टूटे हुए दिलों का अस्पताल - 28 Mehul Pasaya द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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टूटे हुए दिलों का अस्पताल - 28

टूटे हुए दिलों का अस्पताल – एपिसोड 28 

पिछले एपिसोड में:
सान्या ने आखिरकार सच उगल दिया कि भावेश इस अस्पताल को नीलाम करवाना चाहता है और उसने ही पूरी साजिश रची थी। अब सवाल ये था कि आदित्य उसे कैसे रोकेगा? और क्या भावेश इतनी आसानी से हार मान लेगा?


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भावेश की धमकी

अस्पताल में हलचल मची हुई थी। आदित्य ने पुलिस को बुला लिया था, लेकिन तभी भावेश का फोन आया।

"बहुत बहादुर बन रहा है तू, आदित्य!" फोन के दूसरी तरफ भावेश की कड़कती आवाज थी।

"अब सच सामने आ चुका है, भावेश। तेरा खेल खत्म!"

"खेल अभी खत्म नहीं हुआ, दोस्त!" भावेश ने ठहाका लगाया। "सान्या ने मेरे खिलाफ गवाही देने की गलती कर दी है। अब देखता हूँ कि वो कब तक जिंदा रहती है!"

आदित्य का खून खौल उठा।

"अगर तूने सान्या को हाथ भी लगाया, तो मैं तुझे खुद मार डालूँगा!"

"तो बचा ले उसे, अगर बचा सकता है तो!" और फोन कट गया।


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अस्पताल में हमला!

आदित्य कुछ समझ पाता, इससे पहले अस्पताल की लाइट्स अचानक बंद हो गईं। पूरा अस्पताल अंधेरे में डूब गया। मरीजों की घबराई हुई आवाजें आने लगीं।

"क्या हो रहा है?" डॉक्टर नव्या ने पूछा।

"मुझे लगता है, भावेश ने हमला करवा दिया है!" आदित्य ने कहा।

तभी कुछ नकाबपोश लोग अस्पताल के अंदर घुस आए। उनके हाथों में हथियार थे।

"सान्या कहाँ है?" उनमें से एक ने गरजते हुए पूछा।

"उसे छोड़ दो!" आदित्य ने कहा।

"अगर हमें सान्या नहीं मिली, तो पूरा अस्पताल जलाकर राख कर देंगे!"


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संघर्ष शुरू!

अब कोई रास्ता नहीं था। आदित्य ने फैसला कर लिया कि वो इन्हें रोक कर रहेगा।

"तुम लोग अस्पताल से बाहर निकल जाओ!" उसने मरीजों और स्टाफ से कहा।

लेकिन तभी एक नकाबपोश ने गोली चला दी!

धायं!!

गोली सीधे डॉक्टर सुदर्शन के पैर में लगी और वह दर्द से कराह उठे।

"अब बहुत हो गया!" आदित्य ने गुस्से से कहा।

उसने सबसे पास पड़ी लोहे की छड़ उठाई और उन गुंडों पर टूट पड़ा।


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आदित्य बनाम गुंडे

पहले ही वार में उसने एक गुंडे को बेहोश कर दिया। लेकिन बाकी अब भी खड़े थे।

संघर्ष शुरू हो गया!

एक गुंडे ने आदित्य पर छुरा चलाने की कोशिश की, लेकिन वह फुर्ती से झुक गया और उसे एक घूंसा जड़ दिया।

नव्या ने मौका देखकर फायर अलार्म बजा दिया।

पुलिस को पहले ही सूचना मिल चुकी थी, और वे रास्ते में थे।


गुंडे अब घबरा चुके थे। लेकिन उनका एक आदमी सान्या को खोजने निकल पड़ा।


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सान्या का अपहरण?

सान्या ऑपरेशन थिएटर के अंदर छुपी थी। लेकिन जैसे ही वह बाहर निकली, एक नकाबपोश ने उसे पकड़ लिया।

"चिल्लाई तो गोली मार दूँगा!" उसने दाँत पीसकर कहा।

सान्या का गला सूख गया। उसे समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे।

तभी पीछे से किसी ने उस गुंडे पर हमला किया!

"तू मेरी बहन को हाथ लगाएगा?!"

यह अर्जुन था—सान्या का भाई!


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भावेश की गिरफ्तारी?

अर्जुन ने गुंडे को धक्का देकर सान्या को बचा लिया। लेकिन अब खतरा टला नहीं था।

उधर, आदित्य ने बाकी गुंडों को काबू कर लिया था। तभी पुलिस वहाँ आ गई।

"सबको पकड़ लो!" इंस्पेक्टर ने आदेश दिया।

"भावेश को भी गिरफ्तार करना होगा!" आदित्य ने कहा।

लेकिन इंस्पेक्टर ने सिर हिलाया।

"भावेश शहर छोड़कर भाग चुका है!"


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क्या अब भी खतरा टला नहीं?

आदित्य समझ गया कि यह जंग इतनी जल्दी खत्म नहीं होगी। भावेश वापस आएगा—शायद और भी खतरनाक तरीके से।

लेकिन इस बार, आदित्य भी तैयार रहेगा।

क्या भावेश कोई नया खेल खेलेगा? क्या अस्पताल अब सुरक्षित है?

पढ़िए अगले एपिसोड में!