आइना सच नही बोलता - 22 Neelima Sharma द्वारा फिक्शन कहानी में हिंदी पीडीएफ

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आइना सच नही बोलता - 22

हिंदी कथाकड़ी

आइना सच नही बोलता

लेखिका शोभा रस्तोगी

सूत्रधार नीलिमा शर्मा निविया

घर का माहौल यकायक बदल सा गया था | नंदिनी का रोल भी अब छुई मुई बहू का नही था | अब रोज मीटिंग होने लगी थीं । लोगों का आनाजाना । पोस्टर, बैनर सब जबरदस्त उत्साह से तैयार हो रहे थे । नंदिनी भी अपना सहयोग दे रही थी। उसका उत्साह भी देखते ही बनता था । कई गांठें जो अब तक ऐंठी पड़ीं थीं,उनके सल खुल रहे थे। पूरे दिन काम करते भी वह थकती न थी । उत्साह बालिश्त भर भी उसके चेहरे से न उतरता ।

इस बीच दीपक का जिक्र भी नदी के मार्ग में पत्थर आनेसे किंचित अवरोध सा पैदा कर देता पर फिर नदी अपनी उसी स्वछन्द,अबाध धारा से बहनेलगती और आसमान उसमें अपना निर्मल चेहरा देखने लगता । गाहे बगाहे लोग दीपक का पूछ बैठते। किंचित रोष सा झळकजाता समरप्रताप के चेहरे पर ।तत्काल अमिता संभाल लेती, 'अभी उसे नौकरीसे छुट्टी नहीं है न | सो वहअभी विदेश में हैं ।

नंदिनी और ये है न हमारा पोता दिवित।' अमिता अपनीबहू को आँखों ही आंखों में प्यार देती ।दिवित भीअब बड़ा हो रहा था |उसकी बालसुलभ शरारतें भी पहले से बढ़ रही थीं। घर परिवार के काफीलोग आ गए थे । दीपक की विधवा रमा चाची ने दिवित को खूब संभाललिया था । नंदिनी औरअमिता तो चुनाव में जुटगए थे ।

अगले दिन से प्रचारहेतु कई पदयात्राऐं तथा सभाऐं करनी थी। घर के पास वाले पार्क में हलवाई लगा दिया । रोज ही कई लोगो का खाना बनता । घर के नीचे का हिस्सा तो चुनाव कार्य में प्रयोग हो रहा था । ऊपर वाले पोर्शन में सब के रहने का इंतज़ाम ठीक हो गया ।

ऑफिस की जिम्मेदारी समरप्रताप के परम मित्र और चुनावी सलाहकार आमोद कुमार पर थी । वे ही कार्यक्रमों की लिस्ट देखते, निर्देश देते । कहाँकहाँ पोस्टर चिपकाने हैं ।किस किस जगह बैनरलगाने हैं । कहाँ पर्चे बाँटनेहैं - तमाम हिदायतें आमोदजी ही ठीक करते । होने वाले विधायक के लिए अपनेपूरे निर्वाचन क्षेत्र का दौरा करना बहुत महत्वपूर्ण होता है । गली गली,सड़क सड़क से खुली जीप में लोगों का अभिवादन करते समरप्रताप फूलमालाओं से लदे अपने लिए वोट मांगरहे थे । पीछे अन्यसहायकों के साथ सर ढके हुए अमिताऔर नंदिनी भी खुले ट्रक में लोगों से पार्टी नेतासमरप्रताप के लिए पार्टी के चुनाव चिन्ह हल के लिए वोट देने की गुजारिश कर रही थीं । अपने क्षेत्र की जनता के लिए सड़क,पानी, सफाई, बिजलीआदि मूलभूतसुविधाऐं समय से मुहैया करवाने का तो प्रस्ताव एजेंडे में था ही। समरप्रताप ने तीन अन्य मुद्दे भी इसमें शामिल करवाए ।

१—बच्चो की व्यवसायिक शिक्षा के लिए कॉलेज

२—महिलाओं के लिय रोजगारपरक प्रशिक्षण

३-- लड़कियों की सुरक्षा के मद्देनज़र एक कराटेस्कूल की अनिवार्य व्यवस्था ताकि बालिकाऐं अपनी सुरक्षा खुद करसकें ।

४) कसबे से पलायन को रोकने के लिए निवेश को प्रोत्साहन

यहाँ समरप्रताप की दूरदृष्टि काम कर रही थी ।

रात की नींद पर कामभारी पड़ रहा था । सबके चेहरों पर जीत का लक्ष्य आकाश में सूर्य समचमक रहा था । रमा चाची दिवित का खूब ख्यालरखती । सो नंदिनी निश्चिन्त थी ।प्रचार पर निकलने से पूर्वसमरप्रताप अपने पूर्वजों के चित्र के आगे सिरनवाते और आशीर्वाद लेते। साथ ही दो आंसू दीपक की कटुता और नंदिनी की मृदुता पर भी आँखों में तैरने लगते भरी आँखों से रोज उसे आशीर्वाद दे अपना मन हलका कर लेते । नंदिनी भी उनका दुःख समझती। उस दिशा में तो कुछ न कर पाती किन्तु खूब दिलसे उनके चुनाव कार्यों मेंलगी रहती ।

नारे, बैनर,पोस्टर, अनगिन लोगों का खाना, गाड़ियों की आवाजाही, कार्यकर्ताओं का शोर- सबने चुनावीमाहौल को सक्रियता प्रदान कर दी थी । समरप्रताप भी अपनी तरफ से भरसक कोशिश कर रहे थे । दिन भरसब बाहर प्रचार करतेऔर रात में आज की कमीबेशी पर बात होती। फिर अगले दिन की योजना तैयार होती ।

कुछ दिन शेष थे प्रचार के। उसके बाद थम जाना था ये तूफ़ान । एक नई सुबह के लिए, एक नए आगाज़ के लिए । कोई दलित, गरीब कामगारोंकी बस्ती, गली न छोड़ी थी । सबके हित कोआवाज दी थी ।

तमाम वोटर स्लिप बन गईं |आमोद जी ने सभी को समझा दिया था | अलगअलग समूह मे प्रचारक गलीगली जाके हर घर मे लोगों को समझा कर आएथे | उन्हे किस चुनाव केन्द्र में,किस बूथ नं पर जाना है। उनकी वोट किस स्कूल या धर्मशाला में डाली जानी है ताकि जनता को कोई असुविधा न हो |

यह सब बेहद बारिकी से समरप्रताप ने सलाहकारों के साथ सुनिश्चित किया था| चुनावी प्रक्रिया से भी अवगत कराया गया | किस तरहकमरे के बाहर अपना बूथनंबर देखना है । फिर कमरेमें, अपनी पर्ची पहले पोलिंगऑफीसर को देनी है ताकि वह उनका नाम, सीरियल नं वोटर लिस्ट से मिलान कर सके । फ़िर दूसरे पॉलिंगऑफीसर के रजिस्टर में साइन करने हैं और उसी से पर्ची भी लेनी है । उस पर्चीको तीसरे पॉलिंग ऑफीसर को देना है । उसी से अपनी अंगुलि पर इन्डेलिबल इंकमार्क लगवाकर वोटिंगमशीन के केबिन मे जाना है| वहाँ अनेक निशान होंगे जिसमे से आपने हल के चिन्ह के आगे वाला बटन ठीक से दबाना है। ध्यानरखना है कि बटन दबाने पर मशीन से आवाज आए |यदि आवाज नही आती तो वोट नही पढ़ा | इस बात का कोई दूसरा फ़ायदा उठा भी सकता है और यदि नही तो अपना एक वोट तो कम हो ही गया | इन सारी बातों को आमोद जी ने इतना सरल बना दिया कि सब अच्छे से समझ गए और जनता को भी समझा जाया ऐसी व्यवस्था कर दी ही गयी ।

समरप्रताप ने अशक्तों,महिलाओं के लिए कार,रिक्शे आदि का भी इन्तजाम पक्का कर दिया था |साथ ही अमिता और नंदिनी ने यह भी सुनिश्चित किया कि वोट डलवाने के उपरान्त जरूरतमन्द जनता को वापिस उनके घर तक छोड़ा भी जाए | इस सबके दौरान समरप्रताप के घर भीड़ का आना जाना चलता रहा |

विरोधी खेमेसे शराब, नोटआदि बंटने की खबरें लगतार आती रहीं | समर ने इन सब बातों को ज्यादा हवा नहीं दी ।नित नए जोशीले नारों के साथ सब खूब प्रचार करते |दबी दबी खबरों का सिलसिला जारी था कि इसदफ़ा हवा समरप्रताप के पक्षमें है | समर इस सबका श्रेय अपनी पूरी पार्टी टीम को देते |

पुन सभी दिशा निर्देशों के अनुसार कार्यक्रम लिस्ट आदि का मुआयना किया गया | भर भर आँख उन्हे समझा गया | कोई नुक्कड़,गली यदि रह गई हो तो उनपर भी आज दौरा करने का विचार बनाया गया और निकल पड़ी समर की चुनावी टोली अपनी यात्रा पर |गान्धी चौक, पटेल चौक, नेहरू नगर, सुभाष पुरी आदि दलित बस्तियों में आज पुन: जनसभा आयोजित थी | मंच पर बोलने के उपरांत सभी दलित मुखिया जगतिया के घर चाय पर मेहमान थे | इधर घर से आए कुछ लोगों में जगतिया के घर की चाय पीने पर ऐतराज था |

‘ओह! भाई समर ! यहाँ की चाय पीनी पड़ेगी क्या हमने ?’ समरप्रताप के बहनोई उनके कान में फ़ुसफ़ुसाए |इस विषय में समर कतई स्पष्ट थे | ‘जीजाजी ! मैं तो इस जाँत पाँत को मानता नहीं | इंसान का मन सच्चा तो सब अच्छा | इन सबकी भलाई के लिए ही हम इस दिशा में हैं तो फ़िर इनसे कैसा अलगाव ?’ समर की बात ने सभी की सोच को खुला आकाश दिया और फ़िर जगतिया के घर की चाय की चुस्कियाँ सभी के होठों से बतियाने लगीं | इस बीच समरप्रताप को बार बार फ़ोन आ रहे थे कि वे ही जीतेंगे | उनके गणित का हिसाब लगाने वाले उन्हे सुखद भविष्य की खबर दे रहे थे | हर खबर पर समरप्रताप के दिल मे खुशी की लहर उठ रही थी |अगला मोड़ मियां वाली गली थी, जहां समरप्रताप की आम सभा निश्चित की गई थी |

आमोद जी कुछ डरे हुए थे,’भाई समर, इधर के लोग कमाल साहब की बिरादरी से हैं | कहीं कोई अनहोनी न हो जाए सभा को ख़राब करने की पूरी कोशिश करेंगे कमाल साहेब के समर्थक …?’

‘डरो नहीं, आमोद | सब बढ़िया होगा |’

इमरान, जावेद, शौकत, असगर आदि पार्टी कार्यकर्ताओं ने सब सम्हाल लिया | इस तबके की महिलाओं की शिक्षा और बेहतरी के लिए अपने कार्यों की खुलकर जानकारी दी समरप्रताप ने | सभी धुंधलके छँटते चले गए | निरभ्र आकाश समरप्रताप के विजय अभियान में शामिल हो गया | समरप्रताप बस बढ़ते चले गए | दलितों, अल्पसंख्यकों के साथ साथ बहुसंख्यकों के भी मौहल्लों,पार्क आदि में जय घोष कर समरप्रताप का रेला वापिस अपने ठिकाने पर लौट आया | चाय पानी भोजन की व्यवस्था बहुत अच्छे से सम्हाले थी गली मोहल्ले की महिलाए अमिता के निर्देशन में | थकान से बोझिल सभी आराम की मुद्रा में आ गए |

समरप्रताप ने अपने कार्यालय में प्रवेश किया ही था कि फ़ोन तेज घंटी से घनघना उठा | स्मित मुद्रा में उन्होंने रिसीवर कान पर लगाया ही था कि एकाएक उनकी भंगिमा पर क्रोध का आवरण चढ़ गया | तेज आवाज कार्यालय से आई | सभी चौंक पड़े |

‘हैलो, कौन हो तुम ? क्या चाहते हो ?’

‘चुपचाप इस इलेक्शन से हट जाओ, नहीं तो………

‘नहीं तो क्या ? क्या कर लोगे ? और हो कौन तुम ?’

‘मेरी बात ध्यान से सुनो | बहुत चर्चे हैं तुम्हारे | शायद जीत भी जाओ | किन्तु जीत की खबर कहीं ऊपर जाके ही सुनाई दे … इस बात को समझ लो, समरप्रताप !’ रेगिस्तान की सनसनाती लू के थपेड़े सी गर्म हवा समरप्रताप के कानों को दग्ध करने लगी |

‘क्क्क्…क्या बक रहे हो ? क्या कर लोगे तुम ? मार ही दोगे न … मार दो | मैं नहीं हटने वाला अब |’

‘तो फ़िर तैयार रहना ऊपर की सभा के लिए |’ फ़ोन कट |

‘तुम हो कौ…न ?’ समर का प्रश्न अधर की हवा में झूलता ही रह गया |

‘क्या हुआ ? कौन था ? क्या कह रहा था ?’ सभी की हैरत भरी नज़रें समरप्रताप के चेहरे पे टिकी थीं और कान उनका उत्तर सुनने को आकुल | इस अज्ञात धमकी ने पार्टी में तहलका मचा दिया | कयास सिर उठाने लगे |

‘कौन हो सकता है ?’

‘कहीं कमाल साहब के आदमी…।‘

‘नहीं | यह ठीक है कि वे नाराज हैं किन्तु इतनी औछी हरकत ?’

‘नहीं… जरूर वे ही |’ दनादन प्रश्न और अनुमानित उत्तर सबके दिल की अलगनी पे लटकते रहे |

सुरक्षा कर्मचारी समर्थक सब दरवाज़े के बाहर से सुन रहे थे लेकिन उनको स्पष्ट नही था कि आखिर हुआ क्या हैं ?

अमिता और नन्दिनी बुरी तरह घबरा गईं | समरप्रताप ने उन्हें हौसला दिलाया,‘ राजनीति में ऐसे फ़ोन तो आम बात है | मारने के लिए कलेजा चाहिए | रही कमाल साहब की तो उनके आगे मैंने पहले ही चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया था | वे स्थिति को भलीभाँति जानते हैं | मुझे उनसे ऐसी बात की उम्मीद नहीं है |’

‘तो फ़िर कौन’ अमिता बदहवास थी | नन्दिनी तो अभी पिछ्ले गमों से ही कहाँ मुक्त हुई थी | ये घटना उसके चेहरे पे एक और इबारत लिख गई| पिटा से ज्यादा प्रेम और आदर पाया था उसने ससुर जी से | सभी हैरान – परेशान थे | आमोद जी ने तुरंत पुलिस स्टेशन फ़ोन कर इसकी सूचना दी | अतिरिक्त पुलिस सुरक्षा देने का भी आग्रह किया | समरप्रताप ने सबको समझायाऔर खुद को संयत कर सोचने लगे आखिर यह सब क्यों ? वो तो काला काम भी नही करते बस समाज की सेवा करने हेतु चुनाव में उतरना स्वीकार किया था वो भी सबके इसरार करने पर |

रात आँखों में ही कटनी थी | फ़िर भी तमाम दिन की जबरदस्त थकन सबको अपनी गिरफ़्त मे ले रही थी |

अगली सुबह के हाथ में कुछ जनसभाएं तो थीं किन्तु आज वह थकान से कम, अज्ञात धमकी से कुछ ज्यादा सिहर उठी थी | आज चुनाव प्रचार का आखिरी दिन था | समरप्रताप ने सभी को जोशपूर्ण बातों सेउर्जावान कर दिया | ‘तुम सभी मुझे मिली धमकी से परेशान हो, न | सोचो जरा, ईश्वर के सिवा कोई किसी को मार सकता है भला | उसकी सत्ता से ऊपर किस की सरकार है | उस पर भरोसा रखो | सब अच्छा ही होगा |’

समरप्रताप ने अपने खेमे में आशा का बल फ़ूंक दिया | अंतिम दिन चल पड़े सभी भगतसिंह पार्क में | आज समरप्रताप की सुरक्षा में कुछ पुलिस अफ़सर भी मौजूद थे | मंच पर समरप्रताप के स्वागत हेतु फ़ूलमाला पहनाने वालों की तलाशी भी हो रही थी | यह सब काफ़ी बारीकी से हो रहा था ताकि जनता में कोई भय, आक्रोश न फ़ैले |

अपनी पार्टी के किए गए और आगामी कार्यों का लेखा जोखा समरप्रताप पूरे जोश में बयान कर रहे थे | जनता तन्मयता से अपने प्रिय नेता को सुन रही थी | जनता के बीच से एकपांच साल के बच्चे के हाथों में उन्हे फ़ूलमाला दिखाई दी | उन्होने उसे मंच पर बुलवाया | उस बच्चे के वृद्ध दादा उसे गोद में उठाए मंच पर आने लगे |बूढ़े को भीड़ में से एक पुरुष ने हाथ सहारा देकर मंच पर ले जाने का आगढ़ किया जब सुरक्षा सहायकों ने तलाशी हेतु उन्हें रोका | समरप्रताप ने अपने कार्यकर्ताओं को रोकते हुए कहा,’ उस मासूम बच्चे और बुजुर्ग की उम्र का तो ख्याल करो | उन्हें आने दो | बच्चों के स्नेह तथा बुजुर्गों के आशीर्वाद की हमें बड़ी जरूरत है |सहायको ने उस पुरुष की तलाशी ली और उनको मंच पर जाने दिया ’ उन दोनों के नजदीक आते ही समर प्रताप जी ने बच्चे के हाथ से माला पहनी तथा उसे गोद में ले लिया | वृद्ध के पाँव छूते हुए उन्हें गले से लगा लिया | वृद्ध की आँखें भर आईं |

उनके हाथ बँध गए | रुँधी आवाज में वे बोले; चौधरी साहेब मैं बहुत बुरा इंसान हूँ मज़बूरी क्या क्या नही करवाती और आज आपकी अच्छाई ने एक गुनाह करने से मेरी आत्मा ने मुझे रोक दिया| मेरी विधवा बहु बीमारी से हॉस्पिटल में हैं और यह बालक आपकी शरण में हैं| कहते हुए उसने पिस्टल जेब से निकाली और चौधरी साहेब की तरफ तान दी | इसके पहले सुरक्षा गार्ड उसको पकड़ते उसने अपनी कनपटी पर बन्दूक दाग दी |

जनता समेत सभी हक्के बक्के थे अचानक भगद मच गयी लहुलुहान वृद्ध मंच की सफ़ेद चादर पर जा गिरा सुरक्षा घेरे में समर प्रताप जी आपाते इसके पहले बच्चो के कपड़ो में से एक पिस्तौल निकाल कर उस साथ आये पुरुष ने पूरा एक राउंड फायर समर्प्र्ताप के सीने में दाग दिया | हैरान से सुरक्षा कर्मियों ने अपनी बन्दुक से कई गोलिया उस पुरुष की तरफ दाग दी . मंच सफ़ेद था जो अब रक्तरंजित था भगदड़ मच गयी बदहवास आमोद जी एम्बुलेंस चिल्लाये ...........................

लेखिका शोभा रस्तोगी

सूत्रधार नीलिमा शर्मा निविया

- शोभा रस्तोगी

शिक्षा - एम. ए. [अंग्रेजी-हिंदी ], बी. एड.,शिक्षा विशारद, संगीत प्रभाकर [ तबला ]

सम्प्रति - निगम प्रतिभा विद्यालय, राज नगर, पालम, नई दिल्ली में अध्यापिका

ईमेल -

प्रकाशित कृति -- दिन अपने लिए -- लघुकथा संग्रह [ 2014 ] दिल्ली हिन्दी अकादमी से अनुदान प्राप्त |

प्रकाशित रचनाएँ- हंस, कथादेश, कादम्बिनी,आउट लुक, कल्पान्त, समाज कल्याण पत्रिका, संरचना, हिन्दी जगत, पुष्करिणी, पुष्पगंधा,अविराम, हिंदी चेतना --विश्वा (अमेरिका), इंदु संचेतना( चीन) आदि स्तरीय पत्रिकाओं मेंलघुकथा,कविता,कहानी,
लेख,समीक्षा, पत्र आदि प्रकाशित। 'खिडकियों पर टंगे लोग' लघुकथा संग्रह में लघुकथाएँ संकलित .
कविता अनवरत मे कविताएँ संकलित ।


मातृभारती और प्रतिलिपि पत्र लेखन प्रतियोगिता में
पत्र पुरस्कृत