रूचि .. रूचि ... मेरी बात तो सुनो बेटा , मैं तुम्हारे भले के लिए ही सोच रहा हूं।
तुम घर छोड़ कर मत जाओ , एक बार अपने पापा के कहने पर उस लड़के से मिल कर तो देखो ।
नही पापा .... मैं आज नही रुकने वाली , चाहे आज तूफान ही न क्यों आ जाए रूचि बिना दूसरी ओर पलटे जवाब देती है।।
बेटा प्लीज रुक जाओ देखो बाहर कितना मौसम खराब है लगता है बारिश भी आने वाली है ।
मेरे खातिर रुक जाओ ।।।
अपना बैग लिए आगे बढ़ती जा रही थी जो कपड़ों और कुछ जरूरत के सामानों से भरे पड़े थे ।
मैं जानती आप मेरी शादी की बात करने के लिए हॉस्टल से बुला रहे हैं तो कल घर आती ही नहीं ।।
अनिल मिश्रा : शाम ढल चुकी है बेटा और अंधेरा छा गया है । ऐसे में तुम अकेले हॉस्टल कैसे जाओगी बाहर ऑटो भी नहीं मिलेंगे ? अपनी बेटी को बहला फुसलाकर कैसे भी रोकने की कोशिश कर रहे थे ।
लेकिन रूचि उनकी बात कहां सुनने वाली थी ? खुद को संभालते हुए आगे बढ़ती जा रही थी।
रूचि ..... तेज आवाज के साथ बोले और नीचे धराम से
अनिल मिश्रा गिर पड़े ।
गिरने के आवाज मिलते ही रूचि अपना बैग छोड़ दरवाजे से पापा.... पापा चीखते हुए दौड़ कर आई ।
पास आने के बाद अपने घुटनों के बल बैठ जाती है और उन्हें उठाने की कोशिश करती है जो गिरने से बेहोश हो चुके थे ।
रूचि के उठाने पर अनिल मिश्रा नही उठते हैं तो वो परेशान हो जाती है ।
आस पास पापा का फोन ढूंढती है ताकि डॉक्टर सुशांत खुराना को कॉल कर सके।
आखिरकार ढूंढने के बाद फोन मिश्रा जी के shirt के पॉकेट में ही मिलता है ।
रूचि परेशान थी मगर खुद को संभालते हुए डॉक्टर को फोन की " कॉल रिसीव होने के बाद अंकल.... डॉक्टर अंकल ...आप जल्द से जल्द मेरे घर आ जाइए । मेरे पापा अचानक गिरने के बाद बेहोश हो चुके हैं।
फिर रूचि फोन को कट कर देती है और रोते हुए अपने पापा को उठाने की कोशिश करती है ।
लेकिन मिश्रा जी उठने वाले कहां थे !!!
डॉक्टर सुशांत खुराना के घर आने के बाद
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बेटा कहां है मिश्रा जी ? घर के अंदर आते ही बोल पड़े ।
रूचि रोते हुए पापा के पास ले गई जो अब अपने कमरे के bed पर बेहोश पड़े थे ।
रूचि जैसे तैसे मिश्रा जी को पड़ोसी जतन जी के सहायता से उनके कमरे में लेटा दी थी ।
जतन जी रूचि के घर न होने पर वो अकसर आया जाया करते थे।
कही बाहर से आते हुए जतन जी मिश्रा जी के घर के पास से गुजर रहे थे , रूचि के आवाज मिलने पर वो झटके में अंदर आ गए थे यह देखने सब खैरियत तो है न ।।।।
डॉक्टर सुशांत खुराना के चेक अप करते हैं , इंजेक्शन लगाने के बाद मिश्रा जी को होश आया करीब 10 से 15 मिनट के बाद !!!
मिश्रा जी के होश आने के बाद ......
डॉक्टर सुशांत खुराना: मिश्रा जी , आपको कितनी बार समझाया है अब आप अपनी बेटी को अपनी बीमारी के बारे में बता दीजिए । उससे आप आखिर कब तक छुपाएंगे। कही ऐसा न हो बहुत देर हो जाए ।।
आपका कैंसर अब फोर्थ स्टेज में पहुंच चुका है ।
मिश्रा जी : जानता हूं डॉक्टर लेकिन मैं अपनी बेटी को तकलीफ में जीते जी नही देख सकता हूं । बहुत छोटी थी जब उसकी मां गुजर गई । मेरे पास जितने भी वक्त बचा है मैं अपनी बेटी को हंसता और मुस्कुराता हुआ देखना चाहता हूं ।
डॉक्टर सुशांत खुराना: आप मत भूलिए ... आपको कभी भी कुछ भी हो सकता है। मेरी मानो आप तो रूचि को सब कुछ बता दीजिए ।
मिश्रा : डॉक्टर आप मुझसे वादा कीजिए , अगर मुझे कुछ हो गया तो मेरी बेटी का किसी अच्छे लड़के से शादी करवा दीजिएगा । और अपनी बेटी के तरह ही रूचि को अपना लीजिएगा ।
मेरे जाने के बाद रूचि बहुत अकेली हो जायेगी , आप तो उसके मौसा जी है ।
मैं तो चाहता था मेरी आंखों के सामने अपनी बेटी को दुल्हन का जोड़ा पहनते हुए देखूं .... लेकिन शायद ऊपर वाले को यह मंजूर नहीं है ।
रूचि अभी शादी करना नहीं चाहती है इसीलिए मैं कोई जोड़ जबरदस्ती करना नहीं चाहता हूं ।
डॉक्टर को आभास हुआ कोई उनकी और मिश्रा जी की बातें सुन रहा है तो उन्होंने कहा " कौन है ? कौन है वहां पर्दे के पीछे दरवाजे के तरफ देखते हुए बोले ।