एटीएम मशीन और हम Vinay kuma singh द्वारा पत्रिका में हिंदी पीडीएफ

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एटीएम मशीन और हम

एटीएम मशीन और हम

मानव जीवन में तकनीको की भागीदारी बढते जा रही है। उसी के साथ ही थोड़ी असावधानी होते ही धोखाधड़ी होने का चांस भी तेजी से बढ़ रहा है। तेजी से भागती जिंदगी में हर इंसान सुविधा के लिहाज से इस तरह की तकनीकी सुविधाओं का उपयोग करता है, लेकिन धोखाधड़ी से बचने के लिए वह कई तरह की सावधानिया बरतने में पिछड़ जाता है। तो आईये आज जानते है, तकनीक जगत के अग्रिम श्रेणी के मशीन एटीएम यानि Automated teller machine or automatic teller machine (ATM) के बारे में । जो आज हर किसी के दैनिक जीवन की जरुरत बन गई है। एटीएम मशीन से पैसा निकलते समय किन किन बातो का ध्यान रखे ....

वर्तमान युग में एटीएम का प्रयोग मानव दिनचर्या का महत्त्वपूर्ण अंग बन गया है। इतिहास के पन्नो में ए टी एम का सबसे पहले प्रयोग का उल्लेख लंदन और न्यूयॉर्क में मिलते हैं। 1960 के दशक में इसे बैंकोग्राफ के नाम से जाना जाता था। कुछ दावों के अनुसार सबसे पहले प्रायोगिक तौर पर 1961 में सिटी बैंक ऑफ न्यूयॉर्क ने न्यूयॉर्क शहर में ग्राहकों की सेवा में चालू किया था। वैसे ग्राहकों ने तब इसे अस्वीकृत कर दिया था। इस कारण छह माह के बाद ही इससे हटा लिया गया था। इसके बाद टोक्यो, जापान में 1966 में इसका उपयोग हुआ था। आधुनिक एटीएम की सबसे पहली पीढ़ी का प्रयोग 27 जून, 1967 में लंदन के बार्केले बैंक ने किया था। उस समय तक कुछ ही ग्राहकों को इसकी सेवा का लाभ मिल पाया था। उस समय आज के एटीएम कार्ड के बजाए क्रेडिट कार्ड के जरिए इसकी सेवाओं का उपयोग किया जाता था। इसके पहले ग्राहक कॉमेडी एक्टर रेग वरने बने थे। इंग्लैंड ने प्रयोग में लाई गई मशीन के आविष्कार का श्रेय जॉन शेपर्ड को जाता है। इसके विकास में इंजीनियर डे ला रूई का भी महत्त्वपूर्ण योगदान है। वर्तमान एटीएम मशीनें इंटरबैंक नेटवर्क से जुड़ी होती हैं। यह नेटवर्क पीयूएलएसइ, पीएलयूएस आदि नामों से जाने जाते हैं।

एटीएम प्रयोग करते समय कुछ सावधानियां आवश्यक हैं। इन सावधानियों को ध्यान में न रखने पर बेवजह की कुछ परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

* एटीएम से पैसा निकालते समय, खासकर रात के समय तो एक साथी को लेकर अवश्य जाएं।

* एटीएम का प्रयोग करते समय ध्यान रखें कि कोई आपका पिन नम्बर न देख पाए। अव्वल तो कोई आपके साथ एटीएम केबिन में अनजाना व्यक्ति मौजूद ही नहीं होना चाहिए।

* एटीएम कार्ड को पहले से बाहर निकाल कर रखें। मशीन के पास पहुंचने पर अपने पर्स आदि से निकालने में समय न लगाएं। रात के समय इस बात का खासतौर पर ख्याल रखें कि कोई संदेहास्पद व्यक्ति आपके आसपास न हो।

* कोशिश करें अगर ज्यादा रकम निकालने जा रहे हैं तो ऐसे क्षेत्र का एटीएम चुने जो तुलनात्मक तौर पर अधिक सुरक्षित हो।

* एटीएम मशीन से निकलने के बाद निकाली गई राशि को गिने जरूर पर यह भी ध्यान रखें कि ऐसा करते समय किसी की निगाहें आप पर न हों।

* मशीन से प्राप्त रसीद को अपने पास जरूर रखें और इसका मिलान अपने अपने बैंक स्टेटमेंट से अवश्य करें। अगर कोई समस्या हो तो संबंधित बैंक से संपर्क करें।

* पिन नम्बर को याद रखें। अगर याद नहीं हो पाता है तो उसे ऐसी जगह लिखकर रखें जहां सिर्फ आप की ही पहुंच हो। एटीएम का प्रयोग करते समय इसका बेहद सावधानी से प्रयोग करें और इसे मशीन के आसपास रखा न छोड़े।

* अपने फोन नम्बर, घर के पते, नाम या संकेताक्षरों आदि पर अपना पिन नम्बर न रखें।

* पिन डालते समय कीपैड को अपने दूसरे हाथ से छुपाए रखें।

ऐसे ना करे ...

जल्दबाजी में ना रहे - एटीएम मशीन का उपयोग करने वाले अधिकतर लोग जल्दी में दिखाई देते हैं। रकम निकालने के बाद उनका ध्यान रसीद प्राप्त करने और नोट गिनने में ज्यादा होता है। इस चक्कर में वे कैंसल का बटन दबाने या सुरक्षित तरीके से निकालने पर ध्यान नहीं देते। मशीन के उपयोग के लिए एटीएम रूम के अंदर जाने से लेकर बाहर आने तक में हड़बड़ाहट बिल्कुल नहीं रखें।

मशीन को अकेला ना छो़ड़ें - एटीएम के एक तकनीकी विशेषज्ञ से मिली जानकारी के मुताबिक कई बार उपयोग के दौरान मशीन हैंग हो जाती है। ऐसे में लोग उसे छोड़कर दूसरी मशीन पर चले जाते हैं। इस तरह की गलती नुकसानदेह साबित होती है। जब भी उपयोग के दौरान मशीन हैंग हो तो मशीन को अकेला नहीं छोड़कर उसके नजदीक ही रहना चाहिए। हर एटीएम के लिए हेल्पलाइन नंबर होता है। तुरंत सूचना दें। ऐसा नहीं होने पर बैंक अथवा सुरक्षाकर्मी को भी समस्या से अवगत कराएं। कैंसल का बटन दबाएं। अधिकतर मौकों पर हैंग होने के बाद कुछ ही मिनट में मशीन मुख्य मैन्यू पर आ जाता है। मुख्य मैन्यू आने से पहले मशीन से दूर नहीं जाएं।

अपना पासवर्ड लीक ना होने दें - जानकारों की मानें तो कई बार एटीएम कार्ड गुम हो जाने अथवा चोरी हो जाने से ज्यादा खतरनाक पासवर्ड का लीक होना होता है। अधिकतर इसी कारण लोग एटीएम से पैसा निकाल लेते हैं। किसी भी स्थिति में पासवर्ड किसी और को नहीं बताना चाहिए।

ऐसे करे ....

* हमेशा एटीएम के आसपास संदिग्ध व्यक्तियों या गतिविधि के प्रति सजग रहें- यदि आपको कुछ भी अजीब दिखाई दें, तो वहां से निकल जाएं।

* अंधेरे के समय किसी साथी के साथ जाएं।

* एक अच्छी तरह से उजले क्षेत्र में एटीएम के पास गाड़ी पार्क करें, अपनी कार को लॉक करें।

* अपना एक्सेस कोड दर्ज करते समय अपने शरीर का एक ढाल के रूप में प्रयोग करें करें, ताकि टाइप करते समय कोई उसे देख न पाएं।

* अपने लेनदेन की समस्त रसीदें अपने साथ ले जाएं, उन्हें एटीएम के पास नहीं फेंकें, अगर आपको नकदी मिल जाए तो उसे लेकर दूर जाएं।

* एटीएम के सामने खड़े होकर नहीं गिनें।

बैंकिंग करते समय इन बातो का ख्याल करे ।

* समय पर एसएमएस और ई-मेल संदेश प्राप्त करने के लिए अपने मोबाइल नंबर और ई-मेल बैंकिंग लेनदेन के लिए सक्रिय करें।

* आपका वित्तीय संस्थान या बैंक आपके बैंकिंग विवरण ऑनलाइन दर्ज करने के लिए कभी ई-मेल नहीं भेजता है।

* नियमित रूप से अपने क्रेडिट कार्ड या बैंक खाते के विवरण की जाँच करें और अपने लेनदेन का हिसाब-किताब रखें।

* चेकबुक, स्टेटमेंट, डेबिट/ क्रेडिट कार्ड की सही पते पर प्राप्ति के लिए पते में परिवर्तन जैसे विवरण बैंक को समय पर दे।

* फ़िशिंग हमलों से रक्षा के लिए आपके ब्राउज़र में फिल्टर फ़िशिंग होना चाहिए और अपने ई-मेल में लेनदेन के लिए कभी किसी लिंक पर क्लिक न करें।

क्या है व्हाइट लेबल एटीएम ?

  • गैरबैंकिंग निकाय की ओर से लगाए गए और चलाए जाने वाले एटीएम को व्हाइट लेबल एटीएम कहा जाता है। इन एटीएम में बैंकों के एटीएम की तरह ही सारी सहूलियतें होंगी लेकिन इन पर किसी बैंक का लेबल नहीं लगा होगा। जो एटीएम आप इस्तेमाल करते हैं, उनमें दो पक्ष शामिल होते हैं। एक पक्ष बैंक होता है जिसका यह एटीएम होता है।
  • यह एटीएम स्थापित करता है और इसका मालिक भी होता है। साथ ही यही इसे परिचालित भी करता है। इसके अलावा दूसरा पक्ष अधिकृत पेमेंट नेटवर्क ऑपरेटर मसलन वीजा या मास्टर कार्ड होता है। व्हाइट लेबल एटीएम में तीन पक्ष शामिल होंगे। वह गैर बैंकिंग निकाय जो इसे लगाएगा। एक इसका मालिकाना हक वाला पक्ष और तीसरा इसे ऑपरेट करने वाला पेमेंट नेटवर्क। दरअसल इसमें जो स्पांसर बैंक होगा वह कैश मैनजमेंट का काम देखेगा।
  • इसके अलावा उसे फंड सेटलमेंट और कस्टमर की शिकायत से जुड़े तंत्र को संभालना होगा। साथ ही इसे अधिकृत पेमेंट नेटवर्क का भी काम देखना होगा। कम से कम 100 करोड़ रुपये के नेटवर्थ वाला कोई भी गैर बैंकिंग निकाय इसकी स्थापना के लिए आवेदन कर सकता है। दूरदराज के इलाकों में आपको ज्यादा एटीएम न होने की शिकायत रहती है। लेकिन व्हाइट लेबल एटीएम खुलने से यह समस्या कुछ हद तक खत्म हो सकती है।
  • एटीएम कार्ड ठगी रोकेगा 'पर्सनलाइज्ड' कार्ड !

  • एटीएम कार्ड ठगी के बढ़ते मामलों पर अंकुश लगाने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने कुछ नये कदम उठाए है। उपभोक्ताओं को अब पर्सनालाइज्ड एटीएम कार्ड (फोटो युक्त) उपलब्ध करवाया जाएगा, ताकि एटीएम कार्ड ठगी को रोका जा सके। अभी उपभोक्ताओं को बैंक नॉन पर्सनालाइज्ड एटीएम कार्ड (फोटो रहित) उपलब्ध करवा रहें हैं।
  • इतना ही नहीं आरबीआई की नई गाइड लाइन के अनुसार अगर एटीएम कार्ड गुम होने, धोखे से बदले जाने व चोरी होने की सूचना उपभोक्ता बैंक को दे देता है। इसके बाद उपभोक्ता को हजारों-लाखों रुपये की राशि का नुकसान उठाना पड़ा तो, उसका जिम्मेवार बैंक ही होगा। यानी की बैंक को नुकसान की भरपाई भी करनी पड़ सकती है।
  • इन बातों से अभी तक उपभोक्ता अनजान हैं और पूरी तरह जागरूक भी नहीं है। इसी कारण वे ठगी का शिकार हो जाते है और उन्हें हजारों-लाखों रुपये का नुकसान उठाना पड़ता है। पर्सनालाइज्ड कार्ड को जारी करने में बैंक को करीब 15 दिन लगेंगे। एटीएम कार्ड पर अभी तक उपभोक्ता का नाम व कोड ही प्रिंट किया जा रहा है लेकिन इनके अलावा अब कार्ड पर उपभोक्ता का डिजीटल व साफ फोटो भी प्रिंट किया जाएगा। पर्सनालाइज्ड एटीएम कार्ड को अपराधियों द्वारा बदलना आसान नहीं होगा। उपभोक्ता एटीएम पर जाकर कार्ड का इस्तेमाल करने के बाद सावधानी बरतते हुए कार्ड पर अपनी फोटो व नाम जांच ले, ताकि ठगी के बढ़ते मामलों को रोका जा सके।
  • अगर आप भी पर्सनालाइज्ड कार्ड बनवा चाहता है तो उसे बनाकर दिया जाएगा। पर्सनालाइज्ड एटीएम कार्ड के लिए आप को एक आवेदन अपने बैंक शाखा में करना होगा। इस कार्ड को जारी करने में 15 दिन का समय लगता है।
  • बिना एटीएम कार्ड के कैसे निकाले एटीएम मशीन से पैसे ?

  • देश में बैंक अकाउंट होल्डर्स की संख्या लगातार बढऩे से एटीएम मशीन और एटीएम कार्ड का चलन भी बढ़ता जा रहा है। एटीएम कार्ड बैंक में आप खुद के जमा किए पैसों को कभी भी निकालने की आजादी रखते है। लेकिन आपाधापी भरी जिदंगी के बीच आप अगर अपना एटीएम कार्ड घर पर ही भूल जाएं तो यकीकन आप अफसोस के साथ वापस चले जाएंगे। लेकिन सोचिए अगर आप बिना एटीएम कार्ड के एटीएम मशीन से पैसे निकाल सकें तो कैसा रहेगा।
  • अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा कैसे हो सकता है कि बिना एटीएम कार्ड के एटीएम से पैसा निकल जाए। लेकिन यह संभव हो चुका है। इस सुविधा को पाने के लिए सबसे पहले आपको इस बैंक में खुद को रजिस्टर कराना होगा। यह रजिस्ट्रेशन बैंक की शाखा या बैंक इंटरनेट बैकिंग की मदद से भी हो सकेगा। वहीं, रजिस्ट्रेशन कराने के लिए आपको बैंक कस्टमर सर्विस सेंटर पर कॉल करने का विकल्प भी मिला हुआ है। रजिस्ट्रेशन के बाद आपको उस बैंक से जुड़ी एप्लीकेशन अपने मोबाइल पर डाउनलोड करनी पड़ेगी।
  • यूजर्स को इसके लिए एसएमएस चैनल का ऑप्शन भी दिया गया है। इसके माध्यम से बैंक इस एप्लीकेशन का वेब लिंक आपके मोबाइल पर भेज देगा। बिना डेबिट कार्ड के एटीएम मशीन से पैसा निकालने की यह सर्विस पूरी तरह से मुफ्त है। रजिस्ट्रेशन के बाद आपको ठीक एटीएम कार्ड जैसी ही सुविधाएं एमपिन से मिलेगी। इसकी मदद से यूजर इंट्रा बैंक, मोबाइल टू मोबाइल, मोबाइल टू एकाउंट फंड ट्रांसफर और नेट इलेक्ट्रॉनिक फंड ट्रासफर सभी कर सकेंगे।
  • वहीं, इंटरबैंक मोबाइल पेमेंट सर्विस (आईएमपीएस) भी इस मोबाइल एप्लीकेशन का फीचर रहेगा। अब आपके दिमाग में बिना एटीएम कार्ड के पैसा निकालने की लिमिट के बारे में भी सवाल उठ रहे होंगे। दरअसल, एमपिन की मदद से आप 5000 रुपए प्रति दिन की लिमिट तक पैसा निकाल सकेंगे। वहीं, आईएमपीएस के तहत फंड ट्रांसफर में यह लिमिट बढ़कर 30000 रुपए प्रति दिन हो जाएगी। एसएमएस के संबंध में यह लिमिट 4000 रुपए प्रति दिन है। हालांकि, सभी बिल पेमेंट को लेकर लिमिट हर दिन 20000 रुपए प्रति ट्रांजेक्शन है।
  • Vinay singh