टूटे हुए दिलों का अस्पताल - 30 Mehul Pasaya द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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टूटे हुए दिलों का अस्पताल - 30

टूटे हुए दिलों का अस्पताल – एपिसोड 30 

पिछले एपिसोड में:
आदित्य, अर्जुन, सान्या और नव्या ने अस्पताल में छिपे गद्दार को पकड़ लिया, जो भावेश के लिए काम कर रहा था। लेकिन यह सिर्फ शुरुआत थी—भावेश का अगला वार पहले से ज्यादा खतरनाक होने वाला था।


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अस्पताल पर काला साया

रात के सन्नाटे में अस्पताल के गलियारे में हलचल थी। स्टाफ और मरीजों को अभी तक यह खबर नहीं थी कि अस्पताल के अंदर ही कोई दुश्मन था। लेकिन आदित्य और उसकी टीम जानते थे कि यह जंग इतनी जल्दी खत्म होने वाली नहीं थी।

अर्जुन ने गद्दार को घूरते हुए कहा, "अब बोल, भावेश ने तुझसे और क्या करने को कहा था?"

गद्दार डर गया। वह घबराई हुई आवाज़ में बोला, "अगर मैंने सब कुछ बता दिया, तो वो मुझे मार डालेगा!"

आदित्य ने सख्त लहजे में कहा, "अगर नहीं बताया, तो मैं तुझे पुलिस के हवाले कर दूँगा और तेरा बचना मुश्किल होगा!"

गद्दार ने कांपते हुए कहा, "ठीक है... मैं बताता हूँ..."


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भावेश का असली प्लान

"भावेश चाहता है कि अस्पताल बंद हो जाए!" गद्दार ने कहा।

"कैसे?" अर्जुन ने पूछा।

"उसने बड़े अधिकारियों को घूस देकर अस्पताल के खिलाफ एक फर्जी रिपोर्ट बनवाई है।"

"मतलब?" सान्या ने चौंककर कहा।

"मतलब कि अगले 24 घंटे में हेल्थ डिपार्टमेंट की टीम आएगी और अस्पताल को सील करने का नोटिस देगी!"

सबके होश उड़ गए।

"ये तो बहुत बड़ा प्लान है!" डॉक्टर नव्या बोली।

"हमें कुछ करना होगा," आदित्य ने गंभीर आवाज़ में कहा।


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रात का तूफान

अभी वे सब प्लान बना ही रहे थे कि अचानक एक नर्स भागती हुई आई।

"सर! बाहर कुछ गुंडे खड़े हैं!"

आदित्य और अर्जुन तुरंत बाहर गए।

अस्पताल के गेट के सामने भावेश के गुंडे खड़े थे—हथियारों से लैस!

"अगर अस्पताल बंद नहीं हुआ, तो हम इसे जबरदस्ती बंद कर देंगे!" एक गुंडे ने चिल्लाया।

अर्जुन ने गुस्से से कहा, "पहले अपनी हिम्मत तो दिखाओ!"

और अचानक, एक गोली चली!

सब चौंक गए।

गोली सीधे अस्पताल के बोर्ड पर जा लगी।

अब यह जंग शब्दों की नहीं रही थी—यह अब खुली लड़ाई थी!


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आखिरी पलायन या अंतिम वार?

अस्पताल के अंदर डर का माहौल था। मरीजों को कहीं और शिफ्ट करना आसान नहीं था।

"हमें पुलिस बुलानी होगी!" सान्या ने कहा।

"नहीं," आदित्य ने मना कर दिया। "अगर हमने पुलिस बुलाई, तो इससे अस्पताल की छवि और खराब होगी। हमें अपने तरीके से इस समस्या को हल करना होगा!"

लेकिन भावेश इतनी आसानी से हार मानने वालों में से नहीं था।

अचानक, अस्पताल की बिजली कट गई!

हर तरफ अंधेरा छा गया!

डॉक्टर नव्या चिल्लाई, "आईसीयू में मरीजों के लिए यह बहुत खतरनाक हो सकता है!"

सब भागकर आईसीयू की तरफ गए, जहाँ लाइफ सपोर्ट सिस्टम बैकअप पर चल रहा था। लेकिन समय कम था।

"हमें जल्द से जल्द बिजली बहाल करनी होगी!" अर्जुन ने कहा।

"मैं देखता हूँ!" आदित्य ने कहा और नीचे जेनरेटर रूम की तरफ भागा।


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टाइम खत्म हो रहा था...

जेनरेटर रूम में एक परछाई खड़ी थी।

"कौन है वहाँ?" आदित्य ने आवाज़ दी।

कोई जवाब नहीं आया।

"मैं जानता हूँ, तुम कोई भी हो, बाहर आ जाओ!"

अचानक, कोई तेजी से भागा और आदित्य ने उसका हाथ पकड़ लिया।

"भावेश का आदमी!"

आदित्य ने बिना समय गँवाए उसे ज़मीन पर गिरा दिया और एक जोरदार मुक्का मारा।

"बिजली क्यों काटी?"

"ताकि मरीज मर जाएँ और अस्पताल बदनाम हो जाए!"

"अब देख, असली खेल कैसे होता है!"

आदित्य ने तेजी से जेनरेटर स्टार्ट किया और कुछ ही सेकंड में अस्पताल फिर से रोशनी से भर गया!


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भावेश को आखिरी चुनौती

भावेश को खबर मिल चुकी थी कि आदित्य ने उसकी चाल नाकाम कर दी थी।

"अब बहुत हुआ!" भावेश चिल्लाया।

"अब मैं खुद खेल खत्म करूँगा!"

क्या भावेश खुद आएगा अस्पताल को तबाह करने?
क्या आदित्य इस आखिरी चुनौती के लिए तैयार होगा?

जाने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड!