प्यार तो होना ही था - 3 Rakesh द्वारा प्रेम कथाएँ में हिंदी पीडीएफ

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प्यार तो होना ही था - 3

रूचि  किचेन के तरफ बढ़ जाती है मिश्रा  जी के लिए जूस जो लेना था । फिर उसके दिमाग में एक बात आया , कही ये वही तो लड़का नहीं है जिससे पापा मुझसे मिलवाने वाले थे ।
बेटा आज तो तुम गए .....

आज तुम्हारे मुंह के साथ तुम्हारे शर्ट को भी चाय/कॉफी पिलाऊंगी हल्की मुस्कान के साथ खुद से बड़बड़ाई ।

मिश्रा  जी के कमरे में
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अमित  : मिश्रा  जी का हाथ अपने हाथ में लेते हुए , " अंकल अब आपकी तबीयत कैसी है ?

मिश्रा  जी : बेटा जी मैं तो बिल्कुल ठीक हूं मायूसी के साथ बोले ।


अमित  : आपको कौन सी बात परेशान कर रही है अंकल ? आप मुझसे कहिए । आपको मैं बहुत पहले से जानता हूं । आपने मेरे बुरे वक्त में हमेशा एक पिता के तरह संभाला है और साथ दिया है । पापा के जाने के बाद आपने उनकी कमी महसूस होने नही दिया है ।

मिश्रा  जी को लग रहा था अमित  ने डॉक्टर  खुराना और मेरी बात तो नही सुन लिया है मन ही मन सोच रहे थे ।
तभी अमित  बोल पड़ता है " अंकल आपको अपनी बीमारी के बारे में रूचि  को बता देना चाहिए । "


मिश्रा  जी : कौन सी बीमारी बेटा आश्चर्य से बोल कर बात को बदलने की कोशिश कर रहे थे ।

अमित  : अंकल आप बात बदलने की कोशिश मत कीजिए मैने सुन लिया है डॉक्टर  और आपकी सारी बातें ।
मैं भी डॉक्टर  की बातो से सहमत हूं आपको सब रूचि  को बता देना चाहिए ।

मिश्रा  जी : अमित  बेटा तुम मुझसे वादा करो रूचि  से कुछ नहीं कहोगे । मैं नहीं चाहता हूं मुझे लेकर रूचि  के आंखों में आंसू आए अपना हाथ अमित  के तरफ बढ़ाते हुए मिश्रा  जी कहते हैं ।


उस वक्त मिश्रा  जी के आंखों में रूचि  को लेकर जो फिक्र थी अमित  महसूस करता और देखता है ।
फिर बिना सोचे अमित  वादा करता है " अंकल मैं रूचि  को कुछ नहीं बताऊंगा । "

रूचि  पर्दे के पीछे से " अच्छा बच्चू पापा से तुम यह वादा कर रहे हो , मुझे यह पता न चले की तुम वही लड़का हो जिससे पापा मुझे मिलवाने वाले थे । "

अभी बताती हूं " रूचि  तूफान है उसे हर कोई नही संभाल सकता है कुछ सोचते हुए बोली । "


रूचि  अंदर आती है बिना अमित  के तरफ देखते हुए मिश्रा  जी के तरफ जूस लेकर बढ़ जाती है ।

पापा जूस .... रूचि  जूस का ग्लास बढ़ाते हुए बोली ।

रूचि  बेटा , अमित  के लिए चाय या कॉफी लाओ ।
रूचि  को मिश्रा  जी बहाना बना कर भेजते हैं ताकि अमित  से उनकी बात हो सके जिसके लिए उन्होंने बुलाया था ।


जी पापा कहकर रूचि  चली जाती है ।
अमित  रूचि  को देखने की हिम्मत जुटा कर अपनी नजरे उसकी ओर किया तब तक रूचि  जा चुकी थी ।

" मेरा दिल इतना बेचैन क्यों हो रहा है ? अमित  सोच रहा था । "

तभी मिश्रा  जी : मैं तो बातों बातों में भूल ही गया बेटा मैंने तुम्हे यहां क्यों बुलाया है ?

अमित  : सोचते हुए " कहिए न अंकल आप क्यों बुलाए थे ? "
मेरे दिमाग से भी निकल गया था कि पूछूं आप यहां क्यों बुलाए थे ??


दूसरी तरफ रूचि  किचेन में " मेरी बर्बादी को दावत लेकर आए हो और मैं तुम्हे चाय मीठी पिलाऊंगी , ऐसा तो मेरी भूत भी न करे । "
मैं तो फिर भी अभी जिंदा हूं और मेरा नाम रूचि  मिश्रा  है । फिर मुस्कुराते हुए चाय में चीनी की जगह नमक भर भर कर एक कप चाय में 10 चम्मच नमक डाल देती हैं ।

मिश्रा  जी : जैसा कि तुम सारी बातें सुन चुके हो और यह भी जान चुके हों मेरा कैंसर अब फोर्थ स्टेज में पहुंच चुका है। इसीलिए मैं चाहता हूं मेरे आंखों के सामने मेरी बेटी रूचि  की शादी हो जाए , लेकिन वो शादी के लिए नही मान रही है ।


बेटा क्या तुम मेरी मदद कर सकते हो ? एक अच्छा लड़का ढूंढने में और शादी के लिए उसे मानने में ।
मेरी आखिरी इच्छा समझ कर तुम पूरी कर दो ।

अमित  : अंकल , मुझसे जितना हो पाएगा मैं करने की कोशिश करूंगा । आप चिंता मत कीजिए रूचि  की शादी जरूर होगी । लेकिन अंकल आपको उससे पहले अपने कैंसर के बारे में बता देना चाहिए ।

मिश्रा  जी : नही बेटा .... मैं नहीं चाहता हूं कोई मजबूरी में खुद को पा कर शादी का फैसला ले ।
कल हॉस्टल चली जायेगी ।


तब तक रूचि  अमित  के लिए स्पेशल चाय लेकर आ जाती है ।।।