सुबह का बक्त
सूरज की पहली किरण धरती को चूम रही थी। समंदर के किनारे रेत पर एक लड़का पीठ के वल लेटा हुआ था । उसका एक हाथ उसके सिर के पीछे और दूसरा आंखों को ढके हुए था।
अचानक से मोबाइल की रिंग की आवाज से वो थोड़ा इरिटेट हुए आंखों से हाथ हटाकर रेत में इधर-उधर हाथ फेरने लगा। फोन हाथ में आते ही बिना देखे कॉल पिक कर नींद में ही बोला,
"हेलो"
दूसरी तरफ से एक लड़की शांत सी आवाज से ,
"Hii, मैं हूं अभय ,प्रिया ।"
लड़की की आवाज से अभय जो रेत पर बेसुद्ध लेटा हुआ था ,बिना किसी भाव के बोला ,
"जी बोलिए इतनी सुबह । अभी तो शायद 5:00 ही बजे होंगे ।"
अभय आंखों से हल्का हाथ हटाकर उगते सूरज की ओर देखते हुए बोला और वापस से आंखों में हाथ रख दीया।
दूसरे और से प्रिया,
"जी वो मैं hospital में ही हूं।कल तपस्या के पार्टी में आ नहीं पाई थी कुछ इमरजेंसी आ गई थी हॉस्पिटल में । तो सोचा आप को बता दूं और
"इट्स ओके वैसे पार्टी में ,मैं भी नहीं था तो गिल्ट फील करने की जरूरत नहीं है ।"
प्रिया की बात को आधे में ही काट कर अभय ने कहा और फिर चुप हो गया ।
समंदर से लहरों की आवाज जोरों से आ रही थी। जो फोन के उस पार भी साफ सुनाई दे रही थी ।
"समंदर के किनारे है क्या ?"
प्रिया ने कुछ असमंजस में पुछा।
"जी रात को बैठा था पता नहीं कब आंख लग गई ।"
कहते हुए ही उठकर बैठ गया ।और समंदर के लहरों को देखने लगा जो उसके पैरों को छूकर जा रही थी ।लहरों को देखकर ही उसके होठों पर एक दर्द भरी मुस्कान आ गई।
"जी ,मिल सकते हैं हम? काफी दिन हो गए मिले भी नहीं है। और कुछ बात भी करनी थी आप से।"दूसरी तरफ से प्रिया ने कहा़।"
अभय बस समन्दर को देख कुछ याद कर अनजाने में ही मुस्कुरा रहा था ।
प्रिया ने कोई जवाब न पाकर वापस से पूछा,"आज मिल सकते हैं coffee पर?"
वापस से सवाल सुनकर अभय होश में आ कर बेख्याली में ही बोला,"जी हम घर पहुंच कर फ्रेश होले फिर आपको कॉल करके बताएंगे। या फिर जब भी आप फ्री होंगे मिल लेंगे।"
कहते हुए अभय के भाव अभी भी ठंडे थे ।कोई एहसास नहीं था ।
"ओके फाइन ।"प्रिया ने दुसरी तरफ़ से कहा और इससे पहले कि वो कुछ और बात करती अभय ने फोन कट कर दिया। और उठकर समंदर की ओर चलने लगा।
" अभय बात सुनिए मेरी ,आप लहरों को दूर से नहीं देख सकते क्या? इतने करीब जाने की जरूरत क्या है ?जानते नहीं तेज लहरें बाहा ले जाती है।मार डालूंगी मैं बोल दे रही हूं। दुबारा कभी तेज लहरों के क़रीब गए तो।आपकी सांसे चल रही है तो मेरी भी चल रही है पता है ना आपको?"
जहन में चल रही पुरानी यादें आवाज बनकर उसके कानों में गूंज ने लगी तो अभय के कदम रुक गए । वो होश में आकर देखा समंदर के किनारे से बहुत आगे आ चुका था। वो वहीं खड़ा हुआ अपनी आंखें बंद कर लेता है। चेहरे पर दर्द और हल्की सी मुस्कान लिऐ बोला,
"आपकी यही कहे शब्द हमेशा कानों में गूंजती है कि हमारी सांसें चल रही है तो आपकी भी चल रही हैं।आप को खुद में महसूस कर पा राहा हुं तो इसका मतलब आप आस पास ही हैं।और जीने की उम्मीद बढ़ जाती है । "
कहते हुए वो एक नजर समंदर को खाली आंखों से देखता है, और अपने कदम वापस लेते हुए मायूसी भरी आवाज में कहने लगा ,
"बस आप के होने के ऐहसास से जिंदा हूं,वरना तो ये सांस कब की बंद हो चुकी होती ।"
बोलकर अभय थोड़ी दूर रखे हुए अपनी गाड़ी के करीब कदम बढ़ा देता है।
रायचंद हाऊस
ब्रेकफास्ट टेबल पर सबके सामने एक किंग साइज चेयर पर यशवर्धन बैठे हुए थे। उनके दोनों साइड उनके दो बेटे समर और अनिरुद्ध जी बैठे हुए थे ।और अनिरुद्ध जी के पास ही तनु चुपचाप बैठे नाश्ता करते हुए अपने फोन पर बिजी थी। जिसे देख यशवर्धन जी उनके साइड में खड़े खाना सर्व करते हुए चित्रा जी को देख कर सख्त आवाज़ में बोल ,
"बड़ी बहू हमें लग रहा है घर की स्थिति बिगड़ती जा रही है। बेटा रात रात भर घर नहीं आता ,बेटी खाना पीना पढ़ाई छोड़कर फोन में जमी रहती है । ये तो संस्कार नहीं थे हमारे?"
ये सुनते ही सरगम जो समर को ज्यूस सर्वे कर रही थी तनु के हाथ से फोन छीन कर डाइनिंग टेबल पर रखते हुए दबे लफ्जों में बोली ,
"कब सुधरेगी?तमीज भूल गई है क्या?"
"जी नहीं चाची। ये कैसी बात कर रही है आप ।रॉयल पैलेस मेरा मतलब है द ग्रेटेस्ट यशबर्धन रायचंद की साम्राज्य में कोई सांस लेना भूल जाए संस्कार और तमीज कभी नहीं भूल सकते ।आफ्टर ऑल we are royal ।है ना?"
सब आते हुए आवाज की तरफ देखते हैं । अभय अपने एक उंगली के सहारे अपनी जैकेट को पीठ पर टिका कर कहते हुए डायनिंग एरिया की तरफ ही आ रहा था । और उसके होठों पर एक बेफिक्र और व्यंग भरी मुस्कान थी।
अभय अपनी जैकेट सरगम जी को थमा कर तनु के पास ही बैठ जाता है।
"चाची ज्यूस पास कीजिए"अभय स्माइल करते हुए सरगम के तरफ देख कहता है। और तनु के साथ बैठकर उसका फोन निकाल कर उसके साथ देखने लगता है।
"ये है रायचंद खानदान की एक लौते सुपुत्र ,जो जी तोड़ मेहनत कर रहे हैं हमारे और हमारे साम्राज्य को बर्बाद करने के लिए"
यशबर्धन जी अभय को देख ते हुए तंज कसे अंदाज में बोले।
"और ऐसा हमने क्या किया है जिससे आपकी नाम और साम्राज्य बर्बाद होने वाला है?"
अभय तनु के फ़ोन पर नजर गाढ़े हुए ही बोल पड़ा । वो बिलकुल एक्सप्रेशन लेस था।
यशबर्धन मजाकिया अंदाज में हंसते हुए,
"कल का आया एक नौजवान जिसका ना कोई बिजनेस बैकग्राउंड है और ना कोई गॉडफादर बस दो-तीन सालों में ही रायचंद के सामने खड़ा होकर उन्हें कड़ी टक्कर दे रहा है। और एक आप है जिसे तो बना बनाया सब कुछ मिल ही गया है फिर भी
कहते हुए वह खामोश हो गए।
उनको खामोश होता देख अभय उनके ही अंदाज में ,
"आगे भी बोल ही दीजिए दादू । वो क्या है के आपकी इन बातों से अब हमें कोई फर्क नहीं पड़ता ।"
वो कुछ और बोलने वाला था अनिरुद्ध जी उसे रोकते हुए,
"जुबान संभाल के बात कीजिए अभय । बड़े छोटे का लिहाज करना भूल गए हैं आप ।"
अभय ने कुछ नहीं कहा और नजर उठा कर अनिरुद्ध जी के पास खड़े अपने मां के बेबस चेहरे को एक नजर देखा और आंखें झपका कर हुए बिना कुछ कहे वहां से चला गया।
वही तनु खुद को ही कोसे जा रही थी कि उसके फोन देखने के वजह से ही शायद दादू गुस्सा हुए ,और ये महाभारत छिड़ गई।
वहीं इन सब के बीच भी तपस्या अब तक विराट के एहसासों में खोए हुए नींद में उसी की यादों में सिमटी हुई सपना देख रही थी।
दूसरे ओर अग्निहोत्री हाऊस में.....
विराट अपने कमरे में मिरर के सामने खड़ा रिस्ट वॉच पहन ते हुए कुछ सोच रहा था ।श्लोक तूफान मेल की तरह अंदर आते हुए
"भाई में अंदर आ जाऊं?"
श्लोक बत्तीसी दिखाते हुए बोला ।
विराट मिरर से ही उसपर एक सरारती नजर डालकर ,
"तू ऑलरेडी अंदर है।"
श्लोक खुद के क़दमों को एक नजर डालते हुए जो विराट से बस दो कदम की दूरी पर ही थे ।अपनी बत्तीसी दिखाते हुए,
"आप ने ही तो कहा था भाई ,कि मुझे पूछने की जरूरत नहीं है ।"
कहते हुए वो विराट के वॉच की ओर देखने लगा ।जो की बहुत एक्सपेंसिव और लिमिटेड एडिशन की थी। फिर अचानक से नजर हटाकर विराट को देखते हुए बोला
"वो मां ने आपको ब्रेकफास्ट के लिए नीचे बुलाया है ।"
कहते हुए वो वापस मुड़ कर जाने लगा।
"सुन "
विराट उसे बुलाते हुए मिरर में देख अपना टाई ठीक करने लगा ।
श्लोक उसके और दो कदम बढ़ाकर उसके पास खड़ा हुआ।
विराट अपने रिस्ट वॉच निकाल कर उसके रेस्ट में पहनाने लगा । लेकिन उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। श्लोक उसके और एक नजर देखकर मुस्कुरा दिया । विराट रिस्ट वॉच पहनाते हुए ,
"मां से बोल में 10 मिनट में परी दी से मिलकर आता हूं।"
कहते हुए उसने श्लोक का गाल थपथपा दीया।
श्लोक कुछ ज्यादा ही इमोशनल होकर उसे देखने लगा। लेकिन विराट अभी भी एक्सप्रेशनलेस था।
श्लोक उसके गले लगकर ,"थैंक्स भाई।"
विराट उसे खुद से दूर कर आंखें छोटी करते हुए,
"तू विराट अग्निहोत्री का इकलौता छोटा भाई है। डोंट यू थिंक के एक मामूली वॉच के लिए इतना इमोशनल होने की जरूरत नहीं है तुझे। पूरी दुनिया में तू जिस भी चीज पर हाथ रख दे वो तेरा हो सकता है ।समझा ?"
"थैंक्स वॉच के लिए नहीं था भाई।"
विराट की बात सुनकर श्लोक उसके और घूमते हुए बोला।
"फिर ?"
पूछते हुए विराट उसे सावलिया नजरों से देखने लगा ।
"थैंक्स, मेरो भाई बनने के लिए । यू आर द बेस्ट ब्रदर इन दिस वर्ल्ड।"
"और बेस्ट son too।"
कहते हुए अनुपमा जी कमरे के अंदर चलते हुए आ रहे थे ।
विराट उन्हें देखकर उनके गले लगते हुए शांत आवाज में,
"सॉरी मां ,कुछ दिनों से आपको बहुत परेशान कर रहा हूं । वो में
"कुछ भी कहने की जरूरत नहीं है। क्या हुआ है? कैसे हुआ है ?मुझे सब कुछ पता है ।कल पूरा दिन कुछ भी नहीं खाया था तूने।"
कहते हुए वो श्लोक के और गुस्से से देख बोले,"इसे तुझे बुलाकर लाने भेजा था। ये तो खुद यहीं जम गया।"
कहते हुए विराट का हाथ पकड़ कर चलने लगे कि उनकी नजर विराट के हाथों पर लगी चोट पर जहां बैंडेज लगाया हुआ था पड़ गईं। इससे पहले कि वो कुछ पूछ पाती विराट बात बदलते हुए श्लोक के सिर पर चपत लगाते हुए बोला,
"इसे बुलाने भेजा था ना आपने, इसे थोड़े ही मेरे खाने पीने का कोई फिक्र है इसकी नजर तो बस मेरे एक्सपेंसिव चीजों पर रहती है । देखिए ना आते ही मेरे वाच पर नजर डालने लगा।"
कहकर श्लोक के ओर देख वो आई विंक कर देता है । और श्लोक जब तक कुछ समझ पाता एक थप्पड़ उसके गालों पर ऑलरेडी पड़ चुकी थी।
श्लोक अपने गाल सहलाते हुए बस विराट के और मासूमियत से देख रहा था।
नीचे डाइनिंग में पीहू चुपचाप बैठी अपने नाश्ते को देख रही थी। विराट की नजर सीढ़ियों से उतरते हुए पूरी तरह से उसी पर थी । वो काफी गहरी सोच में डूबी थी ।विराट उसके दिल की हाल समझ रहा था ।क्योंकि जब भी पीहू परिणीति के साथ उसके पास थोड़ा सा भी वक्त गुजारती थी कई दिनों तक वो एहसास उसके दिल दिमाग में हाभी होकर रहता था।
विराट खुद को संभाल कर मुस्कुराते हुए उसके पास के चेयर पर बैठ गया । और उसी के प्लेट से एक पीस सैंडविच खाते हुए शरारती अंदाज में बोला,
"पता है प्रिंसेज आपकी नानी मा ना हम सबसे ज्यादा आपसे ही प्यार करते हैं ।"
पीहू उसे सावलिया नजरों से देखने लगी ।पर कुछ नहीं बोली।
विराट उसके ग्लास में ज्यूस डालकर उसे पीने के लिए इशारे में बोलते हुए बोला,
"देखिए ना आपको तो रोज-रोज आपके मन के मुताबक और आपकी फरमाइश के हिसाब से ही ब्रेकफास्ट मिलता है, और वो भी खुद नानी मां अपने हाथों से बना कर देती हैं ।लेकिन हम सबके लिए कुक के हाथों का वही रुखा सुखा खान
कहते हुए विराट बेचारा सा मुंह बनाने लगा।
पीहू उसके और देख मुस्कुरा देती है। विराट उसके गालों को सहलाते हुए ,"आप ठीक है ना बच्चा?"
पीहू अपनी जगह से उठकर विराट के गले लग कर बोलि,
"हम चाहते हैं नानी मां के साथ-साथ हमारे मां भी हमारे लिए हमारी पसंद का नाश्ता बनाएं ।दूसरे बच्चों की तरह हमारे लिए टिफिन पैक करें ।हमें स्कूल के लिए रेडी करें। हमें प्यार करें ।हमें
कहते हुए उसकी आवाज गले में ही अटक गई ।और उसे यूं देख कर विराट की सांस अटक रही थी। वो कसकर उसे अपने बाहों में थाम कर बोला
"बहुत जल्द ऐसा होगा बेटा ,आपकी मामा आपको प्यार भी करेंगे और आपके लिए खुद आपके पसंद का नाश्ता भी बनाएंगी ।और आपके स्कूल भी छोड़ने जाएंगे, आई प्रॉमिस।"
बोलते हुए विराट पीहू को खुद से दूर करता है और उसके चेहरे को अपने हाथों मैं भरते हुए उसके आंसू पोंछे ते हुए बोला ,
"चलिए प्रिंसेस आप रेडी हो जाइए ।आज मैं खुद आपको स्कूल छोड़ने जाऊंगा। ठीक है ?"
कहते हुए वो अनुपमा जी के और इशारा करता है। अनुपमा जी उसकी बैग रेडी करते हुए विराट की ओर बढाकर बोले,
बस ड्राइवर ही नहीं आज असिस्टेंट भी बनना होगा तुम्हें अपने प्रिंसेस केलिए ठीक है?"
विराट पीहू को देख मुस्कुरा कर अनुपम जी के हाथों से उसका बैग पकड़ कर,
"विथ प्लेजर मां। अग्निहोत्री खानदान की इकलौती प्रिंसेस है ।विराट अग्निहोत्री इतना तो कर ही सकता है ।"
कहते हुए वह पीहू का हाथ पकड़ कर जाने लगा।
"भाई मैं भी आप दोनों के साथ चलूं। मजा आयेगा।"
श्लोक दांत दिखाते हुए पीछे से आवाज देते हुए बोला।
विराट उसके और एक जलती नजर डालकर ,"तुझे जो काम दिया था वो कर दिया तूने ?"
"जी भाई । पिक्चर्स भेज दिए हैं आपको। इस बार एक भी गलती नहीं हुई ।एकदम पर्फेक्ट ।जैसा आपने चाहा था बिल्कुल वैसा ही बना है ।"
विराट ने पूछा तो श्लोक ने बहुत ही कॉन्फिडेंस के साथ लहराते हुए जवाब दिया ।
विराट श्लोक से किन पिक्चर्स के बारेमे बात कर रहा था, जानने केलिए आगे पढ़ते रहीं।