प्यार तो होना ही था - 4 Rakesh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्यार तो होना ही था - 4

मिश्रा  जी : नही बेटा .... मैं नहीं चाहता हूं कोई मजबूरी में खुद को पा कर शादी का फैसला ले ।
कल हॉस्टल चली जायेगी ।

तब तक रूचि  अमित  के लिए स्पेशल चाय लेकर आ जाती है ।।।

अमित  अपने फोन के तरफ देख रहा था ....

रूचि  : अब मेरे हाथ की चाय पीने के बाद , तुम क्या तुम्हारा भूत भी मुझसे शादी करने के बारे में सोचने से डरेगा मन ही मन मुस्कुराते हुए बोली ।


अमित  रूचि  की आहट को महसूस कर चुका था कि वो चाय लेकर आ गई है .....
लेकिन पता नहीं क्यों अपनी पलकें उठा कर उसकी ओर देखने का हिम्मत जुटा नही पा रहा था।
ऐसा उसके साथ पहली बार हो रहा था । वो खुद भी समझ नहीं पा रहा था आखिर मैं रूचि  को देखने की हिम्मत जुटा क्यों नहीं पा रहा है ? मिश्रा  जी से रूचि  की तारीफ कई बार सुन चुका था , इसीलिए उसे देखने की चाहत दिल में उमड़ रही थी।


रूचि  अमित  के पास आई और थोड़ा सा झुक कर चाय से भरा कप अमित  की ओर बढ़ाते हुए " जी लिजिए आपकी चाय ... हल्की जबरदस्ती मुस्कान के साथ मुस्कुराती हुई बोली ।
तो अमित  न चाहते हुए भी उसे हिम्मत कर के रूचि  के तरफ देखा तो उसकी नजरे रूचि  पर ठहर गई ।

रूचि  : चाय का ट्रे लिए हुए " देख तो ऐसे रहा है जैसे आज तक किसी लड़की को देखा ही नहीं है । बेटा चाय पी लो पहले फिर अंदाजा मिल जायेगा मैं कोई शरीफ लड़की नही हूं खुद से बड़बड़ाई। "
" भोले बाबा की कसम तुम तो सपने में भी शादी के नाम से डरोगे अगर अपना फैसला नही बदला चाय पीने के बाद। "


मिश्रा  जी : बेटा अमित  चाय का कप तो उठाओ ट्रे से .... तो अमित  होश में आया ।

अमित  : चाय का कप उठाते हुए , रूचि  से नजरे चुरा लिया ।।।

रूचि  : कुछ दूर जाकर खड़ी हो जाती है । ये तो मिश्रा ता भी है अपना मुंह बनाते हुए बोली ।

अमित  पहला लड़का नही था जो रूचि  को देखकर उसकी खूबसूरती में खो जाए ।
ऐसा होना लाजमी भी था इतनी खूबसूरत हमारी रूचि  थी भी तो ......
रंग गेहुंआ .... बड़ी बड़ी भूरी चमक वाली आंखें और उनमें हल्की सी काजल , कंधे से नीचे आ रहे काले घने बाल जो इस वक्त खुले पड़े थे ।
गुलाब की पंखुड़ियों की भांति उसकी गुलाबी होंठ .... गोलाई शेप वाली चेहरे को आकर्षक लुक दे रहा था ।
दिखने में तो मासूम थी लेकिन कोई उसके सामने गलत व्यक्ति का साथ दे या कोई गलत काम करें उसका विरोध करने में बिल्कुल भी चुप रहने वाले में से नही थी ।
गलत चीजों का साथ भी क्यों दे ? उसका सपना भी था सिविल सर्विस में जाना ।बिहार लोक सेवा आयोग या संघ लोक सेवा आयोग exam की तैयारी gradution के बाद करना ।


अभी मुंगेर के ही एक यूनिवर्सिटी से रूचि  हिस्ट्री ऑनर्स से स्नातक कर रही है जो वर्तमान में 3rd year में पढ़ रही है ।
कॉलेज का सेशन कुछ ही दिनों में समाप्त होने वाला था ।
उसके बाद फाइनल exam आने वाला था ।

रूचि  शादी करने से पहले वो अपने पैर पर खड़ा होना चाहती थी इसलिए वो शादी के नाम से ही चिढ़ जाती थी ।
अभी उसकी उम्र भी तो नहीं हुई थी जो पापा के कहने पर शादी के बंधन में बंध जाए । लेकिन अगले महीने में उसका जन्म दिन आने वाला था उस दिन वो 20 वर्ष की होने वाली थी ।


लेकिन मिश्रा  जी की भी मजबूरी थी , उनका कैंसर फोर्थ स्टेज में पहुंच चुका था । उनके जाने के बाद रूचि  का ख्याल कौन रखेगा यह सोच कर उनकी आंखे भर जाती थी । मरने से पहले वो किसी अच्छे लड़के से जो सरकारी नौकरी में कार्यरत हो करवा देना चाहते थे ताकि अपनी जिंदगी खुशी से गुजार सके ।

लेकिन रूचि  इस बात से अंजान थी आखिर उसके पापा जो कल तक मुझे आगे बढ़ने के लिए प्रोत्शाहित करते थे आज अचानक मेरी शादी की बात क्यों कर रहे हैं ???
रूचि  लोगों की मदद और अपने पापा के द्वारा दिखाए सपने को पूरा करना चाहती थी ।
लेकिन मिश्रा  जी और रूचि  दोनो में से किसी को नहीं पता था जिंदगी ऐसे मंजर भी दिखाएगी ।
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अमित  चाय लिए सोच रहा था ... चाय इतनी गर्म है कैसे पिएं ? मुझे तो गर्म चाय पीने की आदत भी नहीं है ।
ऑफिस में काम के दौरान अक्सर चाय टेबल पर रखी रखी गर्म से ठंडी ही हो जाती है ।
अगर रूचि  के सामने गर्म चाय नही पिया तो क्या सोचेगी ??

तब तक मिश्रा  जी टोक ही देते हैं " क्या हुआ बेटा तुम चाय क्यों नहीं पी रहे हो ?

अमित  : जी .. जी .. जी वो .. वो अंकल बस पी ही रहा हूं ... ।


रूचि  : कही चाय ज्यादा गर्म तो नहीं है तंज कसते हुए बोली ।

अमित  : बिना रूचि  के तरफ देखे ... जी नहीं ! ज्यादा
गर्म नही है । कहते है कप को अपने होठों के बीच दबा लिया .... ।।

रूचि  दूर खड़ी मन ही मन मुस्कुरा रही थी ।।।

अमित  : चाय का एक घूंट पीते ही जोर जोर से खांसने लगता है ," मौका का फायदा उठाकर क्या हुआ चाय अच्छी नहीं है या चीनी की जगह कुछ और मिला है अपनी हंसी को दबाते हुए रूचि  बोली । "