Bharat ke mashhur samudri tat - 1 books and stories free download online pdf in Hindi

भारत के मशहूर समुद्री तट - 1

यात्रा विशेष भारत के मशहूर समुद्री तट-01

भारत के मशहूर समुद्री तट

भारत ही एकमात्र ऐसा देश है जहां समुद्र की हजारों किलोमीटर की तट रेखा है। भारत तीन तरफ से समुद्र से घिरा विशाल प्रायद्वीप है और इसका समुद्र तट लम्बा है जो 7500 किलोमीटर से अधिक फैला हुआ है। पूर्व में बंगाल की खाड़ी, पश्चिम में अरब सागर और दक्षिण में हिन्द महासागर है। 09 भारतीय राज्य और 03 संघ राज्य क्षेत्र तटीय भागों में स्थित हैं। आंध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, केरल,कर्नाटक,महाराष्ट्र,ओडिशा और तमिलनाडु, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह,दमन और द्वीप एवं लक्षद्वीप समूह की सीमा समुद्र तट से घिरी हुई है। भारत के समुद्र तटों से समुद्र और सूर्य को निहारना बहुत ही रोमांचक और आध्यात्मिक अनुभव होता है। इस सर्दियों में भारत के मशहूर समुद्री तटों की यात्रा करे और प्राकृतिक छटा से रूबरू होते हुए सृष्टि के अनमोल रचना को अपने आँखों से निहारते हुए एक सुखद अनुभूति का आनन्द ले।

केरल का हर समुद्री तट कुछ खास है !

  • विनय सिंह
  • पश्चिम में अरब सागर के साथ पूर्व में 500-2700 मीटर ऊंचे पश्चिमी घाट और 44 नदियों से घिरा हुआ केरल राज्‍य एक अनोखी भौगोलिक विशेषता रखता है जहां एशिया के सबसे अधिक पर्यटक आते है। यहां का अच्‍छा मौसम, लंबी तटीय रेखा के साथ शांत तट, पन्‍ने के समान हरे पानी के लंबे दौर, हरे भरे पर्वतीय स्‍थल, विशिष्‍ट वन्‍य जीवन और जल प्रपात हर किसी को केरल आने के लिए विवश करते है। तो आईये जानते है केरल के समुद्री तटों के बारे में ...

    * अलप्पुझा तट - पूर्व का वेनिस कहा जाने वाला अलप्पुझा का केरल के सामुद्रिक इतिहास में हमेशा एक महत्वपूर्ण स्थान रहा है। अलाप्पुटझा तट एक लोकप्रिय पर्यटक संघ है जो आराम देने के लिए जाना जाता है। इस तट की भूमि का अंदरूनी हिस्सा लगभग 140 वर्ष पुराना है। यहां लैगून, चौड़ी झीलों और मीठे पानी की अनेक नदियों जैसी प्राकृतिक सुंदरता उपलब्ध है, जो सुंदर और विहंगम हैं। यहां के लंबे रेतीली तट पाम के पेड़ों से घिरे हुए हैं। तट की सुंदरता बढ़ाने वाले पुराने लाइट हाउस यहां लगे हुए हैं। अलप्पुझा का एक अन्य आकर्षण है हाउसबोट में जल विहार (क्रूज़) करना। अलप्पुझा के बैकवाटर में जिन हाउसबोटों को आप देखते हैं वे दरअसल पुराने जमाने के केट्टुवल्लम के सुधरे हुए रूप हैं। मूल केट्टुवल्लम या राइस बार्जेज चावल और मसाले ढोने वाली नौकाएं हुआ करती थीं। इन्हें केट्टुवल्लम या ‘गांठ वाली नौकाएं’ इसलिए कहा जाता था क्योंकि संपूर्ण नौका को केवल नारियल की रस्सियों की मदद से कसा जाता था।

    * बेपोर तट- नदी चलियार के तट पर स्थित बेपोर तट आपको शांति और आकर्षण के जाल में बांध लेगा और आपको एक स्वमप्न जैसा दृश्य दिखाई देगा। अरब सागर के व्यातपक विस्ताथर में देखें और आपको ध्वननि की कोमल तरंगों से नींद आ जाएगी और जैसे जैसे आप इसे देखते रहेंगे, आप बेपोर तट के परीदेश जैसे परिवेश में खो जाएंगे। पत्थर के बने पुल पर लगभग 2 किलोमीटर दूर पैदल जाने पर और वापस आने के दौरान सूर्य की शानदार चमक को देखा जा सकता है।

    * धर्मधाम तट - कन्नूार से 17 किलो मीटर की दूरी पर स्थित धर्मधाम तट एक छोटा 5 एकड़ एके क्षेत्रफल वाला सुंदर द्वीप है जहां नारियल पाम और हरी भरी झाडियां हैं। यह द्वीप धर्मधाम की मुख्य भूमि से लगभग 100 मीटर की दूरी पर है और इस निजी द्वीप पर जाने के लिए विशेष अनुमति की जरूरत होती है। जब आप इस तट पर आते हैं तो आप यहां की सुंदरता देखकर मौन रह जाएंगे। यहां आकर आपको केवल प्रकृति मां की गोद में खो जाना है।

    * एजिमाला तट - एजिमाला तट एक प्रमुख पर्यटन आकर्षण है। इस पवित्र ओर एकांत में बने तट का मनमोहक दृश्य लोगों को आकर्षित करता है। यहां डॉलफिन के कूदने का अद्भुत दृश्य भी दिखाया जाता है। पत्थर के स्तंमभों पर काट कर बनाए गए एक प्राचीन मकबरे और प्राचीन गुफा को पहाड़ी की तराई में देखा जा सकता है। ऊंची पहाडियों और रेतीली तटों का यह मिश्रण एजिमाला को पिकनिक का एक सुंदर स्था न बनाते हैं। जब आप इस तट पर पानी में तैर रहे हों तो पूरी तरह भार मुक्त होकर इसका आनंद उठाएं।

    * फोर्ट कोची तट - फोर्ट कोची तट पर्यटकों के लिए एक मनपसंद स्थामन है। नारियल के पेड़ों और घनी झाडियों से घिरा यह दर्शको का मनमोह लेने वाला तट है। इसकी ऐतिहासिक विशेषता को समुद्र की तरंगों द्वारा नजर अंदाज या उपेक्षित नहीं किया गया है और ना ही इस तट के साथ जुड़े इसके रंगीन इतिहास को मिटाया गया है। इस बात में भी कोई शंका नहीं है कि यह छुट्टियां बिताने और शाम के समान प्रकृति की सर्वोत्तम रचना का आनंद उठाने के लिए एक आदर्श स्थाहन है।

    * कप्पड तट - कप्पड तट, जिसे स्था नीय रूप से कप्पड कडाहु कहते हैं तट पर धसी हुई एक सुंदर पहाड़ी है। इसका एक भव्य इतिहास है, क्योंकि कप्पड तट उस स्थायन से बहुत नजदीक है जहां 27 मई 1948 को पुर्तगाली अन्वेहषक वास्कोाडिगामा आया था और अरब सागर के जरिए उसने यूरोप की दिशा में व्यायपार शुरू किया था। इस ऐतिहासिक नजारे को देखें और इस मनमोहक तट की सुंदरता में खो जाएं तथा समुद्र की तरंगों का संगीत सुनें।

    * कोवलम तट - कोवतल तट में ठण्डे सुखदायी पाम के पेड़ और कोलम तरंगों से एक प्राकृतिक दृश्य बनता है। यह तिरुवनंतपुरम की राजधानी से केवल 10 किलो मीटर की दूरी पर है। यह इस क्षेत्र का सबसे अधिक महत्वंपूर्ण पर्यटक आकर्षण है। अपने नाम के अनुसार यह नारियल के पेड़ों का समूह है और कोवलम तट पर पाम के ढेर सारे पेड़ भी लगे हुए हैं जो अरब सागर के नीले पानी में अठखेलियां करते हैं और यहां बिखरी सफेद रेत स्वहर्ग जैसा आनंद देती है।

    * तिरुमुलावरम तट- कोलम से 6 किलो मीटर की दूरी पर स्थित तिरुमुलावरम तट एक सुंदर पिकनिक स्थल है। इस तट पर लगे हुए नारियल पाम के पेड़ यहां सुबह की सैर के लिए इसे एक आदर्श स्थल बनाते हैं। इस तट पर नहाने की अच्छीग सुविधाए हैं। समुद्र के अंदर लगभग डेढ़ किलो मीटर की दूरी पर न्यामराजाचा पारा है, जिसका शाब्दिक अर्थ है रविवार की चट्टान जिसे कम ऊंचाई के किनारे पर से देखा जा सकता है।

    * वारकला तट - वारकला तट में धार्मिक और पर्यटन दोनों ही प्रकार का मिला जुला परिवेश पाया जाता है। वारकला तट का खनिज तत्वोंच से भरपूर झरना औषधीय गुण रखता है जिसमें आप नहा सकते हैं और पी सकते है। एक भरपूर अवकाश के लिए वारकला तट के किनारे मनमोहक सूर्यास्त का दृश्य देखें।

    * मुझाप्पिलंगड तट - मुझाप्पिलंगड तट में कुछ ऐसा अनोखा है जो इसकी सुंदरता को बढ़ा देता है और यह केरल के कुछ बड़े तटों में से एक है, यह देश का एक मात्र ऐसा तट है जहां गाड़ी के रास्तेम पहुंचा जा सकता है। यहां तट के किनारे लंबी दूरियों पर घूमा जा सकता है या एक परिवार तट पर ड्राइव का आनंद ले सकता है। यहां सभी दिशाओं से पानी आता है। किनारे पर मौजूद चट्टानें पानी की तेज धाराओं को रोकती हैं जो तट पर टकराती हैं, जिन से एक उथला पूल बनता है जहां पर्यटक तैराकी तथा अन्य जल क्रिड़ाओं का आनंद लेते हैं।

    * पायमबलम तट - सामान्य जीवन की उथल पुथल से दूर पायमबलम तट परेशान मन को शांति और ताजगी देने के लिए एक आदर्श गंतव्य है जहां आने वाले व्याक्ति को मन की सच्चीक शांति मिलती है। शांत और एकांत में स्थित यह सुंदर रेतीला तट सुकून भरी शान के लिए एक आदर्श स्थाहन है। पायमबलम तट स्था नीय लोगों के लिए पिकनिक का एक लोकप्रिय स्थातन है तथा यहां पर्यटक रिजॉर्ट बनाने की काफी अधिक संभाव्येता छुपी हुई है।

    * पथिरमनल तट - पथिरमनल का अर्थ है रात्रि की रेत - यह जैव विविधता का एक बड़ा खजाना है। पथिरमनल तट एक लंबा और स्वाच्छ तट है। यहां का परिवेश आपको तैरने, सूर्य स्नायन करने अथवा केवल घूमने फिरने के लिए अनुकूल प्रतीत होता है। जबकि यहां के विशाल जीव जंतु और वनस्पकति समूह प्रकृति का भरपूर दृश्य प्रदान करते हैं, पथिरमनल के आस पास स्थित नहर इसे एक रोमांटिक स्थल बना देती है। यह दुर्लभ प्रवासी पक्षियों का मनपसंद प्राकृतिक केन्द्रं है जो यहां दुनिया के अलग अलग हिस्सोंक से आती हैं। वास्तव में यह तट और द्वीप का एक उल्ले्खनीय संयोजन है।

    * शंखमुगम तट - शंखमुगम तट सूर्यास्त देखने वाले लोगों का मनपसंद स्थाअन है। यह तट तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे और वेली पर्यटक ग्राम के नजदीक है। यहां एक आंतरिक मनोरजंन क्लब, मत्स्ाय कन्याा, (जल परी का 35 मीटर लंबा शिल्प) और स्टा र फिश के आकार का एक रेस्तलरां कुछ आकर्षण है। तट के शांत और धीर गंभीर पानी में सर्फिंग करना एक तरोताजा कर देने वाला अनुभव है।

    * तनूर तट - तनूर तट एक ऐसा स्थारन है जहां आपको प्रकृति का भरपूर नजारा मिलता है। यदि आप प्रकृति से प्रेम करते हैं तो यह तट आपके लिए बना है जहां आप पाम के पेड़ों की ठण्डी छाया में बैठ कर आराम पा सकते हैं अथवा घण्टोंि तक सूर्य, रेत और तट के बीच घूम सकते हैं। तनूर तट मल्लाटपुरम में स्थित है। तनूर पुरानी पुर्तगाली स्था पनाओं में से एक है। यहां 1546 में सेंट फ्रेंसिस जेवियर आए थे।

    * थंगासेरी तट - थंगासेरी तट कोलम कस्बेब से 5 किलो मीटर की दूरी पर है। थंगासेरी तट पुर्तगाली तथा डच स्था पनाओं की जीती जागती स्मृ ति है। यहां के समुद्र के पास स्थित गांव ऐतिहासिक महत्व रखते हैं। यहां के पर्यटन आकर्षण पुराने पुर्तगाली किले और गिरजाघर हैं जो 18वीं शताब्दीी में बनाए गए थे और अब जिनके खण्डहर शेष हैं। थंगासेरी का एक अन्य पर्यटक आकर्षण यहां का लाइट हाउस है जो 144 फीट ऊंचा है और यहां पर्यटक सभी दिन जा सकते हैं।

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