उजाले की ओर –संस्मरण Pranava Bharti द्वारा सामाजिक कहानियां में हिंदी पीडीएफ

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उजाले की ओर –संस्मरण

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प्रिय मित्रो

स्नेहिल नमस्कार 

आज एक मज़ेदार सी कहानी सामने आई और उसे आप सबको शेयर कर रही हूँ। पढ़कर आनंद लीजिए व सोचिए। 

 

मैं ज़िंदा हूँ

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एक पार्टी में जहाँ कई मशहूर हस्तियाँ मौजूद थीं, एक बुज़ुर्ग सज्जन मंच पर छड़ी के सहारे आए और अपनी सीट पर बैठ गए।

 

होस्ट ने पूछा, “क्या आप अब भी डॉक्टर के पास अक्सर जाते हैं?”

 

बुज़ुर्ग बोले, “हाँ, मैं तो अक्सर जाता हूँ!”

 

होस्ट ने पूछा, “क्यों?”

 

बुज़ुर्ग मुस्कराकर बोले, “मरीज़ों को तो डॉक्टर के पास जाना चाहिए, तभी तो डॉक्टर ज़िंदा रहेगा!”

 

श्रोताओं ने  बुज़ुर्ग की हाज़िरजवाबी पर पूरा सभागार तालियों से गुंजायमान कर दिया ।

 

फिर होस्ट ने पूछा, “तो क्या आप फार्मासिस्ट के पास भी जाते हैं?”

 

बुज़ुर्ग बोले, “ज़रूर! क्योंकि फार्मासिस्ट को भी तो जीना है!”

 

अबकी बार और ज़्यादा तालियाँ बजीं।

 

होस्ट ने हँसते हुए पूछा, “तो फिर क्या आप फार्मासिस्ट की दी हुई दवा भी लेते हैं?”

 

बुज़ुर्ग बोले, “नहीं! दवाइयाँ तो अक्सर फेंक देता हूँ… मुझे भी तो जीना है!”

 

इस पर तो पूरा हॉल ठहाकों से गूंज उठा।

 

अंत में होस्ट ने कहा, “आपका धन्यवाद कि आप इस इंटरव्यू के लिए आए।”

 

बुज़ुर्ग बोले, “आपका स्वागत है! मुझे मालूम है, आपको भी तो जीना है!”

 

श्रोता इतने हँसे कि देर तक तालियाँ बजती रहीं।

 

फिर एक और सवाल हुआ, “क्या आप अपने व्हाट्सएप ग्रुप में भी एक्टिव रहते हैं?”

 

बुज़ुर्ग बोले, “हाँ, बीच-बीच में मैसेज भेजता रहता हूँ, ताकि सबको लगे कि मैं ज़िंदा हूँ! वरना सब समझेंगे कि मैं चला गया और ग्रुप एडमिन मुझे हटा देगा!”

 

कहते हैं ये चुटकुला दुनिया का सबसे मज़ेदार चुटकुला माना गया, क्योंकि सबको जीना है!

 

तो मेरे प्यारे दोस्तों, मुस्कुराते रहिए, संदेश भेजते रहिए, और अपनों से जुड़े रहिए!

 

लोगों को पता चलता रहना चाहिए कि हम  ज़िंदा हैं, खुश हैं, और तंदरुस्त हैं — शरीर से भी और मन से भी!

ज़िंदगी है… तो जिंदादिली भी होनी चाहिए!

ज़िंदगी जिंदादिली का नाम है 

मुर्दा दिल क्या ख़ाक जिया करते हैं। 

 

स्वस्थ व आनंदित रहिए।

आप सबकी मित्र 

डॉ प्रणव भारती