आत्महत्या बिल्ली की Sonu Kasana द्वारा लघुकथा में हिंदी पीडीएफ

Featured Books
श्रेणी
शेयर करे

आत्महत्या बिल्ली की

1 रमपक

शुबह - शुबह जंगल की और सैर पर जाना अधिकतर गाँव वालों को पसंद होता है। कुछ तो पो फटने तक वापस गाँव लोट आते हैं। वैसे तो शुबह - शुबह सैर करने की आदत अच्छी होती है प्रन्तु जब बात सैर के साथ – साथ शौच की हो तो ये कभी – कभी परेशानी भी बन जाती है। बिमारीयाँ तो फैलती ही हैं पर कुछ और भी दिक्कत हो सकती है जैसे – साँप का डर , , या जंगली जानवर के हमले का भय.. लेकिन यंहा कुछ और ही पंगा है।

रमपक को तड़के 3 बजे उठ कर जंगल जाने की आदत थी । उसका ये नित , प्रतिदिन का क्रम था । उसके घर मे शौचालय तो था पर उसे प्रयोग करना उसकी शान के खिलाफ था । एक शुबह जैसे ही रमपक एक गन्ने के खेत में शौच के लिए घुसा घुसते ही एक खाली सी जगह पाकर वह पायजामा नीचे कर बैठ गया । अभी वह आनंद का अनूभव कर भी न पाया था कि उसे अपने चारों और कुछ आक्रति नजर आने लगीं। उसे लगा कि उसका भ्रम है लेकिन जब उसके मुह पर टॉर्च का प्रकाश पड़ा तो वो सहम गया ऐसी अवस्था में तुरंत भाग भी नही सकता था और भागता भी कहां से ।

संभवत: वे डाकू थे। शुबह रमपक गाँव वालों को एक खेत में , गन्नों के एक ढ़ेर को दुसरे ढ़ेर मे ढ़ोता हुआ मिला ।

सब ने रमपक को रोकने की कोशिश की पर ना काम रहे । वो काम पूरा करके ही रूका । जब सबने कारण पुछा तो उसने एक कहानी सुनाई – आज शुबह मुझे जंगल माता ने दर्शन दिए और कहा कि जंगल को कोई गंदा नही करेगा और मुझे सजा देकर छोड़ दिया लेकिन चेताया कि अगर सब ने शौच के लिए जंगल आना न छोड़ा तो महामारी आएगी।

बस उस दिन से रमपक के साथ – साथ पूरे गाँव ने शौचालय का प्रयोग शुरु कर दिया जिनके घरों में नही थे उन्होंने तुरत – फुरत बनवा लिए और प्रयोग किये।

जय जंगल माता

2 बिल्ली की आत्महत्या

शुबह – शुबह पड़ोस के घर से अजीब – अजीब सी आवाजे आ रही थी । कौतुहल वश मैं भी चला गया वंहा जाकर पता चला की एक बिल्ली ने पेड़ से लटक कर आत्महत्या कर ली है। उसके गले में एक रस्सी बंधी थी जिसका एक सीरा पेंड पर अटका था । इस द्रश्य को देखकर सब अपनी – अपनी विचार धारा प्रस्तुत कर रहे थे । कोई कहता बिल्ली का आत्महत्या करना बड़ा अशुभ संकेत है। कोई कहता की बिल्ली खुदखुशी कैसे कर सकती है ? खैर बिल्ली को पेड़ से उतारा गया। और गड्ढा खोद कर दबा दिया गया। एक – दो दिन में बात आई – गई हो गई।

लेकिन ये सबके लिए एक पहेली थी कि बिल्ली की मौत का कारण आखिर था क्या ? . . .

एक दिन दो बच्चे खेल रहे थे तो तब ये राज खुला की बच्चों ने खेलते हुए एक रस्सी के एक सिरे का फंद्दा बना कर सोती हुई बिल्ली के गले मे ड़ाल दिया था उस रस्सी के दुसरे सीरे पर गांठ लगी हुई थी।

आगे के घटनाक्रम के लिए आप अपनी कल्पनाशीलता का प्रयोग कर सकते हैं। . .

3 . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .

गीत गाता रहुं

गुन गुनाता रहुं ,,,

कोई काटता रहे ., मेरे नाम के चैक , , ,

मैं बस उन्हे भुनाता रहुं , , , , हा हा हा .

4 . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .

एक नगर में एक सेठ जी रहा करते थे । सब प्रकार से सम्मपन थे । तीन जनो का सुखी परिवार था । पत्नि , पुत्र व स्वयं।

सेठ जी पुत्र के लिए जीवन भर के सुख का सामान जैसा की वो मानते थे - - धन सम्पति जोड़कर जाना चाहते थे।

और इसके लिए वो किसी भी रास्ते को सही मानते थे ।

व्यापार में झूट बोलते , धोखाधड़ी करते , बेईमानी करते और जालसाजी करते थे।

धर्म , कर्म से तो वो कोसो दूर थे।

लोग उससे मुश्किल घड़ी मे ही लेन – देन करते थे । एक बार उनके लड़के ने कार की जिद की । सेठ जी ने कार ना दिलाइ।

लड़के ने गुस्से में खुदखुशी जैसा घिनोना कृत्य कर ड़ाला।

सेठ जी इस सदमे से पगला गये । व्यापार दिनो दिन डूबता चला गया ।

जिसके लिए धन जोड़ा था ना वो रहा ना धन ।

5 . . . . . . . . . . . . . . . . . . . . .

ना तो समय ठहरता है ना उसकी गति परिवर्तित होती है। सफल व्यक्तियों में से अधिकतर ने अपनी सफलता का राज समय के सदोपयोग को माना और बताया है। प्रत्येक के पास बराबर ही समय है फिर भी कुछ समय के अभाव का ही गान गाते रहते हैं ।

गाँव में एक कहावत है कि - - - - - - -

एक फुहड़ ( सफाई से काम न करने वाली ) औरत और एक सुघड़ (सफाई से काम करने वाली ) औरत में कितना फर्क होता है ?

उत्तर – आधा घण्टा

कैसे – जो शुबह आधा घण्टा देरी से उठे वो फुहड़ जो शुबह आधा घण्टा जल्दी उठे वो सुघड़। क्योंकि जल्दी उठने वाली को सफाई से काम करने को आधा घण्टा अधिक मिल जाता है।

मेरे गुरु जी अक्सर कहते हैं - - -

समय को बरबाद मत करो अन्यथा समय तुम्हे बरबाद कर देगा।

जो समय को पहचान लेते हैं समाज में उनकी अलग पहचान होती है।

जो समय के साथ नही बदलते ,,

समय उन्हे बदल देता है।

इन सब बातों के उदाहरण आपके आस – पास ही मिल जायेंगे।

स म य से ताकतवर कोई नही

इसका सम्मान भी करें और ड़रें भी।

समय अनमोल है इसलिए सबके पास नही होता ।