सवालो को जरा थामो, जवाबो मे दरारे है
सभी कुछ खुदरा सा है छलनी एहसास सारे है
ना दिल की धड़कने सुनने की है दरकार किसी को
हमारा दिल है तन्हा और तन्हा सब सितारे है
सभी का साथ हाथो से है छूटा रेत की तरह
हमारे बाग को तो लूट लेती बहारे है
नही है रास आता मुस्कुराना खुलकर अब हमे
हमारी आँखो को चुभने लगे सारे नजारे है ..!!
ख़ूबसूरत एक ख़्याल लिखती हूँ
फिर तेरा हाल चाल लिखती हूँ
सब अगर सच ही कह दिया तो
फिर, सब कहेंगे बवाल लिखती हूँ
तंज़ करती नहीं किसी पे मैं
सिर्फ़ अपना मलाल लिखती हूँ
लोग तारीफ़ मेरी झूठ करते हैं
या फ़िर मैं सचमुच कमाल लिखती हूँ..!!
दोस्ती भी जरूरी है दुनिया की भीड़ में
बिखरने पर संभालने मेहबूब नहीं आया करते
जिंदगी की अनजानी_सी राहों में
कुछ ऐसे अजनबी भी मिल जातेहै
जो_वक्त के साथ हमारी जिंदगी का
बेहद ज़रूरी हिस्सा बन जाते है
ना_रहते हैं वो सिर्फ़ दोस्त.
बल्कि हमारा परिवार बन
निभाते है हर कदम पर साथ हमारा
हमारे साथ हँसते मुस्कुराते है
दोस्ती भी जरूरी है दुनिया की भीड़ में
बिखरने पर संभालने मेहबूब नहीं आया करते..!!
मन की उदासी को हमने, मन मे ही दबा लिया है
चेहरे पर सजा कर मुस्कुराहटे दर्द अपना छुपा लिया है
नही कहते किसी से कुछ हम लबो पर ताला लगा लिया है
मिलता है सुकून अब अकेलेपन मे
खामोशियो से ऐसा रिश्ता बना लिया है..!!
ये अश्क आंखों में छुपा लो कभी
बेवजह ही सही मुस्कुरा लो कभी
संवार कर ये जुल्फें बिखरी हुई
फूल एक जूड़े में सजा लो कभी
लगे जिंदगी ये जब भी बोझिल सी
खुशी का नगमा गुनगुना लो कभी
चुरा के लम्हे कुछ वक्त से रख लो
साथ अपने भी वक्त बिता लो कभी
भूलकर शिकवे गिले सब अपनों से
मान जाओ कभी और मना लो कभी..!!
एक उम्र गंवाई है हमने भी मनमानी के लिए
बचपन जल्दी बिताया; इस जवानी के लिए
कैसे कह दें ; कि कोई जुर्म ही नहीं है हमारा
हम गुनेहगार हैं; अपनी हर नादानी के लिए
वैसे तो हर रिश्ते में बस ज़ख्म ही मिला हमें
तुम्हारा ज़ख्म नासूर बनाया निशानी के लिए
वो नहीं हैं; उससे जुड़ी यादें हैं मेरी कसूरवार
मेरे अश्कों के बहते दरिया की रवानी के लिए
अच्छे बुरे का फैसला तुम जानो; मैं लिख दूंगा
फिर कोई किरदार मिल जाए कहानी के लिए ..!!
कुछ दबी हुई ख़्वाहिशें है कुछ मंद मुस्कुराहटें है
कुछ खोए हुए सपने है कुछ अनसुनी आहटें है
कुछ दर्द भरे लम्हे है कुछ सुकून भरे लम्हात हैं
कुछ थमें हुए तूफ़ाँ हैं. कुछ मद्धम सी बरसाते है
कुछ अनकहे अल्फ़ाज़ हैं कुछ नासमझ इशारे हैं
कुछ ऐसे मंझधार हैं. जिनके मिलते नहीं किनारे हैं
कुछ उलझनें है राहों में, कुछ कोशिशें बेहिसाब है
इसी का नाम ज़िन्दगी है.बस चलते रही ये जनाब....!!
क्या खूब कहा है
आधा लिखा और आधा छोड़ दिया
यूँ समझो हाल ऐ दिल बताना छोड़ दिया
जब देखा नेकी को दरिया में बहते
फिर हमने पुण्य कमाना छोड़ दिया
जनवरी झूठा प्रण, दिसंबर कड़वा सत्य
तो हमने जनवरी को बुलाना छोड़ दिया
अब किसी बात पे हम उनसे रुठते नही
जब से उसने हमको मनाना छोड़ दिया
जिंदगी जब तक हैं थोड़ी तो कद्र करो
फिर न कहना आना जाना छोड़ दिया
लो फिर वही बात कर दी
तुमने हँसना और हंसाना छोड़ दिया...!!