जो डूबा सो पार Amrita shukla द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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जो डूबा सो पार

Amrita Shukla

ami11.shukla@gmail.com

जो डूबा सो पार

नीना लखनऊ शहर मेंअपने परिवार के साथ नयी आई थी।उसके पापा का प्रमोशन शासकीय अस्पताल बनारस से यहाँ हुआ था।नीना की उम्र पूरी सोलह साल।जिस साल में हर कोई एक रूमानी दुनिया में खोया रहता है।वह अपने आपको फिल्मी हीरो-हीरोइन से कम नहीं समझता । हर तरह के फिल्मी गाने जु़बान पर हमेशा चढ़े रहते ।नीना बड़ी खूबसूरत थी।उसकी बड़ी -बड़ी आंखें और चेहरे की मासूमियत सबको अनायास ही आकर्षित कर लेती थी।सबके देखने के अंदाज और सहेलियों की बातों में उसकी खूबसूरती का जिक्र होता।इसलिएये बात नीना को अच्छे से पता थी कि वो कैसी है। लेकिन नीना पढाकू किस्म की थी और कहें थोड़ी बुद्धु भी।ऐसा इसलिए उसकी सहेलियां जब लड़कों को लेकर किस्से सुनाती तो वो उसमें जरा भी ध्यान ही नहीं देती।
यहाँ नीना ने ग्यारहवीं में दाखिला लिया था। सबसे घुल-मिल कर रहने वाली नीना की सभी से दोस्ती थी ।लेकिन जल्द ही उसकी मीता नाम की एक पक्की सहेली बन गयी।मीता के पापा कॉलेज में प्रोफेसर थे और बगल के घर में ही रहते थे।अब दोनों हरदम साथ रहती।एक दिन शाम को मीता उसे घर बुलाने आयी।जब नीना ने कारण जानना चाहा तो उसने कहा-"-नीना आज मेरे बड़े भैया का जन्मदिन है न, उसमें मैं अपनी पककी सहेली को न बुलाऊं ,ऐसे कैसे हो सकता है?"नीना भीड़ -भाड से बचती थीऔर इसे मामले में कुछ संकोची स्वभाव हो जाती थी।इसलिये ऐसे किसी समारोहों में जाने से बचती थी। यहाँ भी मीता के अलावा तो सभी अपरिचित थे।आखिर उसकी दोस्ती को दिन ही कितने हुए थे।?मगर मीता कहाँ मानने वाली थी?झट से पापा-मम्मी से जाकर इजाजत लेली।दोनों ने हामी भर दी और तैयार होने कहा।वे भी नीना को इस आदत के लिए समझाते थे कि हर बार सभी परिचित नहीं रहते। नीना बस सुन लेती।
नीना अच्छे से तैयार होकर आयी और मीता के घर पहुंची तो सबकी नज़र उसी तरफ उठ गयीं।ऐसे में नीना ने को और संकोच हो आया ।तब मीता ने नीना को देखा और तुरंत जोर से कहा-"-आप सब इनसे मिलिए।ये मेरी नयी बनी सखी नीना है।अपने पडोस में डॉ शर्मा आए है न,उनकी बेटी है। सभी ने उससे मिलने में जब उत्साह दिखाया तो वह सामान्य हुई और वह सबको अभिवादन करने लगी। मीता का भाई रवि केक काटने लगा तो मीता के साथ वह भी आकर खड़ी हो गई। केक बांटा जाने लगा। अचानक नीना ने देखा कि रवि उसे ही देख रहा है तो वह चौंक गयीं ।तभी अचानक
रवि उसके पास आया तो नीना ने उसे जन्मदिन की बधाई दी। रवि ने नीना को धन्यवाद दिया और एक बात कहके आगे बढ़ गया कि"आप बहुत खूबसूरत हैं सच में।" उसके लिए यह सब एक नया अनुभव था।इसके पहले किसी लड़के ने उसे कभी नहीं कहा।घर आने पर भी वो दृश्य और रवि की बात उसका पीछा कर रहीं थीं। जो नीना पढ़ने के अलावा कुछ नहीं सोचती थी ,वही वह अब एक अक्षर नहीं पढ़ पा रही थी। यहाँ तक कि आज जल्दी ही लाईट बंद कर बिस्तर पर जा चुकी थी। जब मम्मी कमरे तक आई और अंधेरा देखा तो उन्हें थोड़ा आश्चर्य हुआ।पर उन्होंने ने सोचा कि पार्टी के कारण वह थक गयी होगी। अब तो नीना की आंखें हर समय रवि को ही खोजती रहती ।उधर रवि का भी यही हाल था।नीना को गाने सुनने का शौक था और अब एक नया शौक शेर-शायरी का लग गया था ।ये नए प्यार की शुरूआत का ही असर था। उसने एक शेर पढा़ और नोट किया "तुझसे मिले न थे तो कोई आरजू न थी,देखा तुझे तो तेरे तलबगार हो गए।उसे पढ़कर लगा जैसे ये शेर उसकी हालत बयान कर रहा है।क्योंकि रवि से मिलने के पहले उसकी भी कोई ख्वाहिश नहीं थी ।पर अब वो रवि का सानिध्य चाहती है। पहले मीता और नीना स्कूल में तो मिलते और शाम को भी अपने घर से बाहर मिल लेती थी ।मगर आज नीना आज उसके घर जाना चाह रही तो उसने पूछा"मीता आंटी कैसी हैं?उनसे मिलने का मन हो रहा है"।तो मीता ने कहा"तो घर चल न"।मीता के घर आकर नीना की आंखें रवि को ही ढूँढ रही थीं और उसके बारे में पूछना चाह रही थी,पर पूछ नहीं पायी।तभी बाहर का धडाक से दरवाजा खुला और रवि अंदर घुसा।उसके हाथों में किताबें थी।रवि इस समय नीना को देखकर चौक गया और अंदर चला गया। मीता कहने लगी "अरे भैया की यही आदत है ,बडी जोर से दरवाजा खोल कर आते हैं।" "ट्यूशन से आ रहे हैं क्या?किस क्लास में हैं?नीना ने सवाल कर डाले।"हाँ!भैया ट्वैल्थ में हैं ।पास में ही मैथ्स की ट्यूशन क्लास में जाते हैं। नीना ने सहज ही कहा "अच्छा।तो आगे किस फील्ड में जाना चाहते हैं? "वो असल में फॉरेन जाकर आगे पढ़ना चाहते हैं"मीता ने कहा।ये सुनकर नीना को बुरा लगा कि जैसे रवि कल ही जा रह हो ।मीता-नीना की दोस्ती से दोनों के परिवार में घनिष्ठता हो गयी थी।अब तो रवि अक्सर पापा के पास आने लगा ,जिससे उसे नीना से भी मिलने का मौका मिले। नीना को भी उसके आने पर अच्छा लगता । नीना अब अपने को रवि के ज्यादा करीब देखने लगी थी। इस बीच कॉलोनी वालों ने एक सांस्कृतिक कार्यक्रम रखना तय किया।वैसे ऐसा आयोजन हर साल होता है।लेकिन नीना के लिए यह नया था।सबको अपने अच्छे प्रोग्राम के साथ अपना बेस्ट देना था। रवि ने ,मीता और नीना के साथ एक नाटक करने के लिए सोचा और ऐसा नाटक ढूँढा जिससे रवि और नीना पति -पत्नी बने । पुरानी थीम पर कहानी थी जिसमें रवि नीना से पहली बार मिलकर गाना गाता है "ले गयी दिल गुडिया जापान की"।नाटक सबको बहुत पसंद आया।नीना जान गई थी रवि के ये नाटक का नाटक।
रवि और मीता दोनों भाई-बहन अच्छे दोस्त भी थे।इसलिए रवि ने पिक्चर देखने का प्लान बनाया और नीना को साथ ले चलने मीता से कहा।मीता को समझ आ गया था कि भाई नीना को पंसद करने लगा है और वो इसलिए मान भी गयी। नीना रवि और मीता के बीच बैठ गयी ।पिक्चर सामने चल रही थी और रवि उसे देखने में लगा रहा।आखिर पहली बार वो एक -दूसरे के साथ इतनी देर और इतने करीब थे।हीरो-हीरोइन जब परदे पर आएे तो रवि नीना से कहा "देखो ये एक साथ कितने अच्छे लग रहे हैं आखिर दोनों एक -दूसरे से प्यार जो करते हैं।तुम भी मुझे करती हो?मैंने तो पहले ही दिन से तुम्हें पंसद कर लिया था, आखिर तुम तो हेमा मालिनी की तरह दिखती हो।नीना को ये सब सपने की तरह लग रहा था।सुन तो रही मगर ।वो खामोश थी।तभी रवि ने नीना के हाथ पर हाथ रख दिया तो नीना ने भी उसे हटाने की कोशिश की।पर रवि की पकड़ और कस गयी।नीना के भीतर सिहरन दौड़ गयी और उसने आंखें बंद कर ली।इस तरह का पहला अनुभव जो था। लौटते समय भी मीता चुपचाप रही थी ।लगा कि वो उसी सपने में अभी तक जी रही है। अब तो रवि अक्सर मीता -नीना को स्कूल से कार घर लाने लगा।पहले दोनों सहेलियां पैदल ही आना जाना करते थे।
इस बीच एक दिन रवि जब नीना के घर आया तो उसके मम्मी -पापा कहीं जाने तैयार बैठे थे।रवि ने पूछा --आप लोग कहीं जा रहे हैं?नीना के पापा ने कहा --हमें एक रिशतेदारी मे शादी में जाना है ।हम तो नीना के आने की राह देख रहे हैं।तब रवि ने कहा"आप लोग शादी में जाइये मैं नीना को छोड़ दूंगा।आप पता बता दीजिये।पापा बोले- नहीं तुम मत परेशान हो वो आती होगी।लेकिन रवि के ज्यादा जोर देने पर वे जाने के लिए निकल गए।रवि को एक और मौका साथ रहने मिलने वाला थाऔर वो भी अकेले।।कार में जाते समय रवि ने बातें करना शुरू कर दिया।नीना भी रवि से बात करती रही मगर और भी बहुत कुछ कहना चाहती थी पर कह नहीं पाती थी।समारोह स्थल आ गया और रवि वापस जाने लगा।तभी नीना ने रवि का हाथ पकड़कर रोक लिया और कहा "तुम भी भीतर चलो।" रवि मान गया। विवाह की रस्मों के दौरान रवि ने कहा "नीना एक दिन हम भी ऐसे ही बंधन में बधेंगें।"नीना ने कहा"हाँ तो पर तुम तो विदेश चले जा रहे हो"अरे चार साल की तो बात है क्या मेरे लिए इतना इतंजार नहीं कर सकतीं?"नहीं ये बात नहीं ।मम्मी-पापा को भी तो मनाना पडेगा".अरे सब हो जाएगा ।
नजदीकियों की चाहत का असर है,अब हम कही हैंऔर दिल किधर है।"नीना ने पीछे पलटकर देखा तो मीता ये शेर फरमा रही थी।"अरे!मीतू तूने तो ड़रा ही दिया।"हाँ नीनू मै तुझसे साइंस की कॉपी लेने आयी थी और हाँ भैया का पासपोर्ट और वीजाबन गया है"नीना ने ऊपरी मन से खुशी जाहिर करते कहा"अरे वाह!।मीता के जाने के बाद नीना को चिंता होने लगी।कितना कम समय रह गया परीक्षा के लिए और उसे कितनी सारी तैयारी करनी है।बस यही सोच कर उसने फैसला लिया कि वो सिर्फ पढाई पर ही ध्यान देगी और रवि से भी नहीं मिलेगी।उससे मिलो तो मन भटकने लगता है।ये बात उसने रवि को भी बता दी। रवि को भी मानना पडा।आखिर उसे भी तो मेहनत करनी है तभी तो वह विदेश जा पायेगा। आखिर सबके रिजल्ट आ गए और तीनों अच्छे नंबरों से पास हो गए।मगर नीना को लगा इस बार पिछले सालों से नंबर कम हैं।ये तो होना ही था।
चार -पांच दिन ही बीते थे कि मीता आई और एक ख़त थमा दिया "ये भैया ने दिया है"भैया ने ?हाँ भैया की कल शाम की फ्लाइट है।"""
अरे इतनी जल्दी"।"हाँ वहाँ भी तो देखना पडेगा।अच्छा तू चलेगी न छोडने"
रवि छोड़कर वापिस आने पर नीना उदास हो गयी थी। इतने दिनों से रवि की आदत जो हो गयी थी। मगर जल्दी ही उसने अपने को सामान्य कर लिया और आगे की पढाई पर लग गई बारहवीं जो था।उसे भी तो कुछ बनना था।रवि के फोन घर पर आते और नीना के पास भी। समय सरकता गया और चार साल पल गुजर गए।मम्मी -पापा नीना से शादी करने कहते तो वह मना कर देती "पापा थोड़े दिन और रुकिए न।अभी तो जॉब करते हुए ज्यादा समय कहाँ हुआ है?फिर भी पापा कोई अच्छे रिश्ते बताते तो नीना कोई बात करके उसे रिजेक्ट कर देती।आखिर टालते -टालते नीना ने कह ही दिया "पापा मैं रवि से शादी करना चाहती हूँ"। "लेकिन वो तो बाहर है कब आएगा।" " पापा मीता कह रही तो रवि अगले हफ्ते आ जाएगा।" "चलो ठीक है तुम्हें बताना चाहिए था।
नीना के मम्मी -पापा ने रवि के मम्मी पापा से बात की।तो वे कुछ मुश्किल से तैयार हुए क्योंकि वो रवि की शादी कहीं साऊथ में ही करने की सोच रहे थे और किसी दूसरी कास्ट में नहीं।पर नीना के पापा ने सारी बात बताई ।तब भी वे लोग मना करते रहे ।कहने लगे रवि से बात करके ही कुछ तय होगा।जब रवि ने फोन पर कह दिया कि" पापा नीना से ही शादी करूंगा।"बड़ी मुश्किलों से रिश्ता तय हो पाया। रवि के आने के बाद बहुत भव्यता से शादी हुई दोनों बहुत खुश थे क्योंकि उनका इंतज़ार रंग लाया था।उनकी खुशी से सभी खुश थे।दोनों की लव स्टोरी का एंड हो गया।नहीं एंड नहीं हुआ वो आगे भी चलेगी दोनों के बीच।