टूटे हुए दिलों का अस्पताल - 29 Mehul Pasaya द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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टूटे हुए दिलों का अस्पताल - 29

टूटे हुए दिलों का अस्पताल – एपिसोड 29 

पिछले एपिसोड में:
भावेश के गुंडों ने अस्पताल पर हमला किया, लेकिन आदित्य, अर्जुन और टीम ने बहादुरी से मुकाबला किया। पुलिस आई, पर भावेश भाग निकला। अब आदित्य को एहसास हो चुका था कि यह जंग सिर्फ अस्पताल की नहीं, बल्कि उसके अपने लोगों की सुरक्षा की भी थी।


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खामोशी के पीछे का तूफान

अस्पताल में माहौल सामान्य करने की कोशिश की जा रही थी, लेकिन हर किसी के मन में डर बैठा हुआ था। मरीजों को कुछ नहीं पता था, लेकिन स्टाफ के हर सदस्य की आँखों में चिंता झलक रही थी।

डॉक्टर नव्या मरीजों की देखभाल कर रही थी, अर्जुन स्टाफ को हौसला देने में जुटा था, और सान्या गहराई से सोच में डूबी थी। लेकिन आदित्य...

आदित्य अपने केबिन में बैठा था।

उसकी नज़रें लगातार अपने फोन पर टिकी हुई थीं। वह किसी कॉल का इंतजार कर रहा था—शायद पुलिस से, शायद किसी गुप्त सूचना से, या फिर भावेश की किसी नई धमकी का।

तभी... फोन बजा।

"हैलो?"

दूसरी तरफ से एक भारी आवाज़ आई—"अगर अपनी टीम की ज़िंदगी चाहते हो, तो अस्पताल छोड़ दो!"

आदित्य की आँखों में गुस्से की लपटें उठीं।

"कौन हो तुम?"

"हम वही हैं जो तुम्हें तबाह करने वाले हैं।"

फोन कट गया।

आदित्य ने मुट्ठी भींच ली। अब उसे यकीन हो गया था कि यह लड़ाई सिर्फ अस्पताल को बचाने की नहीं, बल्कि अपने लोगों की रक्षा करने की भी थी।


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अस्पताल में गद्दार

"इसका मतलब, कोई हमें अंदर से धोखा दे रहा है!" अर्जुन ने कहा।

सान्या ने सहमति जताई, "हमें हमारी हर हरकत की खबर पहले से लग जाती है। इसका मतलब कोई अपना ही भावेश को सूचनाएँ दे रहा है।"

"पर कौन?" आदित्य ने गहरी सोच में पड़ते हुए कहा।

डॉक्टर नव्या ने चिंतित स्वर में कहा, "हमें ध्यान से देखना होगा कि किस पर भरोसा किया जाए और किस पर नहीं।"

अर्जुन ने स्टाफ की लिस्ट तैयार की—हर किसी की गतिविधियों पर नजर रखी जाएगी।

"आज रात से ही निगरानी शुरू करते हैं," आदित्य ने फैसला लिया।


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भावेश की नई चाल

उधर भावेश अपने अड्डे पर बैठा था। उसके सामने कुछ नक्शे बिछे थे—अस्पताल का पूरा प्लान!

"अब हमें सिर्फ हमला नहीं करना है, बल्कि आदित्य की पूरी इज्जत मिट्टी में मिलानी है," उसने कहा।

"कैसे?" विक्रम ने पूछा।

भावेश ने हँसते हुए एक वीडियो कॉल किया।

"तैयार हो जाओ।"

स्क्रीन पर एक चेहरा उभरा— अस्पताल का ही कोई आदमी!

"तो तुम तैयार हो?" भावेश ने पूछा।

"हाँ... मैं अपना काम कर दूँगा," उस व्यक्ति ने जवाब दिया।


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पहला वार

सुबह होते ही अस्पताल में हड़कंप मच गया!

डॉक्टर नव्या की कार के ब्रेक फेल कर दिए गए!

सान्या के घर में आग लगाने की कोशिश हुई!

अर्जुन पर नकाबपोश गुंडों ने हमला कर दिया!


पर तीनों किसी तरह बच गए।

"अब बहुत हो गया!" आदित्य गरजा। "अब मैं हमला करूँगा!"


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रात का प्लान

आदित्य, अर्जुन, सान्या और नव्या ने मिलकर एक प्लान बनाया—गद्दार को पकड़ने का।

"आज रात हम अस्पताल में रहेंगे," अर्जुन ने कहा।

"कोई न कोई ज़रूर भावेश से मिलने जाएगा। बस हमें वही पकड़ना है," आदित्य ने कहा।

रात गहरी हो गई...

अस्पताल शांत था...

और तभी, एक परछाई चुपचाप बाहर निकलने लगी।

"वही है!" आदित्य ने इशारा किया।

सबने पीछा किया...

पर जब उन्होंने चेहरा देखा तो सबके होश उड़ गए!

गद्दार कोई और नहीं, बल्कि अस्पताल का ही एक पुराना स्टाफ मेंबर था!

"तुम...!" अर्जुन चौंक गया।

"हाँ, मैं ही हूँ," उस व्यक्ति ने कहा।

"पर तुमने ऐसा क्यों किया?" सान्या ने पूछा।

"मुझे पैसे चाहिए थे... और भावेश ने वो मुझे दिए," उसने सिर झुकाते हुए कहा।

"तुम्हें नहीं पता कि तुमने क्या किया है," आदित्य ने गुस्से में कहा।

"मुझे पछतावा है... पर अब बहुत देर हो चुकी है।"


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क्या यह सिर्फ एक चाल थी?

आदित्य और उसकी टीम ने गद्दार को पकड़ लिया था, लेकिन क्या भावेश इतना आसान खेल खेलेगा?

"मुझे लगता है कि यह सिर्फ एक चाल थी," अर्जुन ने कहा।

"हो सकता है," आदित्य ने कहा। "हमें अगले कदम के लिए तैयार रहना होगा।"

पर उन्हें अंदाज़ा भी नहीं था कि भावेश का अगला वार उनसे एक कदम आगे होने वाला था!

क्या आदित्य समय रहते इस नए खतरे को भाँप पाएगा?
क्या अस्पताल सुरक्षित रहेगा?

जाने के लिए पढ़िए अगला एपिसोड!