत शरीर का नजरा मिला । उसकी आशाओं की यह कैसी मौत थी ! कैसी अस्तव्यस्तता उस पूरे घर में फैल गईं ! अभागा पेरिस अपनी दुल्हन की मौत के शौक में डूबा हुआ था, जिसकी घिनोनी मौत ने उसको धोखा दे कर इस दुनिया में उसके बिना अकेला छोड दिया, जो कि उनकी शादी होने से पहले ही उससे तलाक ले कर उससे जुदा हो गईं । लेकिन फिर भी, कैप्युलैट परिवार के मुखिया और उनकी पत्नी का विलाप सुनना तो इससे भी कहीं अधिक मार्मिक था, जिनकी यह इकलौती थी । एक बदकिस्मत प्यारी बच्ची जो उन्हें आनंदित रखती थी व जिसकी वजह से वे संतुष्ट रहते थे । निर्दयी मृत्यु ने उसे उनकी आँखों से दूर कर दिया ह, वो भी एक ऐसे समय जब कि यह सचेत माता पिता उसे एक होनहार और अनुकूल जीवन साथी के साथ उन्नत भविष्य की ओर बढता हुआ देखने वाले थे ( जैसा कि वह मानते थे ) । अब उन सभी वस्तुओं को जिनको कि उस त्यौहार के लिए मंगवाया गया था, उनको उनके गुणों से बदल कर एक अंतिम संस्कार में उपयोग किये जाने के लिए तैयार किया जा रहा था । खुशनुमा शादी का जश्न अब एक अंतिम — संस्कार के उदास भोज में बदल गया था, दुल्हन के नाचने — गाने वाले गीतों की जगह उदास शौकगीतों ने ले ली थी, प्रफ्फुलित और आनंदपूर्ण संगीत बाजाने वाले यंत्रो को उदास व सुस्त घंटियों में तब्दील कर दिया गया था, और वे फूल जिनको कि दुल्हन की राहों में बिखेरा जाना था उनको उपयोग में तो लाया गया परन्तु वे अब उसके मृत शरीर पर बिखेरे गये थे । अब उसकी शादी कराने वाले पादरी की बजाय, उसके अंतिम संस्कार के लिए एक पादरी की ज्रूरत थी, और बेशक उसे चर्च भी ले जाया गया था परन्तु अपने जीवन के लिए खुशहाल आशाओं को बढानें के लिए नहीं बल्कि मृतको की सुनसान व निर्जन संख्या को बढाने के लिए ।

बुरी खबर, जो कि हमेशा अच्छी खबर से तेज् यात्रा करती ह, अब की बार मन्तुआ शहर में रोमियो के लिए उसकी जूलिएट की मृत्यु का दुखःद समाचार ले कर आई, यह बुरी खबर उसे उस संदेशवाहक के पहुँचने से पहले ही मिल गयी, जिसको की पादरी लॉरेंस ने रोमियो को सूचित करने के लिए भेजा था कि ये सब केवल झुठी और दिखावटी शवयात्राएँ हैं और ये कुछ भी नहीं बस जूलिएट की मौत का प्रतिबिंब और एक प्रतिरूप मात्र हैं और उसने अपने सन्देश में यह भी बताया कि रोमियो की प्रिय प्रेमिका उसके इंतजर में कुछ देर के लिए मकबरे में रहेगी और उम्मीद करेगी कि उसका प्यार रोमियो वहाँ पहुँच कर उसे उस निर्जन और सुनसान कोठरी से रिहा करेगा । यह खबर आने के पहले तक रोमियो बहुत खुश और प्रसन्नचित था क्योंकि उसने बीती रात एक सपना देखा था कि वह मर गया हैं ( एक अजीब सपना, जिसने एक मृत व्यक्ति को सोचने के लिए छोड दिया ) और उसकी प्यारी प्रेमिका जूलिएट वहाँ आती हैं और उसे मृत पाती हैं, और वह उसके होठों को चूम कर उसके अन्दर एक नया जीवन भर देती हैं जिससे कि वह पुनर्जीवित हो जाता हैं और एक सम्राट बन जाता हैं ! और जब वह सन्देशवाहक वेरोना शहर से वहाँ पहुँचता ह, तो रोमियो सोचता है कि वह निश्चित रूप से कोई अच्छी खबर ले कर ही आया होगा जैसा कि उसने अपने सपने से पूर्वाभास किया था । लेकिन जब सब इस मनमोहक सपने के विपरीत दिखने लगा, और जब उसे पता चला की असल में उसकी प्रेमिका जूलिएट की मृत्युं हुईं हैं, जिसे वह किसी चुम्बन से पुनर्जीवित नहीं कर सकता, उसने घोडों को तैयार करने का आदेश दिया, और उस रात उसने निश्चय किया कि वह वेरोना शहर जा कर अपने प्यार से उसके मकबरे पर मिलने के लिए जायेगा । और जैसे कि एक मायूस इन्सान पर शैतान तुरंत हावी हो जाता ह, रोमियो ने अपने मन में दवा बेचने वाले एक गरीब आदमी के बारे में सोचा, जिसकी दुकान मन्तुआ में ही हैं और जहाँ से वह हाल हीं में गुजरा था । उस निर्धन आदमी की काया से वह भुखमरी का शिकार लग रहा था, और उसकी गन्दी अलमारियों में रखे खाली डिब्बे उसकी मनहूसियत दर्शा रहे थ, उसने उस समय कहा था ( शायद किसी ग्लतफहमी में आ कर कि उसकी खुद की दुखःद ज्न्दिगी अचानक ही किसी निराशाजनक निष्कर्ष पर पहुँच जायेगी ) रू

”अगर किसी इन्सान को ज्हर की जरुरत होती है जो कि मन्तुआ शहर के कानून के मुताबिक एक मौत को बेचने के बराबर ही ह, तो यहाँ एक गरीब और अभागा इंसान रहता हैं जो कि उसे वह बेच देगा ।“

रोमियो के मन में जब उसकी यह बात आई तब वह तुरंत ही दवा बेचने वाले उस व्यक्ति के पास गया, जो कि शुरू शुरू में ज्हर देने में संकोच का नाटक कर रहा था, लेकिन फिर बाद में जब रोमियो ने उसे सोने के सिक्को का प्रस्ताव दिया, तब उसकी गरीबी उसको ज्हर देने से न रोक पाईं, और उस दवा बेचने वाले ने उसे वह ज्हर बेच दिया, और कहा की अगर वह इस ज्हर को निगलता है तो चाहें उसके पास 20 आदमियों का दम ही क्यों न हों फिर भी उसकी मृत्यु तुरंत ही हो जाएगी ।

उस ज्हर की शीशी को ले कर रोमियो अपनी प्रिय प्रेमिका जूलिएट को उसकी कब्र में देखने के लिए वेरोना शहर के लिए रवाना हो गया, और उसने सोचा कि जब वह जूलिएट के मृत शारीर को जी भर कर देख लेगा तब वह वही उस ज्हर को निगल कर अपनी भी जान दे देगा और अपने प्यार के पास ही दफन हो जायेगा । वह आधी रात होने पर वेरोना शहर पहुंचा, और वहाँ उसको एक कब्रिस्तान मिला जिसके बीचों — बीच ही कैप्यूलैट परिवार का पुराना मकबरा स्थित था । उसने एक मशाल, एक कुदाल और मरोडने के लिए एक लोहे का टुकडा उठाया और मकबरे को तोडने के लिए उसकी ओर बढने लगा कि तभी वह एक आवाज् से बाधित हो गया, जिसमे उसे एक ‘ नीच मौण्टैग्यू ' के नाम से पुकारा गया था और उसे अपने इस गैरकानूनी कार्य को करने से रोकने का प्रयास किया गया था । वह आवाज् युवा काउंट पैरिस की थी जो कि इस गैर समय वहाँ जूलिएट, जो कि आने वाले समय में उसकी पत्नी हो सकती थी, की कब्र पर फूल बिखेरने और उसकी कब्र के पास बैठ कर शोक मनाने के लिए आया था । पैरिस को यह तो नहीं पता था कि रोमियो की मरने वालो में क्या दिलचस्पी ह, पर क्योंकि उसे पता था कि रोमियो एक मौण्टैग्यू ह, और ( जैसा कि वह मानता था ) वे समस्त कैप्यूलैट परिवार के कट्टर दुश्मन हैं, तो उसने सोचा की वह वहाँ इतनी रात को शवों के साथ कुछ निच और घिनौना काम करने आया हैं । इस कारणवश पैरिस ने क्रोधित स्वर में उसे आगे बढने से रोका, और एक अपराधी होने के नात, जिसे वेरोना शहर के कानून के मुताबिक यह सज सुनाई गयी थी कि अगर उसे कभी वेरोना शहर में देखा गया तो उसे गिरफ्तार कर लिया जायेगा और उसे फांसी दे दी जायेगी । तब रोमियो ने पैरिस से आग्रह किया कि वह उसे वहाँ अकेला छोड द, और उसे टाइबॉल्ट, जिसको कि वहीं दफनाया गया था, का उदाहरण दे कर चेतावनी दी कि वह उसके क्रोध को और उत्तेजीत न करे अथवा मजबूर हो कर उसे उसको मारना पडेगा और ऐसा करने से उसके सिर एक और पाप लग जाएगा । लेकिन नफरत में काउंट ने उसकी चेतावनी को ठुकरा दिया और एक हत्यारे के रूप में उस पर टूट पडा जिसका रोमियो ने विरोध किया और दोनो लडने लग, और रोमियो ने पैरिस को मार गिराया । जब रोमियो ने रोशनी की मदद से देखा कि वह कौन था, जिसको कि उसने मार दिया ह, तब उसे पता लगा की वह पैरिस था, जिसकी शादी जूलिएट के साथ होने वाली थी । उसने पैरिस के मृत शरीर को अपने हाथों में ऐसे उठाया जैसे कि दुर्भाग्य ने इन दोनो को एक अच्छा दोस्त बना दिया हों । पैरिस को अपने हाथों में उठाने के बाद, रोमियो ने कहा कि वह उसे एक योद्धा के समान जूलिएट की कब्र के साथ दफनायेगा, जिसे कि वह अब खोल ही रहा था । और कब्र खोलते हीं रोमियो को उसकी प्रिय प्रेमिका जूलिएट दिखीं, जिसे देख कर ऐसा लग रहा था कि मानो उसकी आकृति, रंग रूप, और उसकी अत्यधिक सुन्दरता को बदलने के लिए मृत्यु के पास कोई शक्ति ही नहीं हैं । जैसे कि मृत्यु बहुत मज्ेदार हैं, और किसी कमजेर और घिनौने राक्षस ने जूलिएट को अपने आनंद और मज्े के लिए वहाँ रखा हो क्योंकि अभी भी जूलिएट एकदम नयी, स्वच्छ और खुशबूदार लग रही थी क्योंकि वह उस नशीले और सुन्न कर देने वाले नकली ज्हर को पी कर गहरी नींद में सो गयी थी । जूलिएट के पास में ही टाइबॉल्ट का मृत शरीर भी कफन में लिपटा पडा था, जिसको देख रोमियो उससे उसकी मृत्यु के लिए माफी मांगने लगा । जूलिएट की खातिर रोमियो ने उसे अपने छोटे भाई के समान माना और उससे कहा कि वह अभी उसके दुश्मन को मार कर उसके पक्ष में एक काम करने जा रहा था । इसके बाद रोमियो ने अपनी प्रेमिका जूलिएट के होठों को चूम कर उससे अंतिम विदाई ली और उसने वह ज्हर, जो उसने गरीब दवा बेचने वाले से खरीदा था, पी लिया । यह ज्हर असली, घातक और प्राणनाशक था न की कोई नकली ज्हर या औषधि जैसी कि जूलिएट ने पी थी, जिसका असर भी अब धीरे धीरे खत्म हो रहा था । और वह बस अब कुछ ही देर में उठ कर शिकायत करने वाली थी कि रोमियो ने अपनी बात नहीं रखी या फिर यह कि वह बहुत जल्दी आ गया था ।

अब वह समय आ गया था जिस पर कि पादरी ने जूलिएट को उसकी बेहोशी से बाहर आने का वादा किया था और पादरी को जब यह पता चला कि जो पत्र उसने रोमियो के लिए मन्तुआ भेजा था, वह संदेशवाहक के रास्ते में आई किन्ही बदकिस्मती रुकावटों के कारण रोमियो के पास कभी पहुंच ही नहीं पाया था तो वह खुद ही एक कुदाल और लालटेन ले कर जूलिएट को उसकी कैद से मुक्त कराने के लिए खुद वहाँ पहुँच गया । लेकिन जब उसने कैप्यूलैट परिवार के स्मारक में पहले से ही रौशनी जलती हुई देखी, और पास में ही तलवारें और खून देखा तो वह हैरान रह गया । और फिर जब उसने स्मारक के साथ में ही रोमियो और पैरिस के प्राणहीन शरीरों को पडा देखा तो वह स्तब्ध रह गया ।

इससे पहले कि पादरी कुछ अनुमान लगा पाता कि ये घातक दुर्घटनाएं कैसे घटी होंगी, जूलिएट अपनी बेहोशी की हालत से उठ गयी और पादरी को अपने समक्ष मौजूद देख कर उसे धीरे धीरे सब याद आने लगा कि वह किस जगह पर थी और उसका उस जगह पर होने का क्या कारण था । सब कुछ याद आने के बाद वह पादरी से रोमियो के बारे में पूछती हैं, लेकिन पादरी एक शोर की आवाज् सुनकर, जूलिएट को उस मौत और अप्राकृतिक नींद वाली जगह से बाहर ले आया क्योंकि उनके उद्देश्यों को नाकाम करने वाली शक्तियाँ इतनी विशाल थी कि वे उन्हें नहीं रोक सकते थे । बहुत सारे लोगो की आवाज् सुनकर और उनको अपनी ओर आता देख, वह वहाँ से भागने लगा । लेकिन जब जूलिएट ने अपने सच्चे प्यार रोमियो के हाथों में एक शीशी देखी तो उसने अनुमान लगा लिया कि रोमियो की मौत ज्हर निगलने से हुई थी । जूलिएट ने चाहा कि वह भी उस ज्हर को निगल कर अपनी जान दे देगी जिससे कि उसके प्रेमी रोमियो की मौत हुई थी, और वह उस ज्हर की शीशी से बचे हुए ज्हर को पीने की कोशिश करने लगी, और उसने रोमियो के होठों को भी चूमा ताकि उसके होठों पर लगे हुए ज्हर को वह चख सक, लेकिन तभी अपने करीब आते लोगो की आवाज् सुनकर उसने तुरंत ही अपनी म्यान से खंझर निकाला, जो कि उसने पहना हुआ था, और फुर्ती से खुद के शरीर में उस खंझर को घोंप कर, वह अपने सच्चे प्रेमी रोमियो के पास ही मर गयी ।

तब तक पहरेदार उस जगह पर पहुँच चुके थे । काउंट पैरिस का एक नौकर, जिसने कि अपने मालिक और रोमियो के बीच हुई लडाई को देखा था, अब वेरोना शहर की गलियों में भाग भाग कर सबको उस लडाई के बारे चिल्ला चिल्ला कर बता रहा था, वह बार बार ‘ रोमियो ', ‘ पैरिस ' और ‘ जूलिएट ' का नाम ले रहा था । उस लडाई की खबर अब शहर के लोगों में फैल चुकी थी, और यह बात एक आधी अधूरी अफवाह के रूप में इतनी फैल चुकीं थी कि कैप्यूलैट परिवार के मुखिया और मौण्टैग्यू परिवार के मुखिया सब अपने घरों से बाहर आने के लिए विवश हो गए थ, और राजकुमार भी इस अशांति के कारण ढूँढने के लिए निकल चूका था । कुछ पहरेदारों ने पादरी को कब्रिस्तान की ओर से संधिग्ध रूप में कांपते और विलाप करते हुए आता देख कर गिरफ्तार कर लिया था । कैप्यूलैट परिवार के मकबरे के बाहर अब तक लोगों की एक विशाल भीड जमा हो चुकी थी, और वहाँ राजकुमार ने पादरी को सब कुछ बताने का आदेश दिया जो कि वह इन असामान्य और दुखःद घटनाओं के बारे में जानता था ।

और वहाँ, कैप्यूलैट परिवार के मुखिया और मौण्टैग्यू परिवार के मुखिया की उपस्तिथि में, वो पादरी निष्ठापूर्वक और सच्चे मन से उनको उनके बच्चों के सच्चे प्रेम से जुडी कहानी और उनकी शादी कराने में उसकी भूमिका के बारे में बताने लगा । उसने बताया कि उसने उनकी शादी यह सोच कर करवाई कि इससे उनके परिवार वालों के बीच का यह लम्बा और पुराना झगडा खत्म हो सकेगा । उसने उन्हें बताया कि रोमिया, उनका मृत बेटा, जूलिएट का पति था, और जूलिएट, उनकी मृत बेटी, रोमियो की विश्वसनीय पत्नी थी । उसने उन्हें यह भी बताया कि कैसे उसके उनकी शादी का खुलासा करने के लिए एक योग्य अवसर ढूंढ पाने से पहले ही जूलिएट की शादी कहीं और तय कर दी गयी थी और कैसे जूलिएट ने दूसरी शादी करने के पाप से बचने के लिए नींद की गोलियां खा ली ( पादरी के कहे अनुसार ), और सभी ने उसे मृत समझ लिया । उसने उन्हें ये भी बताया कि कैसे उसने इसी बीच रोमियो को पत्र लिखा ताकि रोमिया, जूलिएट के द्वारा पी गयी औषधी के असर के खत्म होने पर उसे वहाँ से ले जा सके । और कैस, दुर्भाग्य व सन्देशवाहक की बदकिस्मती से वह पत्र कभी रोमियो के पास तक पहुंचा ही नहीं । इसके आगे न ही पादरी इस कहानी से जुडा था और न ही उसको इसके आगे कुछ पता था, लेकिन बस इतना ही कि वह खुद जूलिएट को उस मकबरे से निकालने के लिए वहाँ गया था और वहाँ पहुँचने पर उसने काउंट पैरिस और रोमियो को मरा पाया था । कहानी के शेष भाग को उस नौकर ने पूरा किया जिसने रोमियो और पैरिस को लडते हुए देखा था और कुछ भाग उस सेवक के द्वारा बताया गया जो कि रोमियो के साथ वेरोना से आया था । इस सेवक को रोमियो ने कुछ पत्र दिए थे जिनको कि उसके मरणोपरांत उसके पिता को दिया जाना था । ये सभी पत्र, जो कि रोमियो ने लिखे थ, पादरी की कही बातों को सच साबित कर रहे थे । इन पत्रों में रोमियो ने जूलिएट के साथ अपनी शादी की बात को कबूला था, और अपने माता पिता से इस बात की माफी भी माँगी थी, उन पत्रों में एक गरीब दवा बेचने वाले से ज्हर के खरीदने कि बात को भी स्वीकारा गया था और उसने उस स्मारक पर जा कर अपनी जान दे कर जूलिएट के मृत शरीर के साथ दफन होने की अपनी इच्छा को भी इन पत्रों में लिखा था । ये सभी परिस्थितियाँ एक साथ मिल कर पादरी को इन उलझन भरी हत्याओं में उसकी किसी भी तरह की कोई भूमिका होने से बेगुनाह साबित कर रही थी । भले ही यह सब उसके एक योजनाबद्ध कार्य का नतीजा था परन्तु फिर भी ऐसा करने में उसका उद्देश्य किसी को नुकसान पहुंचाने का नहीं था, बल्कि वह तो दोनों परिवारों के बीच शांति कायम करने का ही प्रयास कर रहा था ।

और तभी राजकुमार उन दोनो घरानों के मुखिया, मौण्टैग्यू और कैप्यूलैट की ओर बढ़ा और उन्हें उनकी क्रूर, निर्दयी और तर्कहीन शत्रुता के लिए डांटा । और उन्हें ये बताया कि उनके इन अपराधों कि भगवान ने उन्हें क्या सजा दी हैं, उसने उन्हें ये भी बताया कि उनके बीच की इस अप्राकृतिक नफरत और क्रूर व्यवहार के लिए ऊपर वाले ने उनके बच्चो के प्यार के माध्यम से उन्हें सजा देने की कोशिश की हैं । सब कुछ सुनने और समझने के बाद ये दोनो पुराने प्रतिद्वंदी अपने लम्बे विवादों को भुला कर अपनी कट्टर दुश्मनी को अपने बच्चों की कब्रों में दफनाने के लिए तैयार हो गए । और कैप्यूलैट परिवार के मुखिया ने मौण्टैग्यू परिवार के मुखिया को भाई कह कर बुलाया और उनसे अनुरोध किया कि वह उनकी मित्रता को स्वीकार कर ल, उस समय ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मानो उन दोनों परिवारों के युवा बच्चों की शादी के माध्यम से दो अलग परिवारो के बीच मिलन हो रहा हो और दो परिवार एक हो रहे हों । कैप्यूलैट परिवार के मुखिया ने मौण्टैग्यू परिवार के मुखिया से कहा ( दो परिवारों के मिलन की निशानी के तौर पर ) कि उन्हें अपनी बेटी की खातिर केवल मौण्टैग्यू परिवार का साथ चाहिए । लेकिन तभी मौण्टैग्यू परिवार के मुखिया ने कैप्यूलैट परिवार के मुखिया से कहा कि वह उन्हें और भी कुछ देना चाहते हैं और कहा कि वे उनकी बेटी के लिए उसकी एक शुद्ध सोने कि मूर्ति बनवाएंगे । और उन्होंने ऐसा आश्वासन भी दिया कि वेरोना शहर के अस्तित्व तक कोई भी और मूर्ति अपनी धनवनता और कर्म कौशल के लिए इतनी सम्मानीय नहीं होगी जितनी कि जूलिएट की यह सच्ची और विश्वसनीय प्रतिमा होगी । फिर बदले में कैप्यूलैट परिवार के मुखिया ने कहा कि वो भी एक मूर्ति बनवायेंगे जो कि रोमियो को समर्पित होगी । अब जबकि सब खत्म हो चूका था तब यह दोनो अभागे मुखिया एक दुसरे को विनम्रता व शिष्टाचार की दौड में पीछे छोडने की कोशिश कर रहे थे । बीते हुए समय में इन दोनो परिवारों के बीच के झगडे और इनकी दुश्मनी इतनी घातक रही थी कि केवल उनके बच्चों का बलिदान ( उनके झगडो और मतभेदों के लिए एक तुच्छ बलिदान ) ही इन दो महान व सज्जन परिवारों के बीच की इस शत्रुता और घृणा को जड से खत्म कर सकती थी ।