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हिन्दी कविता प्रतियोगीता

हिन्दी कविता प्रतियोगीता

Matrubharti


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क्ंतेीपजं ैीीं

कइऋेीीं2001/लींववण्बवउ द्य डण् 9824236684

भारत

मेरे भारत की दशा देखो ।

पेट भूखाए नंगा तन देखो ।।

चोरीए भ्रष्टाचार में डूबे ।

है विदेशो में तुम धन देखो ।।

हर कही उजडी है आजादी ।

चोतरफ से उखडा मन देखो ।।

भेडिये बसते है इंसा में ।

लगता है अब देश वन देखो ।।

पैसा ही पहेचान है यारो ।

प्यार से बढ़कर धन देखो ।।

ठींतंज क्ण् ज्ींबामत

इकजींबामत/पिबिवण्पद द्य डण् 94294 26729

बालों का पतझर

सर पे मेरे बाल का अकाल है

सर पे नीकला चांदए कहते है टाल है

आयना मुझे अब राश नहीं आता

टाल से जिंदगी मे मची बवाल है

टाल ने मेरा वो हाल कीया

भरी महफील में मलाल कीया

कैसे सुनाउ दास्तां अपनी

मेरी उम्रको हलाल कीया

कभी सर पे लहलहाते बाल थे

राधा के संग जैसे गोपाल थे

टाल ने मुझे ना छोडा कहीं का

कभी कंवारीयो के दिल की ताल थे

सर पे नीकला चांदए तब से लगे है झटके

इसकी दवा के लीये हम दर दर भटके

खाद वारो से गुजारीश की खाद बनाये ऐसी

बाल की फसल लहलहाये डटके

टाल की बात क्यों है कमाल की

मेरी बात से लोगो ने क्यो धमाल की

एक बात बताओ मुझे यारो

मै ने बाल की खाल नीकालीए या टाल की घ्

बचे—खुचे बालो को बचाने की जहमत जारी है

बाल और टाल की जंग भारी है

आप भी बच के रहना यारो

आज हमारीए तो कल आप की बारी है

न्चेंदं ेपंह

नचेंदेंपंह/हउंपसण्बवउ द्य डण् 8054238498

लोकतंत्र...

एक लोकतंत्र चलता है

मेरे घर में भी

यहाँ भी राज अम्माजी का

और नाम पिता जी का चलता है ...

मैंने अपने उनको

चुन कर

अपने सर पर बैठा रखा है

बच्चे भी

विपक्ष की भूमिका खूब

निभाते हैंए

बार —बार बॉय —काट

की धमकी देते है !

और मैं !

बेचारी जनता की तरह

कुछ शंकित —आशंकित

थोड़ी भ्रमित सी ए

कभी अन्ना की तरह

अनशन करती

डोलती रहती हूँ ए

पक्ष —विपक्ष के बीच में !

लेकिन

मेरे इस लोक तंत्र में

खुशियाँ ही खुशियाँ है ए

हंसी और खिलखिलाहटे भी है !

किये गए सभी वायदे

पूरे किये जाते है

यहाँ जनता से ए

विपक्ष भी सत्ता

के आगे सर झुकाए रहता है !

यहाँ फायदा नहीं उठाता

कोई किसी का !

मेरे इस लोक तंत्र में राज

जनता का ही

चलता है !

ज्ञंउंसमेी त्ंअंस

ांउंसमेीतंअंस/हउंपसण्बवउ द्य डण् 9426626949

आत्मन

प्रतियोगिता के लिए मेरी रचना स्वीकार करें

ये बर्तनए ये बिस्तर ये कपड़ों का ढ़ेर सारा

इस की क्या है दवाघ्

शादी करके लूट गई है जिंदगानी की मजा ये खुदा

ये क्या बात हुई जिंदगी में

हम सोते हैं बिना ही बिस्तर बाल्कनी में

सर्दी हो या गरमी बस अब तो भरते हैं आहें

मिली ये कैसी शादी करने की ये कैसी सजा

ये बर्तनए ये बिस्तर ये कपड़ों का ढ़ेर सारा

इस की क्या है दवाघ्

पड़ोसी भी आपस में अब तो करते हैं इशारा

कहते हैं सारी उम्र जोरु की गुलामी करेगा बेचारा

ऐसी शादी जहाँ होए सिर्फ बर्बादी वहाँ हो

दिखे ना कोई उम्मीदए ना दे कोई दोस्त या सहारा

ये बर्तनए ये बिस्तर ये कपड़ों का ढ़ेर सारा

इस की क्या है दवाघ्

बर्तन रोज हाथ से फूटेए तनबदन मेरा टूटे

फिर भी काम काज से कभी पीछा ना छूटे

बीबी को दिल दिया हैए सासु मा को वादा किया है

उन की लाड़ली को हर हाल मे खुश रखुंगा सदा

ये बर्तनए ये बिस्तर ये कपड़ों का ढ़ेर सारा

इस की क्या है दवाघ्

ैंदकीलं ज्पूंतप

ेंदकीलंज70/हउंपसण्बवउ द्य डण् 9410464495

ये कैसी मांयें पायीं

अरे ! ष् लेउ रामवती तुम्हारे हिंआ सतानो आई हैं।ष्

दाई सौंर से चिल्लाई थी।

मेरी नानी की सास की आँखे कढ़़ आई थी।

बिलबिला कर उन्होने पेट पकड़ लिया होगा।

नानी के चेहरे पर सफेदी और गंदले बिछौने पे खून फैल गया होगाएएएएएएएएएएए।

माँ को मिला बिछौने की जगह बोरीए

आशीषों की जगह लानते।

मुझे इण्टर से आगे पढ़़ने की जिद में माँ से मिली हृदय हीन जुगाली।

जो नानी ने खाया होगाए

माँ ने मेरे सामने उलट दिया ।

उस अहसास में हृदय की कचोटन थीए

माँ को मिली गोद की जगह बोरी और ममता भरे स्तन की जगह निराश झूलती खालएएएए

ष्तब भी ए मैं जिंदा हूँ ।

अजन्मे पर वारी हैं चार—चार बेटीयाँ।

सफर उनका ए बस कोख के अन्धकार से कब्र के अंधकार तक।

या कूडे का डेर।

जहाँ नर्स ने फेंका है जेर।

मैं बिछौना तो क्या बोरी तक न दे पायी ।

मां तो क्या नानी की सास तक न बन पायी ।

काहे की मां ए और कैसी ममता घ्

जो जिन्दगी तो क्या जिन्दा तक न रख पायीए

हाय ! भारत की बच्चियोंए ये कैसी मांऐं पायी।

।दंदक टपेीअें

ंदंदकअपेीअें/हउंपसण्बवउ द्य डण् 09898529244ए 7042859040

मंकी और डंकी

डंकी के ऊपर चढ़़ बैठाए जम्प लगाकर मंकीए लाल।

ढ़ेंचूँ — ढ़ेंचूँ करता डंकीए उसका हाल हुआ बेहाल।

पूँछ पकड़कर कभी खींचताएकभी पकड़कर खींचे कान।

कैसी अजब मुसीबत आईए डंकी हुआ बहुत हैरान।

बड़े जोर से डंकी बोलाए ढ़ेंचूँ — ढ़ेंचूँ ए ढ़ेंचूँ — ढ़ेंचूँ।

खों—खों करके मंकी पूछेए किसको खेंचूँए कितना खेंचूँ।

डंकी जी ने सोची युक्तिएलोट लगाकर जड़ी दुलत्तीए

खीं—खीं करता मंकी भागाए टूट गई उसकी बत्तीसी।

टपदंलां ैींतउं

उवांउंण्17/हउंपसण्बवउ द्य डण्8947077083

गर्लफ्रेंड की शादी

दोस्तों मेरे गर्लफ्रेंड की शादी हो गयी

मत पूछो मेरी बर्बादी हो गयी

मिलते थे हम और होती थीं बातें

याद आ रही है हर इक मुलाकातें

बाइक पे मैं और पीछे वो लड़की

थिएटर था वीकली चाहे हो कर्की

कितना बड़ा था देखो मेरा दिल

पेट्रोल उड़ायाए लंबे फोन का बिल

लड़की गई इन सब से भी आजादी हो गयी

दोस्तों मेरे गर्लफ्रेंड की शादी हो गयी

मत पूछो मेरी बर्बादी हो गयी

फोन उठाती है अब उसकी बहना

कहती है लखनऊ में है उसका रहना

बजे बैंड—बाजे आये बाराती

डोली में उसको बिठा ले गया जीवनसाथी

मिलने का उससे नहीं कोई चारा

दीवाना ये फिर से हो गया है बेचारा

हंसी भूल बैठा गमों ने है घेरा

किएतबियत मेरी अब मियादी हो गयी

दोस्तों मेरे गर्लफ्रेंड की शादी हो गयी

मत पूछो मेरी बर्बादी हो गयी

सोचा चलो अब उसे भूलते हैं

वो तो गयी अब नयी ढ़ूंढ़ते हैं

सर्च में देखो बरस बीत गए

गर्मियां बीतींएजाड़े गएए शरद बीत गए

यूँ ही मैं एक दिन चला जा रहा था

सामने से एक खुशहाल परिवार आ रहा था

भरम नहीं थाएवो बिलकुल था सच्चा

मेरी एक्स जी एफ की गोद में था एक बच्चा

साथ में उसके उसका पति था

बच्चे का नाम उसने बताया रवि था

कहाएश्देखो ये हैं तेरे दूर के मामाश्

मामा बन बैठा फिर एक दीवाना

कि भारत की एक और आबादी हो गयी

दोस्तों मेरे गर्लफ्रेंड की शादी हो गयी

मत पूछो मेरी बर्बादी हो गयी

दोस्तों मेरे गर्लफ्रेंड की शादी हो गयी

।ेीं ळनचजं

ेंींह754/हउंपसण्बवउ द्य डण् 9564789933

बजट के आने से

हाल हुआ बेहाल मेरा बजट के आने सेए

तंग हुआ खर्चा अपना बजट के आने से।

बाहर जाने की सोचे तो डराता है बिलए

खाना हुआ दुश्वार मेरा बजट के आने से।

श्रृंगार के नाम पे अब धड़कने लगा दिलए

बढ़़ गया पार्लर का खर्चा बजट के आने से।

ख्वाहिश थी कार लेकर कॉलर ऊंची करेंगेए

हाय मार दिया टैक्स ने बजट के आने से।

अब घंटों बात कर सकूं ऐसा कहां नसीबए

रिचार्ज हुआ मंहगा इस बजट के आने से।

....... आशा गुप्ता श्आशुश्

ज्ञंअपजं त्ंप्रंकं

तंप्रंकंणंअपजं5/हउंपसण्बवउ द्य डण् 9319769552

खुशियों भरा फाग दोस्तों

आ गया फिर से, खुशियों भरा फाग दोस्तों

हर नूर पे छाई है, रंगो बहार दोस्तों।

दिलों को मस्तियॉ देता है, ये त्यौहार दोस्तों,

मदमस्त करता हर दिल, ये त्यौहार दोस्तों।

रंगोगुलाल से सराबोर करता, ये त्यौहार दोस्तों,

है ये सुहाना सिलसिला, बरसों से होली पे दोस्तों।

गले लग—लग के देता हर शख्स मुबारक, होली पे दोस्तों,

नज़र आता मंजर, कुछ ईद सा, होली पे दोस्तों।

मिटाकर रंजोगम देता खुशियॉ, ये त्यौहार दोस्तों,

हर दिल को जवा कर देता है बस यही त्यौहार दोस्तों।

आ गया फिर से, खुशियों भरा फाग दोस्तों

हर नूर पे छाई है, रंगो बहार दोस्तों।

शशि देवली

ेीेंीपकमअसप1977/हउंपसण्बवउ

साथ

अपनों ने साथ न दिया

तो गैरों से साथ मांगा था

इस बेरहम जमाने से

बस थोड़ा साथ करार मांगा था।

गमों की गहराइयों ने भी

जब साथ छोड़ना चाहा मेरा

तब खुदा से मैंने सिर्फ

एक और गम मांगा था।

किसी सितमगार ने बेरहमी से

जब खाई में मुझे धकेला था

तब किसी अजनबी से

मैंने उसका हाथ मांगा था।

अशोक गुप्ता

डण् 09871187875

आज्ञाकारी

अच्छी भली मेरी तवियत नासाज हो गयी

बैठे बैठाए जिन्दगी नाराज हो गयी.

डॉक्टर को दिखाया

उसने कहा तो शरीर से खून खिंचवाया

नतीजा आया तो डॉक्टर ने बताया

शरीर में विटामिन ष्डीष् बहुत कम हो गया है...

डॉक्टर आगे कुछ कहताए मैं ही चिल्लाया

विटामिन डीए यानी दारुए मैं जरूर पियूँगा

जितना कहोगे मैं उससे ज्यादा ही पियूँगा.

डॉक्टर हडबडायाए बोलाए अरे नहींए धूपए धूप.. तुम्हें धूप चाहिएए

मैं हंसा ष् कोई बात नहीं जैसा कहते हो वैसा करूँगा

मैं हर रोज धूप में बैठ कर पियूंगा.

श्रंल त्ंअंस

रंलण्तंअंस7192/हउंपसण्बवउ

गड्डी के मैकेनिक का प्यार

गड्डी की हेडलाइट देख के मुझे तेरी आँखों के लश्कारे याद आते हैए

खुली सड़क पे चल रही गड्डी को देख के तेरे के चलने का अंदाज याद आता है ।

जब ब्रेक लगने से गड्डी रुक जाती हैए तो ये एहसास होता है मानो तेरी आवाज सुनके दिल की धड़कन थम सी गयी होए

गड्डी का हॉर्न बजते ही लगता है मानो तेरी पायल की वो खनक मेरे कानो में गूंज रही हो ।

गड्डी के स्टेयरिंग को छू कर तेरे हाथो में सहलाये हुए वो कंगन याद आते हैए

गड्डी के इंजन आयल को देख करए तेरी आँखों में लगा वो काजल याद आता है ।

और कैसे बयां करू में अपनी मोहब्बत को तेरे सामनेघ्

एक गड्डी का मैकेनिक हुए लेकिन जब जब गड्डी को रिपेयर करता हु तो तेरा और तेरी मोहब्बत का हर एक अंदाज याद आता है ।

ब्ण् च्ण् भ्ंतपींतंद

बचींतपऋ04/लींववण्बवण्पद

पंखे है नहींए मगर पंगा जरूर लेते है

बस में चढ़़ते हैए बस यू ही हिमालय जैसे अटल खड़े हो जाते है

बढ़़ते आगे धीरे धीरे जैसे घोंघे

ऊपर से साइड भी नहीं देंगे

सिर्फ अप्पन में ही मस्त

जैसे कि दुनिया में कोई नहीं व्यस्त

सिर्फ मेँ करता हूँ काम

सारी दुनिया वेला है

मुझे ही मिले सब कुछ

दूसरों को न मिले कुछ भी

जो अपनेलिये ठीक नहीं है

दूसरों केलिए तो ठीक ही है

आज करै तो परसों

परसों करै तो तरसों नरसों

एक ही नाव पर चलते है

मगर आपस में सहयोग नहीं देते है

जब तक जान है जहान है

फिर भी जिन्दगी हर कदम पर एक इम्तिहान ही है

श्रींदंअप ैनउंद

रींदंअपण्ेनउंद7/हउंपसण्बवउ द्य डण् 9810485427

होली के रंग

होली के दिन रंगे थे सभीए भीगा था आँचलए भीगी थीए चौली ए

हो हुड़दंड धूम मचाती घूम रही थीए मस्तानों की टोली।

खेल खेलके जब थक गए सब तब रमा पति से कुछयूँ बोली ए

सुनते हो जी लौट चले अब तो घर ए बहुत खेल ली होली।

दोनों एक दूजे का थामे हाथ ए भाँग के नशे में घर लौटेए

मुख पर चढ़़े हुए थे अनगिनत रंगों के मुखोटे।

आज पत्नी ने पति को बदला बदला सा पायाए

संग संग डोल रहे थेए उसके बनकर उसकी छाया।

खाना —पीना खूब हुआ और खूब हुई फिर मस्तीए

रात का सन्नाटा छाया ए अँधेरे में डूब गई जब बस्ती।

तब तिलमिला कर वापिस असली पति घर आया.

अपने नाइट सूट में घुसा हुआ और किसी को पाया।

पत्नी की तब उसने की खूब पिटाई ए

भाँग के नशे में तूने कहाँ अपनी अक्ल गवाईं।

इसके गले में पड़े घुंगरुँ की खनखन नहीं सुन पाईए

सर्कस के भालू को पति समझ तू घर लेकर है आई।

ज्ञंउदप ळनचजं

ांउदपहनचजं18/हउंपसण्बवउ

आधुनिक नारी

आधुनिक नारी यह तो है सब पे भारी।

कोई न पाए पार ऐसी इसमें होशियारी।

जीवन इसका व्यस्त इतना दिन हो चाहे रात

मोबाईल पे चले ऊंगलियां है बहुत मारामारी।

फैशन की तुम बात न पूछो मरना है क्या

मेयकप में जब आए हिरोईन भी इससे हारी।

स्कूल बच्चो ने जाना है बहुत आफत का काम

सुबह सुबह उठे कौन लगे नींद बहुत प्यारी।

सास ससुर की सेवा की तो पूछो मत बात

किटी पार्टी से आकर ही खुलेगी किचन बेचारी।

भूले से इसके मायके वालों को कुछ मत कहना

वरना घर में हो जाएगी महाभारत बहुत ही भारी।

चौन से जीना है गर तो समझ लो यह तुम बात

खामोशी से तुम कर लो चुपचाप अपनी यारी।।।

डंदरन ळनचजं

ूतपजमतउंदरन/हउंपसण्बवउ द्य डण् 9833960213

इश्क की बिजलियाँ हैं लडकियाँ

बेमिसाल हुस्न की मलिका होती हैं कमसिन लड़कियाँ

अपनी अलबेली अदाओं पर इतराती हैं लड़कियाँ

खुदा का कमाल ! कैसी नाजुक होती इनकी उँगलियाँ

लगती हैं ऐसी जैसी हों ताजी — ताजी ककड़ियां

छिड़के इत्र तो खुशबू के बोझ से दब जाती लड़कियाँ

खेल के मैदान में लगे जैसे गाढ़़ी हों बल्लियाँ

जब बतियाती हैं तो लगे हैं बेच रही हैं कचरियाँ

जब चले है तो गिराती नयनों से इश्क की बिजलियाँ

दिल की शमां जब जलती ष् मंजु ष् तब बहाती नाक लड़कियाँ

छेड़ के देखों इन्हें पानी में आग लगाती लड़कियां

च्पदाल छंंउ

चपदालदंंउ/हउंपसण्बवउ

बेटी की विदाई

आती है बड़ी किस्मत से ये घड़ियाँ विदाई की

खुशनसीबों को मिलती है ये लड़ियाँ विदाई की

बाबुल के अंगना की बुलबुल जायेगी परदेश

कैसे देख पाएंगी अखियाँ ये रतियाँ विदाई की

किसने बनाई ये रीत रिवायतें ह्रदयविदारक सी

कैसे समेट पायेगी बिटीया ये कलियां विदाई की

खुशियों का मेला लग रहा है हरसू आँगन में

माँ कैसे संभाले अश्को की बगिया विदाई की

महकती रहे बिटीया बाबुल की दुआ हर लम्हा

उपहार में फूलों से सजायेंगे गलियाँ विदाई की

छलक उठेंगे सब नैना जब डोली उठेगी तेरी

तू भी रोक नहीं पाएगी खुद गुड़िया विदाई की