विराट ने श्लोक को किसी काम के बारे में पूछा तो श्लोक ने बहुत ही कॉन्फिडेंस के साथ लहराते हुए जवाब देते देख विराट सर्द आवाज में
"हां देख रहा हूं पूरे 15 दिन से। वही तो देख रहा हूं की कितनी परफेक्टली काम करता है ।तो और पिक्चर नहीं देखना है मुझे , डायरेक्ट ही देखना है ।इसलिए चुपचाप अपनी गाड़ी में जा और रेडी कर सब कुछ ।और इस बार कोई गलती हुई ना तो दोनों हाथ ही काट दूंगा । फिर घड़ी तो बहुत होंगे तुम्हारे पास लेकिन पहनने के लिए हाथ नहीं होंगे।"
विराट ने कहा और उसकी दोनों हाथों के तरफ एक सर्द नजर डाल कर वहां से चला गया।
और उसके जाने के बाद श्लोक जो बस डर और देहसत से दम तोड़ने ही वाला था विराट के जाते ही एक गहरी सांस लेकर खुद से ही बोला ,
"क्या बेटा श्लोक सेर थोड़ा सा क्या हिरण जैसी हरकतें करने लगा तू तो उसे हिरण ही समझ बैठा। सपनों की दुनिया से बाहर आ । वो विराट अग्निहोत्री है। सेर था सेर है और वही रहने वाला है। उनके जिंदगी में कुछ भी नहीं बदलने वाला ।"
अपने आप से ही बात करते करते चलते हुए वहां से निकल गया।
रायचंद हाउस
अभय जो गुस्से से अपने कमरे की ओर जा रहा था ,तपस्या के कमरे के पास उसके कदम रुक गए। और वो उसके डोर के पास खड़े नॉक करने लगा। जब दो-तीन बार नॉक करने के बाद भी कोई जवाब नहीं मिला तो वो हल्का सा डोर खोलकर कमरे के अंदर झांकने लगा। तपस्या को बेड पर सुकून से सोते देख हल्का मुस्कुरा देता है ।और अंदर आते हुए उसके करीब बैठ गया।
"12 साल से लंदन में क्या माता रानी का जगराता कर रही थी, जो इंडिया आते ही बेड पर खुद को चिपका लिया। "अभय उसके माथे को सहलाते हुए बोला।
तपस्या हल्का मुस्कुरा दी और उसके हाथों को लिए चूमते हुए उसका तकिया बनाकर वापस सो गई।
अभी बस 9 दिन हैं आप घर में, जानते हैं ना आप। अगर आप सोते हुए ऐसे दिन बिता देंगे तो,कहते हुए अभय के लहजे में उदासी थी।
तपस्या उसकी बात सुनकर झट से आंखें खोल उठ कर बैठ गई ।और थोड़ा नाराज होते हुए बोली,
"ये बोलना जरूरी था भाई? हमें भी काउंटिंग आती है। और हमें पता है कि हमारा इस घर में और कितने दिन बचे हैं।"कहते हुए तपस्या उदास हो गई।।
"इतनी उदास हैं तो हिटलर रायचंद को सीधे कहे क्यों नहीं देती कि इतनी जल्दी शादी करके यहां से नहीं जाना है। बोल दो कि कुछ महीने या शायद कुछ साल के बाद ही करनी है शादी। वैसे भी सिद्धार्थ कहां भागा जा रहा है कहीं।"
तपस्या जाकर उसके गले लग कर बोली,
"हम ठीक हैं भाई ।दादू ने फैसला लिया है तो कुछ सोच समझ कर ही लिया होगा।"
"Hmmm, ये तो है । हिटलर ने फैसला लिया है तो अपने ही हित में लिया होगा ।"
कहते हुए वो तपस्या के बालों को सवारने लगा। और कुछ सोच कर थोडा सीरियस हो कर बोला,
"इस शादी से आप खुश तो है ना बच्चा ? कहीं दादू के दबाव में आकर ये शादी तो नहीं कर रही है? सिद्धार्थ आपको पसंद तो है?
उसकी बात सुनकर तपस्या उससे दूर होते हुए उसके चेहरे को देखकर बोलि ,
"ऐसा सवाल अचानक से क्यों भाई ? ये तो कब से हमें पता है और आपको भी कि हमारी शादी सिद्धार्थ से होने वाली है। फिर आज ये सवाल क्यों? हम आप को खुश नजर नहीं आ रहे हैं क्या?"
तपस्या ने पूछा और अभय के ओर गौर से देखने लगी ।
अभय उसे कुछ अजीब और बदला हुआ नजर आ रहा था।
तपस्या वापस उसके पास उसके करीब जाकर बैठ गई। उसके हाथों को अपने हाथों में थाम कर फिकर भरी आवाज में पूछने लगी,
"कुछ हुआ है क्या भाई ?आप कुछ ठीक नहीं लग रहे हैं। कुछ बात है तो आप हमें बता सकते हैं ।"
तपस्या पूछ कर अभय को गौर से देखने लगी।
अभय उसे देख एक फीकी मुस्कान लिऐ बोला,
"हमें क्या होना है ?हमें जो होना था वो 12 साल पहले ही हो चुका है। और आपके साथ ऐसा कुछ ना हो इसीलिए आपसे बार-बार पूछ रहे हैं आप इस शादी से खुश है ना ? या फिर हिटलर रायचंद की दवाब में आकर बस शादी कर रहे हैं।"
अभय पूछते हुए सावलिया नजरों से तपस्या को देखने लगा।
"हम पर कोई दबाव नहीं है भाई । हमें दादू के पसंद पर भरोसा है। और दादू के ढेर सारे प्यार और भरोसे के बदले हम इतना तो उनके लिए कर ही सकते हैं।
उसकी बात सुनकर अभय हलका मुस्कुरादिया। उसकी आंखें तो बहुत कुछ कह रही थी, लेकिन शायद जुबान साथ नहीं दे रहे थे । वो तपस्या का गाल थापथपा कर उसे देखने लगा और बोला,
"अपनी लाइफ के साथ किसी के लिए भी कंप्रोमाइज मत करना ।और जब भी जरूरत हो आपका भाई आपके साथ है ।"
कहते हुए उठकर वहां से जाने लगा।
"भाई, आप परिणीति दी से अभी भी प्यार करते हैं ना? भूले नहीं ना उनको?
चलते हुए अभय के कदम रुक गए । लेकिन वो मुड़कर तपस्या की ओर नहीं देखा ।और चुपचाप वहीं खड़ा रहा।
"हम जानते हैं भाई आप परी दी को अब तक नहीं भूले। लेकिन हम चाहते हैं कि आप उन्हें भूलकर अपनी जिंदगी नई तरह से डॉक्टर प्रिया के साथ शुरू करें। वो बहुत अच्छी हैं। परी दी की तरह आपको धोखा नहीं देने वाली हैं। और
"तपस्या!!"
तपस्या को आधे में टोक कर अभय चिल्लाते हुए बोला। और पीछे मुड़कर तपस्या की ओर देखने लगा। लेकिन तपस्या को देख दूसरे ही पल खुद को शांत कर ने की कोशिश कर आंखें बंद कर के एक गहरी सांस लेते हुए बोला,
"प्लीज प्रिंसेस ,जरूरी नहीं है कि इंसान जो देखे जो सुने वो हमेशा सच हो ,इसलिए प्लीज आगे से हम हमारे पास्ट के बारे में कुछ नहीं सुनना चाहते । और परिणीति के बारे में तो हरगिज नहीं....और बाकी रही हमारी शादी की बात तो उस बारेमे हम इस्बक्त कुछ सोचना नहीं चाहते हैं।"
लेकिन भाई आपने तो डॉक्टर प्रिया से इंगेजमेंट किया है ना? फिर शादी तो करनी ही पड़ेगी ना।"
तपस्या उसे सावलिया नजरों से देखते हुए पूछने लगी।
" इंगेजमेंट से पहले ही हमने सबको साफ साफ कह दिया था की शादी हम तभी करेंगे जब हम दिल और दिमाग से प्रिपेयर होंगे। और ये हमें अच्छी तरह से पता है और बाकी सब को भी के दिलों दिमाग से हम इस जन्म में तो शादी के लिए प्रिपेयर होने से रहे और शायद ये कहीं ना कहीं प्रिया को भी पता चल ही चूका है।"
कहते हुए वो बिना तपस्या के और देखें वहां से मुड़कर चला गया।
"हम जानते हैं भाई आप परी दी को कभी नहीं भूल पाएंगे।"
कहते हुए तपस्या की आंखें नम हो गई । वो वहीं बैठकर पिल्लो को बाहों में थाम कर कुछ सोचने लगी और दर्द और गुस्से से भरे हुए आवाज से बोली ,
" देखा न डफर तेरी फैमिली ने क्या किया, तेरे पापा ने दादू का ट्रस्ट तोडा ,तेरे बहन ने भाई का दिल तोड़ा और तूने तो
कहते हुए वो रुक गई ।और बेड पर एकदम से पीठ के बल लेट गई और सीलिंग को एक टक देखने लगी ।
"तूने तो हमारी दोस्ती ही तोड़ दी ।बड़े-बड़े दावे किया करता था हमारे दोस्ती का । हमारे बगैर एक पल नहीं रह पता था।और एक ही रात में गायब हो गया, एक बार बताना भी जरूरी नहीं समझा ।और नाही मिलना जरूरी समझा ।"
कहते हुए उसकी आंखें आंसुओं से भर चुकी थी । लेकिन दूसरे ही पल अपनी आंखें साफ करते हुए उठकर बैठ गई। और गुस्से से बोली,
"तुम्हें भी हम अब याद नहीं करते हैं । पूरी तरह से भूल चुके हैं । लेकिन पता नहीं जब भी उस विराट अग्निहोत्री से मुलाकात होती है , जहन में तुम्हारी याद क्यों ताजा होने लगती है।"
कहते हुए वो फिर से विराट के ख्यालों में खोने लगी थी के अचानक से चित्रा जी के आवाज देने से खयालों के आधे रस्ते में ही रूक गईं।
चित्रा जी उसके पास बढ़ते हुए
"आप अभि तक रेडी नहीं हुए बेटा? सिद्धार्थ अभि आप को पिक करने आते ही होंगे । चलिए उठीए।"
कहते हुए वो उसकी बेड सही करने लगीं।
अग्निहोत्री इंडस्ट्रीज
विराट पीहू को स्कूल में छोड़कर ऑफिस आ चुका था। और इस वक्त सिगरेट के कश भरते हुए अपनी केबिन में ही चहल कदमी कर रहा था।
श्लोक तूफान मेल की तरह उसके केबिन में बिना इजाजत घुसकर साइड में पड़े सोफे पर ऑलमोस्ट लेट जाता है ।और सामने सेंटर टेबल पर रखे पानी को एक ही घूंट में पी लेता है। विराट सिगरेट के आखिरी कस भर ते हुए उसे बुझते हुए पुछा,
"काम हो गया?
विराट उसको तरफ कोल्ड वॉइस में पूछने लगा।
"आपको क्या लगता है भाई अगर काम नहीं हुआ होता तो मैं यूं आपके सामने आकर बैठा होता? वो भी तब जब आपने धमकी दी थी कि मेरे दोनों हाथ काट देंगे।"
कहे कर वो अपने दोनोंनहाथों को गौर से देखने लगा । और वैसे ही देखते हुए बोला ,"डोंट वरी प्यारों में तुम दोनों को कुछ नहीं होने दूंगा। अभि तुम दोनों को बहत महान काम करने हैं।"
"हो गया तेरा बकवास ,तो मेरे आज की सारी मीटिंग अटेंड कर लेना ।और मैं आज पूरा दिन मॉल में रहूंगा । मुझे डिस्टर्ब मत करना। ज़रूरी ना हो ने पर एक भी call किया तो वो तेरे जिंदगी का आखरी call होगा।"
उसकी बात सुनकर श्लोक शरारत से उसके और देखते हुए बोला,"भाई जब आप एसे बात करतें हैं ना तो बड़ा प्यार आता है आप पर। क्यों के ये मुझे भी पता हे और आपको भी के मेरे ऊपर एक खरोच भी आने नही देंगें, मारना तो दुर की बात है।"
कहते हुए श्लोक बड़े ही एटीट्यूड में दोनों हाथ सिर के पिछे टिकाते हुए आराम से बैठ गया।
श्लोक की बात सुनकर विराट उसे सर्द नजरों से देखते हुए बोला,"सुबह थोडे नरमी से क्या बात कर दी तू तो सर पर ही बैठ गाया। चुप चाप जा अपना कान कर।"
बोलते हुए अपना कोट उठाकर वो कैबिन से जाने लगा।
"भाई क्या करने वाले हैं आप ?
श्लोक ने कुछ सोचते हुए झिझक कर पूछा।
श्लोक की बात सुनकर वो रुक जाता है ।और अपने आप ही उसके चेहरे पर एक डेविल स्माइल आ जाती है। और इस स्माइल को चेहरे पर बरकरार रखते हुए वो बोला ,
"12 साल से जो जहर की घूंट को अकेले पी रहा हूं अब उसे बांटने का वक्त आ गया है।"
कहकर ही वो बाहर निकलने लगा। फिर कुछ सोच कर कदम रोक कर बोला
"जान मेरे बारे में पूछे तो कुछ बहाना बना देना मत बताना कि मैं मॉल में हूं । और उसकी तबीयत ठीक नहीं है उसे परेशान मत करना ।"
बोलते हुए वो चला गया।
"श्लोक मुंह बनाकर आंखें छोटी करते हुए खुद से ही बोला,
"मैं !!!!मेरी क्या मजाल के मैं उस पागल को परेशान करूं। और उसे कोई क्या ही परेशान कर सकता है। वो तो खुद ही अपने आप में एक परेशानी और सिर दर्द है ।"
कहते हुए वो अपने मोबाइल में बिजी हो गया।
कहानी आगे जारी है ❤️❤️ रेटिंग और समीक्षाएं दे दीजिए 🥺🥺